गोली. किसे लगी?
अरमान कमिश्नर के शब्द फैक्ट्री की दीवारों में गूंजे. हर कोई हैरान था. धुएँ और अफरा- तफरी के बीच सायरन की आवाजें, चीखें और पुलिस की बूटों की धमक लगातार गूँज रही थीं.
कबीर ने अपनी छाती पर हाथ रखा. उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी.
लगता है मौत मुझे लेने से पहले. मुझसे डर गई।
रियाज की बंदूक जमीन पर गिर चुकी थी. जारिन हक्के- बक्के खडा था. पुलिस ने दोनों को हथकडियों में जकड लिया. लेकिन रहस्य वहीं अधूरा रह गया कि गोली किसे लगी थी.
अगली सुबह – कबीर का महल
सूरज की सुनहरी किरणें कबीर मल्होत्रा के आलीशान बंगले पर बिखरी थीं. यह बंगला महज एक इमारत नहीं, बल्कि कबीर की असली पहचान और उसके साम्राज्य की ताकत का प्रतीक था. सामने नीला स्विमिंग पूल, चारों तरफ हरियाली, और लंबा ड्राइववे जिस पर एक साथ पाँच से छ: लग्जरी कारें चमक रही थीं—ब्लैक रोल्स- रॉयस, ब्लू लैम्बॉर्गिनी, सिल्वर मर्सिडीज मेबैक, और एक चमकदार रेड फेरारी.
अंदर, डाइनिंग हॉल किसी राजमहल से कम नहीं लग रहा था. लंबे क्रिस्टल चांडेलियर की रोशनी में महँगी क्रॉकरी सजी थी—सोने की किनारी वाले कप- प्लेट, चमकते हुए सिल्वर चम्मच, और मार्बल टेबल पर महँगे नाश्ते की डिशेज.
नौकरों की कतार लगी थी. कोई जूस परोस रहा था, कोई टोस्ट, कोई कॉफी.
कबीर मल्होत्रा गहरे नेवी ब्लू रेशमी गाउन में धीरे- धीरे सीढियों से नीचे उतरा. उसके चेहरे पर वही निडर आत्मविश्वास था जो कल रात फैक्ट्री में भी दिखा था.
नूरा ने हैरत से कहा,
कबीर. ये तुम्हारा असली चेहरा है?
कबीर ने हल्की मुस्कान के साथ कहा,
नूरा, लोग मुझे अब तक भिखारी समझते रहे. असलियत ये है कि मैं अपने राज छुपाकर जिंदा था. ताकत हमेशा पर्दे के पीछे ज्यादा असर करती है. और अब. परदा हट चुका है।
महल का सबसे खूबसूरत कमरा
कबीर का कमरा बंगले की शान था. अंदर कदम रखते ही ऐसा लगता था जैसे किसी फिल्मी सेट पर पहुँच गए हों.
दीवारों पर दुर्लभ पेंटिंग्स टंगी थीं, फर्श पर मखमली गहरे लाल कालीन, और कमरे के बीचोंबीच एक किंग- साइज बेड, जिस पर काले- सुनहरे रेशमी परदे लटक रहे थे. बेड के पास सजी हुई क्रिस्टल की लैंप लाइट्स, जिनसे नरम रोशनी फैल रही थी.
सामने एक विशाल शीशे की अलमारी थी, जिसमें महँगे सूट, इटालियन शर्ट्स और ब्रांडेड शूज करीने से रखे थे. कोने में एक छोटा बार था, जिसमें विंटेज वाइन और महँगी स्कॉच बोतलों की चमक नजर आ रही थी.
कबीर ने आदित्य से कहा,
कल रात का खेल खत्म नहीं हुआ है. गोली चली थी. लेकिन सवाल ये है कि ट्रिगर किसने दबाया? रियाज तो पुलिस के शिकंजे में था, जारिन के हाथ काँप रहे थे. फिर गोली किसने चलाई?
समीर ने गंभीर आवाज में कहा,
मतलब. कोई तीसरा खिलाडी है. कोई ऐसा जो पर्दे के पीछे से ये सब चला रहा है।
कमरे की हवा अचानक भारी हो गई.
एक नया रहस्य
तभी नौकर अंदर आया और बोला,
सर, आपके लिए एक पैकेट आया है. किसी अनजान शख्स ने गेट पर छोड दिया।
कबीर ने पैकेट खोला. अंदर एक ब्लैक एन्वलप था. उसमें लिखा था:
कबीर मल्होत्रा, खेल अभी शुरू हुआ है. गोली सिर्फ चेतावनी थी. असली वार अब होगा. – तुम्हारा असली दुश्मन।
कबीर ने लिफाफे को कसकर पकडा. उसकी आँखों में गुस्से और जिज्ञासा की आग भडक रही थी.
नूरा ने काँपते स्वर में कहा,
तो इसका मतलब. जारिन और रियाज तो बस मोहरे थे. असली मास्टरमाइंड अब भी छुपा है।
शानो- शौकत का सच
कबीर ने खिडकी से बाहर देखा. बंगले के लॉन में नौकरानी फूलों को पानी दे रही थी. गार्ड्स अपनी बंदूकें थामे चौकन्ने खडे थे. लग्जरी कारों पर धूप की चमक पड रही थी.
