कमरे में सन्नाटा था. नकाबपोश का चेहरा अंधेरे में छिपा हुआ था, लेकिन उसकी मौजूदगी हवा में एक अजीब- सी खामोशी छोड रही थी. मोमबत्तियों की हल्की लौ उसके कदमों के साथ कांप रही थी.
कबीर, वेरिका और आरव—तीनों की निगाहें उसी पर टिकी थीं. सबके दिल धडक रहे थे, लेकिन हर किसी के चेहरे पर अलग भाव थे—कबीर में गुस्सा, वेरिका में सवाल और आरव में नफरत का मिश्रण.
नकाबपोश ने एक धीमी और गूंजती आवाज में कहा—
तुम समझते हो कि यह जंग दौलत और ताकत की है? नहीं. यह खेल विश्वास, मोहब्बत और सबसे बडे रहस्य का है।
कबीर ने तलवार ऊँची करते हुए पूछा—
बताओ. ‘सोने का पिंजरा’ का असली रहस्य क्या है? और शहवार कहाँ है?
नकाबपोश ने ठंडी हँसी में जवाब दिया—
शहवार उस पिंजरे में है, जहाँ से बाहर निकलना मौत के बराबर है. और पिंजरे की चाबी. तुम्हारे खून में है, कबीर।
वेरिका काँपते स्वर में बोली—
खून? इसका मतलब. क्या ये पिंजरा सच में हमारे बीच मोहब्बत का नहीं, किसी खतरनाक ताकत का खेल है?
नकाबपोश का सिर धीरे- धीरे हिलना जैसे एक बडे राज का इशारा था. उसने अपनी हथेली में चमकता हुआ गोल्डन चिह्न दिखाया.
जब तक यह चिह्न मेरे पास है. ‘सोने का पिंजरा’ बंद रहेगा. लेकिन इसका असली रहस्य. तब खुलेगा जब तीनों—कबीर, वेरिका और आरव—एक साथ इस खेल के सबसे अंधेरे सच का सामना करेंगे।
आरवान की आँखों में गुस्सा और डर दोनों थे. उसने कदम बढाए और कहा—
तो ये लडाई अब सिर्फ मेरे और कबीर की नहीं रही. इसमें अब नकाबपोश और शहवार भी हैं।
कबीर ने तलवार को कसकर पकड लिया. उसकी आवाज में गहन इरादा था—
तो फिर तय हो गया. हम तीनों मिलकर इस रहस्य का पर्दाफाश करेंगे. नकाबपोश. और ‘सोने का पिंजरा’।
वेरिका ने पीछे से कहा—
लेकिन कबीर. क्या हमें पता है कि हम Kiss दुश्मन से लड रहे हैं?
नकाबपोश ने धीमी आवाज में कहा—
तुम लडोगे. लेकिन जवाब केवल मौत के बाद मिलेगा।
कमरे में एक अजीब सन्नाटा छा गया. चारों की साँसें रुक सी गईं.
तभी तहखाने से एक भारी आवाज गूंज उठी—
कबीर. वेरिका. तुम तैयार हो?
सबकी निगाहें उस आवाज की दिशा में गईं. अंधेरा और गहरा हो गया.
सवाल हवा में गूंज रहे थे—
नकाबपोश का असली चेहरा क्या है?
शहवार की हालत क्या है?
और ‘सोने का पिंजरा’ का रहस्य क्या है?
To Be Continued.
हवेली के तहखाने में एक गहरी खामोशी थी.
सिर्फ दीवारों से टकराती बूंदों की आवाज, और कहीं- न- कहीं दूर से आती धीमी सांसों की गूंज.
कबीर, वेरिका और आरव नकाबपोश के पीछे- पीछे तहखाने की उस ओर बढे, जहाँ से शहवार की चीखें आती थीं. रास्ता संकरा और काला था. दीवारों पर जंग लगी लोहे की सलाखें और रहस्यमयी गोल्डन निशान थे.
नकाबपोश ने धीमी आवाज में कहा—
तुम शहवार तक पहुँचोगे. लेकिन इस पिंजरे को खोलना आसान नहीं है।
कबीर ने तलवार कसकर पकडी.
तो बताओ, नकाबपोश—क्या है इस पिंजरे में?
नकाबपोश ने सिर झुकाया, और अंधेरे में कहीं से एक चाभी निकाली. उसकी हथेली में वो गोल्डन चिह्न चमक उठा, जैसे किसी प्राचीन शक्ति का संकेत.
ये चिह्न. इस पिंजरे की चाबी है. लेकिन इसे इस्तेमाल करने के लिए तुम्हें तीन सवालों का जवाब देना होगा—सही जवाब ही शहवार तक पहुँचने की चाबी है।
वेरिका ने काँपते स्वर में पूछा—
तीन सवाल? कौन से सवाल?
नकाबपोश ने गंभीर स्वर में कहा—
पहला सवाल—क्या तुम दौलत के लिए अपने प्यार को त्याग सकते हो?
दूसरा सवाल—क्या तुम मोहब्बत के लिए अपने विश्वास को तोड सकते हो?
और तीसरा सवाल—क्या तुम उस रहस्य का सामना करने को तैयार हो जो ‘सोने का पिंजरा’ के अंदर छुपा है?
कबीर ने तलवार आगे बढाते हुए कहा—
हम तैयार हैं. बताओ सवाल का जवाब कहां मिलेगा?
