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धन्यवाद ...... ?
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● -:- नव जीवन निर्माण करें -:-
2415- ३४... ...... ??
१•
जीवन से सब संशय मिटाकर ,
दूर -निकट के सब भय मिटाकर
नव कार्य पुनरूत्थान करें ।
शंका व्याप्त का जाल हटाकर
नित नव जीवन निर्माण करें ।
२•
आओ दधीचि सी हड्डियाँ गलाएँ
नेत्र ज्वाला से पाषाण पिघला कर ,
इंद्र का सा अस्थि वज्र बनाएँ ।
गिरिराज को प्रणाम कर
परमेश्वर का ध्यान करें ,
नित नव जीवन निर्माण करें ।
३•
आत्मविश्वास की ज्वाला से हिमखंडो को पिघला दें ,
आंधियो से डटकर लड़ें
विजय होकर दिखला दें ।
नित नित उठकर स्वंय ही त्राण करें ,
नित नव जीवन निर्माण करें ।
४•
पाहन पर जब छैनी चलती
तभी तो मूरत ढलती है ।
ईंट से ईंट है मिलती,
तभी इमारत बनती है ।
जैसा बीज है बोता........
वैसा ही फल पाता है
मनुज अपने भाग्य का....
स्वंय विधाता है ।
उजियारे और अंधकार में
पतझड़ हो य बसंत बयार में
चौड़ी छाती सीना तान
रग-रग में आन धरें
नित नव जीवन निर्माण करें ।
५•
सिंधु सरोवर निखरा दो
तूफानो को बिखरा दो ।
कर्तव्य पथ पर डटे रहें ,
संकल्प लें .... कण- कण में प्राण भरें
नित नव जीवन निर्माण करें ।
☆2415-३४
✍By:- Surya Rawat