Sone ka Pinjra - 19 in Hindi Adventure Stories by Amreen Khan books and stories PDF | सोने का पिंजरा - 19

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सोने का पिंजरा - 19

नोटबुक के पन्नों में कई कच्चे नक्शे बने हुए थे—किसी पुराने शाही योजनाकार ने जैसे हवेली के अंदर की झलकियाँ छुपा कर रख दी हों. उन नक्शों में एक खास कमरा बार- बार उभर कर आता—एक छोटा कमरा, जहाँ पर कुछ उपकरण और एक पुराना बक्सा दिखता था. पन्ने के किनारे पर किसी ने छोटे अक्षर में लिखा था—“ वहाँ देखो—सच की परछाईं। अरहान ने कहा—“ अगर हम वहाँ पहुँचते हैं, तो हमें पता चल सकता है कि सुनीता आंटी की मौत क्यों हुई। वेरिका ने कोशिश की कि भरोसा बनाये रखे—पर उसके शब्दों में कांप थी. अगर वहाँ कुछ और है. अगर यह सिर्फ धोखा है. तो हम फिर से फँस जाएंगे।

वे कम से कम चारों मिल कर आगे बढे—मशालें थिरकतीं, छायाएँ गिरतीं और उठतीं. कभी- कभी दीवारों पर बने पुराने चित्रों की आँखें मानो उनके साथ चलतीं. हवा में किसी नेतृत्व की गंध थी—जैसे किसी की साँस वहाँ अभी- अभी रुकी हो. अचानक एक जगह पर जमीन में दरार और अधिक चौडी हो गई—और वहाँ से किसी भारी चीज की आहट आई. जेरेफ ने कहा—“ ध्यान से, यह कोई जाल हो सकता है। पर कबीर ने बिना रुके आगे बढने का संकेत दिया—“ हमें रुकना नहीं चाहिए, निश्चय ही इसका जवाब इसी गहराई में है।

जब वे उस कमरे के पास पहुँचे, तो दरवाजा आधा खुला था. भीतर से एक बूढा तथा जर्जर डेस्क दिखा, ऊपर पडे कागजातों पर धूल जमी हुई थी. डेस्क के ऊपर एक लंपट सी किताब थी—जिसके पृष्ठों के किनारों पर खून के हल्के निशान थे. अरहान ने बेटी- सी नजर से कहा—“ यहां कुछ बहुत पुराना है—कुछ ऐसा जो किसी ने छिपाया। जेरेफ ने अचानक डेस्क के नीचे से कुछ उठाया—एक छोटा सा घुमावदार कुंजी की तरह का तुकडा, जिस पर भीषण खरोंचें थीं. उनकी उंगलियाँ खून से लाल परत पर टिकी थी—नहीं, यह खून का निशान नहीं था; यह किसी लाल स्याही का हल्का दाग था जो उजाला होने पर और भी गहरा दिख रहा था. वेरिका ने कहा—“ यह वही स्याही है जो नोटबुक में थी। कबीर ने धीमी आवाज में कहा—“ तो कोई हाल ही में यहाँ आया था।

कमरे के बीच में एक पुराना आर- पार का चैन खडा था—जैसे किसी ने यहाँ पर किसी प्रयोग के लिए उपकरण रखे हों. दीवार पर कुछ तस्वीरें छत्तों के रूप में जमी हुई थीं—उनमें से एक तस्वीर में सुनीता आंटी किसी अनजान आदमी के साथ खडी थीं—उस आदमी के चेहरे पर थोडी धुँधलापन थी पर उसकी स्थिति निर्भीक से भरी थी. अरहान की नजर अचानक तस्वीर के किनारे पर जमी धूल पर ठहरी—उस धूल में खरोंचें बनी हुईं थीं—और उनमें एक अक्षर उभर आया—एक सरल R। उसकी साँस थम गई. यह वही R है, उसने फुसफुसाया. यह किसी विस्तृत संकेत की तरह है. यह कहता है कि कोई हमें इस हवा में छोडकर चल दिया। वेरिका ने कहा—“ तो R—कौन है? किसका नाम R से शुरु होता है? जेरेफ ने कहा—“ या यह सिर्फ एक प्रतीक हो सकता है. एक प्रतीक जो किसी पुराने वंश या संगठन से जुडा हो।

सम्राट ने कमरे में चारों ओर देखा—उसकी निगाहें अचानक तस्वीरों पर ठहर गईं—“ यह तस्वीरें पुरानी हैं—पर कुछ तो नई भी हैं. कोई जानबूझ कर पुराना रंग दे रहा है ताकि तुम अनभिज्ञ रहो. पर वही पुरानी चीजें झूठ नहीं बोलती—वे सिर्फ धैर्य से प्रतीक्षा करती हैं। कबीर ने पूछा—“ क्या आप कहते हैं कि सुनीता आंटी की मौत का कारण इसी संगठन से जुडा हुआ हो सकता है? सम्राट ने जवाब दिया—“ कभी- कभी कारण कब्. जी विद्रूप होते हैं—वे एक तंत्रीय खेल होते हैं. सुनीता शायद खेल की न्यूनतम एक मोहर थीं—या उन्होंने कुछ देखा था जो किसी को मंजूर नहीं था।