उसने धीमी आवाज में कहा,
ये महल, ये गाडियाँ, ये दौलत. सब असली ताकत का सबूत हैं. लोग सोचते हैं कि भिखारी कबीर महज एक मजाक था. लेकिन भिखारी बनकर मैंने शहर के हर गली- कूचे का सच देखा. और अब. इस महल से मैं अपनी जंग लडूँगा. असली जंग।
नूरा ने कहा,
लेकिन कबीर, अगर कोई और छुपा खिलाडी है, तो वो हमसे कहीं ज्यादा ताकतवर होगा. रियाज और जारिन दोनों उसी के इशारों पर खेल रहे थे. ये मामला और गहरा है।
कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा,
नूरा, जिस दिन मेरी जिंदगी आसान हो जाएगी, उसी दिन मेरी कहानी खत्म हो जाएगी. और अभी. ये कहानी अपनी असली ऊँचाई पर पहुँची है।
रहस्यमयी दस्तावेज
आदित्य ने टेबल पर कुछ फाइलें रखीं.
कबीर, पुलिस ने रियाज के लैपटॉप से कुछ फाइलें बरामद की हैं. उसमें किसी ‘ब्लैक शैडो’ नाम के शख्स का जिक्र है. हर डील, हर काला कारोबार. सब उसी के इशारे पर हो रहा था. लेकिन उसकी असली पहचान कोई नहीं जानता।
समीर ने जोडा,
और गोली. वही चला सकता है. उसने हमें ये संदेश दिया है कि असली लडाई अब शुरू हुई है।
कबीर ने दस्तावेज उठाकर देखा. हर पन्ने पर नकली कंपनियों, विदेशी खातों और गुप्त हथियार सौदों का जिक्र था.
उसने ठंडी सांस लेते हुए कहा,
तो ब्लैक शैडो. ये नाम अब मेरी जिंदगी की सबसे बडी लडाई बनने वाला है।
सस्पेंस का बोझ
शाम ढल रही थी. बंगले के बाहर सुरमई आसमान और हवा में अजीब- सी बेचैनी थी. कबीर अपने कमरे की बालकनी में खडा था. नीचे महँगे कारों की लाइन थी. नौकरानियाँ रात का खाना सजाने में लगी थीं.
नूरा उसके पास आई और धीरे से बोली,
कबीर. कभी- कभी मुझे डर लगता है. ये जंग कहीं हमसे सब कुछ छीन न ले. दौलत, शानो- शौकत. यहां तक कि जिंदगी भी।
कबीर ने उसकी ओर देखा और बोला,
नूरा, मैं दौलत नहीं, इज्जत के लिए लड रहा हूँ. ये महल, ये कारें. सब मेरे जख्मों के ऊपर का लेप हैं. लेकिन असली जख्म. वो है, जिसने मुझे भिखारी बनने पर मजबूर किया था. और मैं कसम खाता हूँ, उस शख्स का चेहरा सामने लाऊँगा।
नूरा की आँखों में आँसू थे.
और अगर वो चेहरा. किसी अपने का निकला तो?
कबीर ने जवाब नहीं दिया. सिर्फ खामोशी ने माहौल को और रहस्यमय बना दिया.
क्लाइमेक्स की तरफ
अचानक फोन की घंटी बजी. आदित्य ने रिसीवर उठाया और चेहरा सफेद पड गया.
कबीर. बुरी खबर है. रियाज और जारिन को पुलिस वैन से भागा लिया गया है. किसी ने उनके काफिले पर हमला किया. और दोनों फरार हो गए।
सन्नाटा छा गया.
कबीर ने धीमे लेकिन कठोर स्वर में कहा,
तो खेल सचमुच शुरू हो चुका है. ब्लैक शैडो ने पहला वार कर दिया है. अब असली जंग होगी।
कहानी यहीं ठहरती है.
क्या ब्लैक शैडो कोई नया दुश्मन है?
या किसी पुराने चेहरे के पीछे छुपा हुआ असली भेडिया?
क्या कबीर अपनी अमीरी और ताकत से इस रहस्य को सुलझा पाएगा?
या इस शानो- शौकत का साम्राज्य आने वाले तूफान में ढह जाएगा?
अगला मोड. और भी खतरनाक होगा.
रात गहराती जा रही थी. कबीर मल्होत्रा अपने कमरे की बालकनी में खडा दूर आसमान को देख रहा था. हल्की हवा उसके चेहरे को छूकर गुजर रही थी, लेकिन उसके भीतर का तूफान किसी भी ठंडी हवा से शांत होने वाला नहीं था.
नीचे ड्राइववे में गार्ड्स गश्त कर रहे थे. लग्जरी कारें लाइन से खडी थीं, उनकी धातु पर चाँदनी चमक रही थी. बंगले की ऊँचाई से नीचे देखते हुए कबीर को महसूस हो रहा था कि यह महल उसकी ताकत का किला है, लेकिन दुश्मन अब इस किले की दीवारों तक आ चुका है.
रहस्यमय फोन Call
अचानक उसका मोबाइल वाइब्रेट हुआ. स्क्रीन पर कोई नंबर नहीं था—सिर्फ Private Caller।
कबीर ने Call उठाई.
एक भारी आवाज आई,
कबीर मल्होत्रा. शेर का शिकारी हमेशा छाया में होता है. तूने कल रात हमें रोकने की कोशिश की. लेकिन ये तो बस शुरुआत थी।
कबीर की भौंहें सिकुड गईं.
