Sone ka Pinjra - 5 in Hindi Adventure Stories by Amreen Khan books and stories PDF | सोने का पिंजरा - 5

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सोने का पिंजरा - 5

पार्टी का हॉल भव्य और जगमगाता हुआ था. क्रिस्टल की लटकनें हर कोने में चमक रही थीं, महंगे कपडे और गहनों की झिलमिलाहट ने माहौल को और शानदार बना दिया. लोग अपने- अपने प्रभाव और शौहरत का प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा था कि सबसे बडा रहस्य—कबीर मल्होत्रा—भिखारी का रूप लेकर अपनी ही पार्टी में प्रवेश करेगा.

कबीर ने फटे- पुराने कपडे, गंदे जूते और हाथ में पुराना डब्बा पकडा हुआ था. उसकी झुर्रीदार पोशाक और भिखारी का रूप किसी को पहले देख कर भले ही मामूली लगे, लेकिन उसकी आँखों की चमक और हल्की मुस्कान बता रही थी कि यह कोई आम आदमी नहीं.

भीड में कदम रखते ही उसने हर किसी की प्रतिक्रिया पढना शुरू किया. कुछ लोग उसे ताज्जुब और घृणा की मिली- जुली नजरों से देख रहे थे, तो कुछ की आँखों में जिज्ञासा और हल्की घबराहट थी.

तभी हॉल के दरवाजे पर एक और छाया पडी—जारिन खान. शहरी रईस और अपनी अलग पहचान वाला लडका, जिसका नाम शहर के बडे रईसों में शुमार था. जारिन ने कदम रखते ही सबका ध्यान खींचा. उसका चेहरा शांत था, लेकिन उसकी आँखों में चुनौती और जिज्ञासा की चमक थी.

जारिन ने भिखारी की तरह दिखते कबीर की ओर देखा. हल्की मुस्कान के साथ उसने कहा,
तो यह वही मल्होत्रा है. शहर का नामचीन अमीर, जो अब भिखारी बनकर आया है. लगता है आज मजा आने वाला है।

कबीर ने झुके बिना उसकी ओर देखा और मुस्कुराया,
और यह वही जारिन खान है, जिसकी शौहरत और नाम हर जगह माना जाता है. अब देखना है कि यह मुकाबला कितना दिलचस्प होगा।

भीड में हर किसी की नजरें इस अनोखे मुकाबले पर टिक गईं—भिखारी का रूप और अमीर का नाम. लडकियों की नजरें झूम रही थीं, उनके चेहरे पर हल्का आकर्षण और दिल में उत्सुकता थी. कुछ पुरुष अपनी आँखें झुका रहे थे, कुछ सोच रहे थे कि यह लडका—जारिन—कबीर के सामने कितना टिक पाएगा.

कबीर धीरे- धीरे हॉल के बीचों- बीच खडा हुआ. भिखारी का रूप सिर्फ दिखावा था, लेकिन उसकी चाल, मुस्कान और आत्मविश्वास ने सभी को चेतावनी दे दी कि यह कोई साधारण भिखारी नहीं.

जारिन भी कदम बढा रहा था. उसका अंदाज, चाल और आत्मविश्वास साफ बता रहे थे कि यह लडका सिर्फ दौलत या नाम से नहीं, बल्कि अपने दम पर भीड में खडा है. उसकी नजरें सीधे कबीर की ओर थीं—चुनौती और जिज्ञासा दोनों की मिली- जुली.

भीड में धीरे- धीरे हलचल बढी. लोग फुसफुसा रहे थे:
देखो, यह क्या है. शहर के दो बडे नाम आमने- सामने।
भिखारी और रईस? मजा आने वाला है।

कबीर ने हल्की मुस्कान के साथ अपनी चालाकी दिखाते हुए कहा,
सिर्फ नाम और दौलत ही सब कुछ तय नहीं करते. जो मैं अब हूँ—भिखारी—वह सबकी असली नीयत परखने वाला है।

जारिन ने उत्तर दिया, और जो मैं हूँ, मैं किसी भी चाल या दिखावे में फंसने वाला नहीं. यह मुकाबला सिर्फ दौलत का नहीं, दिमाग और रणनीति का भी होगा।

भीड अब दोनों के चारों ओर घिरी थी. लडकियों की नजरें कबीर पर टिक गईं, उनके दिल तेज धडक रहे थे. उनकी आँखों में स्पष्ट आकर्षण और क्रश था—वे देख नहीं सकती थीं कि भिखारी का यह रूप असल में कबीर मल्होत्रा है, और वह सबको अपनी चालाकी से चौंकाने वाला है.

कबीर ने धीरे से जारिन की तरफ देखा. उसकी आँखों में मुस्कान और हल्की चमक थी, जैसे कह रहा हो, देखो, यह खेल अब शुरू हुआ है. सब कुछ मेरे नियंत्रण में है।

जारिन ने भी हल्की मुस्कान दी, उसकी आँखों में चुनौती की झलक थी, और उसने खुद से कहा, यह भिखारी या अमीर—जो भी हो, यह लडका शहर के सबसे बडे नामों में मेरी बराबरी करने वाला है।

कबीर ने फिर भीड में कदम बढाया, हर किसी की प्रतिक्रिया को ध्यान से पढते हुए. उसने देखा कि जो लोग पहले चमक- दमक और दौलत दिखाकर खुद को ताकतवर समझते थे, वे अब धीरे- धीरे झिझक रहे थे. उनकी असली नीयत, लालच और डर खुलने लगे थे.

