#KAVYOTSAV -2
बीती आधी रात
उनींदी हैं आँखें
जैसे हरियाली की प्रतीक्षा में है
रेगिस्तान ।
बादलों से अठखेलियां करता हुआ
दिख रहा है खिड़की से चांद
उदास है मन
जाने कितनी अनकही बातों से
चाँदनी चुभ रही है
शूल की तरह ।
आंखें बंद करती हूँ
ताकि भर सकूँ एक गहरा अँधेरा
कि गहनता से उसकी
आँसू भूल जाएं आँखों का रास्ता
और उदासी मन की।
पलके झुकाते ही
चमकने लगते हैं
ढांढस बंधाते बातों के
असंख्य जुगनू!
-सुमन शर्मा