कैसा ये इश्क़ है....

(781)
  • 952.9k
  • 132
  • 450.6k

लखनऊ नवाबों की नगरी है मियां यहाँ के जर्रे जर्रे मे तहजीब और नजाकत बसी हुई है।यहाँ की तहजीब के किस्से इतने सुनाये जाते है तो सोचिये जनाब तहजीब और नजाकत के इस खूबसूरत शहर मे इश्क़ के कितने किस्से सुनाये जाते होंगे।इश्क़ की कितनी ही कहनियो ने इस शहर मे रुहानियत को जिया होगा कितने ही किस्सो ने इस शहर की फिजाओ को अपने प्रेम की महक से महकाया होगा।यहाँ के तो इश्क़ मे भी तह्जीब और नजाकत की झलक ही देखने को मिलती है।वो इश्क़ जो हमे इस दुनिया से उस दुनिया मे ले जाता है जिसे

Full Novel

1

कैसा ये इश्क़ है....( भाग 1)

लखनऊ नवाबों की नगरी है मियां यहाँ के जर्रे जर्रे मे तहजीब और नजाकत बसी हुई है।यहाँ की तहजीब किस्से इतने सुनाये जाते है तो सोचिये जनाब तहजीब और नजाकत के इस खूबसूरत शहर मे इश्क़ के कितने किस्से सुनाये जाते होंगे।इश्क़ की कितनी ही कहनियो ने इस शहर मे रुहानियत को जिया होगा कितने ही किस्सो ने इस शहर की फिजाओ को अपने प्रेम की महक से महकाया होगा।यहाँ के तो इश्क़ मे भी तह्जीब और नजाकत की झलक ही देखने को मिलती है।वो इश्क़ जो हमे इस दुनिया से उस दुनिया मे ले जाता है जिसे ...Read More

2

कैसा ये इश्क़ है ....(भाग 2)

अर्पिता उसकी तरफ देखती है।न जाने क्या दिखता है उसे उस चेहरे में कि वो उसकी तरफ खिंचती चली है। सुनिए...कहां खोई है आप अर्पिता को अपनी तरफ यूं देखता पाकर वो उससे दोबारा कहता है। अ ... जी! अर्पिता ने हड़बड़ाते हुए कहा। आपका दुपट्टा! ये मेरे हाथो पर। प्लीज़ हटाइए इसे।उस लड़के ने बड़ी शालीनता से कहा। स...स.सॉरी!अर्पिता ने कहा और वो अपना दुपट्टा सम्हाल लेती है। लड़का मुड़कर वापस से अपने कार्य में लग जाता है। अर्पिता उसे एक पल को देखती है और वापस से बुक पढ़ने में लग जाती है। उसके मन में अभी ...Read More

3

कैसा ये इश्क़ है ....(भाग 3)

किरण और अर्पिता दोनों ही घर के लिए निकलती है। कुछ ही देर में दोनों घर पहुंच जाती है।जहां दोनों का इंतजार कर रही होती है। आ गई दोनों।मै कब से राह देख रही थी।बीना ने चिंतित होते हुए दोनों से कहा। वो मासी अब मॉल में गए थे शॉपिंग के लिए तो समय तो लगना ही है।आप चिंता न किया करे अगर फिर भी मन नहीं माने न तो बस एक फोन कॉल और आपको हमारी पूरी खबर मिल जाएगी।जिससे आपकी चिंता कम हो जाएगी।अर्पिता ने बीना के गले लगते हुए कहा। हां अर्पिता ये बात तो मै ...Read More

4

कैसा ये इश्क़ है....? (भाग -4)

