#kavyotsava
मुहब्बत की बात
रात चाँद ने की
फिर चाँदनी से
आँखों में नेह भर कर
मुहब्बत की बात ।
सूरज ने भी की
प्रात: बेला में
भोर किरण से
उष्माते मन की बात ।
सौम्य पर्वत ने की
चंचल हवाओं से
गम्भीर हो अपने
मन प्रणय की बात ।
नीले सागर ने की
गौर वर्ण नदिया से
मिल कर फिर
ना बिछुड़ने की बात ।
कोई कुछ ना बोला
प्रेम अव्यक्त ही रहा
प्रकृति ने दोहराई
शाश्वत प्रेम की बात ।
मुखर हो उठे
मूक प्रेम निमन्त्रण
छा गई हरितिमा
फैली प्यार की बात ।