थाम कर हाथ मेरा मेरी ख्वाहिशों को परवाज़ दो तुम।
कभी रूठ जाए गर किस्मत मेरी मुझे आवाज दो तुम।
ये मेरी चाहत है कि मैं तुम्हारे ही आगोश में दम तोड़ूं।
मेरा प्यार अमर प्रेम हो मेरी चाहत को नवाज़ दो तुम।
एक पल न एक पहर जी न सकेंगे बिन तुम्हारे हम।
सजदा करूँ तुम्हारा मेरी मन्नतें मेरे सरताज हो तुम।
एक ख्वाहिश एक चाहत एक राब्ता है तुझसे मेरा।
रिश्ता है मेरी रूह से मेरी आत्मा का लिबास हो तुम।
-arjun इलाहाबादी