उन्हे बेवजह हंसते हुए जवाब देते देख अर्पिता उनसे कहती है...।लगता है टेलीविजन पर वो क्लोज अप वाला एड देखते हो।तभी बिना वजह दांत निकल आते है।बात तो सुनाई पड़ती नहीं बस दांत ही दांत दिखते है वो भी पीले पीले। अर्पिता की बात सुन कक्षा में मौजूद बाकी लड़कियों की हंसी छूट पड़ती है।और उन लडको की बत्तीसी मुंह के अंदर ही दुबक जाती है। फिर भी उनमें से एक हिम्मत कर कहता है।बहुत बोल रही हो इतने सब लोगो के सामने हमारी बेइज्जती कर दी बहुत महंगा पड़ेगा तुम्हे। उसकी बात सुन कर अर्पिता सभी लड़कियों की ...Read More

5

कैसा ये इश्क़ है.... ? (भाग 5)

अर्पिता तुम बताओ तुम्हारी फ़ैमिली में कौन कौन है? मुझे भी तो पता चले।आखिर इतनी बोल्ड लड़की को कौन झेलता है घर में।श्रुति मुस्कुराते हुए कहती है। हमारे घर में यहां पर तो मासी, मौसा जी,उनके दो बच्चे और दादी इतने सब है। ओह तो तुम यहां लखनऊ में अपने मौसा मौसी के साथ रहती हो। हां जी।अर्पिता ने कहा।तभी श्रुति का फोन बजता है जो उसके घर से होता है।अर्पिता घर से फोन है मै तुमसे बाद में बात करती हूं ठीक है। ओके श्रुति! नो प्रॉब्लम।तुम आराम से बात कर लो।हम यहीं पढ़ते है तुम बात कर ...Read More

6

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 6)

आरव,किरन और अर्पिता तीनों हेमंत जी की बाइक लेकर कॉलेज के लिए निकलते हैं।आधे रास्ते में पहुंचते ही है बाइक ही पंक्चर हो जाती है। ओह गॉड! इसे भी अभी खराब होना था।पांच मिनट और रुक जाती तो हम सभी कॉलेज कैंपस में होते। किरण अधीर होकर कहती है। उसकी अधीरता देख अर्पिता उसके सर पर चपत लगाते हुए कहती है ज्यादा अधीर न हो।शुक्र है कि हम सब आधा रास्ते से आगे पहुंच चुके है। कॉलेज अभी ज्यादा दूर नहीं है थोड़ा पैदल चलेंगे न तो पहुंच भी जाएंगे। हम सो तो है।किरण ने कहा। अच्छी बात है ...Read More

7

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 7)

अर्पिता आवाज़ की तरफ मुड़ती है तो सात्विक को देख उससे कहती है। शुक्रिया आपका। सात्विक - अरे आप सी बात के लिए शुक्रिया कहेंगी। अर्पिता - जी।इतनी सी बात तो नहीं है ये।अब आपने तारीफ की है तो शुक्रिया कहना तो मुनासिब है हमारा। अमा यार अर्पिता जी। इस हिसाब से तो ये शब्द आपको कई बार दोहराना पड़ेगा।सात्विक मुस्कुराते हुए अर्पिता से कहता है। सात्विक की बात सुन अर्पिता कहती है सात्विक जी आप की बात का तात्पर्य हम कुछ समझे नहीं।क्या आप समझाएंगे? मैंने ऐसा कुछ विशेष तो कहा नहीं जो आपको समझ में नहीं आया। बस ...Read More

8

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 8)

अर्पिता किरण और आरव के पास आ जाती है और उनके साथ कुछ देर बैठ कर एंज्वॉय करती है।वहीं से कुछ ही दूरी पर सात्विक भी मौजूद होता है जिसका ध्यान प्रोग्राम में हो रही प्रस्तुति पर न होकर अर्पिता पर होता है। सात्विक जानबूझ कर अर्पिता से थोड़ी दूरी पर बैठा है जिससे कि वो मन भर अर्पिता को निहार सके। ***पहले प्यार की कहानियां शुरू हो चुकी है।अर्पिता और सात्विक दोनों का ही ये पहली नज़र वाला प्रेम है।वहीं प्रशांत जी वो अभी तक इन एहसासों से अनजान एक गंभीर लेकिन हालातो के अनुसार ढलने वाले व्यक्तित्व ...Read More

9

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग - 9)

