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Arjun Allahabadi

Arjun Allahabadi

@arjunallahabadi6613
(23)

गॉंव का विकास सरपंच के बस्ते में बंद हो गया।
मठ के बाबा का ध्यान नोटों से भंग हो गया।

गॉंव का तालाब और पोखर मनरेगा की भेंट चढ़ गया।
गरीबों का गल्ला सारा कोटेदार ऐंठ गया।

बी डी ओ ,वी डी ओ को फटकार लगाता है।
उसके हिस्से में बचा खुचा माल जो आता है।

लेखपाल पटवारी कानूनगो सब मिले हुए हैं।
फर्जी पट्टा कर के चेहरे खिले हुए हैं।

प्रधान मंत्री आवास की क़िस्त कब तक आएगी।
ये टूटी फूटी झोपड़ी को काकी कब तलक छवायेगी।

गॉंव की जनता विकास की बाट जोह रही है।
मँहगाई आम इंसान की कमर तोड़ रही है।

ऑफिस का बाबू माला माल हुआ फिरता है।
दस रुपये की ख़ातिर बेटा बाप को बिगड़ता है।

-arjun verma

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सॉरी हम मिल नही पाते हैं काम बहुत होते हैं।
छोटे शहर के हैं न हम बदनाम बहुत होते हैं
ऐसा नही है की मैं बहुत बिगड़ गया हूँ।
फिर भी हम पर इल्ज़ाम बहुत होते हैं।

-arjun verma

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कभी ऐसा हो कि मुझे देख कर तुम मुस्कुराओ।
मैं कुछ न कहूँ लब से औऱ तुम समझ जाओ।

हमने तो कभी आपको रूठने न दिया एक पल
कभी मैं उदास हो जाऊं तो तुम मुझे मनाओ।

बग़ैर हौसलों के ख्वाहिशें कभी क़ामिल नहीं होती
कभी ठोकर लगे तुम्हें तो तुम चल कर दिखाओ।

मेरी परवाह मत करना मुसाफिर हूँ मैं राहों का।
गर तिमिर हो राहों में तो कामयाबी के दिये जलाओ।

मैं तो परिंदा हूँ खुले आसमाँ का "अर्जुन"।
अगर दम है तो साथ उड़ कर दिखाओ।

अर्जुन इलाहाबादी

-arjun verma

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जा रहे हो छोड़कर लौट कर कब आओगे।
तस्वीर ले जाओ मेरी देख कर मुस्कुराओगे।

यकीनन तुमसे मुहब्बत है मुझे बे इंतहां ।
दिल बदल कर देख लो तुम पछताओगे।

मंज़िलें बहुत हैं मगर कोई तुम सा क्यो नहीं।
नाम मिलेगा मेरा ही दीवार जब गिराओगे।

तुम खुश रहो सदा ये दुआ माँगी है रब से।
एक दिन रोते हुए हाल ए दिल सुनाओगे।

कहीं देर न हो जाये मुझे समझते समझते
खुदा से एक दिन मेरे लिए गिड़गिड़ाओगे।

ये वक़्त का तकाजा नही तो और क्या है "अर्जुन" ।
कयामत के दिन मेरा जनाज़ा अपने कंधे पर सजाओगे।

-arjun allahabadi

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बन के मेघ बरसो कि धरा को शीतलता प्रदान हो।
सतकर्म करो ऐसा की ख्याति चहुँओर गुणगान हो।

तृण-तृण इठलायें पपीहा प्यास बुझाए।
टर्र टर्र मेढक बोले चातक शोर मचाये।

वृक्षों की शाखाएं झूम झूम गाएँ।
बावरी पवन खूब इतराये।

बरखा रानी गज़ब कहर ढाए।
हियरा आज मचल मचल जाए।

असाढ़ महीना बिजली चमके।
कारी कारी निशा डराए।

पानी मे पदचाप छप्प छप्प करे।
मन सोच सोंच ऐसे डरे।

आहिषता आहिषता कोई कदम बढ़ाए।
जियरा धक धक करता जाए।

पिया मिलन कि ये कैसी बेला।
झींगुर और जुगनू का मेला।

तृप्त तृप्त अधरों का स्पर्श
व्योम को पाने का अर्स।

देह देह का सुख संचय अभिलाषा
नयनों से बहती है विपाशा।

-arjun verma

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लोगों का भी बस एक ही सवाल है।
जब मिलते हैं और बताओ क्या हाल है।