कौन हो तुम? सामने आओ अगर हिम्मत है।
आवाज ठंडी हँसी में बदल गई.
मुझे सामने आने की जरूरत नहीं. मेरे लिए जारिन और रियाज काफी हैं. और अब. तुम्हारे अपने ही लोग तुम्हारे खिलाफ खडे होंगे. तैयार रहना।
Call cut गया.
नूरा कमरे में दाखिल हुई. उसने कबीर के चेहरे की गंभीरता देखी.
किसका फोन था?
कबीर ने गहरी सांस ली,
ब्लैक शैडो।
नूरा के चेहरे से रंग उड गया.
रहस्य और विश्वासघात
सुबह होते ही बंगले का हॉल Meeting Room में बदल गया. आदित्य, समीर, नूरा और कुछ भरोसेमंद लोग मौजूद थे. मेज पर फाइलें, नक्शे और रिपोर्ट्स बिखरी थीं.
आदित्य बोला,
कबीर, हमें खबर मिली है कि रियाज और जारिन किसी गुप्त ठिकाने में छिपे हैं. लेकिन ये भी पक्का है कि ब्लैक शैडो ने उन्हें वहीं रखा है ताकि हमें जाल में फँसाया जा सके।
समीर ने जोडा,
मतलब, ये जगह हमारे लिए जाल हो सकती है।
कबीर ने ठंडे स्वर में कहा,
जाल हो या मौत का कुआँ. मुझे वहाँ जाना ही होगा. अगर असली दुश्मन सामने आना चाहता है, तो मैं भागने वालों में से नहीं हूँ।
नूरा ने विरोध किया,
कबीर, तुम खुद को मौत के मुँह में धकेल रहे हो. याद रखो, ब्लैक शैडो सिर्फ एक इंसान नहीं, वो पूरा नेटवर्क है।
कबीर ने मुस्कुराकर कहा,
नूरा, तूने खुद कहा था कि मैं मौत से नहीं डरता. और अगर इस खेल का अंत मेरी मौत में लिखा है. तो भी मैं इसे खेलूँगा।
बंगले की रात
उस रात महल का हर कोना चमक रहा था. गार्ड्स ने सुरक्षा और कडी कर दी थी. लेकिन महल के भीतर एक अजीब बेचैनी थी.
कबीर अपने कमरे में बैठा व्हिस्की का गिलास थामे दस्तावेज देख रहा था. तभी अचानक बिजली चली गई.
पूरा महल अंधेरे में डूब गया. बाहर गार्ड्स की चीखें सुनाई दीं.
कबीर तुरंत खडा हो गया. उसने ड्रॉअर से पिस्तौल निकाली.
दरवाजा धीरे- धीरे चरमराकर खुला. एक काली परछाई कमरे में दाखिल हुई.
कौन है? कबीर गरजा.
परछाई ने जवाब नहीं दिया. अचानक तेज रोशनी चमकी. जब बिजली आई, तो सामने का नजारा देखकर कबीर के पैरों तले जमीन खिसक गई.
कमरे के बीच में, उसके आलीशान बिस्तर पर एक नकली लाश रखी थी—चेहरे पर कबीर का मास्क.
दीवार पर खून से लिखा था:
तुम्हारी मौत तय है. अगली बार नकली नहीं, असली होगी।
अंदर का गद्दार
सुबह होने पर महल में हडकंप मच गया. गार्ड्स पूछताछ कर रहे थे कि रात कोई अंदर कैसे पहुँचा.
आदित्य ने कहा,
ये तभी संभव है जब अंदर का कोई हमारा गद्दार हो।
कबीर की आँखों में आग जल उठी.
मतलब, दुश्मन सिर्फ बाहर नहीं, हमारे बीच भी छुपा है।
नूरा ने कांपती आवाज में कहा,
अगर दुश्मन हमारे ही किसी करीब का है, तो सबसे खतरनाक वार वही करेगा।
समीर बोला,
तो अब हमें हर किसी पर शक करना होगा।
कमरे का माहौल भारी हो गया. हर नजर हर किसी पर शक कर रही थी.
एक नई चाल
शाम को कबीर ने आदेश दिया कि सब लोग तैयार रहें. वह खुद अपने रोल्स- रॉयस में बैठा. ड्राइववे से निकलते हुए उसकी गाडी के पीछे ब्लैक लैम्बॉर्गिनी और गार्ड्स की दो गाडियाँ चल रही थीं.
काफिला शहर के किनारे एक पुराने गोदाम पर पहुँचा. यह वही जगह थी जिसके बारे में खबर मिली थी.
अंदर कदम रखते ही अंधेरा और धूल ने उनका स्वागत किया.
अचानक रोशनी जली. सामने रियाज और जारिन हथकडियों में बंधे थे. उनके गले पर चाकू टिकाए खडे नकाबपोश आदमी.
एक स्क्रीन जली और उस पर ब्लैक शैडो की परछाई दिखाई दी.
कबीर मल्होत्रा.
आवाज गूँजी.
तेरी दौलत, तेरी ताकत. सब कुछ छीन लिया जाएगा. तू सोचता है कि अमीरी तुझे बचा लेगी? नहीं. यही अमीरी तेरा सबसे बडा गुनाह है।
कबीर ने गुस्से में कहा,
अगर मर्द है तो सामने आ!
