Rooh se Rooh tak - 5 in Hindi Love Stories by IMoni books and stories PDF | रूह से रूह तक - चैप्टर 5

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रूह से रूह तक - चैप्टर 5

कुछ समय बाद…

तीनों बहनें एक अच्छे रेस्टोरेंट में पहुँची और अपनी पसंदीदा जगह पर बैठ गईं। इनाया ने झट से मेन्यू उठाया और तेजी से पन्ने पलटने लगी।

"आज तो मैं सब कुछ ऑर्डर करने वाली हूँ!" उसने उत्साहित होकर कहा।

सान्या ने मुस्कुराते हुए टोका, "पहले सोच ले, तू इतना खा भी पाएगी या नहीं!"

अर्निका ने वेटर को बुलाया, और इनाया ने तुरंत अपने पसंदीदा कचौड़ी-सब्जी, रबड़ी-जलेबी और बनारसी ठंडाई का ऑर्डर दे दिया। फिर दोनों की ओर देखकर बोली, "मैंने तो अपना ऑर्डर कर दिया, अब तुम लोग भी कर लो!"

सान्या ने सिर हिलाया और उनके लिए पनीर पराठा, दही, रसगुल्ला और ठंडाई का ऑर्डर दिया। वेटर के जाने के बाद अर्निका ने इनाया की तरफ देखा और कहा, "तू हमारी थाली पर नजर मत डालना, सिर्फ अपने खाने पर ध्यान देना!"

इनाया ने मुँह बना लिया, जिसे देख दोनों ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगीं। ऐसे ही वे मस्ती और मज़ाक में बातचीत करने लगीं।

तभी इनाया ने अचानक कहा, "तुम दोनों को नहीं लगता कि वो महिलाएं कोई आम लोग नहीं थीं?"

अर्निका ने सहमति में सिर हिलाया, "बिल्कुल! उनकी चाल-ढाल, गार्ड्स और वो बुजुर्ग महिला का अंदाज़… सब कुछ बताता है कि वे किसी प्रभावशाली परिवार से हैं।"



सान्या गहरी सोच में डूबी हुई बोली, "और जिस तरह उन गुंडों ने उन्हें टारगेट किया, वो कोई साधारण दुश्मनी का मामला नहीं लगता। ये तो कुछ बड़ा ही है।"

तभी वेटर खाना लेकर आया और इनाया ने खुशी-खुशी अपना ऑर्डर अपने पास खींच लिया।

अर्निका ने कहा, "जो भी हो, फिलहाल हमें इस बारे में सोचना छोड़कर खाना एन्जॉय करना चाहिए, ये तो उनके मामले हैं।"

इनाया और सान्या ने सहमति में सिर हिलाया और तीनों खाने का लुत्फ उठाने लगीं।

भरपेट खाना खाने के बाद तीनों बहनें अब रेस्टोरेंट से बाहर निकलने की तैयारी कर रही थीं। इनाया ने अपनी ठंडाई का आखिरी घूंट लिया और एक संतुष्ट मुस्कान के साथ बोली, "उफ्फ! इतना अच्छा खाना था कि अब तो नींद आने वाली है!"

सान्या हल्के से मुस्कुराते हुए बोली, "अभी हम सीधा घर जाएंगे, तो घर जाकर जितना चाहो सो लेना।"

अर्निका ने अपनी वॉलेट से पैसे निकालकर बिल चुकाया और फिर तीनों रेस्टोरेंट से बाहर आ गईं।

"अब सीधा घर चलते हैं," अर्निका ने कार का दरवाजा खोलते हुए कहा, "क्या तुम लोगों को कहीं और जाना है?"

इनाया ने तुरंत कहा, "नहीं, नहीं, हमें तो घर जाना है। सुबह जल्दी उठने की वजह से नींद पूरी नहीं हुई, और रात को पार्टी भी है जिसमें हमें जाना है।"

अर्निका ने मुस्कुराते हुए पूछा, "सान्या दी, आप भी हमारे साथ पार्टी में चल रही हैं?"

सान्या ने नकारते हुए कहा, "नहीं, तुम लोग जो पार्टी कर रहे हो, वही तुम्हारी बात है।"

इनाया ने झट से कहा, "नहीं, आप हमारे साथ चल रहे हो, बस बात खतम!"

