#KVYOTSAV -2
'याद है अभी तक..."
इन दिनों
तुम इतने व्यस्त हो
कि तुम्हारे ख्यालों में भी
मेरा ख्याल खो गया है कहीं
लेकिन मेरी बेज़ारी में भी
एक भी लम्हा
ऐसा नहीं गुज़रता
जिसमें
तुम्हारी चाहत नहीं होती
टटोलती रहती हूँ
अपनी उपस्थिति शिद्दत से
कि कहीं तो मिल जाए
तुम मे मेरे होने का कोई निशान
जानती हूँ
इतना भी सरल नहीं है
सहजता से पाना
तुम्हारे मन की थाह
याद है मुझे अब भी
कितने सालों के मशक्क़त के बाद
खोल पाई थी तुम्हारे मन के किवाड़
एकनिष्ठ समर्पण के दीप जलाए
तुम्हारे मन के दर पर वर्षों
तब जा के कहीं पहुंच पाई थी भीतर
अपने मन मुताबिक़ बना तो ली
रहने की जगह लेकिन
हसरत ही रही बाक़ी
कि घोषित करो तुम खुद ही
मुझे मल्लिका अपने मन की।
-सुमन शर्मा