📘 माफ़िया की नज़र में – Part 2: "वो सिर्फ अजनबी नहीं था"
"कभी-कभी अजनबी नज़रें… हमारी रूह तक पहचान लेती हैं।"
पिछली रात अहाना की आँखों से नींद गायब थी।
उसके ज़हन में बार-बार वही एक पल घूम रहा था—रायान सिंगानिया की वो ठंडी, गहरी नज़रें।
वो नज़रें, जिनमें कोई इमोशन नहीं था, फिर भी कुछ कह रही थीं।
जैसे वो अहाना के मन की हर उलझन, हर डर, और हर सपने को एक पल में पढ़ चुकी हों।
उसने बिस्तर पर करवट बदली, लेकिन दिल की धड़कनें शांत नहीं हुईं।
"वो कौन है?" उसने खुद से सवाल किया। "और क्यों उसकी एक नज़र मुझे इतना बेचैन कर रही है?"सुबह होने से पहले उसने अपनी नोटबुक में लिखा था:
"उसकी आँखों में कुछ था… जैसे मेरी ज़िंदगी की किताब का कोई पन्ना पहले से खुला हो।"
🌤 कॉलेज का दूसरा दिन
सुबह का सूरज दिल्ली की सड़कों पर अभी पूरी तरह चमक भी नहीं पाया था। सेंट जेवियर्स कॉलेज का माहौल वैसा ही था—हलचल भरा, रंगीन, और अहाना के लिए अभी भी थोड़ा अजनबी। लड़के-लड़कियाँ ग्रुप्स में हँस रहे थे, इंस्टाग्राम रील्स बना रहे थे, और आने वाले "फैशन फेस्ट" की बातें कर रहे थे। लेकिन अहाना आज भी भीड़ में अकेली थी।वो लाइब्रेरी के एक शांत कोने में जा बैठी। सामने नोट्स खुले थे, लेकिन उसका ध्यान कहीं और था। रायान का नाम उसके दिमाग में बार-बार गूंज रहा था। मायरा की वो बातें—"वो सिर्फ़ बिज़नेसमैन नहीं है, उसकी दुनिया में खून और साये चलते हैं"—उसे और उलझन में डाल रही थीं।तभी पीछे से एक नरम, लेकिन गंभीर आवाज़ आई।
"तुम न्यू स्टूडेंट हो ना? अहाना?"अहाना ने पलटकर देखा। एक लड़की थी—लंबे बाल, सादी सी सलवार-कुर्ता, और चेहरे पर एक अजीब सी सख्ती।
"हाँ," अहाना ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया।
"मैं निहारिका। सीनियर हूँ।" उसने पास की कुर्सी खींचकर बैठते हुए कहा। "तुम्हें रायान सिंगानिया से बचकर रहना चाहिए।"अहाना का दिल धक् से रह गया। "क्यों?" उसने हिचकते हुए पूछा।
निहारिका ने चारों तरफ देखा, जैसे कोई सुन न ले। फिर धीरे से बोली, "वो लड़का… खतरनाक है। वो किसी से बात नहीं करता, किसी को करीब नहीं आने देता। लेकिन जिसने भी उसकी नज़र पकड़ ली, वो कभी वैसा नहीं रहा।"अहाना कुछ नहीं बोली। उसका गला सूख रहा था। निहारिका की आँखों में डर था, लेकिन कुछ और भी था—शायद एक पुराना दर्द।
"तूने उसे देखा है ना?" निहारिका ने पूछा।
अहाना ने बस सिर हिलाया।
"तो बस इतना समझ ले—उसकी दुनिया में कदम रखा, तो वापस निकलना मुश्किल है।"
निहारिका बिना कुछ और कहे उठकर चली गई।अहाना की साँसें तेज़ थीं। उसने अपनी नोटबुक बंद की और लाइब्रेरी से बाहर निकलने का फैसला किया। लेकिन मन में सवालों का तूफान उठ रहा था। रायान आखिर है कौन? और क्यों हर कोई उससे डरता है?