वेरिका ने हाथ जोडकर कहा—“ तो हमें क्या करना होगा? हम क्या कर सकते हैं? कबीर ने उसकी ओर देखा—“ हमें प्रमाण इकट्ठा करने होंगे. नोटबुक का हर शब्द, तस्वीरों का हर किनारा, और उस दिन की हर कडी को जोडना होगा। अरहान ने थपकी देते हुए कहा—“ और हम इसे अकेले नहीं छोडेंगे. मैंने फैसला किया है कि मैं पुलिस को फिर से संपर्क करूँगा—पर इस बार मैं किसी भरोसेमंद इंसान के साथ जाऊँगा।

सम्राट ने ठंडी हँसी से कहा—“ भरोसा फिर से बनाना आसान नहीं होगा. और हवेली की गहराई में छिपे सच अक्सर इसे तोड देते हैं। जेरेफ ने एक चीज की ओर इशारा किया—डेस्क के ऊपर एक खोया हुआ पत्र था—जिसके ऊपर केवल कुछ नाम लिखे थे और उनमें से एक के पास R का निशान था. पत्र के पन्नों में से कुछ रेखाएं उखडी हुई थीं—मानो किसी ने जल्दी में कुछ मिटाया हो. कबीर ने धीरे- धीरे पत्र उठाया—उसके हाथ कांप रहे थे—और उसने पढा—“ जो जानता था, उसने कहा—R ने कहा कि आवरण खोलना आवश्यक है. पर आवरण खोलने से पहले, स्वयं का मोल रखना होगा। कबीर ने पन्ना नीचे रख दिया और कहा—“ यह आगे की समस्या है. हमें पता लगाना होगा कि R ने किसे बुलाया था।

उन्होंने संक्षेप में योजना बनाई—अरहान पुलिस के संपर्क में जाएगा, पर अपने भरोसेमंद किसी पुराने साथी के साथ; वेरिका और कबीर नोटबुक और तस्वीरों की पडताल करेंगे; जेरेफ और जारिन हवेली के पुराने रिकॉर्ड और बही- खाते देखेंगे; और सम्राट—सम्राट खुद ही वहां रहकर सब कुछ देखता रहेगा. पर सबके दिलों में यह समझ थी कि सम्राट की भागीदारी का मतलब हमेशा किसी और की तरजीह होती है. फिर भी, बिना उसके अनुमोदन के आगे बढना कठिन था—क्योंकि उसने ही इसमें उन्हें भीतर खींचा था.

रात गहराती गई. हवेली की खिडकियाँ शीतलता की चादर ओढे खडी थीं. हवेली की दीवारें अब और भी गाती दिखने लगी थीं—एक गाना जो पुरानी पीडा का वर्णन करता था. बीच- बीच में किसी को कोई झिंझोडती आवाज सुनाई देती—एक बडबडाहट, कोई नाम, कोई पुकार—जिसे वे सुनते ही काँप उठते. वेरिका ने कबीर के कान में फुसफुसाया—“ अगर हम R को खोज नहीं पाए तो क्या होगा? कबीर ने जवाब दिया—“ अगर हम R को नहीं ढूँढ पाए तो हवेली कुछ और मांग लेगी—और यह मांग हमेशा की तरह बडी होगी।

अचानक एक धमाका हुआ—किसी दरवाजे के पीछे से. सब लोग एक साथ खडे हो गए. जेरेफ की आँखें चमकीं—“ कोई आ रहा है। पर एक झटके में एक धीमी आवाज गूंज उठी—एक संक्षिप्त गीत जो सुनीता आंटी ही गाया करती थीं—पर यह आवाज धीमी और टूटी हुई थी. वेरिका ने कहा—“ यह भ्रम है. यह आवाज रिकॉर्डेड ही होगी। पर अरहान ने ठंडे मन से कहा—“ कोई रिकॉर्डिंग किसी समय प्ले कर सकता है—पर वह रिकॉर्डिंग यहाँ किसने लगाई? और क्यों? सम्राट ने उत्तर दिया—“ कभी- कभी किसी की याद भी हथियार बन जाती है. वह हथियार लोगों को मारता नहीं पर उनकी आत्मा को खा जाता है। कबीर ने कहा—“ तो हमें उस हथियार का स्रोत ढूँढना होगा।

सभी ने एक निर्णय लिया—वे हवेली के पुराने रिकॉर्डर और कैमरा का निरीक्षण करेंगे. जेरेफ और जारिन ने तहखाने के एक पुराने कोश के दरवाजे खोले. वहाँ एक पुराना रील- टू- रिल रिकॉर्डर मिला—और उसी के पास एक छोटी पेटी जिसमें पुरानी टेप्स रखी थीं. टेप्स पर तारीख थीं—कई साल पुरानी. पर एक टेप की डेट हाल की लगी—और उसी पर छोटी- छोटी लकीरें बनी थीं—मानो किसीने बार- बार उस टेप पर कुछ लिखा और मिटाया हो. जेरेफ ने टेप उठाया—उसकी उँगलियाँ कंपन कर रही थीं. यह वही टेप है, उन्होंने कहा. यह वही है जिसको हमने पुलिस को पहले दिखाया था—पर कुछ cut गया हुआ था। कबीर ने संयमित आवाज में कहा—“ हमें यह टेप खोल कर सुनना होगा—पर सावधानी से. कोई जाल नहीं होना चाहिए।

