सुनो दिलबर भूल न जाना
अपनी खुशियाँ और गम में
हम भी तुमको याद रखेंगे.......
धूप छाँव के मौसम में
बादल की धरती पे मिल के
ओस किरण की फसल उगायें
उन्मुक्त पवन के पंख लगा कर
नील गगन में यूं उड़ जायें
घन बीच जैसे चमके बिजली
नित बरखा के मौसम में
हम भी तुमको याद रखेंगे.......
धूप छाँव के मौसम में
फूल की नरमी उसकी खूश्बू
अपना सा क्यों लगता है
तुमसे मिलना और बिछड़ना
सपना सा क्यों लगता है
खोज रहे हम बाहर तुमको
और छुपे तुम हो हम में
हम भी तुमको याद रखेंगे.......
धूप छाँव के मौसम में
क्षण प्रतिक्षण के तुम वाहक,
चाह का विस्तार लिये
तुमसे ही तो सब कुछ पाया
कितने तो उपहार दिये
मोल बड़ा है इनका प्रियवर
न लेना इनको कम में
हम भी तुमको याद रखेंगे.......
धूप छाँव के मौसम में !
...आशा गुप्ता 'आशु'