ब्लैक शैडो हँसा.
सामने आकर मैं अपनी ताकत क्यों खोऊँ? असली ताकत छुपकर वार करने में है. और तुझे तोहफा दूँगा. तेरे ही किसी अपने की लाश का।
स्क्रीन बंद हो गया.
खून का खेल
अचानक नकाबपोशों ने रियाज और जारिन को गोली मार दी. दोनों वहीं ढेर हो गए.
नूरा चीख उठी.
ये क्या कर दिया?
कबीर की आँखें लाल हो गईं.
तो ब्लैक शैडो ने अपने ही मोहरे कुर्बान कर दिए।
गोदाम में अराजकता फैल गई. गोलियाँ चलने लगीं. कबीर, आदित्य और समीर ने मुकाबला शुरू किया.
गोलियों की गूंज, चीखें, और बारूद की गंध हवा में भर गई.
किसी तरह कबीर ने नकाबपोशों को पीछे धकेला. लेकिन जब धुआँ छँटा, तो ब्लैक शैडो की परछाई गायब थी.
महल का राज
वापस बंगले लौटते ही कबीर ने अपने कमरे की अलमारी खोली. एक पुराना ब्रीफकेस बाहर निकाला. उसमें पुराने अखबारों की कटिंग्स, पुरानी तस्वीरें और एक फटी हुई डायरी थी.
उसने तस्वीरों पर उंगली फेरते हुए कहा,
ये खेल आज का नहीं है. ये कहानी बहुत पुरानी है. मेरी बर्बादी की जड यहीं छुपी है।
नूरा ने डायरी उठाई. उसमें लिखा था—
कभी अमीरी मेरी शान थी. लेकिन उसी अमीरी ने मेरे अपनों को मुझसे छीन लिया. आज जो भिखारी कहलाता हूँ, वो कल का सबसे बडा वारिस था।
नूरा ने हैरान होकर पूछा,
कबीर, ये डायरी किसकी है?
कबीर ने ठंडी आवाज में कहा,
मेरे बाप की।
क्लाइमेक्स की तैयारी
उसकी आँखों में आँसू थे लेकिन साथ ही आग भी.
मेरे बाप की मौत कोई हादसा नहीं थी. ये साजिश थी. और अब. मुझे शक है कि उसी साजिश के पीछे ब्लैक शैडो है।
कमरे में सन्नाटा छा गया.
आदित्य ने काँपते स्वर में कहा,
मतलब. ये लडाई तेरे खून और वंश की है।
कबीर ने सिर झुकाकर कहा,
हाँ. और जब तक मैं उस छुपे भेडिए का चेहरा नहीं देख लूँगा, चैन से नहीं बैठूँगा।
कहानी यहीं रुकती है.
अब सवाल यह है—
क्या ब्लैक शैडो वही शख्स है जिसने कबीर के बाप को मारा?
क्या उसके अपने लोग ही उसके खिलाफ हैं?
या महल की दीवारों में ही वह रहस्य छुपा है जो सबको हिला देगा?
अगला मोड अब और भी घातक होगा.
रात का सन्नाटा
महल के भीतर गहरी खामोशी थी. बाहर हवाएँ पेडों को झकझोर रही थीं, जैसे वे भी किसी आने वाले तूफान की आहट महसूस कर रही हों. कबीर अपने कमरे में अकेला बैठा था. टेबल पर फैली डायरी और पुरानी तस्वीरें उसकी आँखों में अतीत का सारा दर्द ताजा कर रही थीं.
उसने धीरे से डायरी खोली. पन्नों पर लिखे शब्द खून की तरह लग रहे थे.
मल्होत्रा वंश का वारिस एक दिन सबकुछ खो देगा. उसके अपने ही उसकी मौत का सौदा करेंगे।
कबीर की मुट्ठियाँ कस गईं.
तो ये सब पहले से लिखा गया था. मेरे बाप की मौत कोई हादसा नहीं. बल्कि एक साजिश थी. और अब वही साजिश मेरी जिंदगी को भी निगलना चाहती है।
नूरा का सवाल
दरवाजा धीरे से खुला. नूरा कमरे में दाखिल हुई. उसकी आँखों में चिंता थी.
कबीर, कब तक इस अतीत की राख में सुलगते रहोगे? ये खेल सिर्फ तुम्हारा नहीं रहा. अब इसमें हमारी जिंदगियाँ भी दाँव पर लगी हैं।
कबीर ने गहरी साँस ली.
नूरा, तुम समझती क्यों नहीं? मेरे बाप की मौत का सच ही ब्लैक शैडो की असली पहचान बताएगा. जब तक मैं उस चेहरा नहीं देख लेता, तब तक ये जंग खत्म नहीं होगी।
नूरा ने काँपती आवाज में कहा,
और अगर वो चेहरा किसी अपने का हुआ तो?
कबीर की आँखों में ठंडी चमक थी.
तो खून अपने का हो या पराए का. गद्दारी की सिर्फ एक सजा होती है—मौत।
नई खोज
अगले दिन सुबह, आदित्य और समीर फाइलों का ढेर लेकर आए.
आदित्य बोला,
कबीर, हमने उन डॉक्यूमेंट्स को गहराई से देखा. ब्लैक शैडो सिर्फ कोई अपराधी नहीं है. वो मल्होत्रा इंडस्ट्रीज से भी जुडा हुआ है. तुम्हारे बाप के वक्त कुछ शेयर गुप्त तरीके से बेचे गए थे. और वही हिस्सा अब किसी और के हाथ में है।
समीर ने नक्शा खोला.