वे टेप प्लेयर के पास गए. हवा में एक अजीब तन्यता फैल गई—जैसे किसी ने दिल की धडकन को तेज कर दिया हो. टेप प्लेयर शुरू हुआ—खट- खट की आवाज आई, फिर कुछ सन्नाटा और फिर धीरे- धीरे सुनीता आंटी की आवाज—कमजोर, पर पहचानने योग्य. वे सब चुप हो कर सुनने लगे. सुनीता की आवाज में एक तरह की चिंता और चेतावनी थी—“ अगर तुम यह सुन रहे हो, तो समझ लो कि मैंने कुछ देखा है. मैंने उस दिन एक परछाई देखी थी—उसकी आँखें ग्लास जैसी थीं, और उसने कहा—R को मत छुओ. पर मैंने सोचा कि R कोई व्यक्ति नहीं—वह कोई निशाँ है। आवाज टूट गई और कुछ क्षण के बाद फिर शुरू हुई—“ अगर तुम सच जानना चाहते हो तो पैनल के पीछे देखो—चाबी वहीं है—पर चाबी की कीमत तुमको देनी होगी। टेप cut गया—फिर फिर से शुरू हुआ—पर बीच में आवाज में किसी का खटास का एहसास था—किसी ने फिर से टेप के बीच से किसी हिस्से को काट दिया था.

टेप ने एक और छोटा अंश छोडा—एक धीमी फुसफुसाहट जिसमें एक पुरुष स्वर ने कहा—“ हमने तय कर लिया है कि इसे आगे नहीं बढाया जाएगा. हमने फैसला किया है कि कुछ लोगों को भूल जाना चाहिए। सुनीता की आवाज फिर आई—“ जो भूलेंगे, वे सुरक्षित होंगे. पर जो जानना चाहेगा उसे कीमत चुकानी होगी। टेप फिर शून्य में चला गया—और प्लेयर के आगे की सफेद बत्ती घुटने लगी. कमरे में एक अजीब चुप्पी छा गई. वे सभी ठहर गए—जैसे हवा ने उनकी साँस रोकी हो. वेरिका के होंठ कंपकपा रहे थे—“ क्या कोई इतना निर्दयी होगा? कबीर ने कहा—“ हवेली ने हमें सिखाया है कि निर्दयता भी एक औजार है—और औजारों का प्रयोग वे करते हैं जो भय पैदा करना चाहते हैं।

वे बाहर आए—हवा अब और भी ठंडी थी. आसमान पर बादल छाए हुए थे—हवेली की ऊँची छतों से कहीं- कहीं चलते हुए पंछी रात के लिए अपने घोंसले ढूँढ रहे थे. अरहान ने कहा—“ मैं पुलिस को बुलाऊँगा—इस बार मैं किसी ऐसे इंसान के साथ जाऊँगा जो हमें सही तरीके से सुने। सम्राट ने उसकी ओर देखा—“ तुम्हें सावधानी बरतनी होगी. तुम अकेले जाओ तो यह और भी बडा खेल बन सकता है। अरहान ने ठान लिया—“ मैं अकेला नहीं जाऊँगा। और इस तरह वे विभाजित हुए—पर एक अंदरूनी बात जो दिल के कोने में थी—उनमें से कोई भी यह जानता नहीं था कि अगला कदम उनका बचपन छीन कर ले जाएगा.

हवेली की दीवारें अब और भी गहरी कहानी कह रही थीं—एक कहानी जिसमें मौत, धोखा, और बलिदान का मेल था. नींद कहीं दूर थी—उनके विचारों ने उन्हें जकड लिया था. वेरिका ने नोटबुक को कस कर पकडा और कहा—“ हम रात भर यहाँ रहेंगे. हम सूर्योदय तक नहीं जाएंगे। कबीर ने सिर हिलाया—“ हवेली को सुलाने के बजाय, हमें उसे जगाना होगा—तभी सच भीतर से बाहर निकलेगा। और उन्हीं शब्दों के साथ वे रात के अँधेरे में खडे रहे—जैसे किसी युद्ध से पहले के सैनिक जो अपनी तलवारें नापते हैं.

वॉइसओवर) सुनीता आंटी की मौत अब सिर्फ एक मामला नहीं रही—यह एक चुनौती बन चुकी है. R की परछाईं कहाँ से आती है? कौन उस पर छाया फेंक रहा है? और क्या ये लोग तैयार हैं वह कीमत देने के लिये जो सच की खदान खोलती है?

INT. हवेली का दरबार हाल – रात – कैमरा वाइड शॉट]

हवेली का विशाल दरबार हॉल सुनसान था. झूमर में लगी काँच की लटकनियाँ हल्की- हल्की हिल रही थीं, मानो किसी अदृश्य हवा का असर हो. बाहर तूफान की गडगडाहट, भीतर दीवारों पर लटकी भारी पेंटिंग्स, और बीचोंबीच – कबीर का शाही प्रवेश.

CAMERA ZOOM – कबीर]

काले सिल्क के कुर्ते पर सोने की कढाई, हाथ में एक पुरानी अंगूठी, जिसकी चमक अँधेरे में भी आग जैसी लग रही थी. कदमों की आहट मार्बल फ्लोर पर गूंजती, जैसे राजमहल का कोई राजा लौट आया हो.

कबीर( धीमे स्वर में)
अब वक्त है. दौलत की असली ताकत दिखाने का।




CLOSE SHOT – कबीर की दौलत की चमक]

कैमरा घूमता है — कमरा जगमगा उठता है.

दीवारों पर सोने की जडाई वाले दर्पण.

अलमारियों में रखे अनगिनत सोने- चाँदी के बर्तन.

फर्श पर बिछा पर्शियन कालीन, जिसकी कीमत लाखों में.

छत से झूलते क्रिस्टल झूमर, जिनकी हर कडी जैसे चमकता हुआ तारा.


