कुछ दर्द ऐसा है
कुछ तड़प ऐसी है
कुछ रोग ऐसा है
कुछ तपिस ऐसी है
मैं चाह कर भी तो
तुझे भूल नहीं सकती।
तू वो नहीं है जो
मेरी आँखों का नूर है
तू वो नहीं है जिसका
छाया मुझ पर शुरूर है।
तू वो नहीं है जिस से
गुजरते मेरे दिन रात
तू वो नहीं जिससे
होती है प्यार की बरसात।
तू वो नहीं है जिससे
मेरा सुख और चैन है
तू वो नहीं है जिसके लिए
ये दिल बेचैन है।
तू रात नहीं तू दिन नहीं
तू इस दिल की मालकिन नहीं
तू लहर नहीं तू श़हर नहीं
तू गहरा कोई भँवर नहीं।
फिर किस दुनिया से आया तू
और किस दुनिया का वासी है।
मैं तेरी नजर में कैसे आई
क्यूँ तेरे लिए दिल में उदासी है।।
तू चोर है या लुटेरा है
या है तू मनमोहन छलिया।
एक छवि तेरी मोहित कर दे
या तू है निर्मोहीं मेरा संइयाँ ।।