प्रशांत जी ने जो अभी कहा उसे सोच कर ही अर्पिता के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है।जिसे श्रुति लेती है।श्रुति अर्पिता के पास जाती है और उससे धीरे से कहती है।"अर्पिता "यूं बिना वज़ह चेहरे पर मुस्कुराहट का रहना कोई साधारण बात नहीं होती।सम्हल कर रहना। जिस रास्ते पर तुम बढ़ रही हो उसके रास्ते टेढ़े मेढे तो है ही, साथ ही फिसलन भरे भी है।जरा सा भी ध्यान हटने पर दुर्घटना घटित होने का अंदेशा रहता है।श्रुति की बात सुन अर्पिता श्रुति के सामने आती है और उससे कहती है श्रुति तुम क्या कह रही हो मै ...Read More

10

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 10)

सात्विक श्रुति और अर्पिता तीनों ऑटो में बैठ कर निकल जाते है।अर्पिता हाथ में बांधी हुई घड़ी पर नज़रें है और ड्राईवर से ऑटो तेज चलाने को कहती है। कुछ ही देर में ऑटो उसे आलमबाग के टेंपो स्टैंड पर पहुंचा देता है।अर्पिता जल्दी में होती है सो ऑटो चालक को बिन देखे पैसे पकड़ा कर घर के लिए कदम बढ़ा देती है। दो बज चुके है।धूप भी तेज हो रही है।मासी हमारा इंतजार कर रही होंगी और हम अभी तक घर नहीं पहुंचे।उन्हें फोन कर बता देती हूं।ओह गॉड फोन.. उन सब झमेलों में हमें फोन का ख्याल ...Read More

11

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग - 11)

प्रशांत की आवाज सुन कर अर्पिता के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान खिल जाती है।वो तुरंत ही पीछे है और धीरे से कहती है, आप आ गये प्रशांत जी। प्रशांत सफेद शर्ट काली पैंट पहने होठों पर मुस्कुराहट रखे चलता चला आ रहा हैं।उनके पीछे परम और श्रुति भी चले आ रहे हैं। प्रशांत को देख अर्पिता के मुख से जगजीत जी की गाई गजल के बोल निकल पड़ते हैं।जो वो हौले हौले गुनगुनाने लगती है – तुमको देखा तो ये ख्याल आया। तुमको देखा तो ये ख्याल आया। जिंदगी धूप तुम घना साया।धीमी आवाज मे गाने पर ...Read More

12

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 12)

जब जब मैं मिलता हूँ तुमसे !! तुम मुझे बिल्कुल अलग सी लगती हो !! कभी नये से रंग दिखती हो तो कभी नये से ढंग में मिलती हो॥ कुछ तो बात है मिस अर्पिता तुम में।कहते हुए प्रशांत वापस हॉल में आ जाता है।चित्रा प्रशांत श्रुति और परम ये चारों ही मूवी का आनंद लेने लगते हैं। वहीं उसी मॉल के दूसरे हिस्से में अर्पिता किरण बीना जी के पास पहुंचती है।बीनाजी दोनो को वहां देख उनसे पूछ्ती है , “ अरे तुम दोनो अपनी शॉपिंग कर आ गयी”। अपनी मां की बात सुन कर किरण अर्पिता से ...Read More

13

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग - 13)

भाग ‌13 वहीं अर्पिता किरण के कमरे में है और उससे बातचीत कर रही है। अर्पिता – क्या हो गया था तुम्हे तुम मौसा जी से बातचीत क्यू नही कर रही थी।मौसा जी तुमसे बात करने आये थे क्यूं चुप रही थी तुम्। बोलो अब जवाब दो। अर्पिता हर बार यही होता है पिछली बार भी अचानक से आकर बोल दिया कि जाओ किरण नीचे तुम्हे देखने लड़के वाले आए है यार ये क्या बात हुई भला। अर्पिता इंसान हूँ मै कोइ खिलोना नही जिसके अंदर कोई भावना नही होती है।मेरे अंदर भावनाये है। किसी भी लड़की को ...Read More