एक साइड में ग्लास केस रखा है — उसमें रखे हैं हीरे, नीलम, माणिक और पुरानी राजसी मुहरें.

वेरिका( हैरानी से)
ये सब. तुम्हारे पास है? कबीर, ये खजाना तो किसी साम्राज्य से भी बडा है।

कबीर( गर्व से)
ये सब सिर्फ दौलत नहीं है, वेरिका. ये मेरी पहचान है. ये हवेली मुझे तोहफे में नहीं मिली. मैंने इसे हथियाया है।




DRAMA BUILDS – कबीर का खुलासा]

अरहान( कडक स्वर में)
मतलब तुमने. हवेली के खेल में सिर्फ हमें बचाने के लिए कदम नहीं रखा था. तुम्हारा मकसद ये दौलत थी?

कबीर( ठंडी हँसी)
दौलत ही खेल है, अरहान. और खेल में वही जीतता है, जो दूसरों को मोहरा बना दे।

वेरिका( काँपते स्वर में)
तो हमारी लडाई. सिर्फ हवेली से नहीं थी. तुमसे भी थी, कबीर?




INTENSE MUSIC – बैकग्राउंड]

सम्राट की नजरें कबीर पर टिक जाती हैं. वह धीमे कदमों से आगे बढता है, उसकी परछाईं लंबी होती जाती है.

सम्राट( गंभीरता से)
तुम्हारी ये चमक. तुम्हें खा जाएगी, कबीर.
याद रखना—दौलत से हवेली को नहीं खरीदा जा सकता. हवेली अपने मालिक को खुद चुनती है।

कबीर( घमंड से)
मालिक वही है, जिसके पास ताकत है. और ताकत. दौलत से ही आती है।




ACTION BUILDUP]

अचानक—दरबार हॉल की दीवारें हिलने लगती हैं.
झूमर खडखडाने लगता है, फर्श पर दरारें फैलने लगती हैं.

जेरेफ( चौंककर)
ये. ये सब क्या हो रहा है?

जारिन( घबराकर)
हवेली. हवेली गुस्से में है।




CAMERA PAN – रहस्यमयी तिजोरी]

दरबार हॉल के पीछे की दीवार धीरे- धीरे खुलती है. वहाँ एक विशाल तिजोरी है—लोहे से बनी, उस पर पुराने वंश की मुहरें जडी हुईं.

कबीर आगे बढता है, उसकी आँखों में लालच की चमक.

कबीर( फुसफुसाते हुए)
यही है. R का असली राज. यही है सुनीता की मौत का कारण. यही है. मेरी जीत।

अरहान( चिल्लाकर)
रुको कबीर! ये तिजोरी सिर्फ दौलत नहीं रखती—ये खून माँगती है।

कबीर( क्रोध में)
तो ले ले मेरा खून! पर मुझे ये तिजोरी चाहिए।




ACTION – तिजोरी का खुलना]

कबीर कुंजी निकालता है—वही छोटी घुमावदार चाबी जिस पर खरोंचें थीं. वह तिजोरी में लगाता है.

धीरे- धीरे तिजोरी खुलती है—भीतर से नीली रोशनी निकलती है.

तिजोरी के अंदर —

पुरानी हवेली की डायरी,

R का प्रतीक चिन्ह,

और एक भारी सोने का मुकुट, जिसके ऊपर लाल हीरा जडा है.





CLOSE SHOT – मुकुट]

कैमरा मुकुट पर जूम करता है. हीरे में अजीब- सी चमक है—जैसे कोई आत्मा उसमें कैद हो.

वेरिका( भयभीत)
कबीर. इसे मत छुओ. ये मुकुट. शापित है।

कबीर( हँसते हुए)
शाप. सिर्फ कायरों के लिए होते हैं. विजेता उन्हें मुकुट बनाते हैं।




CLIMAX – हवेली का गुस्सा]

जैसे ही कबीर मुकुट उठाता है—पूरा हॉल हिलने लगता है.
झूमर गिर पडता है, दीवारें चटक जाती हैं.
बाहर आसमान में बिजली कडकती है.

सम्राट( चीखते हुए)
पागल! तुमने हवेली को जगा दिया है. अब इसका गुस्सा हम सबको जला देगा।

अरहान( वेरिका से)
भागो वेरिका! यहाँ मौत मंडरा रही है।




ACTION SEQUENCE – FIGHT]

अचानक छाया से कुछ मुखौटा पहने लोग निकलते हैं.
काले लिबास में, हाथों में हथियार.

जेरेफ( तलवार निकालते हुए)
ये वही लोग हैं. R के आदमी।

कमरे में भयंकर लडाई शुरू हो जाती है.

तलवारें भिडती हैं.

गोलियों की आवाज गूंजती है.

खून की छींटें संगमरमर पर गिरती हैं.


वेरिका( चिल्लाकर)
कबीर! मुकुट छोड दो, वरना सब मर जाएँगे।

कबीर( क्रोध में)
मैंने इसे हासिल करने के लिए सब कुर्बान किया है. मैं इसे छोड नहीं सकता।




TRAGIC TURN]

मुखौटा पहने एक आदमी कबीर पर वार करता है.
कबीर घायल होकर घुटनों पर गिर जाता है, पर मुकुट कसकर पकडे रहता है.

कबीर( टूटती आवाज में)
ये मुकुट. मेरी ताकत है. मेरी पहचान.