नकाबपोश ने मुस्कुराते हुए कहा—
इसका जवाब तुम्हें शहवार के दिल में मिलेगा. लेकिन उसके दिल तक पहुँचने के लिए तुम्हें इस तहखाने के सबसे अंधेरे कोने में जाना होगा।
वेरिका ने डरते हुए कहा—
लेकिन कबीर. अगर यह जाल है तो?
कबीर ने उसका हाथ कसकर पकडा—
वेरिका, अब डरने का समय नहीं है. हम इस खेल के आखिरी दांव पर हैं।
तभी तहखाने के कोने से एक धुंधली रोशनी निकल आई. वहां एक विशाल लोहे का दरवाजा था, जिस पर रहस्यमयी निशान बने थे.
नकाबपोश ने कहा—
ये दरवाजा. तुम्हें शहवार तक ले जाएगा. लेकिन उसके अंदर. वो सच है जो तुम्हारे लिए चौंकाने वाला होगा।
आरव ने तलवार उठाते हुए कहा—
तो फिर चलो. अगर पिंजरे का रहस्य हमारे सामने है तो अब हमें उसे तोडना ही होगा।
कबीर, वेरिका और आरव तीनों दरवाजे के सामने खडे हो गए. नकाबपोश ने चाभी उस दरवाजे में डाली.
दरवाजा धीमे- धीमे खुला. अंदर से ठंडी हवा और एक धीमी सी चीख गूँज रही थी—शहवार की.
तीनों अंदर दाखिल हुए. एक विशाल कक्ष था—दीवारों पर पुराने नक्शे और जंग लगी तलवारें लटकी थीं. और कमरे के बीच में. शहवार एक सुनहरे पिंजरे में बंद थी.
उसकी आँखों में दर्द, आशंका और उम्मीद सब झलक रहा था. उसने कबीर को देखा और हल्की आवाज में कहा—
कबीर. समय कम है. वे नहीं चाहते कि तुम सच जानो।
कबीर ने भागते हुए कहा—
शहवार, मैं तुझे यहाँ से निकालूँगा. चाहे जो भी कीमत चुकानी पडे।
नकाबपोश ने धीमी आवाज में कहा—
लेकिन कबीर. क्या तुम तैयार हो उस सच्चाई के लिए जो पिंजरे के अंदर छुपी है?
शहवार की आँखें भर आईं. उसने कबीर का हाथ पकडते हुए कहा—
अगर तुम तैयार हो. तो चलो. लेकिन याद रखो, इस रास्ते में हर जवाब एक सवाल पैदा करेगा।
कमरे में सन्नाटा छा गया. सिर्फ पिंजरे के भीतर से आती धीमी सांसों की आवाज थी.
और बाहर तहखाने में नकाबपोश मुस्कुरा रहा था—जैसे वह जानता हो कि असली खेल अभी बाकी है.
सवाल हवा में गूँज रहे थे—
नकाबपोश कौन है और उसका असली मकसद क्या है?
शहवार की हालत कैसी है और उसका सच क्या है?
‘सोने का पिंजरा’ का असली रहस्य क्या है?
कबीर, वेरिका और आरव इस खेल में बच पाएंगे या हार जाएंगे?
अंधेरा और गहरा हो गया. हवेली के तहखाने में रहस्य की परतें खुलने लगीं.
To Be Continued.
तहखाने में जब दरवाजा खुला, तो कमरे में एक अजीब ठंडी हवा घुस गई. वहाँ एक विशाल कक्ष था, जिसकी दीवारों पर पुरानी नक्शे, जंग लगी तलवारें और रहस्यमयी गोल्डन चिह्न थे. बीच में एक सुनहरा पिंजरा खडा था, जिसमें शहवार बंद थी.
शहवार की आँखों में दर्द और आशंका थी. उसने कबीर को देखा और धीरे से कहा—
कबीर. यह पिंजरा सिर्फ दौलत और ताकत का नहीं है. यह विश्वास, मोहब्बत और जीवन का सबसे बडा खेल है।
कबीर ने तलवार कसकर पकडी और कहा—
तो सच क्या है शहवार? और नकाबपोश का मकसद क्या है?
शहवार ने एक गहरी सांस ली और कहा—
‘सोने का पिंजरा’ एक प्राचीन शक्तिशाली खेल है. यह सिर्फ दौलत नहीं, बल्कि इंसानों के दिल और विश्वास का कैदी है. और नकाबपोश. उसका असली मकसद यही है कि इस पिंजरे की चाबी लेकर पूरे शहर को अपने काबू में कर लेना।
वेरिका ने काँपते स्वर में कहा—
लेकिन अगर यह सच है तो हमें क्यों नहीं बताया गया?
आरव ने कडवी हँसी के साथ कहा—
क्योंकि सच हमेशा वही जानता है जो उसे हासिल करता है. और नकाबपोश चाहता है कि यह सच सिर्फ उन्हीं तक पहुँचे जो उसकी परीक्षा में खरे उतरें।
नकाबपोश ने धीमी आवाज में कहा—
और यही खेल है—एक परीक्षा.
तीन सवाल—तीन जवाब. जो सही उत्तर देगा. वही पिंजरे को खोलेगा।
कबीर ने पूछा—
तो सवाल क्या हैं?
नकाबपोश ने गूंजती आवाज में कहा—
पहला सवाल—क्या तुम मोहब्बत के लिए अपनी जान दे सकते हो?
