हम उसके सारे सितम चूपके से सह गये।
जुबां रही खामोश आंसू सबकुछ कह गये।
एक तूफान आया ऐसा नफ़रतो का।
अहले वफा के जिसमे सारे शहर बह गये।
सच्ची मुहब्बत लेकर बाजार -ए- इश्क़ में।
हम जहाँ खड़े थे वही खड़े रह गये।
पत्थर के घरो मे मिला बड़ा सुकून।
शीशे के आशियाने पल भर मे ढह गये।
वो कत्ल करने मे पहले ही माहिर थे।
बता जो आज हमें जीने की वजह गये।
उनसे इश्क़ का सिला ये मिला रहीम।
नही है हम तेरे धीरे से कानो मे कह गये।