Rooh se Rooh tak - 11 in Hindi Love Stories by IMoni books and stories PDF | रूह से रूह तक - चैप्टर 11

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रूह से रूह तक - चैप्टर 11

अगली सुबह…

प्रिंस हल्की रोशनी के बीच जागा। नींद पूरी नहीं हुई थी, लेकिन कमरे में हलचल की आवाज़ से उसकी आँखें खुल गईं। सिर थोड़ा भारी लग रहा था, शायद दवाइयों का असर था। उसने धीरे-धीरे उठने की कोशिश की, तभी दरवाजा खुला और उसकी दादी और माँ अंदर आईं।

"गुड मॉर्निंग, प्रिंस!" दोनों मुस्कुराईं। "अब कैसा महसूस कर रहे हो?"

प्रिंस ने हल्का सिर हिलाया और बोला, "ठीक हूँ, बस थोड़ी कमजोरी लग रही है।"

"वो तो रहेगी," दादी ने प्यार से कहा। माँ ने टेबल पर नाश्ता रखते हुए जोड़ा, "डॉक्टर ने आराम करने को कहा था। पहले ये हेल्दी ब्रेकफास्ट कर लो, फिर दवा भी लेनी है।"

प्रिंस ने हल्की मुस्कान के साथ सिर हिलाया और उठने लगा। माँ ने फौरन कहा, "आराम से, कहीं चक्कर न आ जाए।"

प्रिंस मुस्कुराया, "माँ, मैं ठीक हूँ।" यह कहते हुए वो बाथरूम चला गया। कुछ देर बाद, जब वह बाहर आया, तो सोफे पर बैठ गया।

माँ ने नाश्ते की प्लेट उसके सामने रखी और प्यार से कहा, "अब आराम से नाश्ता कर लो।"


प्रिंस ने प्लेट की तरफ देखा—उसकी पसंदीदा हल्की खिचड़ी, कुछ फल, और जूस रखा था। उसने धीरे-धीरे खाना शुरू किया।

दादी उसे ध्यान से देख रही थीं। उनके चेहरे पर स्नेह और चिंता दोनों झलक रहे थे। उन्होंने प्यार से कहा, "कुछ दिन आराम कर ले, सेहत पहले है, काम बाद में भी हो सकता है।"

प्रिंस मुस्कुराया, "दादी, मैं बिल्कुल ठीक हूँ। आप बेवजह चिंता कर रही हैं।"

रिद्धिमा जी ने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरा और बोलीं, "हम माँ हैं, बेटा। तुम्हारी हल्की-सी भी तकलीफ हमें महसूस होती है।"

प्रिंस हल्का सा मुस्कुराया और चुपचाप खाने लगा। तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। कुशल और दर्शित अंदर आए।

"गुड मॉर्निंग, प्रिंस!" कुशल ने कहा, और दर्शित ने भी अपने भाई को विश किया।

कुशल ने मुस्कुराते हुए पूछा, "अब कैसा लग रहा है? वैसे तेरी हालत देखकर नहीं लग रहा था कि इतनी जल्दी उठ जाएगा!"

प्रिंस हल्का मुस्कुराया, "तुझे क्या लगा था? मैं हफ्तों तक बिस्तर पर पड़ा रहूँगा?"

कुशल ने मजाकिया अंदाज में कहा, "नहीं, लेकिन सोचा था कि कम से कम आज तो तू आराम करेगा। पर तू तो तुरंत एक्शन में आ गया!"

रिद्धिमा जी ने उनकी बातें सुनकर मुस्कुराते हुए कहा, "अच्छा हुआ तुम दोनों आ गए। अब इसे अकेला मत छोड़ना और कोई काम करने मत देना।"

दादी भी उठते हुए बोलीं, "हमें नीचे के काम भी देखने हैं। तुम लोग यहां हो, तो हम चलते हैं।" फिर उन्होंने कहा, "तुम दोनों के लिए भी नाश्ता यहीं भिजवा रहे हैं।" इतना कहकर वे कमरे से बाहर चली गईं।

उनके जाने के बाद कुशल और दर्शित सोफे पर बैठ गए।

कुशल गंभीर होते हुए बोला, "अब तक उन लोगों ने कोई कदम नहीं उठाया। मुझे लगता है, वे कुछ बड़ा प्लान कर रहे हैं। अब हम क्या करें—सिर्फ नजर रखें या पहले ही कोई एक्शन लें?"