दूसरा सवाल—क्या तुम विश्वास के लिए हर रिश्ते को तोड सकते हो?
और तीसरा सवाल—क्या तुम सच को स्वीकार करने के लिए तैयार हो, चाहे वो तुम्हें तोड दे?
तीनों के चेहरे पर गंभीरता थी. वेरिका ने कहा—
तो यह सिर्फ एक लडाई नहीं. यह हमारी जिन्दगी का सबसे बडा इम्तिहान है।
नकाबपोश ने एक कदम आगे बढाया और अपनी काली चादर में छुपा चेहरा हटा. उसकी पहचान सामने आई—वो शहर का सबसे ताकतवर रहस्य था. उसकी आँखें सुनहरी थीं, और चेहरे पर एक ठंडी मुस्कान.
मैं. वही हूँ जो ‘सोने का पिंजरा’ का रक्षक है. मेरा असली नाम नहीं जानना तुम्हारे लिए बेहतर है. क्योंकि जानना. मौत के बराबर है।
कबीर ने सवाल किया—
तो तुमने शहवार को क्यों कैद किया?
नकाबपोश ने गंभीर स्वर में जवाब दिया—
क्योंकि शहवार. वह एक चाबी है. उसके दिल में उस पिंजरे का असली रहस्य छुपा है. अगर वह आजाद हुई. तो रहस्य भी खुल जाएगा. और अगर रहस्य खुला तो मेरी ताकत खत्म हो जाएगी।
आरव ने कडक आवाज में कहा—
तो इसका मतलब है कि हमें इस पिंजरे को तोडना ही होगा।
नकाबपोश ने सिर हिलाया—
हाँ. लेकिन इसका एक और सच है. यह पिंजरा सिर्फ तभी टूट सकता है जब तीनों—कबीर, वेरिका और आरव—एक साथ अपने सवालों के जवाब देंगे. और जवाब देने का अर्थ है. अपने सबसे बडे डर का सामना करना।
वेरिका की आँखों में आँसू थे, लेकिन उसकी आवाज में हिम्मत थी—
तो हम तैयार हैं. लेकिन हमें पता होना चाहिए. इसके बाद क्या होगा?
नकाबपोश ने मुस्कुराते हुए कहा—
इसके बाद. तुम्हें अपनी जान का सबसे बडा खतरा मिलेगा. और हो सकता है कि जो सच तुम्हें यहाँ मिलेगा. वह तुम्हारे लिए सबसे बडा दर्द बन जाए।
कबीर ने तलवार को कसकर पकडा और कहा—
तो चलो. हमें इस पिंजरे का रहस्य खोलना है, चाहे कीमत कुछ भी हो।
नकाबपोश ने चाभी पिंजरे में डाली. पिंजरे पर सुनहरी रोशनी फैल गई. धीरे- धीरे दरवाजा खुला और भीतर की आवाजें बाहर आने लगीं—
शहवार की आवाज, चीख और गहरी साँसें.
तभी नकाबपोश ने अपने चेहरे पर एक डरावनी मुस्कान लाया—
तैयार रहो. क्योंकि जो तुम्हें अंदर मिलेगा. वह सब बदल देगा।
कमरे में एक अजीब सन्नाटा छा गया. सिर्फ पिंजरे के भीतर से आती आवाजें और नकाबपोश की गूंजती चेतावनी.
सवाल हवा में गूँज रहे थे—
नकाबपोश का असली मकसद क्या है?
शहवार का रहस्य क्या है?
‘सोने का पिंजरा’ का सच क्या है?
क्या कबीर, वेरिका और आरव इस खेल को जीत पाएंगे?
अंधेरा और गहरा हो गया. हवेली के तहखाने में रहस्य की परतें खुलने लगीं.
To Be Continued.
हवेली के तहखाने में एक भयानक सन्नाटा था. चारों ओर सिर्फ लोहे की सलाखों की खटखट, बूंदों की धीमी टपकन और पिंजरे के भीतर से आती शहवार की धीमी साँसें.
कबीर, वेरिका और आरव नकाबपोश के पीछे- पीछे उस काले रास्ते में बढे जहाँ से शहवार की आवाज आती थी. उनके कदमों की गूंज पूरे तहखाने में फैल रही थी. नकाबपोश उनके सामने चल रहा था, उसकी काली चादर हवा में लहराती हुई, जैसे किसी छाया का रूप हो.
कमरे में पहुँचते ही सामने एक विशाल कक्ष था, जिसमें बीचों- बीच सुनहरा पिंजरा खडा था. उसकी सलाखों के बीच शहवार बंद थी—उसकी आँखें दर्द, आशंका और उम्मीद से भरी थीं.
कबीर ने कदम बढाते हुए कहा—
शहवार! हम तुम्हें बचाएँगे. यह पिंजरा तोडेंगे!
शहवार ने धीरे से सिर हिलाया—
कबीर. यह पिंजरा सिर्फ मेरे लिए नहीं, बल्कि तुम्हारे लिए भी एक परीक्षा है. जो सच तुम खोज रहे हो. वह इसके अंदर छुपा है।
वेरिका काँपते स्वर में बोली—
लेकिन नकाबपोश. उसका मकसद क्या है? क्यों उसने शहवार को कैद किया?
