Hindi Quote in Poem by Neha Bhardwaj

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बिटिया
#काव्योत्सव -2

थोड़ा सीधा चला करो...
झुक कर नही !
कमर में कूब निकल जायेगा...
फिर कौन तुमको ब्याहेगा ?
कुछ सालो बाद...
लड़कियों को झुक कर चलना चाहिए
बिटिया ज्यादा तनकर मत चला करो
सिर पर पल्लू रखकर सम्भालते हुए...
बिटिया से बहू बनी रानी...
बिना झुके
सिर ढक ही नही पाती
गर्भावस्था आयी...
तनकर चलना मुश्किल हो गया
एक बिटिया गोद में आयी...
अब तो झुकना नियति बन गया
बेटी की माँ को सादगी में
झुक कर रहने की हिदायत दी गयी
इतना झुकते झुकते...
मेरुदंड ही तिरछा हो गया
प्रौढ़ावस्था आते आते
सीधे रहने की सलाह दी गयी
जीवन भर झुके रहने वाले
कंधों को भी आदत नही थी
सीधा रहने की
सारा दिन कमर के बल
सख्त , तख्त पर लेटकर
कमर सीधी रखी जा रही थी...
जैसे जैसे मियाद पूरी हो रही थी
कमर सीधा रहना सीख गयी थी
जान गयी थी...
जितना झुकेगी
झुकाई ही जायेगी ,
तनकर रहेगी समाज से
सीधे आंखे मिलायेगी ,
आत्मविश्वास बढ़ेगा
अब झुकाने की...
कोशिश भी नही की जायेगी ।
दूसरी ओर...
बिटिया के कंधे भी
अब झुकने लगे थे
माँ ने उसकी आंखों में
झांककर समझाया
आत्मविश्वास मन का
आंखों में झलकना चाहिए
ईश्वर ने पंख दिये है
तो उड़ना चाहिए
बिटिया ने माँ के भावों को समझा
और सपनो के विमान को
आकाश में उड़ाना सीख लिया
आज न कंधे झुक रहे न कमर
आज पायलट बिटिया के सम्मान में
झुक रहे है आकाश में बादल कहीं
।।
नेहा भारद्वाज
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Hindi Poem by Neha Bhardwaj : 111162464
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