सान्या ने थोड़ी देर सोचा और फिर कहा, "ठीक है, चलो!"

फिर तीनों बहनें घर की ओर निकल पड़ीं।



दूसरी ओर…

जिन महिलाओं को अर्निका, इनाया और सान्या ने गुंडों से बचाया था, वे अब अपने होटल "अरूर्म पैलेस" पहुँच चुकी थीं। होटल के मुख्य द्वार पर पहले से ही सख्त सुरक्षा व्यवस्था थी। जैसे ही उनकी कार अंदर दाखिल हुई, बॉडीगार्ड्स तुरंत सतर्क हो गए और स्वागत के लिए आगे बढ़े।

सबसे बुजुर्ग महिला कार से उतरते ही सिक्योरिटी हेड की ओर देखते हुए कड़े लहजे में बोलीं,
"मंदिर में हम पर हमला हुआ, और तुम्हें इसकी भनक तक नहीं लगी?!"

सिक्योरिटी हेड सिर झुकाकर बोला,
"माफ कीजिए माँसा, हमें बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि कोई इतनी हिम्मत करेगा। और आप लोग भी बिना बताए…"

उसकी बात पूरी होने से पहले ही माँसा ने तीखी नज़रें उठाईं, जिससे वह तुरंत चुप हो गया। फिर वह जल्दी से बोला,
"हमने पूरी जानकारी जुटाने के लिए टीम भेज दी है, जल्द ही सब पता चल जाएगा।"

बुजुर्ग महिला ने गहरी सांस लेते हुए आदेश दिया,
"जल्दी पता करो कि इसके पीछे कौन है! और हाँ, छोटे बाबा को बोलो कि वो तुरंत मुझसे मिलने आए।"

एक नौकर ने झुककर कहा,
"छोटे बाबा पहले से ही आपकी राह देख रहे हैं, माँसा। वे आपके कमरे में हैं।"

"अच्छा?" माँसा के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान उभरी। "तो चलो, देखते हैं कि वो इस बारे में क्या सोचते हैं।"

वे सभी होटल के अंदर गईं। जैसे ही वे अपने प्राइवेट सुइट में पहुँचीं, वहाँ एक लंबा, आकर्षक और शालीन युवक पहले से ही बैठा था। वह कुर्सी पर था, लेकिन जैसे ही उसने अपनी दादी को आते देखा, वह तुरंत खड़ा हो गया और सम्मान से हाथ जोड़कर बोला,

"दादी, क्या आप ठीक हैं?"

बुजुर्ग महिला हल्का मुस्कुराई और बोली,
"हम ठीक हैं, छोटे बाबा…" फिर उसने अपनी माँ की ओर देखा और पूछा, "आप कैसी हैं?"

फिर वह अपनी दादी के पास बैठ गया और गंभीर स्वर में बोला,
"मुझे सब विस्तार से बताइए, वहाँ क्या हुआ था?"



सबसे छोटी महिला, जो स्वभाव से चंचल थी, उत्साह से बोली, "मंदिर में कुछ गुंडों ने हमें घेर लिया था, लेकिन हमें बचाने कोई और आया!"

"कौन?" युवक ने चौंककर पूछा।

बुजुर्ग महिला ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "तीन बहनें। खासकर एक लड़की – अर्निका त्रिपाठी। उसके साहस और फुर्ती ने मुझे बहुत प्रभावित किया है।"

युवक ने धीरे से नाम दोहराया, "अर्निका त्रिपाठी… दिलचस्प नाम है।"
वह उनके बारे में और पूछने ही वाला था कि अचानक उसे कुछ याद आया। उसने तुरंत सवाल किया, "बड़े भाई प्रिंस कहाँ हैं?"