लडकियाँ अब सीधे कबीर की ओर देख रही थीं. उनका दिल तेज धडक रहा था, उनके चेहरे लाल हो रहे थे, और वे समझ रही थीं कि यह भिखारी उनके लिए सिर्फ दिखावा नहीं—बल्कि कबीर मल्होत्रा का मास्टरप्लान है.

कबीर ने धीरे से जारिन की तरफ देखा और मुस्कुराते हुए कहा,
देखो, अब सबका असली चेहरा सामने आने वाला है. हर राज, हर चाल, हर भावना—सब उजागर होंगे।

जारिन ने हल्की हँसी के साथ जवाब दिया,
तो खेल शुरू हो गया. देखना होगा कौन असली हीरो है—दौलत और नाम से या चालाकी और आत्मविश्वास से।

भीड में हल्की खींचतान और उत्सुकता बढने लगी. लडकियाँ और कुछ पुरुष, जो पहले खुद को सबसे ऊँचा समझते थे, अब धीरे- धीरे झिझक रहे थे. उनके चेहरे पर डर और उत्सुकता का मिश्रण दिखाई दे रहा था.

कबीर ने हल्की मुस्कान के साथ हॉल के बीचों- बीच कदम रखा. उसकी आँखों की चमक और मास्टरप्लान की चालाकी ने सबको चेतावनी दे दी कि यह भिखारी कोई साधारण इंसान नहीं.

जारिन भी अपने आत्मविश्वासी अंदाज में उसके सामने खडा था. दोनों की आँखों में झलकती चुनौती और मास्टरप्लान का खेल अब पूरी पार्टी में दिखने लगा. हर कोई जान चुका था कि यह सिर्फ दौलत या नाम का मुकाबला नहीं—यह दिमाग, चालाकी और हीरो का मुकाबला है.

कबीर ने हल्की मुस्कान के साथ कहा,
और यह खेल अभी खत्म नहीं हुआ. अब धीरे- धीरे पर्दे उठेंगे, हर राज सामने आएगा, और सबको पता चलेगा कि असली ताकत और हीरो कौन है।


क्रिस्टल की लटकनों की रोशनी हॉल में बिखरी हुई थी, और हर तरफ चमकते जाम और महंगे गहनों की झिलमिलाहट ने पार्टी के माहौल को और शानदार बना दिया था. लोग हँसी- ठिठोली में व्यस्त थे, चहल- पहल, गपशप और धीरे- धीरे बढती उत्सुकता हर चेहरे पर दिख रही थी.

खूबसूरत लडकियाँ—रूबरू सोने- चांदी की पोशाकों में—अपने- अपने आकर्षण और मुस्कानों के साथ पार्टी में घूम रही थीं. उनके कदमों की खनक, हर हल्की हँसी और झलकती आँखें जैसे पूरे हॉल में सस्पेंस और रोमांस घोल रही थीं.

लेकिन इस सब के बीच एक अजीब सा दृश्य सबको चौंका रहा था—भिखारी का रूप लिए कबीर मल्होत्रा. झुर्रीदार कपडे, फटे जूते, हाथ में डब्बा, और चेहरे पर हल्की मुस्कान. कोई उसे गंभीरता से नहीं ले रहा था, लेकिन उसकी आँखों की चमक बता रही थी कि यह कोई साधारण भिखारी नहीं है.

कबीर ने धीरे- धीरे भीड में कदम रखा. हर कदम पर उसकी नजरें हर व्यक्ति की छिपी नीयत और असली भावना पढ रही थीं. कुछ लोग उसे ताज्जुब से देख रहे थे, कुछ लोग उसकी उपेक्षा कर रहे थे, और कुछ—खासतौर पर लडकियाँ—उसकी ओर बार- बार नजरें दौडा रही थीं.

कौन है यह भिखारी? एक लडकी ने धीरे से अपने दोस्त से कहा.
पता नहीं. लेकिन कुछ खास है इसमें. उसकी आँखों में. कुछ छिपा है।

कबीर ने हल्की मुस्कान के साथ आगे बढते हुए अपनी चालाकी दिखाना शुरू किया. वह जानता था कि भिखारी का यह रूप सिर्फ लोगों की नीयत परखने और उनकी छिपी असलियत देखने का हथियार है.

तभी हॉल के दरवाजे पर जारिन खान आया. शहरी रईस, जिसकी शौहरत और नाम बडे- बडे रईसों में माना जाता था. जारिन ने पहली नजर में भिखारी रूप लिए कबीर को देखा और हल्की मुस्कान दी. उसकी आँखों में हल्की चुनौती और जिज्ञासा झलक रही थी.

कबीर ने धीरे से उसकी ओर देखा और कहा,
तो यह वही जारिन खान है, जो दौलत और शौहरत के बीच अपनी अलग पहचान रखता है. आज हम आमने- सामने हैं।

जारिन ने हल्की हँसी के साथ उत्तर दिया,
और यह वही मल्होत्रा है, जो अपनी दौलत और नाम के बावजूद भिखारी का रूप अपनाता है. क्या यह दिखावा है या असली चालाकी?

