# Kavyotsav
*शब्दो का मोहताज नही पिता*
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माँ की ममता का शब्दों में वर्णन किया जा सकता है,
पर पिता के त्याग की परिभाषा नही दी जा सकती,
रोटी के लिए चुला फूंकती
माँ के आंखों का धुआं देखा जा सकता है
पर उस चूले को जलाने के लिए खुद जलने वाले पिता की महेनत नही दिखती,
अस्पताल में शिशु को जन्म देती माँ की पीड़ा को देखा जा सकता है
पर उसी अस्पताल के आंगन में विचलित पिता के मन की पीड़ा नही दिखती,
स्नेह की चार दीवार से घर को बनाने वाली माँ का बलिदान देखा जा सकता है
पर छत बनकर उसी घर का रक्षाकवच बनने वाले पिता की जिम्मेदारी नही दिखती,
माँ को मजबूर और पिता को क्रूर दिखाया गया है दुनिया मे अक्सर
कठोर सीने के अंदर नरम नारियल जैसी हृदय की भावना नही दिखती।
✍? *सुनील.एल.पारवाणी*
खुशनसीब (गांधीधाम-कच्छ)
.?9825831363