सम्राट( धीमी आवाज में)
नहीं कबीर. यही तुम्हारा पतन है।

कबीर जमीन पर गिर जाता है. मुकुट उसके हाथ से फिसलकर दूर चला जाता है.




SILENCE – कैमरा स्लो मोशन]

पूरा दरबार हॉल सन्नाटे में डूब जाता है.
केवल कबीर की टूटती साँसें सुनाई देती हैं.

अरहान( रोष और दुख में)
कबीर. तुमने हमें मोहरा बनाया. लेकिन हवेली ने तुम्हें. सिर्फ बलि का बकरा बनाया।




FINAL REVEAL]

अचानक तिजोरी से एक आवाज गूंजती है—धीमी, पर खौफनाक.

आवाज( गूंजते स्वर में)
R कोई नाम नहीं. R एक वंश है. जो भी इस हवेली की दौलत को छुएगा, उसका खून इस जमीन में समा जाएगा।

वेरिका काँपती हुई कहती है:
मतलब. R अभी भी जिंदा है?

सम्राट( गंभीर नजर से)
हाँ. और असली खेल अब शुरू हुआ है।




ENDING SHOT]

कैमरा धीरे- धीरे पीछे हटता है—

कबीर का निढाल शरीर,

चमकता हुआ मुकुट,

और हवेली की दीवारों पर फैलती अजीब परछाइयाँ.


बैकग्राउंड में सुनीता आंटी की वही टूटी हुई आवाज फिर गूंजती है:
सच की कीमत. हमेशा खून होती है।

FADE OUT]




INT. हवेली का आँगन – अगली सुबह]

सूरज की किरणें हवेली की ऊँची खिडकियों से भीतर झाँक रही थीं. पिछली रात की तबाही के बाद भी हवेली अपनी राजसी शान में खडी थी. चारों तरफ टूटे झूमरों और बिखरे हुए काँच के टुकडों पर रोशनी पड रही थी.

वेरिका और अरहान थके हुए थे. जेरेफ और जारिन अभी भी पहरे पर थे. लेकिन सबकी नजरें एक ही जगह अटकी थीं—कबीर पर.

कबीर, जो रातभर खून से लथपथ पडा रहा था, अब धीरे- धीरे उठ रहा था. उसके चेहरे पर थकान भी थी और अजीब- सी चमक भी. हाथ में अभी भी सोने का एक छोटा टुकडा कसकर पकडा हुआ था.

अरहान( कठोर स्वर में)
कबीर. तुम्हारी ये हवस हमें बर्बाद कर देगी. तुमने देखा नहीं? मुकुट ने तुम्हें लगभग मार ही दिया था।

कबीर( कमजोर हँसी के साथ)
मार? नहीं, अरहान. ये तो बस शुरुआत है.
तुम सोचते हो कि मैंने ये सब दौलत अचानक पा ली?
तुम्हें नहीं पता कि इस शानो- शौकत के पीछे कितनी रातें मैंने भूखे पेट सोई हैं. कितनी बार मैंने लोगों की गालियाँ सुनी हैं. भिखारी कहकर ठुकराया गया हूँ।

वेरिका चौंककर आगे बढती है.

वेरिका( हैरान होकर)
भिखारी? तुम.




FLASHBACK – कबीर का अतीत धीरे- धीरे उभरना शुरू]

कैमरा धीरे- धीरे धुंधला होता है और दृश्य बदलता है.

भीडभाड वाली सडक, ट्रैफिक का शोर, मंदिर के बाहर बैठे लोग.
उनमें से एक—फटेहाल कपडों में, बाल बिखरे हुए, आँखों में थकान—यही था कबीर.

बच्चे उसे पत्थर मारते, दुकानदार उसे धक्के देकर भगाते.
लोग कहते—" अरे हटो, ये तो पागल भिखारी है।

लेकिन वही कबीर रात में कचरे से उठाए गए अखबारों को पढता. उसकी आँखें चमकतीं—जैसे कोई भूखा शेर अपने शिकार पर नजर रख रहा हो.




PRESENT – हवेली का आँगन]

कबीर की आवाज अब गहरी और भावुक थी.

कबीर:
हाँ. मैं भिखारी था.
सडक के किनारे पडा हुआ. लोगों के जूठन पर जीता हुआ.
पर अंदर ही अंदर मैं देख रहा था—दुनिया कैसे दौलत के आगे झुकती है.
मैंने ठान लिया कि एक दिन. ये पूरा शहर मेरे कदमों में होगा।

सम्राट( धीमे स्वर में)
और आज. तुम वही सपना पूरा कर चुके हो. पर कीमत बहुत भारी रही है, कबीर।




EXT. शहर – कैमरा पैन]

कहानी अब हवेली से शहर की ओर बढती है.

शहर की चौडी सडकें, ऊँची- ऊँची इमारतें, महंगे क्लब, चमचमाती कारें.
और उनमें से निकलता है—कबीर का काफिला.

काले रंग की लंबी लिमोजिन. उसके पीछे दो- दो मर्सिडीज, और दोनों ओर बाइकर्स का काफिला.

लोग सडक पर रुक जाते हैं. बच्चे इशारा करते हैं.
देखो- देखो. कबीर आया है!




INT. क्लब – रात का दृश्य]

एक आलीशान Night क्लब.
लाल और सुनहरी रोशनी से जगमगाता डांस फ्लोर.
महँगे परफ्यूम की खुशबू और शैम्पेन की झाग.

जैसे ही कबीर प्रवेश करता है—पूरा हॉल थम जाता है.
सैकडों आँखें उसकी ओर मुडती हैं.