14

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 14)

अरे वाह किरण बहुत सुंदर लग रही हो। सादगी में भी जंच रही हो। अर्पिता ने किरण से कहा।जिसे किरण मुस्कुरा भर देती है।और बोलती है तो अब जाकर तुम्हे टाइम मिला यहाँ आने का।वैसे तुम ये बता तुम सबसे मिल कर आई हो न कौन कौन आया है यहाँ। और वो नमूना भी आया है क्या बता न्। अरे दादा सुबह तक तो मूड इतना खराब कि मौसा जी से बात तक नही की और अब देखो इतनी बैचेनी कि मिलने से पहले ही सब कुछ जान लेना चाहती हो। वैसे एक बात कहे वो जो नीचे आये ...Read More

15

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 15)

भाग –15 “प्रशांत जी आप” कहते हुए वो अपने पीछे मुड़ कर खड़ी हो जाती है।अर्पिता की बच्ची।क्या क्या था तुमने तब जाकर मै तैयार हुई थी और मैडम जी देख कर किसे गयी “बीरबल की खिचड़ी” को।क्या समझ रही हो तुम नीचे आकर, क्या मुझसे बच जाओगी हाँ...। अरे वो बीरबल की खिचड़ी न तुम्हे ही मुबारक हो॥किरण नीचे आकर अर्पिता के पास खड़े होकर कहती है उसे इतना बोलता देख अर्पिता अपने होठों पर अंगुली रख चुप रहने का इशारा करती है। काहे काहे चुप रहूं मैं।ये सब न तेरी वजह से हुआ है। किरण ने तमतमाते ...Read More

16

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 16)

आज न जाने कैसी खामोशी का एहसास हो रहा है हमें जैसे कि कहीं कुछ सही नही है।आज श्रुति भी नही दिखे हमें आये नही है क्या अब तक। या हम ही लेट हो गये हैं समय तो देखे जरा, कितना बज रहा है सोचते हुए अर्पिता अपने को ब्लिक कर उसमे समय देखती है तो सुबह के दस बज रहे हैं। हम ही लेट हो चुके हैं पांच मिनट।दोनो क्लास में होगे।नाराज होंगे तभी यहाँ नही रुके हैं नही तो ऐसा कभी नही हुआ कि अगर हम में से कोई नही आया तो उसके बिना क्लास में चला ...Read More

17

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 17)

इन सभी बातों में वो उन पांचो की कही हुई बात भूल जाती है कि तुम्हारे लिये भी कुछ है अर्पिता बस अब शाम तक इंतजार करना है...। अर्पिता कॉलेज से बाहर नही जा पाती है कि तभी उसके सामने कुछ और छात्र आकर खड़े हो जाते हैं।और उससे बेहद अभद्र तरीके से कहते हैं, “ हम सब ने सुना है कि आप जोड़िया बनवाती है हमारी भी किसी के साथ बनवा दीजिये” कह कर सभी चुप हो जाते हैं।उन सब की बात सुन कर अर्पिता उनसे कहती है और ये बात आप सब को उन पांचो ने कही ...Read More

18

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 18)

अर्पिता कुछ देर शांत रहती है जब उस लड़की की बाते खत्म हो जाती है तब अर्पिता कहती है.. कि आपके लिये इस बात को स्वीकार करना थोड़ा मुश्किल है लेकिन आप स्वयं ही सोचिये अपनी दोस्त की ऐसी तस्वीर लेकर हम आपके पास ही क्यूं आये अगर आपके भाई ने ऐसा नही किया होता तो हमे यहाँ आने की क्या आवश्यकता पड़ गयी।हम आपके पास इसीलिये आये है क्यूंकि आप भी एक लड़की है और श्रुति की परेशानी को आप भी बेहतर तरीके से समझ सकती है।आपके लिये यकीन करना थोड़ा मुश्किल है लेकिन यही सच है। ...Read More

19

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 19)

