🌺 महाशक्ति – एपिसोड 37
"स्वर की शक्ति और आत्मा की गूँज"
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🎶 भूमिका
जहाँ शब्द समाप्त हो जाते हैं, वहाँ से स्वर आरंभ होता है।
अब जब अर्जुन, अनाया और ओजस नागलोक की चेतना पार कर चुके हैं,
अगली यात्रा है — गंधर्व लोक की ओर —
जहाँ संगीत, स्वर और आत्मा की तरंगें ही अस्त्र बनती हैं।
पर क्या छाया की मौन शक्ति, इस लोक को पहले ही विषाक्त कर चुकी है?
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🛤️ यात्रा का आरंभ – मलय पर्वत की ओर
गुरुजी ने बताया कि गंधर्व लोक तक पहुँचने का मार्ग मलय पर्वत से होकर जाता है,
जहाँ हवा में संगीत तैरता है, और पत्थर भी स्वरलहरियों पर थिरकते हैं।
अर्जुन ने अपनी त्रिशूलधारी छड़ी उठाई,
अनाया ने ओजस का हाथ थामा — और तीनों चल पड़े,
संगीत की धरती पर… आत्मा की परीक्षा के लिए।
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🌫️ पहली बाधा – मौन का जंगल
मलय पर्वत के द्वार से पहले एक अजीब वन पड़ा —
यहाँ कोई पक्षी नहीं, कोई हवा नहीं, कोई ध्वनि नहीं।
बस मौन… इतना गहरा कि सांस भी शोर लगे।
अनाया को लगा कोई उनकी चेतना में प्रवेश कर रहा है।
ओजस ने तुरंत समझा —
"यह छाया का रक्त-नेत्र है। माँ, ये मुझे ढूँढ रहा है…"
अर्जुन ने चारों ओर शिव रक्षा मंत्रों की रेखा खींच दी।
> “ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।
जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी…”
स्वर की ऊर्जा से रक्त-नेत्र कुछ पल के लिए चकराया — और गायब हो गया।
ओजस बोला:
"वह अभी गया है… लेकिन फिर लौटेगा।"
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🪷 गंधर्व लोक का आगमन – स्वर की धरती
मलय पर्वत पार करते ही
चारों ओर लहराने लगी एक अदृश्य संगीत की नदी।
पेड़ झूमते थे, फूल सुर में खिलते थे, और हवा में मधुर वीणा की ध्वनि थी।
गंधर्व लोक का स्वामी ‘चित्रवाणी’,
एक दिव्य पुरुष, जिनकी वाणी से ही वसंत खिल उठता।
उन्होंने तीनों का स्वागत किया:
"स्वर शक्ति है।
पर वह तब तक प्रभावशाली नहीं होती जब तक आत्मा से न निकले।
क्या तुम आत्मा की तरंगों से अंधकार को चीर सकते हो?"
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🎤 स्वर परीक्षा – आत्मा की गूँज
चित्रवाणी ने कहा:
"हर व्यक्ति के भीतर एक ‘स्वर स्रोत’ होता है।
उसी से उसकी आत्मा गाती है —
पर अगर वह असंतुलित हो, तो स्वर अस्त्र नहीं, विनाश बनता है।"
🔹 ओजस की परीक्षा – मौन से स्वर तक
चित्रवाणी ने ओजस को एक वीणा दी और कहा —
"जो बिना बोले गा सके, वही योग्य है।"
ओजस ने वीणा हाथ में ली —
उसने एक भी शब्द नहीं बोला…
पर उसकी उँगलियों ने जो स्पर्श किया,
उससे ऐसी ध्वनि निकली जैसे सृष्टि ने पहली बार 'ॐ' कहा हो।
चित्रवाणी ने सिर झुकाया:
"तू मौन नहीं — तू आदिस्वर है।"
🔸 अनाया की परीक्षा – करुणा का स्वर
अनाया को एक राग दिया गया — राग मल्हार।
लेकिन गंधर्वों ने राग को विष से भर दिया था।
"इस राग को फिर से जीवन दो," चित्रवाणी बोले।
अनाया ने आँखे बंद कीं —
और माँ पार्वती को पुकारा।
उसका स्वर धीरे-धीरे बहता गया…
राग मल्हार से फिर से वर्षा होने लगी —
गंधर्व लोक में फूल खिल उठे।
चित्रवाणी मुस्कराए:
"तू प्रेम नहीं… करुणा की प्रतिध्वनि है।"
🔻 अर्जुन की परीक्षा – युद्ध और संगीत का संगम
चित्रवाणी बोले:
"तू योद्धा है, लेकिन क्या तेरे भीतर संगीत है?"
अर्जुन को एक डमरू दिया गया —
और सामने आया एक राक्षसी छाया, जो स्वर को निगल रही थी।
अर्जुन ने डमरू बजाना शुरू किया —
“डगडग डगडग डगडग…”
उसकी ध्वनि से छाया टूटने लगी।
और तब अर्जुन ने पहली बार गाया —
> “शिव तांडव स्तोत्रम्…”
गंधर्व लोक थर्रा गया —
छाया भस्म हो गई।
चित्रवाणी ने कहा:
"तेरे स्वर में तांडव है —
शिव की तरह संहारक और सृजनशील।"
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🌈 गंधर्व लोक का वरदान
चित्रवाणी ने तीनों को आशीर्वाद दिया —
और एक दिव्य रुद्रवीणा भेंट की, जिसमें स्वर के सात चक्रों की शक्ति थी।
"इस वीणा से तुम भविष्य की मौन छायाओं को भी तोड़ सकते हो," उन्होंने कहा।
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🌑 छाया का दूसरा प्रहार – ओजस की चेतना पर आघात
जैसे ही तीनों वापस जाने लगे —
ओजस एकदम से थम गया।
उसकी आँखें उलटने लगीं, शरीर कांपने लगा —
और उसके भीतर से एक अजीब सी आवाज़ आई:
"मैं तेरे भीतर घर कर चुकी हूँ, ओजस…
अब मैं तुझे तेरे माँ-बाप से दूर कर दूँगी।"
अनाया चीख उठी:
"ओजस!!"
अर्जुन ने रुद्रवीणा से एक तान छेड़ी —
और गंधर्व मंत्रों का उच्चारण किया।
धीरे-धीरे ओजस की चेतना स्थिर हुई।
पर उसके माथे पर एक नया चिह्न उभर आया —
तीन आँखों वाला रक्तवृत्त।
चित्रवाणी बोले:
"यह संकेत है — अब छाया तुम्हारे पुत्र को लक्ष्य बना चुकी है।
अगले कुलों की यात्रा अब और कठिन होगी।"
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🕯️ अनाया का रहस्य – आत्मा की गूँज
रात को अनाया ने शिवलिंग के सामने ध्यान लगाया।
तब उसे एक दर्शन हुआ —
वह जन्म से पहले एक देवकन्या थी,
जिसे मानव लोक में भेजा गया था
क्योंकि भविष्य में उसका पुत्र ही त्रिलोक रक्षक बनेगा।
"तू केवल अनाया नहीं —
तू स्वयं वाणी की शक्ति है।"
अनाया की आँखों से आँसू बह निकले।
"अब मैं समझी —
ओजस क्यों जन्म से इतना अलौकिक है।"
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✨ एपिसोड 37 समाप्त