ये देखो—महल के नीचे एक गुप्त तहखाना है. ये तहखाना तुम्हारे बाप ने ही बनवाया था. शायद उसमें वो सबूत हों जो उनकी मौत का सच खोलेंगे।
कबीर की आँखों में हैरानी और जिज्ञासा थी.
तो आज रात हम उसी तहखाने का दरवाजा खोलेंगे।
तहखाने का रहस्य
रात गहरी हो चुकी थी. कबीर, आदित्य, समीर और नूरा टॉर्च लेकर महल के पीछे बने पुराने हिस्से में पहुँचे. धूल और मकडी के जाले उस जगह को भुतहा बना रहे थे.
दीवार के पीछे एक लोहे का दरवाजा छुपा था. कबीर ने जोर लगाया और दरवाजा चरमराकर खुला.
अंदर लंबी सीढियाँ नीचे जा रही थीं. हवा में सीलन और जंग की गंध थी.
सीढियों से उतरते ही उन्होंने देखा—एक विशाल कमरा, जिसमें पुराने बक्से, कागजात और हथियार रखे थे. लेकिन सबसे कोने में एक बडा तिजोरीनुमा बक्सा पडा था.
कबीर ने ताला तोडा. अंदर फाइलें, पुरानी रिकॉर्डिंग टेप्स और एक खून से सना कपडा था.
नूरा ने दबी आवाज में कहा,
ये. तुम्हारे बाप के खून का कपडा हो सकता है।
कबीर की आँखों में आँसू तैर गए, लेकिन उसने खुद को संभाला.
हैरतअंगेज सबूत
आदित्य ने टेप चलाया. आवाज गूँजी—
अगर मुझे कुछ हो जाए. तो समझ लेना कि गद्दार हमारे ही बीच है. मल्होत्रा वंश का सबसे बडा दुश्मन वही होगा जो आज मेरा सबसे नजदीकी कहलाता है।
टेप यहीं खत्म हो गया.
कबीर की रूह काँप गई.
मतलब. मेरे बाप को उनके अपने ही ने मारा. और ब्लैक शैडो वही है।
समीर ने कहा,
लेकिन सवाल ये है कि वो ‘अपना’ कौन है?
तभी अचानक तहखाने की लाइट बंद हो गई. अंधेरे में गोलियों की आवाज गूँजी.
सब लोग फर्श पर गिर गए. कबीर ने टॉर्च जलाई तो देखा—दरवाजा बाहर से बंद कर दिया गया है.
मौत का जाल
धुआँ भरने लगा. किसी ने तहखाने में जहरीली गैस छोड दी थी.
नूरा खाँसते हुए बोली,
कबीर. ये हमें जिंदा नहीं छोडना चाहते।
कबीर ने दीवार तोडने की कोशिश की. आदित्य और समीर ने साथ दिया. आखिरकार, दीवार का एक हिस्सा टूट गया और वे किसी तरह बाहर निकलने में सफल हुए.
बाहर आकर उन्होंने देखा—महल के गार्ड्स बुरी तरह घायल पडे थे. कोई अंदर घुसा और सबको बेहोश कर गया था.
कबीर की आँखें लाल हो गईं.
ब्लैक शैडो. अब तूने मेरी सीमा पार कर दी है।
शक की सूई
सुबह होते ही कबीर ने अपने भरोसेमंद लोगों को बुलाया. लेकिन उसके दिमाग में शक की सूई घूम रही थी.
उसने सबकी आँखों में देखा.
मेरे बाप का कातिल मेरे ही करीब है. और वही ब्लैक शैडो है. सवाल ये है—वो कौन है?
नूरा ने धीरे से कहा,
कहीं. आदित्य या समीर तो नहीं?
कमरा अचानक ठंडा पड गया. आदित्य और समीर एक- दूसरे को देखने लगे.
कबीर ने हाथ उठाकर सबको शांत किया.
मैं अभी किसी पर इल्जाम नहीं लगाऊँगा. लेकिन सच बहुत जल्द बाहर आएगा।
रहस्यमयी पार्टी
शाम को कबीर को एक निमंत्रण मिला. शहर के सबसे बडे होटल में एक गुप्त पार्टी का न्यौता. उस पर सिर्फ इतना लिखा था—
अगर सच जानना है तो यहाँ आओ।
कबीर ने ब्लैक सूट पहना. महँगी घडी और काले जूते पहनकर वह अपनी रोल्स- रॉयस में बैठा. नूरा, आदित्य और समीर भी उसके साथ थे.
होटल का हॉल जगमगा रहा था. चारों ओर अमीर लोग, राजनीति के चेहरे और अजनबी बिजनेसमैन मौजूद थे. लेकिन माहौल में अजीब- सा डर छुपा था.
अचानक माइक पर आवाज गूँजी—
स्वागत है, कबीर मल्होत्रा. आज तुम्हें तुम्हारे बाप के कातिल का चेहरा दिखेगा।
सभी की नजरें मंच की ओर उठीं.
चौंकाने वाला खुलासा
परदे हटे और वहाँ खडा था—अरमान कमिश्नर!
कबीर की साँसें थम गईं.