नकाबपोश धीमी आवाज में बोला—
क्योंकि शहवार. वह चाबी है. ‘सोने का पिंजरा’ केवल तभी खुल सकता है जब उसका रहस्य उजागर हो. और रहस्य छुपा है शहवार के दिल में।
आरव ने तलवार उठाते हुए कहा—
तो इसका मतलब है कि हमें इस पिंजरे को तोडना ही होगा।
नकाबपोश ने सिर हिलाया—
हाँ, लेकिन यह आसान नहीं होगा. इसके लिए तुम्हें तीन सवालों के जवाब देने होंगे. सही जवाब ही तुम्हें पिंजरे तक पहुँचाएगा।
कबीर ने गंभीर स्वर में पूछा—
तो सवाल क्या हैं?
नकाबपोश ने धीमी आवाज में कहा—
पहला सवाल—क्या तुम मोहब्बत के लिए अपनी जान दे सकते हो?
दूसरा सवाल—क्या तुम विश्वास के लिए अपने सबसे करीबी रिश्ते को तोड सकते हो?
और तीसरा सवाल—क्या तुम सच को स्वीकार करने के लिए तैयार हो, चाहे वह तुम्हें तोड दे?
वेरिका ने डरते स्वर में कहा—
तो यह सिर्फ एक जंग नहीं. यह हमारी आत्मा की परीक्षा है।
नकाबपोश ने एक कदम आगे बढाया और धीरे से अपना नकाब हटाया. उसका चेहरा सुनहरे निशानों से ढंका था. उसकी आँखें चमक रही थीं, मानो वह किसी प्राचीन शक्ति का वाहक हो.
मैं. वह हूँ जो ‘सोने का पिंजरा’ का रक्षक है. मेरा असली नाम जानना तुम्हारे लिए खतरे से कम नहीं होगा।
कबीर ने सवाल किया—
तो तुमने शहवार को क्यों कैद किया?
नकाबपोश ने गंभीर स्वर में कहा—
क्योंकि वह पिंजरे का केंद्र है. उसके दिल में वह शक्ति है जो पिंजरे को खोल सकती है. और अगर वह खुल गई. तो मेरी ताकत खत्म हो जाएगी।
आरव ने कडक आवाज में कहा—
तो इसका मतलब है कि हमें इस पिंजरे को तोडना ही होगा, चाहे जो भी कीमत चुकानी पडे।
नकाबपोश ने सिर हिलाया—
हाँ. लेकिन इसके लिए तुम्हें अपनी सबसे बडी परीक्षा में सफल होना होगा।
वेरिका ने आँसुओं के साथ कहा—
तो हम तैयार हैं. लेकिन हमें यह जानना होगा कि इसके बाद क्या होगा।
नकाबपोश ने एक गहरी मुस्कान दी—
इसके बाद. तुम्हें उस सच का सामना करना होगा जो तुम्हारे सोचने से परे है।
कबीर ने तलवार को कसकर पकडा—
तो चलो. हमें ‘सोने का पिंजरा’ खोलना है, चाहे कीमत कुछ भी हो।
नकाबपोश ने चाबी पिंजरे में डाली. पिंजरे से सुनहरी रोशनी फैलने लगी. धीरे- धीरे दरवाजा खुला और भीतर से गूंजती आवाजें बाहर आने लगीं—शहवार की चीखें और गहरी साँसें.
कबीर, वेरिका और आरव एक साथ पिंजरे के भीतर दाखिल हुए. वहाँ उन्होंने देखा—शहवार सिर्फ कैद नहीं थी, बल्कि उसके चारों ओर एक प्राचीन ऊर्जा की हल्की चमक थी.
शहवार ने कबीर को देखा—
तुम सच में तैयार हो. लेकिन क्या तुम जानते हो कि इस पिंजरे के अंदर क्या छुपा है?
कबीर ने हल्का सा सिर हिलाया—
मैं जानना चाहता हूँ. चाहे सच कितना भी खतरनाक क्यों न हो।
नकाबपोश ने धीरे कहा—
तो सुनो. ‘सोने का पिंजरा’ सिर्फ दौलत का नाम नहीं है. यह एक शक्ति है जो इंसान के विश्वास और मोहब्बत को कैद करती है. और जिसने इसे खोला. उसने न केवल दौलत बल्कि दिलों पर भी काबू पा लिया।
वेरिका ने कांपते स्वर में पूछा—
तो इसका मतलब है कि यह पिंजरा मोहब्बत और ताकत का खेल है?
नकाबपोश ने सिर हिलाया—
हाँ. और इसका राज अब तुम तीनों के सामने है।
शहवार ने कबीर का हाथ पकडा—
कबीर. अगर तुम सच में मेरे लिए लडना चाहते हो. तो सवालों के जवाब देना होगा. यह तुम्हारी आखिरी जंग है।
कबीर ने गहरी साँस ली—
तो मुझे उन सवालों का सामना करना होगा. चाहे कीमत मेरी जान क्यों न हो।
नकाबपोश ने धीरे कहा—
तो तैयार हो जाओ. क्योंकि इस पिंजरे का दरवाजा खुल चुका है, लेकिन इसका सच. तुम्हारे सोच से भी ज्यादा खतरनाक है।
कमरे में एक सन्नाटा छा गया. पिंजरे के भीतर की रोशनी धीरे- धीरे मंद हो गई, और चारों की आँखों में एक नया डर पैदा हो गया.
सवाल हवा में गूंज रहे थे—
नकाबपोश का असली मकसद क्या है?
शहवार का रहस्य क्या है?
