Hindi Quote in Shayri by Renu Chandra Mathur

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#kavyotsav

मिलन हो रहा है

निर्वचन धरती
विस्मित हो
देखती रही
ना जाने कितने
कैक्टस उग आये
उसके कंधों पर
जिनके बोझ तले
वह धँसने लगी,
अचानक ऐसी
आँधी चली
दिग्भ्रमित हो वसुधा
भटकने लगी
समझ ना पाई
किसका हाथ थामें
असमंजस सा छाने लगा
तभी नील गगन ने आ
धरती को पुकारा
थामने को हाथ और
सिर टिकाने को कंधा मिला
उस पहली छुअन से
प्यार का अहसास हुआ
विश्वास जाग उठा
शर्म से धरती
लाल हो गई--
वह सिमटने लगी
देखो वहाँ दूर...
ऐसा लगता है जैसे
धरती और गगन का
मिलन हो रहा है ।

मिलन हो रहा है

निर्वचन धरती
विस्मित हो
देखती रही
ना जाने कितने
कैक्टस उग आये
उसके कंधों पर
जिनके बोझ तले
वह धँसने लगी,
अचानक ऐसी
आँधी चली
दिग्भ्रमित हो वसुधा
भटकने लगी
समझ ना पाई
किसका हाथ थामें
असमंजस सा छाने लगा
तभी नील गगन ने आ
धरती को पुकारा
थामने को हाथ और
सिर टिकाने को कंधा मिला
उस पहली छुअन से
प्यार का अहसास हुआ

Hindi Shayri by Renu Chandra Mathur : 111034219
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