#काव्योत्सव_प्रेरणादायक_कविता
कंजक पूजन
श्रद्धा के फूल
पूजा के दीप
आरती की थाली
भक्ति के गीत
काफी हैं बस
सिर्फ नवरात्र में
पूजन के लिए?..
ये नौ दिन समर्पित
सम्पूर्ण नारी जाति को
कोख से ही जो मानी गई
तिरस्कृत और परिष्कृत
जन्म से ही उपेक्षित
बहुत खुशी से बिठाते हो
जिसको कंजक पूजन में..
अपमान की वेदी पे चढ़ी
वासना की आग में बलि
जिस्म मात्र ही जो है रही
बेटी,बहन को भी भूले
जो काम की पिपासा में
बहुत खुशी से बिठाते हो
जिसको कंजक पूजन में..
दहेज, अशिक्षा और मारपीट
यह सब भाग्य में लिखा जो
जब यही नहीं बदल सकती
तो काहे की देवीस्वरूपा वो
बहुत खुशी से बिठाते हो
जिसको कंजक पूजन में...
नौ दिनों तक पूजकर उसको
पाप अपने क्या मिटा सकते?
क्यों नहीं देकर बराबरी सदा
सम्मान उसे तुम दिला सकते
बहुत खुशी से बिठाते हो
जिसको कंजक पूजन में..
अब तो बताओ
श्रद्धा के फूल
पूजा के दीप
आरती की थाली
भक्ति के गीत
काफी हैं बस
सिर्फ नवरात्र में
पूजन के लिए?....सीमा भाटिया