अरमान. तुम?
अरमान की आँखों में ठंडी हँसी थी.
हाँ, कबीर. मैं ही ब्लैक शैडो हूँ. तुम्हारे बाप ने मुझे अपने साम्राज्य का हिस्सा बनाने से इंकार कर दिया था. उसने मुझे नीचा दिखाया. और मैंने उसकी जिंदगी छीन ली. अब तुम्हारी बारी है।
नूरा की आँखों से आँसू बह निकले.
तो ये सब तुम कर रहे थे. पुलिस की वर्दी पहनकर गद्दारी!
अरमान हँसा.
यही तो असली ताकत है. सामने वाला मुझे रक्षक समझे, जबकि मैं ही उसका कातिल बन जाऊँ।
कबीर की मुट्ठियाँ कस गईं.
अरमान! अब तू मौत से बच नहीं पाएगा।
क्लाइमेक्स की शुरुआत
अरमान ने इशारा किया. नकाबपोशों की पूरी फौज हॉल में उतर आई. मशीन गनें, ग्रेनेड और हथियार हर तरफ चमकने लगे.
कबीर ने भी अपनी बंदूक निकाली. आदित्य और समीर उसके साथ खडे थे.
तो अब खेल खुले मैदान में होगा, कबीर गरजा.
हॉल में गोलियों की बरसात शुरू हो गई. लोग चीखते हुए भागने लगे. काँच के शीशे टूटे, मेजें बिखरीं, और हर तरफ बारूद की गंध फैल गई.
कबीर और अरमान आमने- सामने खडे थे. दोनों की आँखों में नफरत और बदला जल रहा था.
कहानी यहीं रुकती है.
अब सवाल ये है—
क्या कबीर अपने बाप के कातिल को मार पाएगा?
क्या आदित्य और समीर सचमुच उसके साथी हैं या उनमें से कोई गद्दार निकलेगा?
क्या नूरा इस जंग में बच पाएगी?
अगला मोड. मौत और सच का सबसे बडा खेल होगा.
सुबह की पहली किरणें कबीर मल्होत्रा के महलनुमा बंगले की ऊँची- ऊँची खिडकियों से छनकर भीतर आईं. चारों ओर शांति थी, लेकिन उस शांति के बीच हर चीज से दौलत और ताकत की गूंज झलक रही थी. संगमरमर की चमकती फर्श, दीवारों पर लगी करोडों की पेंटिंग्स और झूमरों की जगमगाहट सब कुछ ये बयान कर रहे थे कि ये घर किसी आम इंसान का नहीं, बल्कि उस शख्स का है जिसकी पहुँच सत्ता के गलियारों से लेकर अंडरवर्ल्ड तक फैली हुई है.
कबीर अपने कमरे की बालकनी में खडा था. उसके हाथ में कॉफी का कप था, जो सोने की किनारी वाले कप में परोसा गया था. दूर सामने फैले हरे- भरे लॉन में माली काम कर रहे थे. नौकर- चाकरों की फौज इधर- उधर दौड- भाग कर रही थी.
कबीर( गहरी सोच में)
जिंदगी ने मुझे हर चेहरा दिखाया है. भिखारी की ठंडी जमीन से लेकर इस सोने के पिंजरे तक. लेकिन असली सुकून अब भी कहीं खोया हुआ है।
तभी उसका निजी सहायक समीर कमरे में दाखिल हुआ.
समीर:
साहब, नाश्ता तैयार है. शेफ ने आज आपके लिए पेरिस से मंगाए गए चीज और दुबई की खजूरों से बनी डिश तैयार की है।
कबीर( हल्की मुस्कान के साथ)
अच्छा है, लेकिन समीर. कभी- कभी सोचता हूँ ये महंगे स्वाद भी कितने बेरंग हैं. असली मजा तो सडक किनारे चाय की दुकान पर था, जहाँ एक कप चाय से पूरी थकान उतर जाती थी।
समीर कुछ कहना चाहता था लेकिन चुप रह गया.
कबीर डाइनिंग हॉल की ओर बढा. वो हॉल किसी राजा के दरबार से कम नहीं था. लंबी टेबल पर महंगी क्रॉकरी सजी थी. सोने की किनारी वाली प्लेट्स, हीरे जडे चम्मच, और विदेशी वाइन की बोतलें. टेबल के दोनों ओर नौकर खडे थे, मानो बस इशारे का इंतजार कर रहे हों.
नौकर:
साहब, आपका नाश्ता।
कबीर बैठा और सामने प्लेटें सजाई गईं—स्पेनिश ऑमलेट, कैवियार, फ्रेंच टोस्ट, और एक कटोरी में दुनिया की सबसे महंगी शहद.
कबीर ने एक कौर लिया, लेकिन अचानक उसकी आँखों के सामने पिछली रात का मंजर घूम गया—फैक्ट्री, गोलियों की गूंज, पुलिस का छापा, और वो रहस्यमयी गोली जिसकी गूंज अब तक उसके कानों में थी.
कबीर( धीरे से बडबडाते हुए)
वो गोली किसे लगी थी? कौन था वो नया खिलाडी.
तभी टीवी पर खबर चलने लगी.
