? *विचारधारा* ?
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क्या आपने कभी देखा है की भूख से किसी पक्षी, पशु की मौत हुई हो ? शायद नही देखा होगा।
क्यों के वो कुदरत सब का ख्याल रखता है,
दुनिया के समुंदरो में हज़ारों व्हेल? है
जिनका वजन 50 टन से भी ज्यादा होता है,
लाखो हाथी है, हज़ारो शेर, चीते, और भी ना जाने कितनी ही योनियां है।
लेकिन वो चींटी को कण ओर हाथी को मण पहुचा ही देता है। सबके जीवन निर्वाह की व्यवस्था उसने की ही है।
लेकिन फिर भी हम खुद की बड़ाई मारने में ही व्यस्त है कि समाज को मैं चला रहा हूं,
घर को मैं चला रहा हूं,
*मैं हु तो ये सब हो रहा है।
अरे भाई दुनिया को चलाने की मिथ्या बाते करने वालो,
अगर ऊपर वाला एक बटन दबाएगा तो हम चलना बंद हो जाएंगे। खुद को बड़ा साबित करके क्या करोगे वो सोचो ?,
अगर चार लोगों में नाम कर भी लोगे तो उसका फायदा क्या? *ऊपर साथ चलेगा क्या कोई?* नही ना..
तो क्यों अभिमान के झमेले में पड़े हो,
कर्म ऐसे करो जिसका फल मृत्युलोक की पीड़ा से मुक्त करे। *स्वर्ग जैसा सुख या नरक जैसी पीड़ा सब यही मिलना है।* तो अभिमान छोड़ और कर्म ऐसा करना जो अंत समय सँवर जाए। बाकी तो सिकंदर जैसो के बिना भी ये दुनिया चल ही रही है।
✍? *सुनील.एल.पारवाणी*
. ? _कवि खुशनसीब_ ?