कभी ऐसा हो कि मुझे देख कर तुम मुस्कुराओ।
मैं कुछ न कहूँ लब से औऱ तुम समझ जाओ।
हमने तो कभी आपको रूठने न दिया एक पल
कभी मैं उदास हो जाऊं तो तुम मुझे मनाओ।
बग़ैर हौसलों के ख्वाहिशें कभी क़ामिल नहीं होती
कभी ठोकर लगे तुम्हें तो तुम चल कर दिखाओ।
मेरी परवाह मत करना मुसाफिर हूँ मैं राहों का।
गर तिमिर हो राहों में तो कामयाबी के दिये जलाओ।
मैं तो परिंदा हूँ खुले आसमाँ का "अर्जुन"।
अगर दम है तो साथ उड़ कर दिखाओ।
अर्जुन इलाहाबादी
-arjun verma