प्रिंस हल्का मुस्कुराया और बोला, "पहले मैं पूरी तरह ठीक हो जाऊँ, फिर सोचते हैं।"

कुशल ने उसे ध्यान से देखा और फिर बाकी जरूरी बातों पर चर्चा करने लगा।



उधर, अपार्टमेंट में…

अर्निका की सुबह कुछ अजीब थी। अलार्म बंद करने के बाद भी उसकी नींद पूरी नहीं हुई थी। वो उठकर खिड़की के पास गई और बाहर झाँका—मुंबई की भागदौड़ भरी सुबह शुरू हो चुकी थी।

तभी पीछे से ईनाया कमरे में आई और बोली, "गुड मॉर्निंग!" फिर बेड पर गिरते हुए बोली, "इतनी जल्दी सुबह हो जाती है! काश थोड़ी और देर सोने को मिलता।"

अर्निका मुस्कुराई और बोली, "उठ जा, फ्रेश हो ले। 8 बजने वाला है, आज मुझे भी देर हो गई उठने में।"

ईनाया ने तकिए में मुँह छुपाते हुए कहा, "यार, सुबह-सुबह इतनी एनर्जी कहाँ से लाती है तू?"

अर्निका हँसते हुए बोली, "एनर्जी नहीं, बस आदत है! और वैसे भी, आज कॉलेज का पहला दिन है, लेट नहीं हो सकते। मैं तो फ्रेश होने जा रही हूँ, तू जो करना है कर।" यह कहकर वो वॉशरूम में चली गई।

उसके जाने के बाद ईनाया ने मुँह बनाया और फिर उठकर अपने कमरे में फ्रेश होने चली गई।



कुछ समय बाद अर्निका अपना कॉलेज बैग लेकर नीचे आई तो देखा, सरिता ताई उनके लिए नाश्ता तैयार कर रही थीं। अर्निका ने मुस्कुराते हुए कहा, "गुड मॉर्निंग, ताई!"

सरिता ताई ने प्यार से जवाब दिया, "गुड मॉर्निंग, बेटा! तुम दोनों के लिए गरमा-गरम पराठे तैयार हैं। जल्दी से खा लो, वरना कॉलेज के लिए देर हो जाएगी।"

तभी ईनाया भी बैग के साथ नीचे आ गई। आँखें मलते हुए बोली, "वाह ताई! अगर आप रोज ऐसे पराठे खिलाएंगी, तो मैं तो मोती हो जाऊँगी!"

सरिता ताई हँस पड़ीं और बोलीं, "कोई बात नहीं बिटिया, सुबह जल्दी उठकर जिम कर लेना। फिलहाल जल्दी-जल्दी खा लो, वरना देर हो जाएगी।"

अर्निका और ईनाया डाइनिंग टेबल पर बैठकर नाश्ता करने लगीं।

पहला निवाला खाते ही ईनाया ने आँखें बंद कर लीं और बोली, "उफ्फ, ताई! आपके हाथ के पराठे तो किसी भी फाइव-स्टार होटल से बेहतर हैं!"

अर्निका ने हँसते हुए कहा, "सच में ताई, जब तक आप हैं, हमें बाहर के खाने की जरूरत ही नहीं!"



सरिता ताई ने प्यार से उनके सिर पर हाथ फेरा और बोलीं, "बस, ऐसे ही खुश रहो बेटा! अब जल्दी खाओ, वरना पहली क्लास मिस हो जाएगी।"

ईनाया ने घड़ी की ओर देखा और अचानक चौंक गई, "अरे यार! सच में देर हो रही है!"

दोनों ने जल्दी-जल्दी नाश्ता खत्म किया, पानी पिया और अपने बैग उठाए।

"ताई, हम निकल रहे हैं! अपना ख्याल रखना," अर्निका ने मुस्कुराते हुए कहा।

"हाँ ताई, और शाम को कुछ मीठा बनाना!" ईनाया ने शरारती अंदाज में कहा।

सरिता ताई हँस पड़ीं, "अच्छा-अच्छा, अब जाओ! भगवान तुम्हारी रक्षा करे।"

अर्निका और ईनाया मुस्कुराते हुए अपार्टमेंट के पार्किंग एरिया में पहुँचीं।

उन्होंने अपने-अपने बाइक स्टार्ट कीं। हवा में हल्की ठंडक थी। मुंबई की सुबह की हलचल शुरू हो चुकी थी—गाड़ियों का शोर, बसों की आवाजें और फुटपाथ पर भागते लोग।

ईनाया ने हेलमेट पहनते हुए कहा, "यार, कितना अजीब लग रहा है ना? नया कॉलेज, नए लोग… पता नहीं वहाँ का माहौल कैसा होगा!"