‘सोने का पिंजरा’ का सच क्या है?
कबीर, वेरिका और आरव इस खेल को जीत पाएंगे या हार जाएंगे?
और सबसे बडा सवाल.
क्या यह जंग मोहब्बत के लिए होगी या विश्वास के लिए?
अंधेरा और गहरा हो गया. हवेली के तहखाने में रहस्य की परतें खुलने लगीं.
To Be Continued.
तहखाने में अंधेरा इतना गहरा था कि हर कदम पर जमीं पर पडे पुराने निशान, कबीर के मन में डर और उत्सुकता दोनों पैदा कर रहे थे. तलवारें, पुरानी किताबें, टूटी हुई मूर्तियाँ और गोल्डन चिह्न. सब कुछ यहाँ एक पुराने राज की गवाही दे रहा था.
नकाबपोश आगे बढ रहा था. उसकी चादर उसके कदमों के साथ हौले से सरसराहट पैदा कर रही थी. कबीर, वेरिका और आरव उसके पीछे- पीछे थे, उनके चेहरे पर एक अजीब मिश्रित भाव था — डर, गुस्सा और उम्मीद.
कमरे के बीच में एक विशाल सुनहरा पिंजरा था. उसकी सलाखों के बीच शहवार बंद थी. उसकी आँखों में दर्द, विश्वास और एक अनकहे सवाल का मिला- जुला भाव था.
कबीर ने कदम बढाते हुए कहा—
शहवार. हम तुम्हें यहाँ से बाहर निकालेंगे. चाहे कुछ भी हो जाए।
शहवार ने उसे देखा और धीमी आवाज में कहा—
कबीर. यह पिंजरा केवल मेरा नहीं है. यह तुम्हारे लिए भी एक परीक्षा है. यहाँ छुपा सच. तुम्हें बदल देगा।
वेरिका काँपते स्वर में बोली—
लेकिन नकाबपोश. उसका मकसद क्या है? क्यों उसने शहवार को यहाँ बंद किया?
नकाबपोश ने ठंडी और गूंजती आवाज में कहा—
क्योंकि शहवार. वह चाबी है. ‘सोने का पिंजरा’ केवल तभी खुल सकता है जब उसका रहस्य उजागर हो. और रहस्य छुपा है शहवार के दिल में।
आरव ने तलवार उठाते हुए कहा—
तो इसका मतलब है कि हमें इस पिंजरे को तोडना ही होगा।
नकाबपोश ने सिर हिलाया—
हाँ, लेकिन यह आसान नहीं होगा. इसके लिए तुम्हें तीन सवालों के जवाब देने होंगे. सही जवाब ही तुम्हें पिंजरे तक पहुँचाएगा।
कबीर ने गंभीर स्वर में पूछा—
तो सवाल क्या हैं?
नकाबपोश ने धीमी आवाज में कहा—
पहला सवाल—क्या तुम मोहब्बत के लिए अपनी जान दे सकते हो?
दूसरा सवाल—क्या तुम विश्वास के लिए अपने सबसे करीबी रिश्ते को तोड सकते हो?
और तीसरा सवाल—क्या तुम सच को स्वीकार करने के लिए तैयार हो, चाहे वह तुम्हें तोड दे?
वेरिका की आँखों में आँसू थे, लेकिन उसकी आवाज में हिम्मत थी—
तो हम तैयार हैं. लेकिन हमें यह जानना होगा कि इसके बाद क्या होगा।
नकाबपोश ने मुस्कुराते हुए कहा—
इसके बाद. तुम्हें उस सच का सामना करना होगा जो तुम्हारे सोचने से परे है।
कबीर ने तलवार को कसकर पकडा—
तो चलो. हमें ‘सोने का पिंजरा’ खोलना है, चाहे कीमत कुछ भी हो।
नकाबपोश ने चाबी पिंजरे में डाली. पिंजरे से सुनहरी रोशनी फैलने लगी. धीरे- धीरे दरवाजा खुला और भीतर से गूंजती आवाजें बाहर आने लगीं—शहवार की चीखें और गहरी साँसें.
तीनों ने पिंजरे के अंदर कदम रखा. वहाँ उन्होंने देखा—शहवार सिर्फ कैद नहीं थी, बल्कि उसके चारों ओर एक प्राचीन ऊर्जा की हल्की चमक थी.
शहवार ने कबीर का हाथ पकडा—
कबीर. सच में तैयार हो? क्योंकि जो तुम्हें अंदर मिलेगा. वह तुम्हारी सोच से परे होगा।
कबीर ने हल्का सा सिर हिलाया—
मैं जानना चाहता हूँ. चाहे सच कितना भी खतरनाक क्यों न हो।
नकाबपोश ने धीमी आवाज में कहा—
तो सुनो. ‘सोने का पिंजरा’ सिर्फ दौलत का नाम नहीं है. यह एक शक्ति है जो इंसान के विश्वास और मोहब्बत को कैद करती है. जिसने इसे खोला. उसने न केवल दौलत बल्कि दिलों पर भी काबू पा लिया।
वेरिका ने कांपते स्वर में पूछा—
तो इसका मतलब है कि यह पिंजरा मोहब्बत और ताकत का खेल है?
