सरकारों द्वारा अपनी नाकामी को छिपाने के लिए शुरू की जाने वाली योजनाएं देश के लिए होगी बहुत हानिकारक
सनातन से ही किसी भी क्षेत्र का राजा-महाराजा द्वारा उस क्षेत्र के हर आम नागरिक के जीवन यापन हेतु उसकी योग्यता एवं दक्षता के अनुरूप हर नागरिक को रोजगार सुलभ कराया जाता था। ताकि वह अपनी योग्यता और दक्षता के अनुरूप करने वाले कार्य से प्राप्त पारितोषण से अपने परिवार को आर्थित तौर पर मजबूत करते हुए उस क्षेत्र की भी आर्थित स्थिति को मजबूत करने में अपनी सहभागिता का निर्वहन करने में सफल हो।
क्योकि यदि किसी भी क्षेत्र का आम नागरिक आर्थिक तौर पर मजबूत होगा तो वह क्षेत्र निश्चित रूप से शिक्षित और स्वस्थ भी होगा।इसी कारण हर क्षेत्र के राजा-महाराजा अपने अधिग्रहण क्षेत्र में रहने वाली जनता को सिर्फ और सिर्फ उनकी योग्यता और दक्षता के अनुरूप रोजगार मुहैया करवाने की व्यवस्था करते थे जिससे उन्हें फिर अन्य दूसरी कोई व्यवस्था करने की आवश्यकता नही पड़ती थी।
इसके अलावा यदि किसी भी राजा-महाराजा के अधिग्रहण क्षेत्र में किसी भी घर का मुखिया किसी भी आकस्मिक दुर्घटना के फलस्वरूप जीवकोपार्जन हेतु असहाय हो जाता था तो भी उस क्षेत्र के महाराजा द्वारा उस परिवार के हर सदस्य को उनकी योग्यता और दक्षता के अनुरूप रोजगार की सुलभ व्यबस्था कर उस परिवार के सदस्य को अन्य कामगारों की तुलना में थोड़ा सा अधिक मानदेय प्रस्तावित कर दिया जाता था। ताकि वह परिवार भी क्षेत्र के अन्य परिवार के समकक्ष रहने में सफल हो।
किन्तु स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात देश पर राज करने वाली हर सत्ताधारी सरकारों द्वारा कभी भी बढ़ती विस्फोटक जनसंख्या के अनुसार रोजगार की व्यवस्था नही की गई। जिस कारण देश में निरंतर बेरोजगारी एक बहुत बड़ी समस्या के रूप में धीरे-धीरे एक ज्वालामुखी का रूप धारण करती रही।
और जब यह समस्या इतनी बिकराल हो गई कि इस समस्या का समाधान दुष्कर हो गया तो सत्ताधारी सरकारों द्वारा देश के भविष्य और देश की जनता को खतरे में डालकर कई मुफ्त व्यवस्थाओं जैसे मुफ्त शिक्षा व्यवस्था, मुफ्त स्वास्थ व्यबस्था, मुफ्त राशन व्यवस्था मुफ्त बिजली व्यवस्था जैसी देश को विकलांग करने वाली योजनाओं का शुभारंभ कर बेरोजगारी रूपी भयंकर समस्या से लोगों का ध्यान विस्मृत करने का प्रयास किया ।
किन्तु फिर भी देश पर राज करने वाली सरकारें जब देश के युवाओं को बेरोजगारी रूपी समस्या से विस्मृत करने में सफल नही हो पाई तो बेरोजगारी भत्ता रूपी लॉलीपॉप देश के युवाओं के हाथों में थमा दिया। जिससे बर्तमान समय में देश की सरकारों द्वारा दिये जाने वाले इस लॉलीपॉप के कारण देश का युवा चुप तो बैठा हुआ हैं किंतु अंदर ही अंदर यह समस्या कितना बिकराल रूप धारण कर रही हैं इस का अंदाजा लगाया जाना शायद सम्भव नही हैं।
एड. नवीन बिलैया(निक्की भैया)
सामाजिक एवं लोकतांत्रिक लेखक