जीवन मे कभी जिस मानव को
ना निज गौरव का अभिमान रहा
वह देशभक्त तो क्या बनता
जो आजीवन मुसलमान रहा।।
वो कहते हैं नहीं गए पाक
क्योंकि यह मुल्क हमारा था
लेकिन जो समर्पित हुआ धरा को
वो हमीद और कलाम रहा।।
तकनीकी ज्ञान बढाकर भी
लहूलुहान मुल्क को करते हैं
अधिवक्ता बनकर भी मुस्लिम
आतंकी और गुलाम रहा।।
सत्ता में भागी बनकर भी
जो गीत पाक के गाते हैं
ओवैसी, अब्दुल्ला, महबूबा के
कारण आवाम बदनाम रहा।।
कम्प्यूटर, कुरान उठाकर तो क्या
वो आईएएस बनकर भी नहीं भूले
तभी तो शांति सम्मेलनों का
कारगिल जैसा अंजाम रहा।।
हो शंखनाद अब घर घर में
दुश्मन नहीं बख्शे जाएंगे
यहां जाति-धर्म, मतभेद भुला
"जनगणमन" राष्ट्रीय गान रहा।।
वन्दे मातरम!!
भारत माता की जय!!