नकाबपोश ने सिर हिलाया—
हाँ. और इसका राज अब तुम तीनों के सामने है।
शहवार ने कबीर की आँखों में देखते हुए कहा—
अगर तुम सच में मेरे लिए लडना चाहते हो. तो सवालों के जवाब देना होगा. यह तुम्हारी आखिरी जंग है।
कबीर ने गहरी साँस ली—
तो मुझे उन सवालों का सामना करना होगा. चाहे कीमत मेरी जान क्यों न हो।
नकाबपोश ने धीरे कहा—
तो तैयार हो जाओ. क्योंकि इस पिंजरे का दरवाजा खुल चुका है, लेकिन इसका सच. तुम्हारे सोच से भी ज्यादा खतरनाक है।
कमरे में एक सन्नाटा छा गया. पिंजरे के भीतर की रोशनी धीरे- धीरे मंद हो गई, और चारों की आँखों में एक नया डर पैदा हो गया.
सवाल हवा में गूँज रहे थे—
नकाबपोश का असली मकसद क्या है?
शहवार का रहस्य क्या है?
‘सोने का पिंजरा’ का सच क्या है?
कबीर, वेरिका और आरव इस खेल को जीत पाएंगे या हार जाएंगे?
और सबसे बडा सवाल.
क्या यह जंग मोहब्बत के लिए होगी या विश्वास के लिए?
अंधेरा और गहरा हो गया. हवेली के तहखाने में रहस्य की परतें खुलने लगीं.
To Be Continued.
जैसे ही कबीर, वेरिका और आरव पिंजरे के भीतर दाखिल हुए, वहाँ एक अजीब- सी ठंडी हवा दौड गई. पिंजरे के अंदर हर चीज एक अनकहे राज की गवाही दे रही थी — दीवारें चमकतीं और उनमें अजीब गोल्डन निशान उभर रहे थे.
शहवार की आँखें कबीर की ओर थीं, पर उसके होंठ कुछ कह नहीं पा रहे थे. उसकी साँसें तेज हो रही थीं, मानो वह किसी बडी सच्चाई को भीतर दबा रही हो.
नकाबपोश ने धीमे कदम बढाते हुए कहा—
तुम यहाँ पहुँच चुके हो, लेकिन अब असली परीक्षा शुरू होती है. जो सवाल मैंने पूछे हैं, उनका जवाब ही तुम्हें इस पिंजरे का रहस्य बताएगा।
कबीर ने तलवार कसकर पकडी और कहा—
तो हम जवाब देंगे. लेकिन पहले तुम बताओ. यह पिंजरा आखिर है क्या?
नकाबपोश ने धीमी आवाज में कहा—
यह पिंजरा सिर्फ दौलत का नाम नहीं है. यह एक प्राचीन शक्ति है—‘विश्वास और मोहब्बत की शक्ति’। जिसने इसे खोला, उसने न केवल दौलत बल्कि किसी के दिल पर भी काबू पा लिया।
वेरिका ने कांपते स्वर में पूछा—
तो इसका मतलब है कि यह मोहब्बत और ताकत का खेल है?
नकाबपोश ने सिर हिलाया—
हाँ. और इस खेल में जीतने के लिए तुम्हें अपने भीतर के सबसे बडे डर का सामना करना होगा।
शहवार ने धीरे से कहा—
कबीर. मैं जानती हूँ कि तुम तैयार हो, लेकिन यह सवाल तुम्हारी जान का फैसला करेगा—क्या तुम मोहब्बत के लिए खुद को खो दोगे?
कबीर ने आँखें बंद करके गहरी साँस ली—
मैं. तैयार हूँ।
नकाबपोश ने एक गहरी मुस्कान दी—
तो पहला सवाल का उत्तर सही है. लेकिन दूसरा सवाल तुम्हारे रिश्तों पर चोट करेगा—क्या तुम विश्वास के लिए अपने सबसे करीबी रिश्ते को तोड सकते हो?
वेरिका ने काँपते हुए कहा—
कबीर. क्या तुम यह कर सकते हो?
कबीर ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा—
अगर यही रास्ता है. तो मैं तैयार हूँ।
नकाबपोश ने सिर हिलाया—
तो तुम्हारा जवाब भी सही है. लेकिन आखिरी सवाल सबसे बडा है—क्या तुम सच को स्वीकार करने के लिए तैयार हो, चाहे वह तुम्हें तोड दे?
शहवार ने धीरे से कहा—
कबीर. यह तुम्हारी सबसे बडी लडाई है।
कबीर ने तलवार को कसकर पकडा और कहा—
मैं सच का सामना करूंगा. चाहे सच कितना भी दर्दनाक क्यों न हो।
नकाबपोश ने धीरे से पिंजरे की सलाखों पर हाथ रखा और कहा—
तो तैयार हो जाओ. क्योंकि जो तुम्हें यहाँ मिलेगा, वह तुम्हारी सोच से परे होगा।
तभी पिंजरे के भीतर से एक तेज रोशनी निकली. शहवार की आँखों में एक चमक थी, और उसकी आवाज गूंजने लगी—
कबीर. सच जानने के लिए तुम्हें मेरे साथ चलना होगा।
कबीर ने उसकी तरफ हाथ बढाया और कहा—
मैं हूँ तेरे साथ. चाहे कुछ भी हो जाए।
नकाबपोश ने मुस्कुराते हुए कहा—
तो चलो. और जानो ‘सोने का पिंजरा’ का असली रहस्य।
पिंजरे की सलाखें टूटने लगीं. भीतर एक दरवाजा खुला, और उनके सामने एक प्राचीन कमरा आया जिसमें अजीब- सी ऊर्जा और गूढ संकेत थे. दीवारों पर पुरानी लिपियाँ और नक्शे थे.
