#kavyotsar #Friendshipऐक लडकी थी जो मुज मुझे मुझसे ज्यादा जान्ती थी।नाम उसका जीनल था।हम कूछ ५-६ साल पहे स्कूल मे मिले थे। नई थी स्कूल नए थे लौग, बस वही तो पहली नजर मे अपनी सी लगरही थी। और teacher ने भी पहले ही दीन मुझे उहके साथ बीथाया था।ये सोच कर कि वो sincer थी ।ऑल मेरी भी पहली इंप्रेशन कुछ ऐसी ही तो उन पर पड़ी थी।मगर उन्हें कहां पता था कि शैतानी में तो हम शैतानों की भी मां थी।
जैसे ही मैं उसके पास जाकर बैठी उसने कहा,'hi ,मे जीनल ,और तुम?'मैंने कहा मैं hetvi!बस हमारी बातें शुरू हुई और जैसे कभी रुकी है ना हो।उसने मुझे बताया कि कैसे उसे डांस करना कितना पसंद है ,कि कैसे उसे गर्ल्स की तरह बिहेव करना कुछ हद तक पसंद नहीं।और मैं भी कहां पीछे थी! मैंने भी अपने राज धीरे धीरे उसके सामने रख दीये।न जाने कैसे मुझे उस पर इतना ट्रस्ट आ गया।हमारी मॉर्निंग इतनी अच्छी हो गई कि वह मुझे बस देखकर समझ जाते कि मेरे दिल में क्या चल रहा हे।
न जाने कैसे बस मेरी मुस्कान को देखकर वो समझ जाती कि मेरी मुस्कान कितनी सच्ची है।
ऐक लडकी थी जो मुज मुझे मुझसे ज्यादा जान्ती थी।
न जाने कैसे जब मैं गुस्सा होती थी और मैं किसी को ये भी नहीं बता पाती थी कि मैं गुस्सा क्यों हूं,वो मुझे सिर्फ देखकर समझ जाती थी और मुझे एक छोटी सी बच्ची की तरह संभाल थी और फिर जब मेरा गुस्सा शांत हो जाता तो पूरे हक से डांट कर समझाती थी।
ऐक लडकी थी जो मुज मुझे मुझसे ज्यादा जान्ती थी।
न जाने कैसे वो पानी में पड़े मेरे आंसू को पहचानती थी,मेरे दुश्मनो। से भीड़ जाती थी।क्लास से निकाला मुझे जाता था और दूसरे ही पल में उसे अपने पास पाती थी।
ऐक लडकी थी जो मुज मुझे मुझसे ज्यादा जान्ती थी।
खुश में होती थी और नाच वो, दुख में मैं होती थी आंखें उसकी भर आती थी।नींद उसे आती थी और तब क्या मेरा कंधा बनता था ।क्लास में बैठना उसी ने होता और bunk मुझे भी मारना पड़ता था।
ऐक लडकी थी जो मुज मुझे मुझसे ज्यादा जान्ती थी।
अब ये बात सुबह तक आई होगी कि थी हमारी यारी इतनी प्यारी तो क्यों वो'थी 'क्यों नहीं 'हे'।इस सवाल का बस इतना सा जवाब है कि, चली गई वो!हां !चली गई वह मुझे अकेला छोड़ कर।मानती हूं कि उसकी मजबूरी थी मगर मेरी भी क्या गलती थी।
अब बस ढूंढ रही हूं उसकी जैसी वह लड़की मुझे समझेगी मगध की बात तू मान या ना मान जिसे मैं अधूरी हूं उसके बिना वो भी अधूरी हे मेरे बिना।
ऐक लडकी थी जो मुज मुझे मुझसे ज्यादा जान्ती थी।