इस पर युवक ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया, "दादी, बड़े भाई नहीं, वो मेरे छोटे भाई हैं।"
फिर उसने आगे कहा, "प्रिंस भाई इस समय एक ऑनलाइन मीटिंग में व्यस्त हैं। और जैसे ही उन्हें पता चला कि आप लोग बिना गार्ड के बाहर गए थे, वो बहुत गुस्से में हैं। आपको तो पता है, उनका गुस्सा किस हद तक जा सकता है! मैंने जैसे-तैसे माहौल संभाल लिया, लेकिन सच कहूँ तो मुझे भी काम था, इसलिए तुरंत आ नहीं सका। शाम को मुझे भी भाई के साथ एक इवेंट में जाना है।"

उसने हल्का सिर हिलाया और गहरी सांस लेते हुए कहा, "लेकिन हम सोच भी नहीं सकते थे कि आप लोगों पर हमला होगा। शुक्र है कि आप सभी सुरक्षित हैं, वरना भाई तो पूरे देश को सिर पर उठा लेते!"

फिर उसने हंसते हुए कहा, "मुझे समझ नहीं आता, भाई को इतना गुस्सा आता कहाँ से है? मैं सोचता हूँ, अगर वो ऐसे ही गुस्से में रहते रहे, तो उन्हें कोई लड़की कैसे मिलेगी? वो तो लड़कियों से वैसे भी दूरी बनाए रखते हैं। पता नहीं, मेरे भाई का क्या होगा!"

इतना सुनते ही एक महिला ने झट से उसका कान पकड़ लिया और बोलीं, "एक तुम्हारा भाई है, जो लड़कियों से दूर भागता है, और एक तुम हो, जो लड़कियों के बीच फेमस हो!"

युवक दर्द से कराहते हुए बोला, "अरे, बड़ी माँ! छोड़ो ना, मैं तो बस यूँ ही कह रहा था!"

बड़ी माँ ने हँसते हुए उसका कान छोड़ दिया और बोलीं, "तू तो बस बातों का उस्ताद है, लेकिन तेरा भाई गुस्से का शहंशाह है! और तू भी कुछ कम नहीं।"

बुजुर्ग महिला, यानी माँसा, ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "गुस्से की वजह भी है। जब से वो छोटा था, तब से ही उसे बिजनेस और बाकी सब की ट्रेनिंग दी जाने लगी थी। जिस उम्र में उसे मस्ती करनी थी, उस उम्र में उसे ये सिखाया गया कि बिजनेस कैसे संभालना है, दुश्मनों से कैसे निपटना है…।"



युवक ने थोड़ी गंभीरता से कहा, "हाँ, दादीसा, मुझे पता है कि भाई पर बहुत ज़िम्मेदारी है। लेकिन कभी-कभी सोचता हूँ कि उन्हें अपनी ज़िंदगी के बारे में भी सोचना चाहिए। सिर्फ़ बिज़नेस और परिवार ही सब कुछ नहीं होता।"

फिर उसने हल्की मुस्कान के साथ आगे कहा, "भगवान मेरे भाई के लिए ऐसी लड़की भेजे, जो उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चले, लेकिन साथ ही चंचल और नटखट हो, जो उनकी ज़िंदगी में रंग भर दे।"

"तू सही कह रहा है," माँसा ने गहरी सांस लेते हुए कहा। "शायद अब समय आ गया है कि हम उनके लिए कोई सही लड़की ढूंढें।"

यह सुनकर बाकी महिलाएँ मुस्कुरा दीं, लेकिन सबसे छोटी महिला, जो अभी भी अपनी बनाई वीडियो के बारे में सोच रही थी, उत्साहित होकर बोली,
"माँसा! हमें ज्यादा दूर जाने की ज़रूरत नहीं है। मंदिर में जिन तीन लड़कियों ने हमें बचाया था, याद है ना? मैंने उनका वीडियो बनाया था। मैंने पहले ही कहा था, अर्निका और उसकी बहनें हमारे घर की बहुओं के लिए एकदम परफेक्ट रहेंगी!"

दादीसा ने हल्की मुस्कान के साथ उसकी तरफ देखा और धीरे से बोलीं,
"हम्म… मुझे भी कुछ ऐसा ही लगता है। खासकर अर्निका में जो तेज़ी, समझदारी और हिम्मत है, वो हमारे परिवार के लिए उपयुक्त होगी। लेकिन..."

तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। एक नौकर अंदर आकर बोला,
"प्रिंस साहब मीटिंग खत्म कर चुके हैं और आप सबसे मिलने आ रहे हैं।"

यह सुनते ही सबकी नज़रें एक-दूसरे से मिलीं। उन्हें यकीन था कि जैसे ही प्रिंस आएंगे, सबसे पहले माँसा और बाकी महिलाओं की अच्छी-खासी क्लास लगेगी!


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वहीं दूसरी तरफ, त्रिपाठी सदन में…

तीनों बहनें—अर्निका, इनाया, और सान्या—अपनी कार से उतरकर घर में दाखिल हुईं। अंदर घुसते ही उनकी नज़र दादीसा पर पड़ी, जो सोफे पर बैठी थीं। तीनों ने झुककर उनके पैर छुए।

"खुश रहो, बेटा," दादीसा ने मुस्कुराते हुए आशीर्वाद दिया, लेकिन फिर ध्यान से अर्निका को देखने लगीं।
"तू ठीक तो है न, बच्चा?"

अर्निका थोड़ा चौंक गई, "जी दादीसा, मैं ठीक हूँ… आप ऐसा क्यों पूछ रही हैं?"

दादीसा ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "बस ऐसे ही, आज मन थोड़ा विचलित हो रहा था। लग रहा था कि कुछ हुआ है।"


तीनों बहनों ने एक-दूसरे की ओर देखा। वे नहीं चाहती थीं कि परिवार को मंदिर में हुई घटना के बारे में पता चले।

सान्या ने हँसते हुए कहा, "अरे दादीसा, कुछ नहीं हुआ! बस थोड़ा घूमकर आए हैं, इसलिए शायद थकान लग रही है।"

दादीसा ने थोड़ी देर तक उन्हें गौर से देखा, फिर हल्की मुस्कान के साथ बोलीं, "ठीक है, लेकिन ध्यान रखना।"

इसके बाद उन्होंने कहा, "जाओ, फ्रेश होकर आराम कर लो।" तीनों ने हामी भरी और अपने-अपने कमरों की ओर बढ़ गईं।


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शाम का वक्त

दादीसा, अर्चना जी और भाग्यश्री हॉल में बैठकर चाय की चुस्कियां ले रही थीं। साथ ही वे पुरानी यादों में खोई हुई बातें कर रही थीं, जिससे माहौल हल्का और खुशनुमा हो गया था।

तभी दरवाजे पर हलचल हुई। माधवी हाथ में कुछ सामान लिए अंदर आईं। नौकरों ने जैसे ही उन्हें देखा, तुरंत आगे बढ़कर उनके हाथों से सामान लेने लगे।

"अरे, यह सब मैं भी रख सकती थी," माधवी ने मुस्कुराते हुए कहा।

दादीसा ने हल्के गुस्से में कहा, "तू कब सुधरेगी माधवी? घर में इतने नौकर हैं, फिर भी खुद ही सब कुछ करने चली आती है!"

माधवी हँसते हुए पास आकर बैठ गईं और बोलीं, "अरे माशा, आदत से मजबूर हूँ। बचपन से खुद काम करने की आदत पड़ी है, इसलिए यह सब छोड़ नहीं पाती।"

भाग्यश्री हल्के से मुस्कुराईं, "चलो अच्छा है, कम से कम कोई तो इस हवेली में मेहनत करने वाला है!"

सब हँस पड़े। इसी बीच, एक नौकर ने आकर माधवी के लिए चाय का कप रख दिया।

चाय का घूंट लेते हुए अर्चना जी ने पूछा, "तू यह क्या लेकर आई है?"

माधवी ने मुस्कुराते हुए कहा, "कल तीनों लड़कियां यहाँ से जाने वाली हैं, तो उनके साथ भेजने के लिए घर का बना खाना तैयार करने का सोचा। जो भी ज़रूरी सामान था, वो ले आई हूँ।"

दयावंती जी कुछ कहने ही वाली थीं कि माधवी ने आगे कहा, "मुझे पता है, माशा, घर में बहुत सारे नौकर हैं, और मैं उन्हें भी कह सकती थी। लेकिन बाज़ार मेरे रास्ते में था, तो सोचा खुद ही ले आऊँ। वैसे भी, मैं अपने हाथों से उनके लिए खाना बनाना चाहती हूँ।"

अर्चना और भाग्यश्री ने भी उत्साह से कहा, "तो हम भी तुम्हारी मदद करेंगे!"

