The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
World's trending and most popular quotes by the most inspiring quote writers is here on BitesApp, you can become part of this millions of author community by writing your quotes here and reaching to the millions of the users across the world.
“यह सिर्फ एक किताब नहीं…
यह उन गांवों का स्मारक है जिन्होंने हमें हमारी जड़ों से जोड़ने की कोशिश की — चाहे हम लौटे या नहीं।”
– जब पहाड़ रो पड़े (लेखक: धीरेंद्र सिंह बिष्ट)
जब आपने गांव छोड़ा था, क्या सच में सिर्फ जगह छोड़ी थी?
या पीछे रह गई थी वो मां जो अब भी हर त्यौहार पर वही मिठाई बनाती है —
वो पिता, जो आज भी हर सुबह खेतों में हल लेकर निकल जाते हैं…
शायद इस उम्मीद में कि बेटा एक दिन लौटेगा और कहेगा —
“बाबू, चलो खेत दिखाओ…”
“जब पहाड़ रो पड़े” कोई साधारण किताब नहीं,
यह उस खामोशी की चीख है जिसे आज तक कोई सुन न सका।
हर अध्याय में एक आंसू है,
हर लाइन में एक गांव की दहलीज़,
और हर शब्द में — एक सवाल:
क्या हम सच में अपने गांव को भूल चुके हैं?
अगर आपने कभी पलायन को महसूस किया है,
अगर आपको अपने बचपन का आंगन याद आता है,
अगर मां की रसोई की गंध अब भी नाक में बसती है —
तो यह किताब आपके दिल के सबसे कोमल हिस्से को छू जाएगी।
यह सिर्फ पढ़ने के लिए नहीं… महसूस करने के लिए है।
📚 #जब_पहाड़_रो_पड़े
#DhirendraSinghBisht #HindiBooks #BookLoversIndia
#ViralReads #PahadiEmotions #GharKiYaad #BookstagramIndia
#IndianAuthors #DeshKiJadSeJudo
“यह सिर्फ एक किताब नहीं…
यह उन गांवों का स्मारक है जिन्होंने हमें हमारी जड़ों से जोड़ने की कोशिश की — चाहे हम लौटे या नहीं।”
– जब पहाड़ रो पड़े (लेखक: धीरेंद्र सिंह बिष्ट)
जब आपने गांव छोड़ा था, क्या सच में सिर्फ जगह छोड़ी थी?
या पीछे रह गई थी वो मां जो अब भी हर त्यौहार पर वही मिठाई बनाती है —
वो पिता, जो आज भी हर सुबह खेतों में हल लेकर निकल जाते हैं…
शायद इस उम्मीद में कि बेटा एक दिन लौटेगा और कहेगा —
“बाबू, चलो खेत दिखाओ…”
“जब पहाड़ रो पड़े” कोई साधारण किताब नहीं,
यह उस खामोशी की चीख है जिसे आज तक कोई सुन न सका।
हर अध्याय में एक आंसू है,
हर लाइन में एक गांव की दहलीज़,
और हर शब्द में — एक सवाल:
क्या हम सच में अपने गांव को भूल चुके हैं?
अगर आपने कभी पलायन को महसूस किया है,
अगर आपको अपने बचपन का आंगन याद आता है,
अगर मां की रसोई की गंध अब भी नाक में बसती है —
तो यह किताब आपके दिल के सबसे कोमल हिस्से को छू जाएगी।
यह सिर्फ पढ़ने के लिए नहीं… महसूस करने के लिए है।
📚 #जब_पहाड़_रो_पड़े
#DhirendraSinghBisht #HindiBooks #BookLoversIndia
#ViralReads #PahadiEmotions #GharKiYaad #BookstagramIndia
#IndianAuthors #DeshKiJadSeJudo
नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम है मयूर, मैने हाल ही में। dhumketu नाम की fantasy epic स्टोरी लिखी है।
कहानी का पहला चैप्टर 31 जुलाई 2025 को रिलीज होगा, ______अजय नाम का बहुत ही होनहार लड़का, जिसे एक दिन उल्कापिंड का असाधारण सा टुकड़ा मिल जाता है, फिर उसके जिंदगी में उथल - पुथल मच जाती है।
क्या है उस उल्कापिंड का रहस्य,?
आखिर कितनी बुरी ताकतें है उल्कापिंड के पीछे?
जानने केलिए हमें follow करें, और इंतजार करें कहानी के हर एक भाग का।
कधी शांततेत बोलतो तो, माझ्यासारखा
कधी स्वप्नात फिरतो तो, माझ्यासारखा...
लपवतो प्रत्येक वेदना हास्याआड
आणि मग एकटाच रडतो तो, माझ्यासारखा...
कधी नजरेतून उलगडतो सारे रहस्य
कधी स्वतःपासूनही घाबरतो तो, माझ्यासारखा...
प्रत्येक प्रवासात शोधतो एक आपलंसं चेहरा
आणि मग स्वतःलाच भेटतो तो, माझ्यासारखा...
तोही लिहितो भावना कागदावर शांतपणे
प्रत्येक शब्दात हुंदके असतात त्याचे, माझ्यासारखे...
जरी कितीही लपवला स्वतःला दुनियेकडून
आतून तुटतो तो, माझ्यासारखा...!! 🥀
– फज़ल अबुबकर एसाफ
"એક નાની બાળકી શાંતિથી ચેસબોર્ડ સામે બેસી રહી… કોણ જાણતું હતું કે એના નાજુક હાથો ક્યારેક ગ્રાન્ડમાસ્ટર જેવી ચાલો ચાલશે."It started with one moment — watching Koneru Humpy win for India. That spark turned into fire. From dreaming like Humpy to playing beside her — Divya Deshmukh is proof that inspiration, when followed with dedication, can rewrite destiny."
कल देर से फिर,
काली रात से बात हो गई
है कितना अंधेरा उसके पास,
इस बात पर बात हो गई
गिना कर अपना अंधेरा,
चांद तारो के साथ वो मायूस हो गई
देखकर उसको मायूस ऐसे,
मैं भी अपने पन्ने पलटने पर मजबूर हो गई
पन्ने पूरे खुलते,
इस से पहले ही रात को घबराहट हो गई
बिना चांद तारो के ,
इतना अंधेरा देख रात भी हैरान हो गई
उसके इस सवाल पर,
मै मुस्कुरा कर रह गई
रहती हूं इस तरह कैसे,
रात के सवाल पर मैं मौन हो गई
जवाब तो शायद यही था,
कि बस इस अंधेरे की आदत मुझे हो गई
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Copyright © 2025, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Copyright © 2025, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.