भीड अब धीरे- धीरे दोनों के चारों ओर जमा हो गई. लडकियों की नजरें कबीर पर टिक गईं. उनका दिल तेज धडक रहा था, उनके चेहरे लाल हो रहे थे, और वे सोच रही थीं—भिखारी का यह रूप असली में क्या छिपा रहा है?

कबीर ने धीरे- धीरे हॉल में कदम बढाया. उसके हर कदम पर लोग खुद को संभालने की कोशिश कर रहे थे. हल्की- हल्की हँसी और फुसफुसाहट अब डर और जिज्ञासा में बदल गई थी.

कबीर क्यों भिखारी का रूप अपनाता है? कुछ लोग अपने आप से सोच रहे थे.
क्या यह सिर्फ मजाक है, या कुछ बडा राज?
और जारिन. क्या वह इस खेल में टिक पाएगा?

कबीर ने अपने भीतर मुस्कान के साथ कहा, हर चाल, हर मुस्कान, हर इशारा. सब मेरी योजना का हिस्सा है. ये लोग नहीं जानते कि मैं असली मल्होत्रा हूँ. और जो मैं अब हूँ—भिखारी—वह सबको उनकी असली शक्ल दिखाएगा।

लडकियाँ अब पूरी तरह आकर्षित हो गई थीं. उनके चेहरे पर हल्की शर्म, उत्सुकता और दिल में क्रश का मिश्रण था. किसी की नजरें उसके चेहरे पर टिक गईं, किसी की नजरें उसके हर कदम पर. वे बस देख रही थीं—कबीर की चाल, उसकी मुस्कान और उसकी आत्मविश्वास भरी आँखें.

जारिन ने हॉल में कदम बढाते हुए देखा कि लडकियों की नजरें कबीर पर टिक गई हैं. उसने धीरे से कहा,
सिर्फ भिखारी का रूप. क्या वह सच में सबकी नीयत परख रहा है? या यह केवल दिखावा है?

कबीर ने हल्की मुस्कान के साथ उत्तर दिया,
यह दिखावा नहीं, यह खेल है. और खेल अब शुरू हो गया है. कौन अपने चेहरे का पर्दा गिराएगा, कौन अपनी असली नीयत दिखाएगा—सब पता चलेगा।

भीड में धीरे- धीरे डर, उत्सुकता और रोमांच फैलने लगा. लोग खुद को संभालने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन कबीर की चालाकी और भिखारी का यह रूप हर किसी की नजरों में सवालिया निशान छोड रहा था.

कबीर क्यों आया है भिखारी बनकर? किसी ने फुसफुसाते हुए पूछा.
क्या यह सिर्फ अपनी पहचान छिपाने का तरीका है, या उसका कोई बडा मास्टरप्लान है?
और जारिन. क्या वह उसे पढ पाएगा?

कबीर ने भीड में हल्की मुस्कान के साथ कदम बढाया. उसकी आँखों की चमक और मास्टरप्लान की चालाकी ने सबको चेतावनी दी कि यह भिखारी कोई आम आदमी नहीं है. उसकी हर हल्की मुस्कान, हर झलक और हर चाल अब खेल का हिस्सा बन गई थी.

लडकियाँ अब बार- बार उसकी ओर देख रही थीं. उनका दिल धडक रहा था, उनके चेहरे लाल हो रहे थे, और उनके मन में सवाल उठ रहे थे—कबीर का असली मकसद क्या है? वह भिखारी क्यों बनकर आया है? और जारिन के सामने उसका असली चेहरा कब दिखेगा?

कबीर ने धीरे से जारिन की तरफ देखा और हल्की मुस्कान दी,
खेल अभी खत्म नहीं हुआ. पर्दे धीरे- धीरे उठेंगे, राज सामने आएंगे, और सब जानेंगे कि असली ताकत और हीरो कौन है।

जारिन ने हल्की हँसी के साथ जवाब दिया,
तो यह मुकाबला सिर्फ दौलत का नहीं, दिमाग और चालाकी का भी होगा. और भिखारी या अमीर. असली हीरो वही साबित होगा जो सबको चौंका देगा।

भीड में धीरे- धीरे सस्पेंस फैल गया. लोग खुद को संभालने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन सबकी नजरें कबीर और जारिन पर टिक गई थीं. लडकियों की नजरों में अब आकर्षण और क्रश स्पष्ट था, और उनके मन में सवाल उठ रहे थे—भिखारी क्यों? कबीर का असली मकसद क्या है?

कबीर ने हल्की मुस्कान के साथ कहा,
और यही खेल की सबसे बडी मजा है—सबको खुद पर सवाल उठाने पर मजबूर करना. कौन अपनी असली नीयत दिखाएगा, कौन डर जाएगा, और कौन सबका हीरो बनेगा?

हॉल में चमकते जाम, खुशबू और खूबसूरत लडकियों की हँसी, और भिखारी रूप में खडा कबीर—सभी ने मिलकर पार्टी को रोमांच और सस्पेंस से भर दिया.