नकाबपोश ने धीरे से कहा—
यह कमरा ‘सोने का पिंजरा’ का दिल है. यहाँ से तुम्हारा रास्ता सच की ओर जाएगा. लेकिन सच हमेशा आसान नहीं होता।
शहवार ने कबीर का हाथ कसकर पकड लिया—
कबीर. यहाँ जो भी होगा, हमें साथ में इसे सहना होगा।
कबीर ने हल्का सा सिर हिलाया—
मैं तुम्हारे साथ हूँ, शहवार।
कमरे में एक गहरी सन्नाटा छा गया. पिंजरे के अंदर की रोशनी मंद होने लगी, लेकिन चारों की आँखों में एक नया डर और उत्सुकता थी.
नकाबपोश ने धीमी आवाज में कहा—
तैयार रहो. क्योंकि जो सच तुम्हें यहाँ मिलेगा, वह सब बदल देगा।
सवाल हवा में गूंज रहे थे—
नकाबपोश का असली मकसद क्या है?
शहवार का रहस्य क्या है?
‘सोने का पिंजरा’ का सच क्या है?
कबीर, वेरिका और आरव इस खेल को जीत पाएंगे या हार जाएंगे?
और सबसे बडा सवाल. क्या यह जंग मोहब्बत के लिए होगी या विश्वास के लिए?
अंधेरा और गहरा हो गया. हवेली के तहखाने में रहस्य की परतें खुलने लगीं.
To Be Continued.
जैसे ही पिंजरे की सलाखें टूटीं, कमरे में एक तेज रोशनी फैल गई. कबीर, शहवार, वेरिका और आरव सभी अपनी साँसें रोककर उस रोशनी की ओर देखने लगे. पिंजरे के भीतर से एक पुराना ग्रंथ और एक सुनहरी चाबी बाहर गिरा.
नकाबपोश ने धीमी आवाज में कहा—
यह ग्रंथ ‘सोने का पिंजरा’ का असली मार्गदर्शन है. और यह चाबी. उस शक्ति का द्वार है जिसे तुम खोलने वाले हो।
शहवार ने ग्रंथ को उठाया और उसके पन्ने पलटने लगी. हर पन्ना जैसे एक कहानी कह रहा था—जफरपुर की प्राचीन कहानियाँ, खोई हुई मोहब्बत की गाथाएँ और ताकत का खेल.
कबीर ने उसकी तरफ देखते हुए कहा—
तो इसका मतलब है कि इस पिंजरे के भीतर छुपा सच सिर्फ दौलत नहीं. बल्कि एक इतिहास है।
नकाबपोश ने सिर हिलाते हुए कहा—
सही कहा. यह दौलत, मोहब्बत और विश्वास का एक संगम है. और जिसने इसे पाया, उसने अपना भविष्य तय किया।
आरव ने धीरे से पूछा—
तो हम इसे खोलकर क्या पाएंगे?
नकाबपोश ने गंभीर स्वर में कहा—
तुम्हें वह शक्ति मिलेगी जो दुनिया बदल सकती है. लेकिन साथ ही तुम्हें अपना सबसे बडा डर भी सामना करना पडेगा।
वेरिका की आँखों में डर और उत्सुकता दोनों थे—
तो इसका मतलब है कि यह हमारी आखिरी जंग है।
नकाबपोश ने मुस्कुराते हुए कहा—
हाँ. और इसका फैसला तुम्हारे हाथ में है।
शहवार ने कबीर की तरफ देखते हुए कहा—
क्या तुम तैयार हो? क्योंकि जब यह चाबी घूमेगी. सब कुछ बदल जाएगा।
कबीर ने दृढता से सिर हिलाया—
मैं तैयार हूँ. चाहे कीमत कुछ भी हो।
नकाबपोश ने चाबी को धीरे- धीरे पिंजरे के केंद्र में डाला. जैसे ही चाबी घूमी, पूरे तहखाने में एक गूंज उठी—दीवारों पर छुपे पुराने चित्र जिंदा हो उठे.
चित्रों में कबीर और शहवार के अतीत की झलक थी—उनके पहले मिलने की कहानी, उनके संघर्ष, और उस मोड की तस्वीर जहाँ उनकी मोहब्बत ने पहला कदम रखा था.
शहवार ने काँपते स्वर में कहा—
तो यह सच में हमारा अतीत है. और इसका मतलब है कि यह हमारी किस्मत है।
नकाबपोश ने गंभीर स्वर में कहा—
हाँ. ‘सोने का पिंजरा’ सिर्फ दौलत का नहीं, बल्कि मोहब्बत और विश्वास का प्रतीक है. जिसने इसे खोला. उसने अपने अतीत और भविष्य को स्वीकार किया।
कबीर ने शहवार का हाथ कसकर पकडा—
तो हम इस पिंजरे को खोलेंगे. और इसका राज जानेंगे।
चाबी पूरी तरह घूमी और पिंजरे का दरवाजा खुल गया. वहाँ एक अंधेरी सुरंग थी, जिसमें से एक हल्की रोशनी बाहर आ रही थी. नकाबपोश ने कहा—
यह सुरंग तुम्हें सच्चाई के उस दरवाजे तक ले जाएगी, जिसे खोलना आसान नहीं होगा।
शहवार ने कबीर से कहा—
तैयार हो जाओ. क्योंकि जो सच तुम्हें यहाँ मिलेगा, वह तुम्हारे सोच से परे है।
कबीर ने गहरी साँस ली—
मैं तैयार हूँ।
तीनों सुरंग में दाखिल हुए, और तहखाने का दरवाजा अपने आप बंद हो गया. वहाँ से आती हल्की गूंज ने एक नया रहस्य खोल दिया—
जो इस सुरंग के पार जाएगा. वही ‘सोने का पिंजरा’ का असली मालिक होगा।
और तभी एक गहरी आवाज गूँजी—
क्या तुम तैयार हो अपनी आखिरी जंग के लिए?
