महाशक्ति – एपिसोड 21: शिव का संकेत
शिव का संदेश और अनहोनी की आहट
रात्रि का गहन अंधकार पूरे राज्य को अपने आगोश में ले चुका था। आकाश में चमकते हुए तारे भी जैसे कुछ अनहोनी का संकेत दे रहे थे। अर्जुन इस समय अपने महल से दूर, एक प्राचीन शिव मंदिर में ध्यान लगाए बैठा था। उसकी आँखें बंद थीं, और मन पूरी तरह शिव-चिंतन में लीन था। लेकिन आज का ध्यान कुछ अलग था—कुछ विचित्र, कुछ अनजाना।
अचानक मंदिर का वातावरण बदलने लगा। तेज़ हवाएँ चलने लगीं, और मंदिर में जल रहे दीपक एक-एक करके बुझने लगे। घंटे बिना किसी स्पर्श के स्वतः ही बज उठे, और वातावरण में एक अजीब सी शक्ति भरने लगी। अर्जुन ने आँखें खोलीं और देखा कि शिवजी की मूर्ति के चारों ओर एक दिव्य आभा प्रकट हो रही थी।
तभी, शिवजी की मूर्ति से एक गंभीर और भारी आवाज़ गूँजी—
"अर्जुन! समय समीप आ रहा है। अनाया के भाग्य में एक कठिन परीक्षा लिखी है। तुम्हें सावधान रहना होगा। संकेतों को समझो, क्योंकि संकट तुम्हारे द्वार पर खड़ा है।"
अर्जुन एकदम से चौक उठा। उसने कभी ऐसा अनुभव नहीं किया था। यह कोई साधारण सपना नहीं था, बल्कि शिवजी का सीधा संदेश था।
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संकेतों की शुरुआत
अर्जुन मंदिर से बाहर निकला और घोड़े पर सवार होकर तेज़ी से अनाया के महल की ओर बढ़ने लगा। उसके मन में अजीब सी बेचैनी थी। रास्ते में उसने गौर किया कि एक चिड़िया उल्टी उड़ती हुई जा रही थी। अर्जुन को तुरंत शिवजी के संदेश की याद आई। उसने महसूस किया कि यह कोई आम दृश्य नहीं था, बल्कि एक दिव्य संकेत था।
सुबह होते ही एक और अजीब घटना घटी—अनाया के महल के सामने एक काली बिल्ली आई और उसने तीन बार रास्ता काटा। यह एक अत्यंत अशुभ संकेत माना जाता था। अर्जुन का मन अब और भी अशांत हो उठा।
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अनाया पर संकट
दो दिन तक सब कुछ सामान्य प्रतीत हुआ, लेकिन तीसरे दिन एक अप्रत्याशित घटना घटी।
अनाया महल से बाहर जंगल की ओर निकली थी। वह अपने सखियों के साथ एक छोटी यात्रा पर निकली थी, जब अचानक उसके रथ के सामने से एक तेज़ रफ्तार घोड़ा भागता हुआ आया। रथ के घोड़ों ने नियंत्रण खो दिया और अनाया का रथ बेकाबू होकर तेज़ी से दौड़ने लगा।
"संभालो! रथ रोकने का प्रयास करो!" अनाया ने घबराते हुए कहा, लेकिन घोड़ों ने उसकी बात मानने से इनकार कर दिया।
रथ पथरीले रास्ते पर उछलता हुआ एक गहरी खाई की ओर बढ़ने लगा। अनाया की चीखें गूँज उठीं।
दूर खड़ा अर्जुन यह दृश्य देखकर चौंक उठा। वह पूरी शक्ति से दौड़ा और घोड़ों को काबू करने की कोशिश की, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
रथ खाई में गिर चुका था।
अर्जुन की आँखों के सामने अंधेरा छा गया।
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अर्जुन का संघर्ष और अनाया की खोज
अर्जुन एक क्षण के लिए स्तब्ध खड़ा रहा। उसकी आँखों में अविश्वास था। क्या शिवजी की भविष्यवाणी सच हो चुकी थी? क्या अनाया को खोने का समय आ गया था?
लेकिन नहीं! अर्जुन ने खुद से कहा—"मैं हार नहीं मानूंगा!"
उसने घोड़े से छलांग लगाई और तेज़ी से खाई की ओर भागा। नीचे उतरने का कोई आसान रास्ता नहीं था, लेकिन अर्जुन ने परवाह नहीं की। उसने पत्थरों और पेड़ों का सहारा लेकर नीचे उतरना शुरू किया।
नीचे घना जंगल था। अर्जुन हर दिशा में अनाया को खोज रहा था। उसके कपड़े फट चुके थे, शरीर पर कई जगह खरोंचें आ गई थीं, लेकिन वह रुका नहीं।
तभी उसने एक जगह टूटा हुआ रथ देखा। चारों ओर लकड़ियाँ बिखरी पड़ी थीं। अर्जुन दौड़ता हुआ वहाँ पहुँचा और चारों ओर देखने लगा।
"अनाया!" उसने ज़ोर से पुकारा।
कोई उत्तर नहीं आया।
अर्जुन का दिल डूबने लगा। क्या वह सच में अनाया को खो चुका था?
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शिवजी की कृपा और अनाया का मिलना
अर्जुन निराश होकर ज़मीन पर बैठ गया। उसकी आँखों में आँसू आ गए।
"हे महादेव! आप मेरी शक्ति हैं। मुझे रास्ता दिखाइए!"
तभी हवा में कुछ अजीब सी हलचल हुई। मंदिर की घंटियों जैसी ध्वनि गूँज उठी। अर्जुन ने सिर उठाया और देखा कि थोड़ी दूर एक छोटी सी चट्टान के नीचे कोई पड़ा हुआ था।
वह तुरंत वहाँ पहुँचा।
वह अनाया थी!
उसकी साँसें चल रही थीं, लेकिन वह बेहोश थी। उसके माथे पर चोट लगी थी, हाथों और पैरों पर खून था, लेकिन वह जीवित थी।
"महादेव की कृपा से वह बच गई!" अर्जुन ने राहत की साँस ली।
उसने अनाया को अपनी बाहों में उठाया और ऊपर महल की ओर बढ़ा।
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क्या होगा आगे?
शिवजी की भविष्यवाणी सच हो चुकी थी। लेकिन यह तो सिर्फ शुरुआत थी।
क्या अनाया इस हादसे से उबर पाएगी?
क्या अर्जुन समझ पाएगा कि शिवजी का अगला संदेश क्या है?
(जारी रहेगा...)