लेकिन सवाल सबके मन में रह गया: कबीर भिखारी क्यों है? उसका असली मकसद क्या है? और जारिन, क्या वह उसे समझ पाएगा?

पार्टी के इस चमक- दमक और रोमांच के बीच, सबके मन में अनसुलझे सवाल और चौंकाने वाले राज बस धीरे- धीरे उभर रहे थे.



कबीर भिखारी के रूप में पार्टी में लोगों की असली नीयत पढता है,

जारिन और उसकी टकराहट होती है,

लडकियों का क्रश और आकर्षण पूरी तरह दिखता है,

और भिखारी का रूप अपनाने का असली मकसद धीरे- धीरे सामने आता है.





हॉल का माहौल अब और गहराई लेने लगा था. चमकते जाम और हँसी- ठिठोली के बीच, कबीर मल्होत्रा, भिखारी के रूप में, धीरे- धीरे लोगों की नजरों और उनके व्यवहार की बारीकियों को पढ रहा था. हर हल्की मुस्कान, हर फुसफुसाहट, हर ताना—सब उसके लिए जानकारी और खेल का हिस्सा बन चुके थे.

लडकियाँ, जो पहले सिर्फ अपने हुस्न और पोशाक के दम पर सबको मोहित करती थीं, अब कबीर की चालाकी और रहस्यमयी व्यक्तित्व पर पागल हो रही थीं. उनकी आँखें बार- बार उसकी ओर जा रही थीं, उनकी धडकन तेज हो रही थी, और दिल में एक सवाल उभर रहा था—यह भिखारी असल में कौन है?

कबीर ने हल्की झुकी मुस्कान के साथ हॉल में कदम बढाया. उसकी आँखों में अब हीरो की आत्मविश्वास और मास्टरप्लान की चमक साफ दिखाई दे रही थी. हर कदम पर वह देख रहा था कि कौन डर रहा है, कौन अपनी असली नीयत छुपा रहा है, और कौन केवल दिखावे के लिए हँस रहा है.

तभी जारिन खान ने उसके सामने कदम रखा. शहरी रईस और अपने नाम के दम पर सम्मानित, जारिन भी अब पूरी तरह सतर्क था. उसकी आँखों में चुनौती और जिज्ञासा झलक रही थी. उसने धीरे कहा,
तो यह वही मल्होत्रा है, जो भिखारी बनकर अपनी ही पार्टी में आया है. क्या यह मजाक है या मास्टरप्लान?

कबीर ने झुके बिना मुस्कुराते हुए उत्तर दिया,
मजाक नहीं, जारिन. यह केवल तरीका है—लोगों की असली नीयत देखने का तरीका. जो चमकते जाम और गहनों के पीछे छिपा है, वही सचाई सामने आएगी।

भीड अब दोनों के चारों ओर जमा हो गई. लडकियाँ, जिन्होंने पहले केवल अपनी अदाओं से सबको मोहित किया था, अब कबीर की चाल, मुस्कान और रहस्यमयी नजरों पर पागल हो रही थीं. उनका दिल धडक रहा था, उनकी आँखें बस उसे खोज रही थीं—कबीर मल्होत्रा या भिखारी?

कबीर ने एक हल्का इशारा किया, और कुछ लोग उसके पास धीरे- धीरे आए. उसकी चालाकी ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि वे बिना कहे उसकी हर हल्की हँसी और इशारे को पढने लगे.

जारिन ने पास जाकर कहा,
तुम्हारा यह भिखारी रूप. क्या यह केवल दिखावा है, या सबको चौंकाने का तरीका?

कबीर ने हल्की मुस्कान दी और कहा,
जारिन, कभी- कभी सबसे बडा हथियार यही होता है—लोगों की नजर में अनदेखा होना. जब कोई आपको हल्का समझे, तभी आप असली चाल चल सकते हैं. यह भिखारी मेरा सिर्फ एक रूप नहीं—यह मेरी योजना का हिस्सा है।

भीड में धीरे- धीरे हर किसी की असली नीयत खुलने लगी. कुछ लोग, जो पहले अपनी दौलत और नाम के दम पर सबको डराते थे, अब झिझक रहे थे. उनकी असली भावनाएँ—डर, लालच, या उत्सुकता—सब सामने आने लगी.

लडकियाँ अब पूरी तरह मोहित थीं. उनका दिल तेज धडक रहा था, उनके चेहरे लाल हो रहे थे. उनके मन में सवाल उठ रहे थे—भिखारी क्यों? कबीर का असली मकसद क्या है?

कबीर ने धीरे- धीरे हॉल में घूमते हुए देखा कि कौन Kiss तरह प्रतिक्रिया दे रहा है. हर मुस्कान, हर नजर, हर ताना—सब उसके लाभ में काम कर रहे थे. उसकी चालाकी अब स्पष्ट थी—भिखारी का रूप सिर्फ पर्दा था, असली मल्होत्रा अब खेल में उतर चुका था.

