#MoralStories
मेरी पहचान..मेरा स्वाभिमान
आज भी सासु माँ के तानो ने शीतल के अस्तित्व को ठेस पहुंचाई थी !
" कितना भी कह लो ..कितना भी कर लो..पर ये हाउसवाइफ शब्द का अर्थ अभी भी घर में मौज मस्ती करने वाली महिला के नाम से ही जाना जाता है".. सोचते हुए शीतल की अश्रुधारा बह चली !
घर की साफ़-सफाई के दौरान शीतल को अपनी लिखी कुछ कविताओं के पन्ने हाथ लगे ! "अरे वाह....नारी की शक्ति और स्वाभिमान..इन कविताओं में तो मुझे पुरस्कार मिले थे ....कॉलेज की वार्षिक पुस्तक में भी तो छपी थीं ",,! ख़ुशी से प्रफुल्लित शीतल को मानो उसकी पहचान मिल गयी थी !
"क्यूँ न अपनी कुछ पंक्तियाँ सोशल साइट्स के लेखक समूह के साथ बाँट लूं "...हिम्मत कर के उसने अपनी कविता को समूह में पोस्ट किया... ! लेखकों की सराहना ने तो उसकी कलम की उड़ान में न जाने कितने ही पंख लगा दिए थे !
सासू माँ जो की मोहल्ले की कीर्तन मंडली की प्रमुख़ थीं....उन्होंने आज कीर्तन समारोह आयोजित किया था...उनकी बहु शीतल जो अब लेखिका के नाम से प्रसिद्ध हो चुकी थी ...सभी महिलायों ने उसको .कुछ पंक्तियाँ बोलने का आग्रह किया !
"मेरी इच्छा-शक्ति ने मुझे पहचान दी और मेरी पहचान ने स्वाभिमान " ..जैसे ही शीतल ने कहा गर्व से गद-गद सासु माँ ने उसको गले से लगा लिया..!