तभी ऊपर से अर्निका नीचे आती हुई बोली, "क्या बनाने की बातें हो रही हैं?"



अर्निका की आवाज़ सुनकर सबकी नजरें उसकी तरफ घूम गईं। माधवी मुस्कुराते हुए बोलीं, "कल तुम तीनों जा रही हो, तो सोचा तुम्हारे लिए अपने हाथों से कुछ बना दूं, ताकि वहां पहुंचकर तुम्हें घर के खाने की याद आए।"

अर्निका प्यार से माधवी की ओर देखती हुई पास आकर बैठ गई। "ओह! मतलब हम गए भी नहीं, और आप लोगों ने हमें याद करना शुरू कर दिया?" उसने हल्के मज़ाकिया लहजे में कहा।

अर्चना जी मुस्कुराते हुए बोलीं, "बिलकुल, जब घर में चहल-पहल होती है, तो अच्छा लगता है। लेकिन तुम तीनों के जाने के बाद घर सूना लगने लगेगा।"

तभी इनाया और सान्या भी नीचे आ गईं।

इनाया ने मजाक करते हुए कहा, "क्या बात है? हमारे बिना ही सारी प्लानिंग हो रही है!"

सान्या ने चिढ़ाते हुए कहा, "और हमें बताया तक नहीं कि हमारे लिए क्या बन रहा है?"

माधवी ने प्यार से दोनों को देखा और बोलीं, "अभी तक डिसाइड नहीं किया, लेकिन तुम लोग बताओ, क्या पसंद है?"

अर्निका तुरंत बोली, "मोतीचूर के लड्डू!"

इनाया ने उत्साह से कहा, "और मुझे गुझिया और बेसन के लड्डू!"

सान्या मुस्कुराई, "मेरे लिए कुछ भी चलेगा!"

तीनों की फरमाइश सुनकर दादीसा हल्के गुस्से में बोलीं, "ये कोई रेस्टोरेंट नहीं है जो तुम तीनों अलग-अलग ऑर्डर दे रही हो!"

दादीसा की बात सुनते ही तीनों बहनें एक-दूसरे की तरफ देखकर ठहाका मारकर हंस पड़ीं।

अर्निका हंसते हुए बोली, "अरे दादी, हम तो बस मज़ाक कर रहे थे! जो भी आप लोग बनाएंगे, हम प्यार से खा लेंगे!"

माधवी मुस्कुराईं, "ठीक है, फिर आज रात हम सब मिलकर मोतीचूर के लड्डू, गुझिया और बेसन के लड्डू बनाएंगे।"

तभी अर्चना जी ने पूछा, "तुम लोग कितने बजे निकलने वाले हो?"

अर्निका बोली, "बड़ी माँ, हम सुबह 8 बजे निकलेंगे। और हाँ, हमारा इंतजार मत करिएगा, हमें आने में थोड़ा समय लगेगा।"

दादीसा ने कहा, "ठीक है, लेकिन अपना ख्याल रखना।"

माधवी ने पूछा, "वैसे, तुम लोगों की पार्टी कहां है?"

इनाया ने जवाब दिया, "यहाँ से करीब डेढ़ घंटे की दूरी पर एक रिज़ॉर्ट में।"

सबने हामी भरी। तभी दादीसा ने अर्चना जी से कहा कि वह तीनों के लिए कुछ खाने को मंगवा दें और माधवी को फ्रेश होने के लिए जाने को कहा।

जैसे ही इनाया ने सुना कि उनके लिए कुछ खाने को मंगवाया जा रहा है, वह तुरंत बोल पड़ी...



इनाया खुशी से उछलते हुए बोली, "अरे वाह! मतलब हमारे लिए कुछ स्पेशल आ रहा है?"

अर्चना जी मुस्कुराकर बोलीं, "हाँ हाँ, लेकिन पहले बताओ, क्या खाना चाहोगी?"

अर्निका तुरंत बोली, "मुझे तो कुछ हल्का ही चाहिए, रात को पार्टी में वैसे भी बहुत खाना होगा।"

सान्या ने सोचते हुए कहा, "मेरे लिए कुछ चटपटा ले आइए, कुछ स्नैक्स टाइप का!"