अर्निका ने मुस्कुराकर उसकी तरफ देखा और बोली, "अरे, तू टेंशन क्यों ले रही है? जहाँ हम होते हैं, वहाँ माहौल अपने आप मजेदार बन जाता है!"



ईनाया हँस पड़ी, "बात तो सही है!"

दोनों ने अपनी बाइक्स तेज़ कर दीं। ठंडी हवा उनके चेहरे से टकरा रही थी, और उनके दिलों में एक अजीब-सी उत्सुकता थी—नए सफर की, नई कहानियों की, और शायद कुछ अनदेखे मोड़ों की।

कुछ ही देर में वे अपने कॉलेज के गेट पर पहुँचीं। सामने एक भव्य इमारत थी, जिसमें आधुनिक डिज़ाइन और क्लासिक आर्किटेक्चर का सुंदर मेल था।

गेट के अंदर झाँका तो वहाँ पुराने और नए स्टूडेंट्स का हुजूम था—कुछ नए स्टूडेंट्स उत्साहित थे, कुछ नर्वस, तो कुछ पहले ही नए दोस्तों के साथ हँसी-मजाक में लगे थे।

दोनों ने एक-दूसरे को देखा और फिर गेट की ओर बढ़ गईं। अर्निका ने गार्ड को अपना आईडी कार्ड दिखाया, और वे अंदर जाने लगीं। सीधा पार्किंग एरिया में जाकर अपनी बाइक्स पार्क करने लगीं।

जैसे ही वे अंदर आईं, उनकी हेलमेट और जैकेट पहनी हुई स्टाइलिश एंट्री देखकर बाकी स्टूडेंट्स उन्हें देखने लगे। कुछ के चेहरे पर जिज्ञासा थी—"ये कौन हैं?" क्योंकि हेलमेट और जैकेट के चलते यह पहचानना मुश्किल हो रहा था कि वे लड़के हैं या लड़कियाँ।



दोनों ने बाइक पार्क की, फिर ईनाया ने सबसे पहले अपना हेलमेट उतारा। उसके ठीक बाद अर्निका ने भी हेलमेट उतारा, और उसकी लंबी, घनी बालों की लटें जैसे ही हवा में लहराईं, आसपास खड़े कई स्टूडेंट्स हैरान रह गए।

अब तक सबको लगा था कि बाइक पर सवार ये दोनों लड़के हैं, लेकिन जैसे ही अर्निका का चेहरा सामने आया, कई लड़कों की आँखें आश्चर्य से फैल गईं।

"ओह! ये लड़की है?" किसी ने फुसफुसाते हुए कहा।

"क्या स्टाइल है यार! पहली बार किसी लड़की को इस अंदाज में आते देखा है!"

ईनाया ने हल्की मुस्कान के साथ अर्निका की ओर देखा और धीरे से बोली, "लगता है हमारी एंट्री ने सबको चौंका दिया!"

अर्निका ने भी मुस्कुराते हुए कहा, "अब चलो, क्लास ढूँढते हैं।"

जैसे ही दोनों बैग्स लेकर आगे बढ़ीं, कुछ लड़के उनके रास्ते में आ गए। उनके हाव-भाव से साफ लग रहा था कि वे कॉलेज के सीनियर हैं और खुद को यहाँ का "बड़ा नाम" समझते हैं।

उनमें से एक, जो शायद लीडर था, हल्की मुस्कान के साथ बोला, "वाह! ऐसा ग्रैंड एंट्री स्टाइल तो पहले कभी नहीं देखा। न्यू स्टूडेंट्स हो?"

ईनाया ने बिना हिचकिचाए जवाब दिया, "हाँ, तो?"

लड़के ने ठहाका लगाया और बोला, "तो… थोड़ा इंट्रोडक्शन देना पड़ेगा, यही हमारा रूल है!"



अर्निका ने बिना किसी भाव के उसकी ओर देखा और शांत स्वर में कहा, "रूल्स हर जगह फॉलो होते हैं, लेकिन हमें बेकार के रूल्स में कोई दिलचस्पी नहीं।"

लड़का थोड़ा चौंका, फिर उसकी मुस्कान और गहरी हो गई। "दिलचस्प हो तुम दोनों… वैसे, इतना एटीट्यूड भी अच्छा नहीं है, आज तो पहला दिन है!"