लडकियाँ फुसफुसाने लगती हैं.
ओह माय गॉड, कबीर!
काश एक बार उससे बात कर पाती!
उसकी हर मुस्कान. करोडों की है।




CLOSE SHOT – कबीर का आकर्षण]

काले सूट में, गले में हीरे की चेन, हाथ में सोने का कंगन.
कदमों में आत्मविश्वास, आँखों में आग.

वह बार की ओर बढता है.
लडकियाँ उसकी राह रोक लेती हैं—

लडकी एक:
कबीर, प्लीज एक डांस.

लडकी दो:
कबीर, बस एक फोटो!

लडकी तीन( चिल्लाकर)
आई Love यू, कबीर!

कबीर हल्की मुस्कान देता है.

कबीर:
आराम से. सबको वक्त मिलेगा. पर याद रखो, मैं किसी का नहीं. सिर्फ दौलत का हूँ।




DRAMA – कबीर की शक्ति]

क्लब का मालिक भागा- भागा आता है.

मालिक:
सर, आपके आने से हमारी जगह की इज्जत बढ गई. ये क्लब अब आपका है. जो चाहें ऑर्डर कीजिए।

कबीर शैम्पेन की बोतल खोलता है और हवा में छिडकता है.

कबीर( जोर से)
आज की रात. सब मेरे नाम.
जो पिएगा. मेरे साथ पिएगा.
जो नाचेगा. मेरे नाम पर नाचेगा।

हॉल तालियों और चीखों से गूंज उठता है.
लडकियाँ उसकी ओर भागती हैं, कोई उसका हाथ पकडती है, कोई उसके कंधे पर सिर रखती है.




SUSPENSE – अंदर की खालीपन]

पर कैमरा जब उसके चेहरे पर क्लोज- अप करता है—
उसकी आँखों में अजीब- सा खालीपन है.

शोरगुल, चमक- दमक, लडकियों की दीवानगी.
लेकिन उसके मन में वही पुराने दृश्य कौंध रहे हैं—
फटे कपडे, ठंडी सडकें, और लोगों की गालियाँ.

कबीर( अंदर ही अंदर फुसफुसाते हुए)
तुम सब मुझे आज चाहते हो. क्योंकि मैं अमीर हूँ.
पर जब मैं सडक पर पडा था. तब किसी ने हाथ नहीं बढाया.
शायद इसलिए. अब मैं किसी पर भरोसा नहीं करता।




INT. हवेली – रात]

वापस हवेली का दृश्य.
वेरिका, अरहान और सम्राट आपस में चर्चा कर रहे हैं.

अरहान:
ये दौलत कबीर को अंदर से खा रही है.
वो हर दिन और अकेला होता जा रहा है।

वेरिका:
पर एक सवाल अभी भी बाकी है.
वो भिखारी से करोडपति कैसे बना?
उसके पास इतना खजाना आया कहाँ से?

सम्राट( गंभीर स्वर में)
यही तो राज है.
जिस दिन ये राज पूरी तरह खुलेगा. उस दिन असली तूफान आएगा।




FLASHBACK – कबीर का पहला मोड]

फिर से अतीत की झलक.
रात का अँधेरा, कबीर मंदिर की सीढियों पर बैठा है.
अचानक एक आदमी उसके पास आता है—काले कपडों में, चेहरे पर अजीब- सी परछाईं.

रहस्यमयी आदमी:
दौलत चाहिए? ताकत चाहिए?
तो मेरी शर्त मानो. और हवेली तुम्हारी होगी।

कबीर उसकी आँखों में देखता है.
उसकी साँसें तेज हो जाती हैं.

कबीर( धीमे स्वर में)
मैं. सबकुछ खो चुका हूँ.
अगर ये सौदा मुझे दौलत देगा. तो मैं राजी हूँ।

आदमी मुस्कराता है और उसके हाथ में एक पुराना सिक्का रखता है.

आदमी:
याद रखना—इस सिक्के का रिश्ता हवेली से है.
इससे तुम्हें सब मिलेगा. पर एक दिन इसकी कीमत भी चुकानी होगी।




PRESENT – कबीर की सोच]

कबीर अपनी हवेली के कमरे में बैठा है.
टेबल पर वही पुराना सिक्का रखा है.
वह उसे घूरता है—उसकी आँखों में डर और लालच दोनों हैं.

कबीर( अपने आप से)
मैंने सब पा लिया. दौलत, शोहरत, और पूरा शहर.
पर कहीं न कहीं. मुझे पता है. ये सिक्का एक दिन मुझसे सब छीन लेगा।




ENDING HOOK]

सम्राट की आवाज गूंजती है—

सम्राट( वॉइसओवर)
कबीर का राज अब खुलना शुरू हो चुका है.
उसकी दौलत की चमक के पीछे. एक ऐसा अंधेरा है जो पूरे शहर को निगल सकता है.
और जब वो अंधेरा सामने आएगा. तब न लडकियों की दीवानगी काम आएगी, न उसकी ताकत.
तब सिर्फ उसका अतीत. और हवेली का शाप सामने होगा।

कैमरा धीरे- धीरे पीछे हटता है—
कबीर सिक्के को कसकर पकडता है, बाहर लडकियों की चीखें और गाने की आवाजें गूंज रही हैं.
पर उसके चेहरे पर सिर्फ एक डर झलकता है.

