# काव्योत्सव 2
??? अखण्ड भारत ???
बालक जान मुआफ किये हम ये एहसास उन्हें भी करा दें,
शायद वो फिर भूल गये हैं तो तेवर भारत के समझा दें |
भारत में रहना हो उन्हें तो हम भारत की तहज़ीब सिखा दें,
गाँव गली हर एक नगर से जयचन्दों को मार भगा दें |
भारत में रह के परदेश के गीत जो गाएँ उन्हें हम भगा दें,
आपस में मिल के रहना है तो भेद तमाम दिलों के मिटा दें |
बात नहीं तुम मानो तो हम मार के लात धरा में मिला दें,
चाहिए वाद विवाद नहीं फिर तो बस तोप बढा के चला दें |
फूल रहे जिनके दम पे तुम वो हथियार तुम्हीं पे चला दें,
कूद रहे बम एक बना के तो बात तुम्हें यह याद दिला दें |
कण-कण भारत की इस धूल का एक अणुबम है ये बता दें,
हालत पैंसठ और इकहत्तर जैसी ही फिर इक बार बना दें |
भारत का कश्मीर है भारत का ही रहेगा ये बात बता दें,
भारत का ध्वज जो भी जलाएगा हाथ समेत उसे भी जला दें |
युद्घ हुआ इस बार तो भारत को फिर राष्ट्र अखण्ड बना दें,
हर-हर, बम-बम बोल के झण्डा ये रावलपिंडी में फहरा दें |
विजय तिवारी, अहमदाबाद
मोबाइल - 9427622862