ईनाया ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया, "अच्छा? तो हमें क्या करना चाहिए? आपके सामने सिर झुका के खड़े रहना?"

लड़के ने भौंहें उठाईं, शायद उसे इतनी जल्दी जवाब की उम्मीद नहीं थी। उसके साथ खड़े बाकी लड़के भी थोड़ा हैरान दिख रहे थे।

अर्निका ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा, "हम लेट हो रहे हैं, और जान-पहचान तो बाद में भी हो सकती है। फिलहाल हमें जाना है, तो कृपया रास्ता दीजिए।"

लड़के ने हल्का ठहाका लगाया और कहा, "ओह, इतनी जल्दी में हो? ठीक है, जाओ… लेकिन याद रखना, इस कॉलेज में हर नए स्टूडेंट को हमें जानना ही पड़ता है।"

ईनाया ने उसे घूरते हुए जवाब दिया, "और हर नए स्टूडेंट को तुम्हें इम्प्रेस करने की जरूरत नहीं होती।"

अर्निका ने बिना कुछ कहे आगे बढ़ने का इशारा किया, और ईनाया भी उसके साथ चल दी।

लड़के ने उन्हें जाते हुए देखा और अपने दोस्तों की ओर मुड़कर कहा, "ये दोनों मज़ेदार लग रही हैं, खासकर ये पहली वाली…"

दूसरा लड़का हँसते हुए बोला, "हाँ, पहली बार किसी ने तेरी नहीं सुनी, शिव!"

शिव ने हल्की मुस्कान के साथ सिर हिलाया और कहा, "कोई बात नहीं… ये कहानी यहीं खत्म नहीं होगी।"



उन दोनों को जाते देख कॉलेज के कई स्टूडेंट्स हैरान थे। लड़कियाँ जल रही थीं, और लड़के तो पलक झपकाना भी भूल गए थे। लेकिन अर्निका और ईनाया किसी की परवाह किए बिना सीधे कॉलेज ऑफिस की ओर बढ़ गईं, क्योंकि उन्हें वहाँ से अपना कोट कलेक्ट करना था।

कुछ दूर जाने के बाद, अर्निका ने एक लड़के से पूछा, "क्या आप हमें कॉलेज ऑफिस का रास्ता बता सकते हैं?"

लड़का, जो पहले से ही उन दोनों को देख रहा था, थोड़ा हड़बड़ा गया और जल्दी से बोला, "हाँ, हाँ! सीधा जाओ, फिर दाएँ मुड़ो, वहाँ तुम्हें कॉलेज ऑफिस मिल जाएगा।"

अर्निका ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "थैंक यू!" और आगे बढ़ गई।

उनके जाने के बाद, उस लड़के की दोस्त ने मजाक में कहा, "वाह! इतनी खूबसूरत लड़की से बात करके तो तेरा दिन बन गया!"

लड़का मुस्कुराते हुए बोला, "ऐसा कुछ नहीं है, अब चल, क्लास का टाइम हो गया है।"

ईनाया ने हल्के से फुसफुसाते हुए कहा, "तेरी मुस्कान ने बेचारे का दिन बना दिया!"

अर्निका ने उसे हल्की कोहनी मारते हुए कहा, "चुप कर!"

जल्द ही दोनों कॉलेज ऑफिस पहुँचीं। वहाँ पहले से ही कुछ स्टूडेंट्स अपने डॉक्यूमेंट्स जमा कर रहे थे। उन्होंने देखा कि कोट कलेक्शन काउंटर पर पहले से 4-5 स्टूडेंट्स लाइन में खड़े थे। अर्निका और ईनाया भी उनके पीछे जाकर खड़ी हो गईं।

कुछ देर बाद, उनके आगे खड़ा एक लड़का अचानक पीछे मुड़ा और मुस्कुराते हुए बोला, "हाय!"

उन दोनों ने आवाज सुनी तो सिर उठाकर देखा। सामने एक क्यूट और हैंडसम लड़का खड़ा था, जो दोस्ताना अंदाज़ में मुस्कुरा रहा था।



ईनाया ने तुरंत मुस्कुराकर जवाब दिया, "हाय!" जबकि अर्निका ने हल्की सी मुस्कान दी और सिर हिलाया।

लड़का उत्साह से बोला, "नए स्टूडेंट्स लग रही हो… वैसे, मैं अंशुल! और तुम दोनों?"

