MAHAASHAKTI - 22 in Hindi Love Stories by Mehul Pasaya books and stories PDF | महाशक्ति - 22

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महाशक्ति - 22

महाशक्ति – एपिसोड 22 (विस्तारित और रोमांचक)

रात के घने अंधेरे में हिमालय की चोटियों पर बर्फ गिर रही थी। सर्द हवा तेज़ी से बह रही थी, लेकिन गुफा के भीतर अर्जुन एक तपस्वी की तरह साधना में लीन था। उसके चारों ओर एक दिव्य आभा थी, और उसकी साधना से उत्पन्न ऊर्जा गुफा की दीवारों को भी कंपा रही थी।

अनाया कुछ दूरी पर बैठी थी, लेकिन उसकी आँखें अर्जुन पर टिकी थीं। वह महसूस कर सकती थी कि अर्जुन के भीतर कुछ बदल रहा था—वह अब पहले जैसा नहीं रहा। उसके शरीर से दिव्य ऊर्जा प्रवाहित हो रही थी, और उसकी आत्मा पहले से अधिक प्रबल हो चुकी थी।

“क्या अर्जुन अब पहले जैसा रहेगा?” अनाया ने खुद से सवाल किया।

अचानक, गुफा के भीतर तेज़ रोशनी फैली और वहाँ एक दिव्य साधु प्रकट हुए। वे लंबी जटाओं वाले, कमंडल और त्रिशूल धारण किए हुए थे, और उनकी आँखों में हजारों वर्षों का तप झलक रहा था।

"अर्जुन!" साधु ने गंभीर स्वर में पुकारा।

अर्जुन ने अपनी आँखें खोलीं और तुरंत उठकर साधु को प्रणाम किया। अनाया भी विस्मय से देख रही थी।

"समय आ गया है," साधु बोले।

अर्जुन कुछ समझ नहीं पाया, उसने प्रश्नवाचक दृष्टि से साधु की ओर देखा।

"महादेव ने तुम्हें एक महान उद्देश्य के लिए चुना है," साधु ने कहा, "लेकिन शक्ति केवल उन्हीं को मिलती है जो उसकी परीक्षा में खरे उतरते हैं। तुम्हारी परीक्षा का समय आ गया है।"

अर्जुन ने दृढ़ स्वर में कहा, "मैं तैयार हूँ, ऋषिवर।"

साधु ने अपनी कमंडलु से जल छिड़का, और उसी क्षण अर्जुन के शरीर में एक तीव्र ऊर्जा का संचार हुआ। उसकी आँखें चमक उठीं, और उसके चारों ओर प्रकाश के वृत्त बनने लगे।

अनाया घबरा गई, "अर्जुन, तुम ठीक तो हो?"

अर्जुन ने मुस्कराते हुए कहा, "मैं अब केवल अर्जुन नहीं, मैं महाशक्ति का वाहक बन चुका हूँ।"

लेकिन तभी, गुफा के बाहर एक ज़ोरदार गर्जना हुई। पूरा वातावरण थर्रा उठा। अर्जुन और अनाया ने तुरंत बाहर कदम रखा और सामने जो दृश्य देखा, उसने उनकी रूह कंपा दी।

एक विशालकाय राक्षस, जिसकी आँखों से आग की लपटें निकल रही थीं, खड़ा था। उसके विशाल नुकीले दाँत और गहरे लाल रंग की चमड़ी उसे और भयावह बना रही थी। उसके शरीर से काले धुएँ की लपटें उठ रही थीं, और उसकी साँसों से ज़मीन दरक रही थी।

"अर्जुन!" राक्षस दहाड़ा, "अगर तुम सच में शक्ति के योग्य हो, तो पहले मुझे हराकर दिखाओ!"

अर्जुन ने बिना डरे उसकी ओर देखा और कहा, "तुम कौन हो?"

राक्षस हँसा, उसकी हँसी से पहाड़ों की बर्फ गिरने लगी।

"मैं असुर कुल का सेनापति, कालसुर हूँ! तुम्हारी शक्ति को परखने के लिए आया हूँ!"

अर्जुन ने अपनी मुट्ठियाँ भींच लीं, उसकी हथेलियों से दिव्य ऊर्जा प्रवाहित होने लगी। उसके भीतर कुछ जाग चुका था—एक प्रचंड शक्ति।

"अगर यही मेरी पहली परीक्षा है, तो मैं इसके लिए तैयार हूँ!" अर्जुन गरजा।

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(अगले एपिसोड में – अर्जुन बनाम कालसुर! एक भयंकर युद्ध!)