लेकिन इनाया ने नाटकीय अंदाज में कहा, "मेरे लिए तो स्पेशल डिश बनवाइए, आखिर मैं इस घर की सबसे बड़ी फूडी हूँ!"

सब हंस पड़े।

अर्चना जी ने प्यार से सिर हिलाया, "ठीक है, मैं किचन में जाकर कुछ अच्छा बनवा देती हूँ।"

जैसे ही वह अंदर गईं, माधवी ने इनाया को देखते हुए कहा, "तू आजकल बहुत खाने लगी है, कुछ खास बात है?"

इनाया ने शरारती अंदाज में कहा, "अरे मामी, बस मस्ती में ज्यादा खा रही हूँ! वैसे भी पार्टी में डांस करना है, तो एनर्जी भी चाहिए!"

अर्निका हंसते हुए बोली, "इसे बस गाना बजाकर डांस करने दो, फिर इसे दुनिया की कोई परवाह नहीं रहती!"

दादीसा ने प्यार से कहा, "तुम तीनों हमेशा ऐसे ही खुश रहो। बस, अपना ध्यान रखना और समय से लौट आना।"

अर्निका मुस्कुराकर बोली, "आप बिल्कुल चिंता मत करिए, दादीसा! आपकी पोतियाँ किसी से डरती नहीं हैं। आप आराम से सो जाइए।"

इनाया ने भी जोड़ा, "हाँ दादी, आपकी पोतियाँ शेरनियाँ हैं, और शेरनियों से डरने की जरूरत नहीं होती!"

तभी पीछे से दादाजी और फूफा जी आते हुए बोले, "अच्छा! तो यहां शेरनियों की बात हो रही है?"

दादाजी मुस्कुराते हुए बोले, "हमारी पोतियाँ सिर्फ खूबसूरत ही नहीं, बहादुर भी हैं!"

फूफा जी ने भी सिर हिलाते हुए कहा, "हिम्मत अच्छी बात है बेटा, लेकिन समझदारी भी उतनी ही जरूरी है।"

अर्निका ने मुस्कुराकर कहा, "बिल्कुल फूफा जी! हम सिर्फ मस्ती ही नहीं, हर परिस्थिति संभालना भी जानते हैं।"

इनाया ने मजाकिया अंदाज में कहा, "और अगर कोई हमसे टकराने की कोशिश करेगा, तो उसे अच्छा सबक भी सिखा देंगे!"



अर्निका की गंभीर आवाज़ और उसकी आँखों में सख्ती देखकर एक पल के लिए सब चुप हो गए। माहौल में अचानक एक अजीब सा सन्नाटा छा गया।

इनाया और सान्या भी अर्निका की ओर देखने लगीं। इनाया ने हल्के से उसका हाथ पकड़ते हुए माहौल संभालने के लिए कहा, "अरे कुकी, हम सब जानते हैं कि तू हमारे लिए कुछ भी कर सकती है, लेकिन हम भी तुझे कुछ नहीं होने देंगे!"

अर्निका ने गहरी सांस ली, अपनी बहनों की ओर देखा और हल्की मुस्कान दे दी।

फूफा जी ने माहौल को हल्का करने के लिए मुस्कुराते हुए कहा, "अरे भाई, अब इतना गुस्सा भी मत किया करो! ये दुनिया सिर्फ दुश्मनों से नहीं, अपनों से भी भरी हुई है, जो तुम्हारी फिक्र करते हैं।"

दादी ने सिर हिलाते हुए कहा, "बिल्कुल! और ये गुस्सा जरूरत पड़ने पर दिखाना, हर वक्त नहीं। समझ गईं?"

अर्निका ने हल्का सा सिर झुका लिया और मुस्कुराकर बोली, "आप सब चिंता मत करिए, हम बस अपनी रक्षा करना जानते हैं।"

अब तक चुप बैठी माधवी हंसते हुए बोली, "चलो, अब ये गंभीर बातें छोड़ो और बताओ, पार्टी के लिए क्या पहनने वाली हो?"