ईनाया ने फौरन कहा, "मैं ईनाया और ये अर्निका!"

अंशुल ने मुस्कुराते हुए सिर हिलाया, "अच्छा लगा तुम दोनों से मिलकर! लगता है, हम क्लासमेट्स हैं।"

इतने में लाइन आगे बढ़ी, और अंशुल को अपना कोट मिल गया। उसने जल्दी से पहना और फिर दोनों की तरफ देखकर कहा, "तुम दोनों भी अपना कोट ले लो, मैं बाहर इंतज़ार करता हूँ। फिर साथ में क्लास चलेंगे।"

ईनाया ने "ठीक है!" कहकर अपना आईडी दिखाया और कोट ले लिया, फिर अर्निका ने भी अपना कोट कलेक्ट किया।

अर्निका ने कोट हाथ में पकड़ा, जबकि ईनाया ने पहन लिया। जब वे दोनों ऑफिस से बाहर निकलीं, तो देखा कि अंशुल पहले से उनका इंतज़ार कर रहा था।

उन्हें आते देख अंशुल मुस्कुराया, "चलो, क्लास में चलते हैं!"

ईनाया ने हाँ में सिर हिलाया और उसके साथ चल पड़ी। रास्ते में उसने पूछा, "तुम्हें पता है कि हमारी फर्स्ट ईयर की क्लास कहाँ है?"

अंशुल ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया, "हाँ, मैंने पहले ही देख लिया था। बस मेरे साथ आओ!"

ईनाया ने राहत की सांस लेते हुए कहा, "अच्छा हुआ! वरना हमें खुद से ढूँढने में देर हो जाती।"

अर्निका चुपचाप सिर हिलाकर उनके साथ चल दी।




कॉरिडोर से गुजरते हुए कई स्टूडेंट्स उनकी तरफ देख रहे थे।

ईनाया ने धीरे से अर्निका के कान में फुसफुसाया, "हम कोई सेलिब्रिटी हैं क्या? सब हमें ही घूर रहे हैं!"

अर्निका हल्का सा मुस्कुराई और बोली, "शायद हमारी ग्रैंड एंट्री का असर अभी तक है!"

अंशुल, जो आगे चल रहा था, पीछे मुड़कर बोला, "वैसे, सच कहूँ तो तुम दोनों पहली लड़कियाँ हो, जिन्हें मैंने बाइक पर इतनी स्टाइल में आते देखा है!"

ईनाया ने गर्व से कहा, "ओफ कोर्स! हम अलग हैं।"

अर्निका ने हल्की मुस्कान दी लेकिन कुछ नहीं कहा।

कुछ ही देर में वे एक बड़े हॉल के सामने पहुँच गए। अंशुल ने दरवाजे की तरफ इशारा करते हुए कहा, "यही हमारी क्लास है!"

तीनों ने अंदर कदम रखा। क्लास में पहले से ही कई स्टूडेंट्स मौजूद थे—कुछ सीटों पर बैठे थे, तो कुछ ग्रुप बनाकर बातें कर रहे थे।

जैसे ही अर्निका और ईनाया अंदर आईं, कुछ लड़कों की नजरें उन पर टिक गईं और हल्की फुसफुसाहट शुरू हो गई—

"यही वो लड़कियाँ हैं, जो बाइक से आई थीं?"
"यार, इनका वाइब ही अलग है, ऊपर से कितनी खूबसूरत भी हैं!"

लड़के तो बस उन्हें देखते ही रह गए, जबकि कुछ लड़कियाँ जलन भरी निगाहों से देखने लगीं। क्लास में ज़्यादातर स्टूडेंट्स अमीर घरों से थे, जबकि कुछ स्कॉलरशिप के जरिए यहाँ आए थे।

अर्निका ने सबकी बातें अनसुनी कर इधर-उधर नजर दौड़ाई और बोली, "कहाँ बैठना है?"

बीच की रो में पहली बेंच खाली थी। उसने ईनाया को इशारा किया, और दोनों वहाँ जाकर बैठ गईं।

अंशुल भी उनके ठीक पीछे वाली बेंच पर बैठ गया। ईनाया कुछ कहने ही वाली थी कि तभी एक लड़का पीछे से आया और अंशुल के पास बैठते हुए बोला, "यार, तू यहाँ बैठ गया? मैं पीछे तेरे लिए सीट बचा रहा था!"




