आखरी खत
यूँ तो जरुरी नही था लिखना
ईतने सालो बाद तम्हें कुछ भी
पर जब वक्त होता है कम
गैर जरूरी लगने वालि बाते
हो जाती हैं जरूरी
याद आ जाता है बहोत कुछ
जिनको लिखना होता है उतना ही
मुश्किल
जितना मुश्किल होता है उन्हें भूलना
शायद खतौ का इजाद किया गया हॉ इसी खातिर
ताकी जब यादों पर जमने लगे धूल
कोई तस्वीर होने लगे धुंधली
तब बैरन हवा से फड़फड़ाये वो पन्ना
जिसमें लिखा है वो सब
जिसे पढ़े बिना ही नम हो जाये आँखे
समज जाये दुनिया
वो आखरी खत
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