माफिया की नजर में

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एक अनजानी शुरुआत"कभी-कभी हमारी सबसे बड़ी गलती होती है... किसी की आँखों में सुकून तलाशना, जहाँ हकीकत में सिर्फ़ तूफान छुपा होता है।"वो थी अहाना शर्मा। एक ऐसी लड़की, जो बाहर से देखने में बिल्कुल आम लगती थी। उम्र? मुश्किल से 18 बरस। चेहरा? मासूम, जैसे चाँद की किरणों से बुना हुआ। आँखें? सपनों से भरी, लेकिन दिल में एक अनजाना डर लिए हुए। एक छोटे से शहर से निकलकर, वो दिल्ली जैसे महानगर में अपने सपनों को पंख देने आई थी। नया कॉलेज, नई ज़िंदगी, और एक नया सफ़र। लेकिन उसे क्या पता था कि ये सफ़र उसकी ज़िंदगी को हमेशा के लिए बदल देगा।कॉलेज का पहला दिन।

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माफिया की नजर में - 1

माफ़िया की नज़र मेंIntro Part: एक अनजानी शुरुआत कभी-कभी हमारी सबसे बड़ी गलती होती है... किसी की आँखों में तलाशना, जहाँ हकीकत में सिर्फ़ तूफान छुपा होता है। वो थी अहाना शर्मा।एक ऐसी लड़की, जो बाहर से देखने में बिल्कुल आम लगती थी।उम्र? मुश्किल से 18 बरस।चेहरा? मासूम, जैसे चाँद की किरणों से बुना हुआ।आँखें? सपनों से भरी, लेकिन दिल में एक अनजाना डर लिए हुए।एक छोटे से शहर से निकलकर, वो दिल्ली जैसे महानगर में अपने सपनों को पंख देने आई थी। नया कॉलेज, नई ज़िंदगी, और एक नया सफ़र। लेकिन उसे क्या पता था कि ये सफ़र उसकी ...Read More

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माफिया की नजर में - 2

माफ़िया की नज़र में – Part 2: "वो सिर्फ अजनबी नहीं था""कभी-कभी अजनबी नज़रें… हमारी रूह तक पहचान लेती रात अहाना की आँखों से नींद गायब थी।उसके ज़हन में बार-बार वही एक पल घूम रहा था—रायान सिंगानिया की वो ठंडी, गहरी नज़रें।वो नज़रें, जिनमें कोई इमोशन नहीं था, फिर भी कुछ कह रही थीं।जैसे वो अहाना के मन की हर उलझन, हर डर, और हर सपने को एक पल में पढ़ चुकी हों।उसने बिस्तर पर करवट बदली, लेकिन दिल की धड़कनें शांत नहीं हुईं।"वो कौन है?" उसने खुद से सवाल किया। "और क्यों उसकी एक नज़र मुझे इतना ...Read More

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माफिया की नजर में - 3

माफ़िया की नज़र में – Part 3: "किसी की निगाह में""कुछ नज़रें नफ़रत से नहीं, खौफ़ से देखती हैं… वो खौफ़ तुम्हें घेर ले, इससे पहले पहचान लो—कौन दुश्मन है और कौन रक्षक।"अहाना की आँखों में अब भी रायान की वो ठंडी, गहरी नज़रें बसी थीं।कैफेटेरिया में हुआ वाकया उसके ज़हन में बार-बार लौट रहा था। रायान की वो सख्त आवाज़, "छोड़ दो उसे," और फिर उसका वो अजीब सा सवाल—"तुम यहाँ अकेली रहती हो?"उसके लफ्ज़ों में चेतावनी थी, लेकिन आँखों में कुछ और—जैसे वो उसे किसी अनजाने खतरे से बचाना चाहता हो।या शायद वो खुद ही वो ...Read More

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माफिया की नजर में - 4

माफ़िया की नज़र में – Part 4: "पहला शक...""कुछ नज़रें नफ़रत से नहीं, खौफ़ से देखती हैं… लेकिन सबसे वो नज़रें होती हैं, जो सच छुपाती हैं।"अहाना की सुबह किसी आम दिन जैसी नहीं थी।उसके सीने में एक अजीब सी बेचैनी थी, जैसे कोई अदृश्य साया हर पल उसे घेर रहा हो। रात की नींद में भी वो उस कागज़ की लाइन को नहीं भूल पाई थी: “क्या तुम्हें पता है… कि रायान ने तुम्हारे पापा की कसम खाई थी?”उसके पापा, जिनकी तस्वीर वो हर दिन देखती थी, और रायान सिंगानिया—एक ऐसा शख्स, जिसके नाम से ही लोग ...Read More

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माफिया की नजर में - 5

माफ़िया की नज़र में – Part 5: "पहली झलक… मौत की""कुछ सच इतने काले होते हैं कि वो आँखों नहीं, रूह को चीर देते हैं।"अहाना की सुबह बेचैनी से भरी थी। रायान की वो बातें—“इस शहर की सच्चाई से… और ख़ुद से भी”—उसके कानों में बार-बार गूंज रही थीं। उसकी डायरी का वो पन्ना, जो उसके पापा और रायान को जोड़ रहा था, और वो गुमनाम कॉल—“जब सच जानोगी, तब पछताओगी”—सब कुछ उसे एक ऐसी राह पर धकेल रहा था, जहाँ से वापसी नामुमकिन लग रही थी।वो अपने छोटे से कमरे में खड़ी थी, पापा की तस्वीर को ...Read More

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माफिया की नजर में - 6

माफ़िया की नज़र में – Part 6: "सच का साया" "कुछ सच इतने भारी होते हैं कि वो दिल नहीं, ज़िंदगी को तोड़ देते हैं।"अहाना का दिल अब भी उस पुरानी फैक्ट्री के सन्नाटे में अटका था। रायान की वो बातें—“मैं एक माफ़िया हूँ… लेकिन हर माफ़िया बुरा नहीं होता”—उसके ज़हन में बार-बार गूंज रही थीं। उसकी आँखों के सामने वो दृश्य अब भी ताज़ा था: रायान की बंदूक, वो तीन मास्क वाले आदमी, और उसकी ठंडी, लेकिन दर्द भरी नज़रें।वो अपने कमरे में बैठी थी, पापा की डायरी को सीने से लगाए। उस मैसेज ने उसे और ...Read More