जारिन ने उसकी हर चाल को ध्यान से देखा. उसने खुद से कहा,
यह लडका सिर्फ दौलत और नाम से ही नहीं, बल्कि अपने दिमाग और मास्टरप्लान से भी सबको मात देने वाला है. मुझे सतर्क रहना होगा।

कबीर ने हल्की मुस्कान के साथ कहा,
और यही खेल की मजा है, जारिन. अब देखना है—कौन अपनी असली नीयत दिखाता है, कौन डर जाता है, और कौन सबका हीरो बनता है।

भीड में धीरे- धीरे उत्सुकता और रोमांच फैलने लगा. लडकियों की नजरें अब पूरी तरह उसकी ओर थीं. वे बस देख रही थीं—भिखारी का रूप, मास्टरप्लान, और वह हीरो जिसे कोई देख नहीं पाया था.

कबीर ने एक कदम आगे बढाया और हल्की मुस्कान दी, जैसे कह रहा हो, अब सबकी असली शक्ल सामने आने वाली है. पर्दे गिरेंगे, राज खुलेंगे, और सब जानेंगे—भिखारी के पीछे कौन छुपा है।

जारिन ने हल्की हँसी के साथ कहा,
तो यह मुकाबला सिर्फ दौलत का नहीं, दिमाग, चालाकी और मास्टरप्लान का भी है. और भिखारी या अमीर. असली हीरो वही साबित होगा जो सबको चौंकाएगा।

कबीर ने धीरे से हॉल में कदम बढाया. उसकी मुस्कान और आत्मविश्वास ने सबको चेतावनी दे दी कि यह कोई साधारण भिखारी नहीं. उसकी हर हल्की मुस्कान, हर झलक, हर इशारा अब खेल का हिस्सा बन चुका था.

लडकियाँ अब बार- बार उसकी ओर देख रही थीं. उनका दिल तेज धडक रहा था, चेहरे लाल हो रहे थे, और उनके मन में सवाल उठ रहे थे—भिखारी क्यों? कबीर का असली मकसद क्या है? और जारिन, क्या वह उसे पढ पाएगा?

कबीर ने धीरे से जारिन की तरफ देखा और मुस्कुराते हुए कहा,
खेल अभी खत्म नहीं हुआ. पर्दे धीरे- धीरे उठेंगे, हर राज सामने आएगा, और सब जानेंगे कि असली ताकत और हीरो कौन है।

पार्टी के चमकते जाम, खूबसूरत लडकियों की हँसी, और भिखारी रूप में खडा कबीर—सभी ने मिलकर हॉल को रोमांच और सस्पेंस से भर दिया.

लेकिन सवाल सबके मन में रह गया:

कबीर भिखारी क्यों है?

उसके पीछे क्या मकसद है?

जारिन, क्या वह उसे पढ पाएगा?

लडकियों का क्रश कबीर पर क्यों पागल हो गया?

हॉल की चमक- दमक में, झिलमिलाती क्रिस्टल की लाइट और चहकते जाम के बीच, कबीर मल्होत्रा, भिखारी के रूप में, धीरे- धीरे बार की तरफ बढ रहा था. हर कदम पर उसकी नजरें हर चेहरे की असली नीयत पढ रही थीं. उसके लिए यह सिर्फ एक जाम लेना नहीं, बल्कि लोगों की प्रतिक्रियाओं और डर- लालच का परीक्षण था.

भीड में लडकियों की नजरें लगातार उस पर टिक गई थीं. उनके दिल तेज धडक रहे थे, और उनके चेहरे लाल हो रहे थे. हर कोई सोच रहा था—यह भिखारी असल में कौन है? और जारिन की नजरें भी वहीं टिक गईं.

कबीर ने झुकते हुए धीरे- धीरे एक महंगे जाम की ओर हाथ बढाया. तभी अचानक उसकी राह में वह लडकी खडी हो गई—शहर की सबसे प्रभावशाली और चालाक हसीना, जिसे सब विलन और हीरोइन दोनों का मिश्रण मानते थे.

उसने तेज आवाज में कहा,
कहाँ जा रहे हो तुम? तुम्हें पता भी है कि ये शराब कितनी महंगी है?

कबीर ने बिना हिले मुस्कुराते हुए कहा,
सिर्फ एक जाम लेना चाहता हूँ. डरने की कोई बात नहीं।

वह लडकी हल्की हँसी के साथ बोली,
तुम्हारी औकात है इस शराब को छूने की?

और अचानक उसने कबीर के हाथ से गिलास छीन लिया और उसे जोर से धक्का मार कर गिरा दिया. कांच के टुकडे फर्श पर बिखर गए और हल्की चीखें हॉल में गूँज उठीं.

फिर उसने पूरी भीड की नजरों के सामने झुकते हुए कहा,
My foot! तुम्हें यहाँ घुसने किसने दिया? पता नहीं Kiss गंदी नाली की कीचड से उठ कर यहाँ आए हो, गंदी नाली के कीडे।

भीड में हल्की हँसी और सरासर चौंक का मिश्रण फैल गया. लोग सोचने लगे—यह भिखारी कौन है, जो इतनी ठसक और आत्मविश्वास के साथ सामना कर रहा है?

कबीर ने मुस्कान छुपाते हुए पीछे कदम बढाया. उसकी आँखों में हीरो का आत्मविश्वास और चालाकी साफ दिखाई दे रही थी. वह जानता था—हर नजर, हर शब्द, हर प्रतिक्रिया उसके लिए खेल का हिस्सा है.

