Hindi Quote in Poem by suman sharma

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#KAVYOTSAV -2
"रंग"

सिर्फ देखे थे मैने रंग
पहचानती थी उनके नाम से
लाल,नीला,पीला, हरा, गुलाबी...

जानती थी कि
रंग दिखते हैं
आँखों की वर्णक्रम से मिलने पर
छाया की गतिविधियों से

छुआ था कभी-कभी उँगलियों से
और देखी
कि ये रंग वहीं तक रँगते हैं जितना छुआ जाए

कितने नए रंगों से परिचय हुआ है
तुम्हारे सानिध्य में
इन रंगों(लाल,नीला,पीला, हरा, गुलाबी...) से बनिस्पत

कि रंग सिर्फ आभास बोध का मानवी गुण धर्म नहीं
बल्कि कुछ रंग ऐसे भी होते हैं
जो दिखते नहीं आंखों से
और रँग जाते हैं अंतर्मन-जीवन

अब महसूस करती हूँ रंगों को
पहचाती हूँ वर्णक्रम से इतर

रंग खुशी का
रंग मुस्कराहट का
रंग आँसू का
रंग बेचैनी का
रंग सुकून का
रंग इंतज़ार का
रंग साथ का
रंग उल्लास का
रंग विश्वास का
रंग और भी न जाने कितने

एक तुम्हारे होने से
ये सारे रंग बिखर गए हैं
जीवन के कोने -कोने में
मैं तन-मन सराबोर हूँ
अब हर दिन मेरी होली होती है

कि एक प्रेम के रंग में रंग जाने से
कितने और रंग अनायास ही शामिल हो जाते हैं जीवन में....!

-सुमन शर्मा

Hindi Poem by suman sharma : 111163641
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