Gunahon Ki Saja - Part 16 in Hindi Women Focused by Ratna Pandey books and stories PDF | गुनाहों की सजा - भाग 16

Featured Books
Categories
Share

गुनाहों की सजा - भाग 16

नताशा ने वरुण से ऐसा कह तो दिया लेकिन वह बात बताने में झिझक रही थी। तब वरुण ने कहा, "क्या बात है नताशा, यदि तुम नहीं बताना चाहतीं तो कोई बात नहीं।"

नताशा ने कहा, "नहीं-नहीं वरुण, ऐसी तो कोई बात नहीं है, वह मेरी भाभी माही हैं ना ..."

वरुण ने पूछा, "हाँ-हाँ भाभी का क्या ...? उनका कहीं अफेयर चल ..."

"अरे, यह तुम क्या कह रहे हो?"

"फिर क्या बात है नताशा?"

"अरे, भाभी के मायके में उनके पापा का बहुत बड़ा मकान है। 8-10 कमरे हैं, ख़ूब बड़ा आँगन है। वैसे घर तो पुराना है पर जगह बहुत है। घर भी बहुत अच्छा है।"

"पर उससे हमें क्या नताशा? वह तो माही भाभी के पापा का है।"

"वरुण, मेरे भैया वह मकान उनके नाम पर करवाने वाले हैं। इसके लिए वह भाभी के पीछे पड़े हैं।"

"क्या बात कर रही हो नताशा?"

"हाँ वरुण, भाभी ने उनके पापा से बात भी कर ली है। शायद वह अपनी बेटी की ख़ुशी के लिए मान भी जाएंगे।"

"नताशा, इसका मतलब दहेज ..."

"नहीं वरुण, शादी तो हमने बिना दहेज के ही कर ली, सोचा था बिना मांगे ही बहुत कुछ मिल जाएगा पर भाभी तो खाली हाथ ही आ गईं, छोटा-मोटा सामान लेकर।"

"मतलब तो वही हुआ ना जानू कि उम्मीद थी पर नहीं मिला तो अब मांगा जा रहा है।"

"ऐसी बात नहीं है वरुण।"

"अच्छा तो फिर कैसी बात है नताशा? वैसे यह तो हमारे लिए भी बहुत अच्छा हो गया।"

नताशा ने पूछा, "वह कैसे वरुण?"

"वह ऐसे नताशा कि भाभी से तुम्हारे भैया यानी उस घर का दामाद वह प्रॉपर्टी ले रहा है। इसलिए मैं सोचता हूँ कि तुम्हारे परिवार का दामाद भला क्यों पीछे रह जाए?"

"क्या मतलब वरुण?"

वरुण ने कहा, "मतलब तो साफ़ है मेरी जान, हम दोनों मिलकर वह मकान उधर से इधर ट्रांसफर करवा लेते हैं। वैसे मैं दहेज प्रथा के खिलाफ हूँ, लेकिन जब तुम्हारे भैया ऐसा कर रहे हैं तो हम क्यों फायदा नहीं उठाएँ?"

वरुण के मुँह से यह सुनकर नताशा के आश्चर्य का ठिकाना नहीं था। उसने गुस्से में वरुण को घूरते हुए कहा, "यह तुम क्या कह रहे हो वरुण?"

"वही जो तुम सुन रही हो। मुझे इस समय एक बड़ी जगह की ज़रूरत है। तुमने बताया है कि वह जगह बहुत बड़ी है, तो अपना बिज़नेस चलाने के लिए तो यह बहुत ही अच्छा मौका है।"

"नहीं वरुण, यह संभव नहीं है। मैं मेरे पापा से वह जगह हरगिज़ नहीं मांगूंगी।"

"तुम्हें मांगना ही पड़ेगा मेरी जान, वरना हमारे रिश्ते की यह पूरी मिठास कड़वाहट में बदल जाएगी।"

"इसका मतलब तुम मुझसे रिश्ता तोड़ दोगे?"

"अरे नहीं, जानू, ऐसा तो केवल बेकार लोग करते हैं। मैं ऐसा बिल्कुल नहीं करूंगा। लेकिन हाँ, मैं तुम्हें और तुम्हारे परिवार को चैन से जीने नहीं दूंगा। जब तुम बता रही थीं कि तुम्हारे भाई माही भाभी के परिवार से वह मकान अपने नाम करवाना चाहते हैं, तब मैंने तुम्हारी सारी बातें रिकॉर्ड कर ली थीं। अगर तुमने मेरी बात नहीं सुनी, तो अंजाम बहुत बुरा होगा। शायद तुम्हारे माता-पिता और भाई को जेल की हवा भी खानी पड़े।"

 

रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)
स्वरचित और मौलिक
क्रमशः