न बिजली न पिये के साफ पानी न कौनो दुकान बा।
रहे के खातिर झुग्गी झोपड़ी अउर कच्चा मकान बा।
कबहुँ समय मिलै तव आवा हमरे गाँव मा देखा।
तपत दुपहरिया मा खेत जोतत किसान बा।
सड़क ब ऊबड़ खाबड़ रस्ता बिल्कुल खस्ता हाल बा।
प्राइमरी के पढ़ल लइका नोकरी खातिर परेशान बा।
काकी अम्मा के साथ गेहूँ काटेला दुपहरी मा।
मोती काका भी गइले परदेश गॉंव बहुत सुनसान बा।
कुआं के पानी सूख गइल अऊर सूखल तलाव बा।
सरकार के चाही वोट हमरा से न तनको लगाव बा।
जे बड़ा ब अउर बड़ा हो गईल छोटका के पूछत कउन ।
आवा दिखाई तोहै नौटंकी सरपंच के इहाँ लगा जमाव बा।
-arjun allahabadi