अंधेरी रात, बरसते बादल और सूनी सडक. कोने में बैठा एक फटेहाल बूढा आदमी, मैली दाढी, गंदे कपडे, हाथ में लोहे का कटोरा. राहगीर उसे नजरअंदाज करते, कुछ लोग सिक्के फेंककर आगे बढ जाते. कोई नहीं जानता था कि ये झुका हुआ बूढा असल में शहर का सबसे बडा नाम था—कबीर मल्होत्रा. वो हर रात अपने झोपडे में लौटता, और जैसे ही अंधेरा फैलता, उसकी झोपडी का फर्श खुल जाता. नीचे उतरते ही सुनहरी दीवारें, हीरे- जवाहरात, सोने के बक्से, पेंटिंग्स और दुर्लभ हथियारों से भरा तहखाना. कबीर अपने मैले कपडे उतारकर रेशमी शेरवानी पहनता, कटोरे की जगह हाथ में जाम उठाता और आईने में देखते हुए खुद से कहता, दुनिया मुझे भिखारी समझती है, और यही मेरी सबसे बडी ताकत है।
सोने का पिंजरा - 1
अंधेरी रात, बरसते बादल और सूनी सडक. कोने में बैठा एक फटेहाल बूढा आदमी, मैली दाढी, गंदे कपडे, हाथ लोहे का कटोरा. राहगीर उसे नजरअंदाज करते, कुछ लोग सिक्के फेंककर आगे बढ जाते. कोई नहीं जानता था कि ये झुका हुआ बूढा असल में शहर का सबसे बडा नाम था—कबीर मल्होत्रा. वो हर रात अपने झोपडे में लौटता, और जैसे ही अंधेरा फैलता, उसकी झोपडी का फर्श खुल जाता. नीचे उतरते ही सुनहरी दीवारें, हीरे- जवाहरात, सोने के बक्से, पेंटिंग्स और दुर्लभ हथियारों से भरा तहखाना. कबीर अपने मैले कपडे उतारकर रेशमी शेरवानी पहनता, कटोरे की जगह हाथ में ...Read More