#मोरल कहानी
शीर्षक- “दृढ़ निश्चय”
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रामू अनपढ़ किसान था! बचपन में ही उसके माता पिता का निधन हो गया ! घर की सारी ज़िम्मेदारी उसके कंधों पर आन पड़ी! युवावस्था में ही उसके चाचा ने उसका विवाह कर दिया! उसकी पत्नि भी पढ़ी लिखी न थी ! रामू का एक बेटा था; राजू! रोज़ उसके स्कूल से शिकायत आती, “रामू तुम्हारा बेटा पढ़ने में कतई नालायक है , तुम्हें कितनी बार कहा है कि यदि उसकी पढाई लिखाई पर ध्यान नहीं दे सकते तो उसका दाखिला हटा लो स्कूल से , खुद तो अनपढ़ हो ही, उसका भी जीवन नष्ट कर रहे हो” ! थक गया था रामू यह पंक्तियाँ सुनते सुनते ! इस बार उसका बेटा परीक्षा में फेल हुआ और उसको स्कूल से निकालने का फरमान जारी हो गया ! रामू यह सहन न कर सका ! पर उसने हार भी नहीं मानी और ठान ली कि वो खुद पढ़ेगा और अपने बेटे को भी शिक्षित करेगा !
उसने अपना काम धंधा नहीं छोड़ा, गाँव के रात्रि में खुले विध्यालय में दाखिला लिया ! उसकी परिश्रम और लग्न रंग लाई ! आज रामू पढ़ लिख गया है और अपने बेटे को पढाने लायक भी हो गया है ! खुद उसके बेटे के स्कूल से न्योता आता है, कि आकर प्रिंसिपल को मिले और अपने बेटे को फिर से स्कूल भेजे ! बड़े फक्र से रामू गया और बेटे को वापिस दाखिला कराया !
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शिक्षा: मन में यदि दृढ़ निश्चय हो तो इन्सान कुछ भी कर सकता है !
डॉ सोनिया !
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