दुआ इतनी ऐ रब तुजसे की आजाद रहे मेरी मोहोबते उन ख्वाबो से जो हकींकत नहि हो सकते।
खुसी-ऐ-साहि मैरी दुनीया आजाद उडे उन परिंदो की तरह जीनहे डर नहि गीर ने का।
हर कयामत को सजाके रखु ऐसे जेसे कोइ अपना दिवाली और ईद मना रहा हो।
ख्वाइश तो गेर नहि हे फिर भी गेंरो के लीऐ ख्वाइश दिल मे रखु ऐसा मेरा जहेन हो।
आजाद हिंन्द-ऐ-हिंन्दुस्तान हु ऐसा ख्याल हर ऐक के दिल मे हो ऐसा दिल देना।
-deeps gadhavi