FADE OUT]



विराज की हवेली के अंधेरे आँगन से निकलकर कैमरा जैसे ही बाहर आता है, रोशनी का सैलाब छा जाता है. सामने खडी है कबीर की शाही हवेली — ऊँचे फाटक, संगमरमर की सीढियाँ और सोने की झिलमिल करती रेलिंगें. शहर के लोग अक्सर कहते थे—

जिसने कबीर का महल नहीं देखा, उसने दौलत की असली चमक नहीं देखी।

महल के दरवाजे पर दिन- रात नौकर- चाकर तैनात रहते. अंदर झूमर ऐसे झिलमिलाते मानो सितारे जमीन पर उतर आए हों. दीवारों पर लगीं विदेशी पेंटिंग्स, कालीन तुर्की से मंगाए गए और हर कोने में महकते हुए गुलाब व ऑर्किड के फूल.




शहर की लडकियों की दीवानगी

हर शाम जब कबीर काले रंग की शेरवानी पहनकर अपनी विंटेज कार में बाहर निकलता, तो पूरा शहर रुक जाता.

सडक किनारे खडी लडकियाँ एक- दूसरे से कहतीं—

देखो- देखो. कबीर आ रहा है!

किसी की चूडियाँ खनक उठतीं, तो कोई घूँघट के पीछे से उसे निहारती. Collage की लडकियाँ तो कबीर की तस्वीरें अपनी डायरी में छिपाकर रखतीं.

एक शाम हवेली के बाहर लडकियों का हुजूम उमडा. किसी ने आवाज लगाई—

लडकी एक: कबीर जी, बस एक बार मुस्कुरा दीजिए.
लडकी दो( झूमते हुए) काश! मैं आपके महल की रानी होती.
लडकी तीन( धीमे स्वर में) सुना है, जिसने भी कबीर से नजरें मिलाईं, उसका नसीब चमक गया।

कबीर हल्की सी मुस्कान फेंकता और लोग पागल हो जाते. उसके एक हाथ हिलाने भर से लडकियों की साँसें थम जातीं.




महल का नजारा और कबीर की दौलत

उस रात हवेली में एक पार्टी रखी गई थी. झूमरों की रोशनी में हीरे- मोती दमक रहे थे. मेहमानों के लिए कांच की ट्रे पर विदेशी वाइन और सोने की प्लेटों में खीर- पलौनी परोसी जा रही थी.

विराज भी अपने परिवार समेत वहाँ पहुँचा. जैसे ही उसने महल का नजारा देखा, उसके होंठों से अनजाने में निकल पडा—

विराज( धीमे स्वर में) ये आदमी. आखिर है कौन? इतनी दौलत. इतनी शान.

सारा ने धीरे से कान में कहा—
सारा: शहर की हर लडकी इसकी दीवानी है, और हर दुश्मन इसकी ताकत से डरता है।

वेरिका, जो आरव का हाथ थामे खडी थी, नजरें झुकाकर मुस्कुराई. उसे कबीर का करिश्मा समझ में आता था, लेकिन उसके मन में एक सवाल हमेशा खटकता—

वेरिका: इतनी दौलत होने के बाद भी, ये शख्स एक दिन भिखारी बनकर हमारे सामने क्यों आया था?




रहस्य खुलना शुरू होता है

पार्टी में जैसे ही म्यूजिक धीमा हुआ, अचानक एक बुजुर्ग पत्रकार कबीर के पास आया.

पत्रकार: कबीर साहब, सब लोग आपकी दौलत और आपकी शानो- शौकत के दीवाने हैं. मगर लोग ये भी कहते हैं कि आप कभी. फुटपाथ पर भी दिखे थे. क्या ये सच है?

महल में सन्नाटा छा गया. सबकी नजरें कबीर पर टिक गईं.

कबीर ने धीमी मुस्कान दी, लेकिन उसकी आँखों में कहीं गहरी परछाईं झलक उठी.

कबीर( आह भरते हुए)
हाँ. कभी मैं सडकों पर था. रोटियों के लिए तरसता था. लोग मुझे भिखारी समझते थे. लेकिन असलियत. असलियत सिर्फ मैं जानता हूँ।

लडकियाँ हैरान रह गईं.

लडकी एक( सहेली से) मतलब ये सच था?
लडकी दो: पर इतने बडे महल का मालिक भिखारी कैसे बन सकता है?

कबीर ने और कुछ नहीं कहा, लेकिन उसकी खामोशी रहस्य की नई परत खोल गई.




ड्रामा और टकराव

इतने में अलविना, जो दूर खडी सब देख रही थी, आगे बढी और तंज कसते हुए बोली—

अलविना: वाह कबीर! ये राज तो और भी दिलचस्प है. कभी भिखारी. और आज बादशाह? कहीं ये सब चोरी की दौलत तो नहीं?

हॉल में सरगोशियाँ गूँज उठीं.

कबीर ने गहरी साँस लेकर अलविना की तरफ देखा.

कबीर( तेज आवाज में)
जो तू सोच भी नहीं सकती, वो मेरी हकीकत है. मैं कभी भिखारी क्यों बना, ये तू भी एक दिन जान जाएगी. मगर याद रख—मेरे कदमों तले जो जमीन है, वो मेहनत से नहीं, तकदीर से आई है।

विराज ने बीच में हस्तक्षेप किया—
विराज: कबीर, लोग सवाल करेंगे तो जवाब चाहिए. वरना तेरी ये शानो- शौकत. सिर्फ दिखावा लगने लगेगी।

कबीर ने पलटकर कहा—
कबीर: विराज! मुझे अपने राज खोलने की जल्दी नहीं. जब वक्त आएगा, पूरा शहर खुद जान लेगा. अभी तो बस परदे उठना शुरू हुए हैं।




शहर की लडकियाँ और कबीर का करिश्मा

इतनी बहस के बाद भी, लडकियों का जुनून कम नहीं हुआ. कोई चुपके से कबीर की तस्वीर खींच रही थी, तो कोई उसके लिए गुलाब फेंक रही थी.