अंशुल मुस्कुराकर बोला, "कोई बात नहीं, यहाँ भी ठीक है। और ये दोनों मेरे दोस्त हैं, तो मैंने इनके पीछे बैठना सही समझा। वैसे भी, मुझे पता था कि तू मेरे साथ ही बैठेगा, इसलिए तेरे लिए सीट नहीं बचाई!"

फिर उसने ईनाया और अर्निका की ओर इशारा करते हुए अपने दोस्त से कहा, "वैसे, मिलो—ये हैं ईनाया और अर्निका। और ये जनाब हैं युवराज—मेरा बेस्ट फ्रेंड!"

तीनों ने एक-दूसरे को हाय कहा और हल्की बातचीत शुरू कर दी। क्लास में बैठी कई लड़कियाँ उन्हें साथ बात करते देख जल रही थीं।

कुछ देर बाद, एक खूबसूरत लड़की अर्निका के पास आई और विनम्र स्वर में बोली, "क्या मैं यहाँ बैठ सकती हूँ? अगर तुम्हें कोई परेशानी न हो तो।"

अर्निका ने उसकी तरफ देखा और हल्की मुस्कान के साथ कहा, "हाँ, बिल्कुल! बैठो।"

लड़की मुस्कुराई और सीट पर बैठते हुए बोली, "थैंक यू! वैसे, मेरा नाम बिहानी है। और तुम दोनों?"

ईनाया ने उत्साह से जवाब दिया, "मैं ईनाया और ये अर्निका!"

बिहानी ने खुशी जताते हुए कहा, "अच्छा लगा तुम दोनों से मिलकर! वै

अर्निका ने सिर हिलाते हुए कहा, "हाँ, और तुमसे मिल कर भी।

बिहानी हँसते हुए बोली, "मेरा भी! और हाँ, मैंने देखा था—जब तुम दोनों आई थीं, तब पूरी कॉलेज की नजरें बस तुम पर ही थीं!"




ईनाया ने मजाक में आँखें घुमाते हुए कहा, "हाँ, वो तो हमने भी नोटिस किया! पर हमें इसकी आदत नहीं है।"

इसी बीच, प्रोफेसर क्लास में दाखिल हुए। उन्हें देखते ही सारे स्टूडेंट्स अपनी-अपनी सीट पर सीधा बैठ गए, और क्लास में एकदम शांति छा गई। प्रोफेसर ने अपनी फाइल टेबल पर रखी, पूरे क्लास को एक नजर देखा, फिर मुस्कुराते हुए बोले,

"गुड मॉर्निंग, स्टूडेंट्स! मैं प्रोफेसर रणवीर मेहरा, और मैं इस बैच का हेड ऑफ डिपार्टमेंट हूँ। अगर तुम्हें कभी कोई परेशानी हो, तो मुझसे बेहिचक कह सकते हो। उम्मीद है, आप सभी अपने पहले दिन को एंजॉय कर रहे होंगे!"

कुछ स्टूडेंट्स हल्की मुस्कान के साथ सिर हिलाने लगे। ईनाया ने धीरे से अर्निका की तरफ देखा और फुसफुसाई, "ये प्रोफेसर कुछ ज्यादा ही फ्रेंडली लग रहे हैं!"

अर्निका ने हल्की मुस्कान दबाते हुए सिर हिलाया, लेकिन उसकी नजर अभी भी प्रोफेसर पर टिकी थी।

प्रोफेसर रणवीर ने बोर्ड की तरफ रुख किया और बोले, "आज हम किसी भी पढ़ाई से शुरुआत नहीं करेंगे। पहले मैं चाहता हूँ कि तुम सभी एक-दूसरे को थोड़ा बेहतर जानो। इसलिए, हम एक छोटा-सा इंट्रोडक्शन सेशन करेंगे। हर कोई अपना नाम, अपना इंटरेस्ट और तुम लोग कियू इस फील्ड में आए हो उसे बताना होगा।

सभी स्टूडेंट्स एक-दूसरे की तरफ देखने लगे। कुछ उत्साहित थे, तो कुछ थोड़े नर्वस।

अंशुल, जो अर्निका और ईनाया के पीछे बैठा था, धीरे से फुसफुसाया, "अब मज़ा आएगा!"

ईनाया ने हल्की हंसी दबाते हुए कहा, "हाँ, अब देखना कौन-कौन क्या बोलता है!"



