*?सदगुरुदेव भगवान का साथ?*
एक संत अपने शिष्य के साथ जा रहे थे, अचानक बारिश तेज हो गई और नदी में पानी बढ़ गया | लौटने का रास्ता एक ही था,जो सकरा सा पुल था उस पर से पानी बह रहा था| गुरु ने शिष्य से कहा मेरा हाथ पकड़ो हम पार कर लेंगे पर शिष्य ने हाथ नहीं पकड़ा|
गुरु जी बार - बार कहने पर पर भी शिष्य नहीं माना तो गुरु ने हाथ पकड़ा और खींचकर नदी के पार ले गए और बोले मै इतनी देर से बोल रहा हूँ मेरा हाथ पकड़ लो तो क्यों हाथ क्यों नहीं पकड़ा ?
इस पर *शिष्य ने बहुत ही प्यारा दिल को छू लेने वाला उत्तर दिया* - मेरे गुरुवर मैं बहुत ही कमजोर और दुर्बल हूँ , मुझे खुद पर भरोसा नहीं था यदि मै हाथ पकड़ता तो छोड़ सकता था लेकिन मुझे आप पूरा भरोसा था की यदि आपने हाथ तो कभी नहीं छोड़ेंगे, इसलिए मैंने हाथ नहीं पकड़ा था | हम भी दुआँ करें की हमारा हाथ हमारे गुरु पकड़ लें क्योंकि यदि गुरु ने एक बार हाथ पकड़ लिया तो मंजिल पर ले जाकर ही छोड़ेंगे |