न्यूज एंकर( टीवी पर)
पिछली रात फैक्ट्री से पुलिस ने करोडों की नकदी और हथियार बरामद किए. जारिन और रियाज खान को हिरासत में लिया गया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक फैक्ट्री से भागने में किसी रहस्यमयी व्यक्ति ने मदद की. पुलिस इस नए चेहरे की तलाश कर रही है।
कबीर ने टीवी बंद कर दिया. उसकी आँखों में हल्की बेचैनी थी.
कबीर की जिंदगी की परतें
डाइनिंग हॉल से उठकर वो अपने कमरे की ओर चला. रास्ते में दीवारों पर लगी तस्वीरों ने उसका ध्यान खींचा. एक तस्वीर में वो अपने बचपन में फटे कपडों में दिखाई दे रहा था. दूसरा फोटो, जब उसने पहली बार बिजनेस में कदम रखा. तीसरा, जब उसने पहली बडी डील कर करोडों कमाए.
वो अपने कमरे में पहुँचा—वो कमरा, जो किसी पाँच सितारा होटल के प्रेसिडेंशियल सुइट से भी ज्यादा भव्य था. दीवारें इटली के मार्बल से बनीं, छत पर सोने की नक्काशी, और कमरे के बीचोंबीच रखा एक विशाल किंग- साइज बेड जिस पर सिल्क की चादरें बिछी थीं.
उसने अलमारी खोली. भीतर महंगे ब्रांड्स के सूट, टक्सीडो, और शूज की कतार थी. घडियों का कलेक्शन, जिसमें हर एक की कीमत करोडों में थी.
कबीर( आईने में खुद से)
आज की दुनिया मुझे कबीर मल्होत्रा के नाम से जानती है. लेकिन कोई नहीं जानता कि कभी मैं सडकों पर भीख माँगने वाला अनजान बच्चा था. माँ की मौत के बाद भूख से तडपकर सोना पडा. और बाप? उसने हमें छोड दिया. वहीं से सीखा—जिंदगी में दो चीज ही असली हैं—पैसा और ताकत. जिसने इन्हें पा लिया, वही दुनिया का मालिक है।
उसकी आँखों में एक ठंडी चमक उभरी.
लग्जरी और ताकत
कबीर बालकनी से बाहर झाँकता है. बाहर गाडियों का काफिला खडा है—ब्लैक रोल्स रॉयस, लैम्बॉर्गिनी, बेंटले, और लिमोजीन. हर गाडी के साथ गार्ड्स तैनात.
तभी आदित्य उसके पास आता है.
आदित्य:
कबीर, पुलिस ने जारिन और रियाज को गिरफ्तार तो कर लिया है, लेकिन खबर है कि कोर्ट तक पहुँचने से पहले ही उनके लिए बाहर से मदद आने वाली है. कोई बडा खिलाडी पीछे से Door खींच रहा है।
कबीर:
मुझे पता था. ये खेल इतना आसान नहीं होगा. असली चेहरा अभी सामने आना बाकी है।
आदित्य:
तो अब प्लान क्या है?
कबीर( धीरे, सोचते हुए)
प्लान वही होगा. पहले दुश्मन की आँखों में झाँककर उसके डर को पहचानना. फिर उसे उसकी ही चाल में फँसाना. लेकिन.
वो रुक गया.
आदित्य:
लेकिन क्या?
कबीर( गहरी सांस लेकर)
मुझे शक है. ये सब किसी बडे नेटवर्क का हिस्सा है. रियाज और जारिन सिर्फ मोहरे हैं. और अगर ये सच है, तो आने वाला तूफान हमारी सोच से कहीं बडा होगा।
रहस्य का परदा
शाम होने लगी. महल की छत पर पार्टी का माहौल था. झूमरों की रोशनी, वायलिन की धुनें, और मेहमानों की भीड. हर कोई कबीर की शानो- शौकत देखकर दंग था.
लेकिन कबीर का ध्यान भीड में घूमते चेहरों पर था. उसे लग रहा था जैसे कोई उसे दूर से देख रहा हो.
अचानक उसका फोन बजा. स्क्रीन पर एक अनजान नंबर था.
कबीर( कॉल रिसीव करके)
कौन?
फोन के दूसरी तरफ से भारी आवाज आई.
रहस्यमयी आवाज:
कबीर मल्होत्रा. खेल अभी शुरू हुआ है. जारिन और रियाज तो सिर्फ शुरुआत थे. असली खिलाडी वो है, जो तुम्हारे घर की दीवारों के अंदर छिपा है।
कबीर की आँखें चौडी हो गईं.
कबीर:
कौन है तू?
लाइन cut गई.
वो कुछ पल खामोश खडा रहा. उसकी सांसें तेज हो चुकी थीं.
कबीर( धीरे से खुद से)
घर की दीवारों के अंदर. मतलब. गद्दार मेरे ही करीब है।
क्लाइमेक्स की ओर
कबीर तुरंत समीर और आदित्य को बुलाता है.
कबीर:
आज रात से ही हम सब पर शक करेंगे. इस महल की दीवारें भी सुन रही हैं. और याद रखना. जो असली दुश्मन है, वो बाहर नहीं, यहीं हमारे बीच छिपा है।
समीर और आदित्य ने एक- दूसरे को देखा. माहौल और ज्यादा खौफनाक हो गया.
महल के बाहर गाडियाँ लाइन से खडी थीं. गार्ड्स सतर्क थे. लेकिन कबीर के दिल में अब तक का सबसे बडा डर घर कर चुका था.