जैसे ही प्रोफेसर ने पहली सीट पर बैठे स्टूडेंट की तरफ इशारा किया और कुछ कहने वाले थे, तभी दरवाजे से एक लड़की की आवाज आई,

"सर, क्या मैं अंदर आ सकती हूँ?"

उसकी आवाज सुनते ही प्रोफेसर के साथ-साथ पूरी क्लास का ध्यान दरवाजे की तरफ चला गया।

दरवाजे पर एक लड़की खड़ी थी, जो दिखने में अच्छी थी लेकिन उसका मेकअप थोड़ा ज्यादा था। उसकी ड्रेस किसी कॉलेज स्टूडेंट से ज्यादा किसी पार्टी में पहने वाली ड्रेस लग रही थी, और उसकी बॉडी लैंग्वेज से साफ झलक रहा था कि वह किसी अमीर घर से ताल्लुक रखती है।

वह पूरे एटिट्यूड के साथ खड़ी रही, जबकि प्रोफेसर ने हल्की नाराजगी भरी आवाज़ में पूछा,

"पहले ही दिन लेट? क्यों?"

लड़की ने बेफिक्री से मुस्कुराते हुए कहा,

"सॉरी सर, ट्रैफिक की वजह से देर हो गई। वैसे भी, मेरे साथ दो बॉडीगार्ड थे, फिर भी समय लग ही गया।"

प्रोफेसर ने गहरी सांस लेते हुए कहा,

"अच्छा, अंदर आओ। लेकिन आगे से ध्यान रहे कि समय पर पहुँचना है।"

लड़की ने सिर हिलाया और पूरे आत्मविश्वास के साथ क्लास में कदम रखा। उसकी चाल-ढाल और हावभाव से साफ झलक रहा था कि वह घमंडी स्वभाव की होगी।

बैठने के लिए जगह ढूँढते हुए उसकी नजरें क्लास में घूमीं, और फिर वह कियारा की ओर देखने लगी…

कियारा ने मुस्कुराते हुए उसे बुलाया, "रिया! इधर आ जाओ।"

रिया ने एक नजर क्लास में घुमाई और फिर स्टाइल से चलते हुए कियारा के बगल वाली सीट पर बैठ गई। धीरे से मुस्कुराते हुए बोली, "थैंक्स, बेब!"

अर्निका और ईनाया ने एक-दूसरे को देखा लेकिन कुछ नहीं कहा।

रिया की नजर जब अर्निका और ईनाया पर पड़ी, तो वह अनजाने में ही उनकी खूबसूरती को देखकर जलने लगी। उसे हमेशा लगता था कि वही सबसे सुंदर और आकर्षक है, लेकिन इन्हें देखकर उसे पहली बार ऐसा महसूस हुआ कि कोई उससे भी ज्यादा ग्लैमरस और ग्रेसफुल हो सकता है।

रिया के आने के बाद प्रोफेसर ने फिर से इंट्रोडक्शन जारी रखने को कहा। पहली बेंच से एक स्टूडेंट खड़ी हुई और आत्मविश्वास से बोली,
"हाय, मेरा नाम मेघा है। मैं मुंबई से हूँ और यहीं से अपनी स्कूलिंग भी की है। बचपन से मेरा सपना डॉक्टर बनने का था, और इसे पूरा करने के लिए मैंने बहुत मेहनत की। अब यहाँ आकर मुझे लग रहा है कि मैं अपने सपने की पहली सीढ़ी चढ़ चुकी हूँ।"

इसके बाद अगला स्टूडेंट खड़ा हुआ, "हाय, मैं रोहित! मैं पुणे से हूँ और मेडिकल फील्ड में मेरी गहरी रुचि है। मेरे परिवार का भी सपना था कि मैं डॉक्टर बनूँ और समाज की सेवा करूँ। इसलिए, मैं यहाँ पूरी मेहनत के साथ आया हूँ।"

धीरे-धीरे सभी स्टूडेंट्स ने अपना इंट्रोडक्शन दिया। कोई अपने करियर गोल्स के बारे में बात कर रहा था, तो कोई अपनी हॉबीज़ और इंटरेस्ट साझा कर रहा था।

थोड़ी देर बाद, रिया की बारी आई। वह पूरे आत्मविश्वास के साथ खड़ी हुई और अपने खास अंदाज में बोली,
"हाय, मैं रिया मल्होत्रा! जैसा कि आप सब जानते हैं, मैं इंडिया के टॉप 30 बिजनेस फील्ड में आने वाली मल्होत्रा इंडस्ट्रीज के मालिक की सबसे छोटी बेटी हूँ। लेकिन डॉक्टर बनने का सपना मेरा खुद का है, बचपन से!"