पता नही कि उबल रहा है देश
हो रहें दंगे हर तरफ बवाल है।
और पूछते हो कि क्या हाल है।

पाई पाई लगा कर फसल तैयार की
साँड़ चर गए खेत किसान हलाल है।

रोज़ हो रहा है बलात्कार यहां
अपराधी पकड़ में आये क्या मजाल है।

चौकी से लेकर थाने तक भ्रष्ट सरकार है
जिसकी लाठी उसकी भैंस क्या कमाल है।

अब तुम ही बताओ बंधु मेरे।
कब होगा सुधार मेरा यही सवाल है।

अर्जुन इलाहाबादी

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लोगों का भी बस एक ही सवाल है।
जब मिलते हैं और बताओ क्या हाल है।

पता नही कि उबल रहा है देश
हो रहें दंगे हर तरफ बवाल है।
और पूछते हो कि क्या हाल है।

पाई पाई लगा कर फसल तैयार की
साँड़ चर गए खेत किसान हलाल है।

रोज़ हो रहा है बलात्कार यहां
अपराधी पकड़ में आये क्या मजाल है।

चौकी से लेकर थाने तक भ्रष्ट सरकार है
जिसकी लाठी उसकी भैंस क्या कमाल है।

अब तुम ही बताओ बंधु मेरे।
कब होगा सुधार मेरा यही सवाल है।

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थाम कर हाथ मेरा मेरी ख्वाहिशों को परवाज़ दो तुम।
कभी रूठ जाए गर किस्मत मेरी मुझे आवाज दो तुम।

ये मेरी चाहत है कि मैं तुम्हारे ही आगोश में दम तोड़ूं।
मेरा प्यार अमर प्रेम हो मेरी चाहत को नवाज़ दो तुम।

एक पल न एक पहर जी न सकेंगे बिन तुम्हारे हम।
सजदा करूँ तुम्हारा मेरी मन्नतें मेरे सरताज हो तुम।

एक ख्वाहिश एक चाहत एक राब्ता है तुझसे मेरा।
रिश्ता है मेरी रूह से मेरी आत्मा का लिबास हो तुम।

-arjun इलाहाबादी

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न बिजली न पिये के साफ पानी न कौनो दुकान बा।
रहे के खातिर झुग्गी झोपड़ी अउर कच्चा मकान बा।

कबहुँ समय मिलै तव आवा हमरे गाँव मा देखा।
तपत दुपहरिया मा खेत जोतत किसान बा।

सड़क ब ऊबड़ खाबड़ रस्ता बिल्कुल खस्ता हाल बा।
प्राइमरी के पढ़ल लइका नोकरी खातिर परेशान बा।

काकी अम्मा के साथ गेहूँ काटेला दुपहरी मा।
मोती काका भी गइले परदेश गॉंव बहुत सुनसान बा।

कुआं के पानी सूख गइल अऊर सूखल तलाव बा।
सरकार के चाही वोट हमरा से न तनको लगाव बा।

जे बड़ा ब अउर बड़ा हो गईल छोटका के पूछत कउन ।
आवा दिखाई तोहै नौटंकी सरपंच के इहाँ लगा जमाव बा।

-arjun allahabadi

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कभी मॉम तो कभी मम्मी बन जाती हो।
कभी अम्मा तो कभी अम्मी बन जाती हो।

कभी माँ कभी महतारी तो माई बन जाती हो।
तुम हमेशा गहरे ज़ख्म की दवाई बन जाती हो।

तुम्हारा नाम अनेक पर रूप एक ही होता है।
तुम्हारी नज़र में न कोई बड़ा न कोई छोटा होता है।

तुम्हारा त्याग तुम्हारा स्नेह न कोई भुला पायेगा।
दुनियां जब तक रहेगी तेरा कर्ज़ कोई न चुका पायेगा।

मां प्रणाम है तुझे सलाम है तेरे मातृत्व अहसास को
तुम जीवन हो तुम अमर हो और तुम बहुत खास हो।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

Happy mothers day to all off you💐💐💐

-arjun allahabadi

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