उसने आईने में खुद को देखा और धीरे से कहा—
कबीर:
मैंने भिखारी बनकर दुनिया देखी है. मैं अमीर बनकर भी हर चीज जी चुका हूँ. लेकिन अब जो सामने आने वाला है, वो मेरी जिंदगी का सबसे बडा इम्तिहान होगा।
कैमरा धीरे- धीरे उसके चेहरे पर जूम करता है. उसकी आँखों में रहस्य और गुस्से की लपटें थीं.
और यहीं पर कहानी अगले बडे मोड के लिए रुकती है.
क्या वाकई गद्दार उसके महल के अंदर है?
कौन है वो असली खिलाडी?
और कबीर की दौलत—क्या उसका सहारा बनेगी या उसके विनाश का कारण?
अंधेरी रात. शहर के एक पुराने हवेली- जैसे कोठी में चारों ओर अजीब- सी खामोशी पसरी हुई थी. कमरे के बीचोबीच जल रही मोमबत्तियाँ दीवारों पर डरावनी परछाइयाँ बना रही थीं.
सेरिन खिडकी के पास खडी थी. उसकी आँखों में बेचैनी साफ झलक रही थी.
सेरिन( धीरे से, जेरेफ से)
तुम्हें समझ नहीं आता, जेरेफ? कबीर अब बहुत ताकतवर हो चुका है. अगर उसने सबूत ले लिए तो जारिन खान का साम्राज्य टूट जाएगा. और हमारे सारे प्लान बर्बाद हो जाएँगे।
जेरेफ, जो कुर्सी पर बैठा सिगार पी रहा था, हल्की मुस्कान के साथ बोला.
जेरेफ:
डर क्यों रही हो, सेरिन? कबीर सिर्फ खेल खेल रहा है. लेकिन इस खेल का असली मास्टर हम हैं. याद रखो, शेर को मारने के लिए पहले उसे भूखा करना पडता है।
जियाना दरवाजे से अंदर आई. उसके चेहरे पर गुस्सा और घबराहट दोनों थे.
जियाना:
तुम दोनों खेल समझते हो? कबीर को मैंने खुद अपनी आँखों से देखा है—उसके पास न सिर्फ दौलत है, बल्कि लोगों का भरोसा भी है. ये ताकत सबसे बडी ताकत होती है. अगर हम अब भी उसे हल्के में लेंगे, तो हार हमारी होगी।
सेरिन ने उसकी बात पर हामी भरी.
सेरिन:
सही कह रही है जियाना. कबीर का हर कदम सोचा- समझा होता है. उसने हमें फैक्ट्री वाली रात लगभग बेनकाब कर ही दिया था।
इतने में दरवाजे से जोरदार धमाके के साथ कोई अंदर आया. वो था जारिन खान—चेहरे पर गुस्से की लकीरें, हाथ में व्हिस्की का गिलास.
जारिन खान( गर्जन भरी आवाज में)
बस करो ये बहसें! तुम लोग डर रहे हो कबीर से? वो चाहे कितना भी ताकतवर हो, लेकिन उसकी जडें अब भी कमजोर हैं. मैं जारिन खान हूँ! मेरी रगों में दौलत और राजनीति दोनों की ताकत है. कबीर मल्होत्रा चाहे तोपखाना ले आए, लेकिन इस शहर की धडकनें अब भी मेरे इशारों पर चलती हैं।
जेरेफ खडा हुआ और उसकी तरफ बढा.
जेरेफ( ठंडी मुस्कान के साथ)
जारिन, ये गुस्सा काम नहीं आएगा. कबीर तुम्हें अंदर से तोड रहा है. अगर हम चारों एकजुट नहीं हुए, तो आने वाले वक्त में सबकुछ उसके पास होगा।
जारिन ने गिलास जमीन पर पटका.
जारिन:
ठीक है! अगर खेल खेलना है, तो हम भी खेलेंगे. लेकिन अबकी बार कबीर को सिर्फ हराएँगे नहीं. उसे मिटा देंगे।
कमरे में गहरी खामोशी छा गई.
सेरिन की आँखें चमक उठीं, जियाना ने होंठ भींच लिए, और जेरेफ की मुस्कान और चौडी हो गई. सबकी निगाहें एक- दूसरे से मिलीं.
अब तय हो चुका था—ये सिर्फ साजिश नहीं, बल्कि खून का खेल होगा.
मोमबत्ती की लौ झिलमिलाई, और कमरे का अंधेरा और गहरा हो गया.
अब सवाल ये है—क्या कबीर को इन चारों की इस गुप्त Meeting का पता चलेगा?
या फिर अगला दांव इनका होगा, जो कबीर की जिंदगी को सबसे बडा झटका देगा?
चाँदनी में कबीर अपनी बालकनी पर खडा था, हाथ में पुरानी तस्वीर. नीचे शहर सो रहा था, पर उसके दिल में तूफान. उसने धीमे से कहा, अब खेलने का वक्त नहीं, खत्म करने का है। उसके सामने अँधेरा मुस्कुराया.
अध्याय समाप्त.
प्रश्न: क्या कबीर जीत पाएगा? ब्लैक शैडो का असली चेहरा कौन? उसके सबसे नजदीकी में से कौन गद्दार?
अगला भाग और भी खतरनाक होगा. तैयार रहो — सच्चाई सामने आने वाली है जल्द ही.