इनाया तुरंत उत्साहित होकर बोली, "मैंने तो अपनी ड्रेस पहले ही निकाल ली है, एकदम स्टनिंग लगूंगी!"



सान्या मुस्कुराते हुए बोली, "हाँ, और कुकी, तुम क्या पहनोगी? वैसे भी, जहाँ भी जाती हो, सबकी नज़रें बस तुम पर ही टिक जाती हैं!"

अर्निका ने आँखें घुमाईं और हँसते हुए कहा, "अच्छा? चलो फिर देखते हैं, आज कौन सबसे ज्यादा खूबसूरत लगता है!"

सब हँस पड़े, और माहौल फिर से हल्का हो गया। दादी, फूफा जी और बाकी लोग मुस्कुराते हुए बातचीत में लग गए।

तभी किचन से अर्चना जी दो नौकरों के साथ कचौरी और गुलाब जामुन लेकर आईं। कचौरी की खुशबू से पूरा हॉल महक उठा।

इनाया की आँखें चमक उठीं। "वाह! मेरी फेवरेट कचौरी!" उसने खुशी से कहा और झट से एक उठाने लगी।

अर्चना जी ने हल्के से उसका हाथ थपथपाते हुए कहा, "पहले सबको परोसने दो, फिर खाना!"

इनाया ने नाक चिढ़ाते हुए कहा, "लेकिन मामी, अगर मैं पहले नहीं खाऊँगी तो मेरी भूख और बढ़ जाएगी!"

सब हँस पड़े। सान्या और अर्निका भी मुस्कुराने लगीं।

माधवी ने प्यार से कहा, "अच्छा ठीक है, पहले तुम तीनों खा लो, फिर बाकी सब। वैसे भी, आज रात के बाद न जाने फिर कब ऐसा मौका मिले!"

तीनों बहनों ने झटपट अपनी प्लेट ली और खाने में लग गईं। पूरे परिवार के साथ हंसी-मजाक और बातचीत का दौर चलता रहा।


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कुछ घंटों बाद…

तीनों बहनें पूरी तरह तैयार होकर नीचे आईं।

अर्निका ने ब्लैक ब्लेजर और डेनिम जींस पहनी थी, जो उसकी शख्सियत को और निखार रही थी।

इनाया रेड कलर की खूबसूरत ड्रेस में गजब लग रही थी।

सान्या पेस्टल ब्लू गाउन में किसी परी से कम नहीं लग रही थी।


जैसे ही वे नीचे आईं, सबकी नज़रें उन पर टिक गईं।

दादी ने गर्व से कहा, "मेरी पोतियां तो चाँद की तरह चमक रही हैं!"

तभी इनाया मुँह बनाते हुए बोली, "देखो न, दादी! हमने कुकी को कितना समझाया कि वह भी वन-पीस ड्रेस पहने, लेकिन नहीं, इसे तो अपनी जींस ही पहननी थी!"

अर्निका ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "तू भी न! मैं जो भी पहनूँ, वहाँ सब मुझे पहचानते हैं, कोई फर्क नहीं पड़ता!"

इनाया ने आँखें घुमा लीं। तभी दादी ने प्यार से कहा, "अरे, तू क्यों उसकी पीछे पड़ी रहती है? उसे जो मन हो, पहनने दे!"

दादी ने अर्निका के सिर पर हाथ फेरते हुए मुस्कुराकर कहा, "यह जो भी पहनती है, उसमें हमेशा सबसे अलग और सबसे खास लगती है।"


इनाया ने नकली नाराजगी दिखाते हुए कहा, "हाँ हाँ, बस इसे ही स्पेशल फील कराओ! वैसे भी यह हमारी बात कब मानती है?"

सान्या हँसते हुए बोली, "चलो अब बहस बंद करो, नहीं तो पार्टी के लिए लेट हो जाएंगे!"

तभी बाहर से अनिरुद्ध और अद्विक अंदर आए। जैसे ही उनकी नज़र तीनों पर पड़ी, अनिरुद्ध मुस्कुराकर बोला, "वाह! तुम लोग तो बहुत सुंदर लग रही हो!"

अद्विक ने शरारत भरे अंदाज में कहा, "क्या बात है! आज तीनों किस-किस पर बिजली गिराने वाली हो?"