लडकी ने धीरे से उसे देखा और कहा,
देखा, सबको लगता है कि भिखारी कमजोर होता है, लेकिन यह.

कबीर ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया,
और यही मजा है—जो दिखता है, वह हमेशा सच नहीं होता. और जो अब भिखारी है, वह सबको चौंका देगा।

भीड अब पूरी तरह इस टकराहट पर केंद्रित थी. लडकियों की नजरें अब पूरी तरह कबीर पर, और जारिन की नजरें भी वहीं टिक गई थीं. हर कोई यह सोच रहा था—भिखारी का यह रूप क्या असली है या मास्टरप्लान?

कबीर धीरे- धीरे हॉल में घूमते हुए देख रहा था कि लोग डर, उत्सुकता और जिज्ञासा में कैसे फँस रहे थे. उसकी चालाकी अब पूरी तरह सामने आ रही थी—भिखारी का रूप सिर्फ पर्दा था, असली मल्होत्रा अब खेल में उतर चुका था.

जारिन ने उसकी हर चाल पर ध्यान दिया. उसने खुद से कहा,
यह लडका सिर्फ दौलत और नाम से ही नहीं, बल्कि दिमाग और मास्टरप्लान से भी सबको मात देने वाला है. मुझे सतर्क रहना होगा।

कबीर ने हल्की मुस्कान के साथ कहा,
और यही खेल की मजा है. अब देखना है—कौन अपनी असली नीयत दिखाता है, कौन डर जाता है, और कौन सबका हीरो बनता है।

भीड में धीरे- धीरे रोमांच फैलने लगा. लडकियाँ अब पूरी तरह उसके आकर्षण में पागल हो गई थीं. उनका दिल तेज धडक रहा था, उनके चेहरे लाल हो रहे थे. उनके मन में सवाल उठ रहे थे—भिखारी क्यों? कबीर का असली मकसद क्या है?

कबीर ने धीरे से जारिन की तरफ देखा और हल्की मुस्कान दी, जैसे कह रहा हो, सब्र करो, पर्दे धीरे- धीरे उठेंगे. असली खेल अभी शुरू हुआ है।

लडकी, जिसने गिलास छीनकर उसे धक्का दिया था, अब कुछ कदम पीछे हट गई, लेकिन उसकी आँखों में आत्मविश्वास और चुनौती झलक रही थी. उसने धीरे से कहा,
देखो, यहाँ हर कोई अपनी औकात दिखाता है, लेकिन यह भिखारी. कुछ अलग है. असली खेल अब शुरू हुआ है।

कबीर ने हल्की मुस्कान के साथ हॉल में कदम बढाया. उसकी मुस्कान और आत्मविश्वास ने सबको चेतावनी दे दी कि यह कोई साधारण भिखारी नहीं. उसकी हर हल्की मुस्कान, हर झलक, हर इशारा अब खेल का हिस्सा बन चुका था.

लडकियाँ अब बार- बार उसकी ओर देख रही थीं. उनका दिल तेज धडक रहा था, चेहरे लाल हो रहे थे, और उनके मन में सवाल उठ रहे थे—भिखारी क्यों? कबीर का असली मकसद क्या है? और जारिन, क्या वह उसे पढ पाएगा?

कबीर ने धीरे से जारिन की तरफ देखा और मुस्कुराते हुए कहा,
खेल अभी खत्म नहीं हुआ. पर्दे धीरे- धीरे उठेंगे, हर राज सामने आएगा, और सब जानेंगे कि असली ताकत और हीरो कौन है।

जारिन ने हल्की हँसी के साथ कहा,
तो यह मुकाबला सिर्फ दौलत का नहीं, दिमाग, चालाकी और मास्टरप्लान का भी है. और भिखारी या अमीर. असली हीरो वही साबित होगा जो सबको चौंकाएगा।

भीड अब पूरी तरह रोमांच और सस्पेंस में डूब चुकी थी. लडकियों की नजरें अब पूरी तरह उसकी ओर थीं. वे बस देख रही थीं—भिखारी का रूप, मास्टरप्लान, और वह हीरो जिसे कोई देख नहीं पाया था.

लेकिन सवाल सबके मन में रह गया:

कबीर भिखारी क्यों है?

उसके पीछे क्या मकसद है?

जारिन, क्या वह उसे पढ पाएगा?

लडकी जिसने उसे रोका—क्या वह विलन है या कुछ और?


कबीर की आँखों में अब और तेज चमक थी. उसकी मुस्कान बस यह कह रही थी—“ सब्र करो, पर्दे धीरे- धीरे उठेंगे. असली खेल अभी शुरू हुआ है. और हर राज सामने आएगा।


भीड में हल्की हडबडी फैल गई थी. गिलास टूटते ही चमकते जाम की महक और टकराहट की आवाज पूरे हॉल में गूँज गई. लेकिन कबीर ने हल्की मुस्कान बनाए रखी, जैसे यह सब उसकी योजना का हिस्सा हो. उसने झुके बिना लडकी की ओर देखा, जिसकी आँखों में अब गुस्सा और चुनौती दोनों झलक रहे थे.

