Hindi Quote in Shayri by Vinod Singh Gurjar

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# काव्योत्सव
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चलो उठो, तारे तोड़ों।
थककर क्यूं तुम बैठ गये हो,
सागर के धारे मोड़ो।।

(१)

तुम निर्बल होकर मत बैठो,
अतुल तुम्हारा बल है।
बीते पल की चिंता छोड़ो,
सामने स्वर्णिम कल है।।
पूरब-पश्चिम,उत्तर-दक्षिण,
वंदन द्वार सजायें।
पथ रोशन तेरा करने को,
किरणें दौड़ी आयें।। - २
खुशियों से नाता जोड़ो ।।... चलो उठो...।।

(२)

मरूथल या उत्तुंग शिखर,
साहस ना अपना खोना।
आँखों में चिर नूतन सपने,
प्रतिदिन लेकर सोना।।
स्वप्न हकीकत हों उनके,
जो श्रम से ना घबड़ाते।
मुश्किल कितनी भी आयें,
जा तूफॉं से टकराते।। - २
चलो निराशा अब छोड़ो।।...चलो उठो...।।

(३)

जिसने मन में ठान लिया,
मंजिल उसने ही पाई।
जो भयभीत हुये उनको,
गढ्ढे भी दिखते खाई।।
जिनके इरादे फौलादी थे,
सारे सागर लॉघे।
एवरेस्ट की चोटी चढ़,
गौरव के झंडे बाँधे।। - २
समय के संग-संग में दोड़ो ।।...चलो उठो...।।

मित्रो सादर नमन । मेरा यह गीत अतिशयोक्ती अलंकृत, संबल एवं ऊर्जा का संचार करने वाला है मानव जीवन आशा- निराशाओं भरा है हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिये इसी को माध्यम बनाकर गीत लिखा है सार्थकता आपके चुनाव पर है । कृपया बिना काँट-छाँट किये आगे भेजें ।

*कवि विनोद सिंह गुर्जर*

Hindi Shayri by Vinod Singh Gurjar : 111035040
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