#Kavyotsav
✍खो गई संस्कृति
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बेटी के मंडप के चार स्तंभ लगाने में
बेच दी पिता ने छत अपनी,
,
सात फेरों के वचन भूल कर
दहेज को समझते है लोग जरूरत अपनी
,
लग्न मंडप के हवन कुंड में
जल जाते है अरमान उस पिता के,
संस्कारो का पालन ना करते जब
बेटी लौट आती है वापस अपनी
,
सात फेरों के बंधन टूट जाते है
सात रोज में ही 'खुशनसीब'
जब बेटियां भी भूल जाती है
मर्यादाए अपनी,
,
कही पति निष्ठुर, तो कही पत्नी नासमझ
दोनों के परिवार कुटते है किस्मत अपनी,
,
ना जाने ये दौर कहा ले आया है हमें
खो गई किस राह पे संस्कृति अपनी
✍? *सुनील.एल.पारवाणी*
.खुशनसीब (गांधीधाम)
.?9825831363