लडकी ने अपनी अदाओं में पूरी ताकत डालते हुए कहा,
अब देखो, कौन तुम जैसे किसी को यहाँ घुसने देता है. शहर की चमक- दमक में, ये नासमझ. तुम्हारे जैसे कीडे।

कबीर ने हल्की आवाज में कहा,
शहर की चमक सिर्फ सतही है. और जो सतह पर चमकता है, जरूरी नहीं कि अंदर मजबूत हो।

भीड में लोगों की नजरें अब पूरी तरह उस टकराहट पर टिक गईं. कोई हँसी रोक नहीं पा रहा था, कुछ सस्पेंस में खो गए थे. लडकियों की निगाहें बार- बार कबीर पर टिक रही थीं, उनका दिल तेज धडक रहा था. वे समझ रही थीं—यह लडका सिर्फ भिखारी नहीं, बल्कि खेल का सबसे बडा खिलाडी है.

कबीर ने धीरे- धीरे कदम बढाया, हर कदम के साथ भीड में छिपी भावनाओं और डर को पढते हुए. उसकी आँखों की चमक और मुस्कान ने सबको चौंका दिया. किसी ने सोचा भी नहीं था कि भिखारी का यह रूप इतना सशक्त और चालाक हो सकता है.

तभी जारिन की नजरें कबीर पर टिकीं. उसके चेहरे पर हल्की चिंता और चुनौती दोनों झलक रही थीं. उसने सोचा, यह लडका सिर्फ दिखावा नहीं कर रहा. हर कदम और मुस्कान के पीछे उसकी चालाकी छिपी है. मुझे सतर्क रहना होगा।

कबीर ने भीड में घुसते हुए देखा कि लडकियाँ और कुछ पुरुष अब उसकी ओर बार- बार देख रहे थे. लडकियों का आकर्षण अब साफ दिखाई दे रहा था—उनके दिलों की धडकन तेज थी, उनके चेहरे लाल हो रहे थे, और उनकी नजरें उसके मास्टरप्लान की ओर केंद्रित थीं.

कबीर ने धीरे- धीरे हॉल में कदम बढाया, और उसकी नजरें अब हॉल में छिपे राज और डर पर टिक गईं. वह जानता था—कुछ लोग जो चमक- दमक और दौलत के दम पर खुद को ताकतवर दिखा रहे हैं, उनकी असली नीयत अब खुलने वाली है.

लडकी, जिसने पहले उसे रोका था, अब थोडी पीछे हट गई, लेकिन उसकी आँखों में संतोष और चुनौती की चमक थी. उसने धीरे से फुसफुसाया,
शायद यह भिखारी सिर्फ दिखावा नहीं. कुछ बडा होने वाला है।

कबीर ने हल्की मुस्कान के साथ कहा,
बडा तो वही होगा, जो असली मास्टरप्लान समझ पाएगा. और जो यहाँ सिर्फ दिखावे में फँसा है, उसकी असली शक्ल अब उजागर होगी।

भीड अब पूरी तरह सस्पेंस और रोमांच में डूब गई थी. लोग अपने आस- पास की हर हल्की प्रतिक्रिया पर नजर रख रहे थे. उनकी आँखों में डर और जिज्ञासा मिश्रित हो गया था. लडकियाँ बार- बार उसकी ओर देख रही थीं, और कुछ अब खुले तौर पर आकर्षित हो रही थीं.

कबीर ने धीरे से जारिन की तरफ देखा. उसकी मुस्कान में अब हीरो की मास्टरप्लान चालाकी झलक रही थी. उसने कहा,
सब्र रखो. पर्दे धीरे- धीरे उठेंगे, और हर राज सामने आएगा. असली खेल अभी शुरू हुआ है. और हर किसी की नीयत अब जांच के घेरे में है।

जारिन ने हल्की हँसी के साथ कहा,
तुम्हारा यह खेल आसान नहीं है. हर कदम पर चालाकी और मास्टरप्लान. मैं जान रहा हूँ कि तुम्हारा असली मकसद अभी सामने नहीं आया।

कबीर ने धीरे- धीरे हॉल के बीचों- बीच कदम बढाया. उसकी आँखों में अब हर व्यक्ति की असली नीयत और भावनाओं का साक्षात्कार था. हर मुस्कान, हर फुसफुसाहट, हर ताना—सब उसके लिए खेल का हिस्सा बन चुका था.

लडकियों का क्रश अब पूरी तरह स्पष्ट था. वे बस देख रही थीं—भिखारी के रूप में खडा कबीर, उसके मास्टरप्लान, उसकी चाल और उसका रहस्यमयी व्यक्तित्व. उनकी नजरें बार- बार उसकी ओर जा रही थीं, उनके दिल तेज धडक रहे थे, और उनके मन में सवाल उठ रहे थे—भिखारी क्यों? कबीर का असली मकसद क्या है? और जारिन इसे समझ पाएगा या नहीं?

कबीर ने हल्की मुस्कान के साथ कहा,
खेल अभी खत्म नहीं हुआ. पर्दे धीरे- धीरे उठेंगे, राज सामने आएंगे, और सब जानेंगे कि असली ताकत और हीरो कौन है।

भीड अब पूरी तरह रोमांच और सस्पेंस में थी. लडकियों की नजरें अब पूरी तरह उसकी ओर थीं. उनके मन में सवाल उठ रहे थे—भिखारी का असली मकसद क्या है, और वह क्यों इस रूप में आया है?