अंधेरा और गहरा हो गया.
To Be Continued.
सुरंग के पार जाते ही कबीर, शहवार और वेरिका ने एक विशाल हॉल में कदम रखा. यह हॉल किसी प्राचीन महल की तरह था — ऊँची- ऊँची गुंबददार छत, सुनहरी रोशनी में चमकती हुई दीवारें और बीच में एक अद्भुत, विशाल सोने का पिंजरा.
पिंजरे के भीतर एक लडकी बैठी थी — उसकी खूबसूरती इतनी अद्भुत थी कि वहां मौजूद हर किसी की साँस रुक गई. उसकी त्वचा जैसे महीन चांदी की तरह चमक रही थी, और उसकी आँखों में मासूमियत के साथ- साथ गहरी उदासी झलक रही थी.
नकाबपोश ने गंभीर स्वर में कहा—
यह है ‘सोने का पिंजरा’। यह केवल दौलत और ताकत का प्रतीक नहीं. बल्कि एक चार सौ साल पुरानी कहानी की निशानी है।
कबीर ने झुककर पिंजरे के अंदर उसकी ओर देखा—
तुम कौन हो?
लडकी ने धीरे से कहा—
मेरा नाम. माही है. मैं यहाँ कई सौ सालों से कैद हूँ।
वेरिका ने हैरानी से पूछा—
कैद? क्यों?
नकाबपोश ने सिर हिलाया—
यह कहानी एक पुराने जमाने के राजा की है. करीब चार सौ साल पहले, एक महान और शक्तिशाली बादशाह था. उसका नाम राजा अजहार था. वह माही को पहली बार उस समय मिला जब वह अपनी राजधानी के एक बगीचे में गया था. माही उस समय इतनी सुंदर थी कि उसकी खूबसूरती की दास्तां दूर- दूर तक फैल गई थी।
शहवार ने धीरे से कहा—
तो यह कहानी मोहब्बत की है?
नकाबपोश ने जवाब दिया—
हाँ. लेकिन यह मोहब्बत अधूरी रह गई. राजा अजहार माही से शादी करना चाहता था, पर राजनीतिक कारणों और महल की साजिशों ने उसे ऐसा करने से रोक दिया।
कबीर ने सवाल किया—
तो उसने क्या किया?
नकाबपोश ने उदास स्वर में कहा—
राजा अजहार ने माही को घर से उठवा लिया और उसे एक अद्भुत ‘सोने का पिंजरा’ बनवा दिया. पिंजरा इतना मजबूत था कि उसे तोडा नहीं जा सकता था. उसमें माही को कैद कर दिया गया, ताकि उसकी सुंदरता और मोहब्बत राजा के हाथ में रह सके, पर वह उससे कभी शादी नहीं कर सका।
माही की आँखों में आँसू थे, लेकिन उसकी आवाज में आज भी दर्द था—
मैंने उसकी मोहब्बत को महसूस किया. लेकिन वह मुझे छोड गया. और इस पिंजरे में मेरी सजा बनकर मेरी जिन्दगी बदल गई।
वेरिका ने सवाल किया—
तो इस पिंजरे में कैद होना माही का सच है?
नकाबपोश ने गंभीर स्वर में कहा—
हाँ. और यही ‘सोने का पिंजरा’ का सबसे बडा राज है. यह केवल दौलत और ताकत का प्रतीक नहीं है—यह एक अधूरी मोहब्बत और विश्वास की कैद है।
कबीर ने धीरे से कहा—
तो इसका मतलब है कि हम केवल इस पिंजरे को नहीं खोल रहे. हम माही की कहानी को भी खोल रहे हैं।
माही ने हल्की मुस्कान दी—
और तुम ही वह हो जो इस कहानी का अंत लिखने वाला है।
नकाबपोश ने सिर हिलाया—
लेकिन याद रखना. इस कहानी का सच जानना आसान नहीं होगा. यह तुम्हें बदल सकता है।
शहवार ने कबीर की तरफ देखते हुए कहा—
क्या तुम तैयार हो, कबीर? क्योंकि जो सच तुम्हें यहाँ मिलेगा. वह तुम्हारी सोच से परे होगा।
कबीर ने कहा
मैं तैयार हूँ. चाहे कीमत कुछ भी हो।
अंधेरे में पिंजरे की सलाखों के टूटने की आवाज गूंज उठी. माही ने धीमी आवाज में कहा—
तो अब जान लो मेरा सच. और ‘सोने का पिंजरा’ का असली रहस्य।
कमरे में सन्नाटा छा गया. केवल उसकी आवाज और पिंजरे की हल्की चमक थी.
क्या माही की मोहब्बत राजा अजहार के लिए सच थी. या यह सिर्फ एक साजिश थी?
To Be Continued.