*राख की कई परतों के नीचे तक देखा.....*
                
                   *पर अफ़सोस*

*वो गुरुर, वो रूबाब, वो पद और रुतबा कहीं नज़र नहीं आया जो सारी उम्र ओढ़े बैठे थे...*

Gujarati Blog by Nimesh Shukla : 111025290
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