कबीर ने भीड में कदम बढाया, हर किसी की हल्की- हल्की प्रतिक्रिया को अपनी आंखों में दर्ज करते हुए. वह जानता था कि जो लोग दिखावे पर विश्वास करते हैं, उनकी असली नीयत अब उजागर होने वाली है.

जैसे ही उसने अपने हाथ बढाए, एक लडकी—जो पहले उसे रोक चुकी थी—फिर से उसके सामने आ गई. उसकी आँखों में अब चुनौती और हल्की जिज्ञासा दोनों झलक रही थीं. उसने कहा,
तुम सिर्फ भिखारी नहीं लगते. कुछ अलग है. पर यह सब क्यों?

कबीर ने झुके बिना मुस्कराया और कहा,
कभी- कभी सबसे बडा हथियार यही होता है—लोगों की नजर में हल्का दिखना. और जो हल्का दिखता है, वही सबसे ज्यादा ताकतवर होता है।

भीड में धीरे- धीरे हर किसी की असली भावना खुलने लगी. कुछ लोग घबरा रहे थे, कुछ जिज्ञासा में खो गए थे, और कुछ—खासतौर पर लडकियाँ—कबीर के रहस्यमयी व्यक्तित्व और मास्टरप्लान के सामने पागल हो रही थीं.

जारिन की नजरें अब पूरी तरह उस पर थीं. उसने सोचा, यह लडका सिर्फ दिखावा नहीं कर रहा. हर कदम, हर मुस्कान, हर इशारा. सब मास्टरप्लान का हिस्सा है. मुझे सतर्क रहना होगा।

कबीर ने भीड में धीरे- धीरे कदम बढाया और देखा कि लोग खुद को संभालने की कोशिश कर रहे थे. उसकी हर मुस्कान, हर झलक, और हर हल्का इशारा अब खेल का हिस्सा बन चुका था.

फिर उसने धीरे से लडकी की तरफ देखा, जो उसे पहले रोके थी. उसकी आवाज में हल्का डर और उत्सुकता दोनों थे. कबीर ने मुस्कान के साथ कहा,
तुम सोच रही हो कि मैं कौन हूँ और क्यों भिखारी बनकर आया हूँ. सबका सच सामने आने वाला है. और जो डरता है, उसका पर्दा गिर जाएगा।

लडकी ने धीरे से कहा,
शायद यही वजह है कि तुम यहाँ आए—सबकी असली नीयत परखने के लिए. पर क्या जारिन इसे समझ पाएगा?

कबीर ने हल्की मुस्कान के साथ कहा,
जारिन को अब समझना ही होगा. और बाकी. जो दिखावे में फँसा है, उसकी असली शक्ल अब उजागर होगी।

भीड में धीरे- धीरे रोमांच फैलने लगा. लडकियों की नजरें अब पूरी तरह उसकी ओर थीं. उनका दिल तेज धडक रहा था, उनके चेहरे लाल हो रहे थे. वे बस देख रही थीं—भिखारी का रूप, मास्टरप्लान और वह हीरो जिसे कोई नहीं पहचान पाया.

कबीर ने हॉल के बीचों- बीच कदम बढाया. उसकी मुस्कान और आत्मविश्वास ने सबको चेतावनी दी कि यह कोई साधारण भिखारी नहीं. उसकी हर हल्की मुस्कान, हर झलक, हर इशारा अब खेल का हिस्सा बन चुका था.
और तभी, हॉल के एक और कोने से एक हल्की फुसफुसाहट और आवाज आई. किसी ने कहा,
तुम सोच रहे हो कि सब नियंत्रित है, पर तुम्हें पता नहीं कि इस पार्टी में छुपा हुआ एक और राज भी है. और वही राज सबको हिला देगा।

कबीर ने उस आवाज की ओर देखा. उसकी आँखों में अब और तेज चमक थी. यह संकेत था—मास्टरप्लान अभी शुरू हुआ है, और हर व्यक्ति की असली नीयत अब जांच के घेरे में आने वाली है.

भीड में हर किसी की धडकन तेज हो गई. लडकियों की नजरें बार- बार कबीर पर टिक रही थीं. उनका दिल तेज धडक रहा था, उनके चेहरे लाल हो रहे थे. उनके मन में सवाल उठ रहे थे—भिखारी का असली मकसद क्या है? और जारिन, क्या वह इसे समझ पाएगा?

कबीर ने धीरे- धीरे हॉल में कदम बढाया और हल्की मुस्कान के साथ कहा,
खेल अभी खत्म नहीं हुआ. पर्दे धीरे- धीरे उठेंगे, राज सामने आएंगे, और सब जानेंगे कि असली ताकत और हीरो कौन है।



कबीर भिखारी के रूप में सबकी असली नीयत परखता है,

जारिन और लडकी के सामने हीरो अंदाज में सामने आता है,

और भिखारी रूप के पीछे का असली मकसद धीरे- धीरे खुलता है.




आगे देखिये क्या होगा अब आगे. क्या कबीर मल्होत्रा का छुपा हुआ राज जान पायेगी दुनिया क्या कबीर मल्होत्रा और जारिन खान आमने सामने आयेंगे जानने के लिए बनें रहें