🧨 कैफेटेरिया का हादसा
दोपहर को अहाना कॉलेज की कैफेटेरिया में अकेली बैठी थी। सामने एक ठंडी कॉफी का कप था, लेकिन उसके हाथ हल्के-हल्के काँप रहे थे। निहारिका की बातें, रायान की नज़रें, और इस नए शहर का अकेलापन—सब कुछ उसे घेरे हुए था।तभी कैफेटेरिया का माहौल बदला। तीन लड़के अंदर घुसे। उनकी नजरें बदतमीज़ थीं, और हाव-भाव में एक अजीब सी बेफिक्री। एक ने अहाना की तरफ देखा और अपने दोस्तों से कुछ फुसफुसाया। फिर वो तीनों उसकी टेबल की तरफ बढ़े।"हाय जानू, अकेली क्यों बैठी हो?" एक ने हँसते हुए कहा, और उसकी कुर्सी खींचकर पास बैठने की कोशिश की।
अहाना का चेहरा सख्त हो गया। "प्लीज़… दूर रहो," उसने कहा, लेकिन उसकी आवाज़ में डर साफ़ झलक रहा था।"अरे, attitude भी है?" दूसरा लड़का हँसा और उसका बैग छूने की कोशिश की।अहाना पीछे हटी, उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था। वो उठकर जाने लगी, लेकिन तीसरे लड़के ने उसका रास्ता रोक लिया। "कहाँ भाग रही हो, मज़ा तो शुरू हुआ है!"तभी—"छोड़ दो उसे।"एक ठंडी, भारी, और सख्त आवाज़ पूरे कैफेटेरिया में गूंजी।सबकी नज़रें दरवाज़े की तरफ मुड़ीं। वहाँ खड़ा था—रायान सिंगानिया।
काली शर्ट, गले के बटन खुले हुए, और आँखों में एक सन्नाटा, जो हर किसी को थाम लेने की ताकत रखता था। उसके पीछे दो बॉडीगार्ड्स थे, लेकिन उसकी मौजूदगी ही काफी थी।तीनों लड़के एकदम से रुक गए। उनकी हँसी डर में बदल चुकी थी।
"तुम लोग समझते क्या हो खुद को?" रायान ने धीरे-धीरे उनकी तरफ कदम बढ़ाए। उसकी आवाज़ में गुस्सा नहीं था, लेकिन उसकी हर साँस में खौफ था।"भाई… हम तो बस… बात कर रहे थे…" एक लड़के ने हकलाते हुए कहा।रायान ने अपनी घड़ी की तरफ देखा, जैसे उसे कोई जल्दी हो। "तुम्हारे पास बाहर निकलने के लिए पाँच सेकंड हैं। उसके बाद ये कॉलेज, और शायद ये शहर भी तुम्हारा नहीं रहेगा।"तीनों लड़के काँपते हुए कैफेटेरिया से बाहर भागे। पूरा माहौल सन्नाटे में डूब गया। हर कोई रायान को देख रहा था, लेकिन उसकी नज़रें सिर्फ़ अहाना पर थीं।वो धीरे-धीरे उसकी टेबल के पास आया। अहाना की साँसें थम सी गई थीं।
"तुम यहाँ अकेली रहती हो?" उसने पूछा, उसकी आवाज़ अब थोड़ी नरम थी।अहाना ने हिचकते हुए सिर हिलाया। वो कुछ बोलना चाहती थी, लेकिन शब्द गले में अटक गए।"इस शहर में अकेलापन खतरनाक होता है," रायान ने कहा, उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। "पर ज़रूरी नहीं कि हर मदद करने वाला फरिश्ता हो।"उसके लफ्ज़ों में सख्ती थी, लेकिन नज़रों में कुछ और—जैसे वो अहाना को किसी अनजाने खतरे से बचाना चाहता हो… या शायद वो खुद ही वो खतरा था।"ध्यान रखना," उसने बस इतना कहा और बिना पलटे चला गया।अहाना वहीँ खड़ी रही, उसका दिल अब भी धड़क रहा था। कैफेटेरिया में बाकी लोग फिर से अपनी बातों में डूब गए, लेकिन अहाना के लिए वो पल जैसे समय की दीवार पर लिख गया था।
🌘 रात का सन्नाटा
रात को अपने छोटे से किराए के कमरे में अहाना बिस्तर पर बैठी थी। उसने पापा की तस्वीर को फिर से देखा, जैसे उससे कोई जवाब मिलेगा। लेकिन जवाब की जगह और सवाल उठ रहे थे।रायान ने उसे क्यों बचाया?
वो उसे जानता भी नहीं था। फिर उसकी नज़रों में वो चिंता क्यों थी? या वो सिर्फ़ उसका वहम था?उसने अपनी नोटबुक निकाली और लिखा:
"वो मुझे बचाता है, डराता है, और फिर गायब हो जाता है… क्या वो इंसान है, या कोई साया?"वो रात भी नींद से कोसों दूर थी। रायान सिंगानिया अब सिर्फ़ एक नाम नहीं था। वो उसकी ज़िंदगी का एक ऐसा रहस्य बन चुका था, जिसे वो समझना चाहती थी—और शायद जिससे डरना भी ज़रूरी था।
💥 To Be Continued…
रायान ने पहली बार अहाना की दुनिया में कदम रखा है… लेकिन क्यों?
क्या वो सिर्फ़ एक मासूम मुलाक़ात थी, या किसी साज़िश की शुरुआत?
क्या अहाना इस खतरनाक खेल का हिस्सा बनने वाली है, या वो सिर्फ़ एक मोहरा है?
Part 3 – जल्द आ रहा है!
अगर ये हिस्सा आपके दिल की धड़कनें बढ़ा गया, तो फॉलो करना न भूलें। क्योंकि अब कहानी और गहरी होगी, प्यार और खतरे का ताना-बाना और उलझेगा, और हर पल एक नया राज़ सामने आएगा।
Thankyou 🥰🥰 ...