उसकी बात सुनकर क्लास में हल्की हलचल मच गई। कुछ स्टूडेंट्स मुस्कुराए, तो कुछ ने नजरें घुमा लीं। सभी को समझ आ गया कि रिया अपनी अमीरी का दिखावा कर रही थी। लेकिन यहाँ मौजूद अधिकतर स्टूडेंट्स पहले से ही अच्छी फैमिली बैकग्राउंड से थे, और सभी ने अपनी मेहनत के दम पर यहाँ एडमिशन लिया था। इसलिए उसकी बातों पर किसी ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया।

प्रोफेसर रणवीर ने हल्का सा माथा दबाते हुए उसे बैठने का इशारा किया और फिर अर्निका की बेंच की तरफ देखकर बोले, "अब तुम लोग अपना इंट्रोडक्शन दो।"

सबसे पहले अर्निका खड़ी हुई और उसने सहजता से कहा, "मेरा नाम अर्निका त्रिपाठी है। मैं बनारस से हूँ और अपनी पढ़ाई वहीं से पूरी की है।"

जैसे ही उसने इतना कहा, प्रोफेसर रणवीर के चेहरे पर एक पहचानभरी मुस्कान आई। उन्होंने उत्सुकता से पूछा, "तो तुम ही वो हो, जिसने इस साल के मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम में पूरे देश में टॉप किया है?"

अर्निका हल्का मुस्कुराई और सिर हिलाकर बोली, "हाँ, सर!"

यह सुनते ही पूरी क्लास में हलचल मच गई। सभी स्टूडेंट्स हैरान थे। किसी ने भी नहीं सोचा था कि यह साधारण-सी दिखने वाली लड़की पूरे देश की टॉपर होगी।

प्रोफेसर ने गर्व से कहा, "बहुत बढ़िया! हमें उम्मीद नहीं थी कि तुम हमारे कॉलेज को चुनोगी, लेकिन यह हमारे लिए गर्व की बात है। साथ ही, तुम्हें पूरे साल की स्कॉलरशिप भी मिली है। मुझे पूरा भरोसा है कि अपनी मेहनत से तुम हमारे कॉलेज का नाम रोशन करोगी और एक बेहतरीन डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करोगी।"

अर्निका ने आत्मविश्वास से जवाब दिया, "मैं पूरी कोशिश करूंगी, सर!"

क्लास में कुछ लोग प्रभावित थे, तो कुछ चुपचाप बैठे थे। रिया, जिसने खुद को सबसे ऊपर समझ रखा था, अब अंदर ही अंदर जल रही थी…

अब ईनाया की बारी थी। वह जोश से खड़ी हुई और मुस्कुराते हुए बोली, "हाय, मैं ईनाया शुक्ला! मैं भी बनारस से हूँ और मेरी पढ़ाई भी वहीं से हुई है। मुझे नई जगहें एक्सप्लोर करना और एडवेंचर बहुत पसंद है। यहाँ मैं सिर्फ एक काबिल डॉक्टर बनने ही नहीं, बल्कि अपनी लाइफ खुलकर जीने भी आई हूँ!"

उसकी एनर्जी और बेफिक्र अंदाज़ देखकर कुछ स्टूडेंट्स हल्का मुस्कुराए, और अंशुल ने भी उसकी ओर देखकर हल्की मुस्कान दी।

धीरे-धीरे, सभी स्टूडेंट्स ने अपना इंट्रोडक्शन पूरा किया। प्रोफेसर रणवीर ने पूरी क्लास पर नज़र दौड़ाई और बोले, "अब जब आप सब एक-दूसरे को थोड़ा-बहुत जान चुके हैं, तो उम्मीद करता हूँ कि आगे भी आप लोग इसी तरह एक अच्छा माहौल बनाए रखेंगे। अब, आज का पहला टॉपिक शुरू करते हैं..."

इसके बाद क्लास में पढ़ाई का माहौल बन गया। सभी स्टूडेंट्स प्रोफेसर की बातें ध्यान से सुनने लगे, और कॉलेज का पहला दिन धीरे-धीरे अपनी रफ्तार पकड़ने लगा।












आगे किया होगा जानने के लिये मेरी कहानी रूह से रूह तक पढ़ते रहिए 

अगर कहीं कोई गलती हो गई हो, तो मुझे माफ कर दीजिएगा।

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