लडकी तीन( खुद से बडबडाते हुए)
चाहे वो भिखारी था या बादशाह. मेरे लिए तो वही सपनों का राजकुमार है।

कबीर ने एक लडकी की आँखों में देखा और मुस्कुरा दिया. लडकी वहीं बेहोश होकर गिर पडी. नौकर- चाकर उसे सँभालने लगे.




कबीर का अकेलापन

पार्टी खत्म होते- होते कबीर अकेला बालकनी में खडा था. चाँदनी महल पर बिखरी हुई थी. उसकी आँखों में पुराने दिनों की झलक उभर आई.

कबीर( खुद से)
कभी रोटियों के लिए तरसा. और आज सोने की थालियों में खाना परोस रहा हूँ. तकदीर ने कैसे खेल खेला है. लेकिन अगर लोग मेरी असली कहानी जान लें. तो ये रोशनी पल भर में अंधेरे में बदल जाएगी।



पार्टी के बाद आधी रात हो चुकी थी. हवेली के आँगन में बस हल्की रोशनी और हवा की सरसराहट रह गई थी. मेहमान जा चुके थे, लेकिन विराज अभी भी वहीं टहल रहा था. उसकी आँखों में सवाल थे—कबीर सचमुच कौन है?

इसी बीच कबीर अकेला सीढियों पर बैठा था. उसके हाथ में आधा भरा गिलास था, पर उसकी नजरें कहीं खोई हुईं.

विराज( करीब आकर)
कबीर. तू कहता है तकदीर ने तुझे यहाँ तक पहुँचाया. लेकिन तकदीर इतनी बेरहम नहीं होती कि एक दिन तुझे भिखारी बना दे और अगले दिन राजा।

कबीर ने धीरे से मुस्कुराते हुए गिलास रखा.
कबीर:
विराज, तू सच पूछ रहा है. तो सुन. जब मैं भिखारी था, तब भी मेरी रगों में यही दौलत बह रही थी. बस दुनिया उसे देख नहीं पा रही थी।

विराज( कुंठित होकर)
मतलब? साफ- साफ बोल. ये दौलत किसकी है? तेरे पास आई कहाँ से?

कबीर की आँखें अचानक गहरी हो गईं.
कबीर:
कभी सुना है, एक इंसान को सब कुछ मिल जाए, पर फिर भी वो सबसे बडा कंगाल हो? वो मैं था. जिसके पास दौलत थी, पर जिंदगी नहीं।

इतना कहकर वह खामोश हो गया. विराज ने और सवाल करना चाहा, लेकिन तभी पीछे से हँसी की आवाज आई. अलविना छत से नीचे उतर रही थी.

अलविना( तंज कसते हुए)
वाह कबीर. क्या डायलॉग मारा है! सब कुछ था, लेकिन कंगाल था? ये कहानी सुनाने के लिए तो पूरी महफिल चाहिए. क्यों न अगली बार पूरे शहर को बुलाकर अपना सच बता दे?

कबीर ने उसकी ओर देखा, आँखों में सख्ती उभर आई.
कबीर:
अलविना, तू चाहती है मेरा राज सबके सामने खुले. लेकिन याद रख, जब वो दिन आएगा. तेरी भी नींव हिल जाएगी।

अलविना ठिठक गई. विराज हैरत से कबीर को देखता रहा.

विराज( धीमे स्वर में खुद से)
तो सचमुच इसके पास कोई ऐसा राज है, जो सबको हिला देगा.

कबीर उठकर अंदर चला गया. उसकी चाल में वही शान थी, पर उसके कंधों पर किसी अदृश्य बोझ की परछाई साफ झलक रही थी.

कैमरा धीरे- धीरे कबीर के पीछे- पीछे चलता है. उसके कमरे की दीवार पर एक पुरानी तस्वीर टंगी थी—एक बिखरे कपडों में, भूखे चेहरे वाला वही कबीर. भिखारी के रूप में.

कबीर ने तस्वीर को देखा, होंठों पर एक कडवी मुस्कान आई.
कबीर( खुद से)
लोग सोचते हैं मैं भिखारी क्यों बना. लेकिन एक दिन, सब जानेंगे. और उस दिन इस शहर की चमकती रोशनी. राख में बदल जाएगी।



यहाँ से माहौल और गहरा हो गया है. राज अभी भी आधा- अधूरा है, लेकिन उसकी परछाई सबके मन में डर और जिज्ञासा भर रही है.

क्या होगा आगे?
कैसे होगा पर्दाफाश.
कबीर की दौलत का असली मालिक कौन है?
क्या उसकी शानो- शौकत सिर्फ एक छलावा है?
शहर की हर लडकी उसके पीछे क्यों दीवानी है?
भिखारी से बादशाह बनने की कहानी में कौन सा काला सच छुपा है?
और आखिर. कबीर का अतीत हवेली के खून- खराबे से कैसे जुडता है?

आगे जानने के लिए  पढ़ते रहिए Matrubharti का सबसे पसंदीदा शो" सोने का पिंजरा"