उसकी बात सुनकर अर्निका हँसते हुए बोली, "भाई, आप भी न!"

अनिरुद्ध ने पूछा, "तुम लोग अभी निकल रही हो?"

अर्निका ने सिर हिलाते हुए कहा, "हाँ पापा, हमें आने में थोड़ा लेट हो जाएगा, तो आप लोग परेशान मत होइएगा।"

अनिरुद्ध हँसकर बोला, "कोई बात नहीं, लेकिन अगर कोई दिक्कत हो तो तुरंत कॉल करना। और अच्छे से जाना!"

तीनों सभी को 'बाय' बोलकर बाहर निकलीं। उनके लिए पहले से ही कार तैयार खड़ी थी। अर्निका ने ड्राइवर से कार की चाबी मांगी।

ड्राइवर ने विनम्रता से कहा, "छोटी मालकिन, बड़े साहब ने मुझे आप लोगों को ले जाने के लिए कहा है।"

अर्निका मुस्कुराते हुए बोली, "कोई बात नहीं, मैं पापा को बता दूँगी कि हमने चाबी ले ली।"

इसके बाद तीनों कार में बैठीं और वहाँ से निकल गईं।


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उनके जाने के बाद…

अनिरुद्ध ने अद्विक की ओर देखा और कहा, "उनके पीछे चुपचाप गार्ड भेज दो, लेकिन ध्यान रखना, उन्हें इसकी भनक न पड़े।"

दिलीप, जो यह सुन रहा था, हल्का सा हँसते हुए बोला, "आपको लगता है कि उन्हें पता नहीं चलेगा? आज तक आप अपनी बेटी को ठीक से समझ ही नहीं पाए! बाकी दोनों को पता चले या न चले, लेकिन लाड़ो को जरूर पता चल जाएगा कि आपने उनके पीछे गार्ड भेजे हैं।"

अनिरुद्ध हल्का सा मुस्कुराए और बोले, "जानता हूँ, लेकिन फिर भी... यह करना जरूरी है। लाड़ो चाहे जितनी भी तेज़ हो, हमें अपनी तरफ़ से कोई चूक नहीं करनी चाहिए।"



अद्विक ने सिर हिलाते हुए तुरंत अपने लोगों को कॉल किया और सख्त लहजे में बोला, "उनकी कार का दूर से पीछा करो, लेकिन इस तरह कि उन्हें ज़रा भी शक न हो। अगर कोई भी परेशानी लगे तो तुरंत एक्शन लेना।"

दिलीप ने गहरी सांस लेते हुए कहा, "तुम सही कह रहे हो, लेकिन सुन लो मेरी बात। जैसे ही लाड़ो को एहसास होगा कि उसके पीछे कोई है, वो उन लोगों को रास्ता भटकाकर इतनी तेज़ी से आगे निकल जाएगी कि उन्हें पता भी नहीं चलेगा!"

दादाजी ने हल्की मुस्कान के साथ सिर हिलाया और बोले, "मुझे पूरा यकीन है कि अगर कोई मुसीबत आई भी, तो हमारी पोतियां उसे संभाल लेंगी।"

सभी हँसते हुए बातचीत में लग गए।


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वहीं दूसरी ओर...

तीनों बहनों की गाड़ी हाईवे पर तेज़ रफ्तार से दौड़ रही थी। इनाया ने म्यूजिक ऑन किया और गाने की धुन पर झूमने लगी।

"आज तो खूब मज़ा आएगा!" इनाया ने खुशी से कहा।

अर्निका ने ड्राइविंग करते हुए हल्की मुस्कान के साथ कहा, "हाँ, लेकिन जरा संभलकर रहना।"

सान्या ने आँखें घुमाते हुए कहा, "लो, पार्टी शुरू होने से पहले ही हमारी 'सावधानी मंत्री' आ गईं!"

तीनों हँस पड़ीं।


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आगे क्या होगा?
पार्टी में कौन मिलेगा?
क्या कोई नया ट्विस्ट आने वाला है?





आगे किया होगा जानने के लिये मेरी कहानी रूह से रूह तक पढ़ते रहिए 

अगर कहीं कोई गलती हो गई हो, तो मुझे माफ कर दीजिएगा।

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