भाग 19 शैव्या- हाँ भाई।ये इनका ही प्लान था कि मै इनका साथ दूं। पहले तो मुझे नही था लेकिन जब इन्होने मुझे सारी बातें बताई तब मै सच का पता लगाने के लिये इनके साथ यहाँ आ गयी।भाई इतनी गलत हरकत कैसे कर गये आप्।ये बात तो मै जानती हूँ कि आपको गुस्सा बहुत जल्दी आता है और अगर कोई आपकी बात काटे तो आपको वो पसंद भी नही है।लेकिन भाई इन्होने गलत क्या कहा आप ही बताइये अगर आप किसी से गलत बात बोलोगे तो आपको कोई फुलोकी माला थोड़े ही पहनायेगा बल्कि जुते ही तो ...Read More

20

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 20)

राधिका अर्पिता की आवाज सुन लेती है और मुड़ कर पीछे देखती है तो प्रशांत जी को पाती है देख वो अर्पिता से मुस्कुराते हुए कहती है जी वो यहाँ मीटिंग के लिये आये है।अब इनकी मीटींग इन्ही की तरह निराली ही होती है। राधिका की बात सुन कर अर्पिता मुस्कुरा भर देती है।राधिका का फोन रिंग होता है तो वो अभी आने का कह वहाँ से उठ कर चली जाती है।राधिका के जाने के बाद श्रुति अर्पिता से कहती है ये हमेशा ऐसे ही व्यस्त रहती हैं हर पांच सात मिनट मे इनका फोन बजता ही रहता है।कभी ...Read More

21

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 21)

प्रशांत जी परम के पास जाते हैं।और वो दोनों वहां से मॉल के अंदर चले जाते है।उस जगह जहां कॉर्नर होता है।दोनों जाकर वहीं मस्ती करने लगते हैं।उधर अर्पिता और श्रुति दोनों ही मॉल घूमने लगती है।कपड़े ज्वेलरी सभी अपनी पसन्द की खरीद लेती है। परम प्रशांत को लेकर वहां से चला आता है और वो भी अपने मतलब का कुछ न कुछ देखने लगता है।अर्पिता अपने लिए एक कलरफुल और दो सादा दुपट्टा ढूंढ़ती है।जो बड़ी मुश्किल से उसे मिलते है।मुश्किल क्या अब कोई चीज मन की भी तो मिलनी चाहिए न।इसीलिए अर्पिता को भी थोड़ा समय लग ...Read More

22

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 22)

अर्पिता और प्रशांत दोनों ही अपने शुरू हुए राब्ता को एहसासों के जरिए जी रहे है।अर्पिता अपने कमरे में गाने पर प्रशांत जी के साथ कल्पना लोक में कपल डांस कर रही है।वहीं प्रशांत जी गिटार ट्यून करते हुए गुनगुनाते है।गुनगुनाते हुए उन्हें आभास होता है जैसे अर्पिता वहीं उनके सामने ही है।छात्रों के बीच में बैठ मुस्कुराते हुए तालियों के साथ उस गाने को एंज्वॉय कर रही है। कुछ तो है तुझसे राब्ता.. कुछ तो है तुझसे राब्ता.. कैसे हम जाने हमे क्या पता..! गाते हुए प्रशांत जी अपना गिटार रखते है तो सभी लर्नर खड़े होते हुए ...Read More

23

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 23)

वो सभी अर्पिता को लेकर निकल जाते हैं।अर्पिता वेन में बेहोश पड़ी हुई होती है। उधर अपने ऑफिस के में बैठ कर लंच करते हुए प्रशांत जी की आंखो के सामने अचानक से अर्पिता का चेहरा आ जाता है।उनके मुंह से अचानक ही अर्पिता का नाम निकलता है और वो निवाला छोड़ कर टिफिन बंद कर रख देते हैं। हाथ धुल कर खड़े हो मन ही मन कहते है ये इश्क की राहें आसान नहीं है। कही खुशी तो कही आंखो में नमी है। उनके एक ख्याल से उड़ जाता है चैन यहां। उधर हजरतगंज के एक रेस्टोरेंट में ...Read More

24

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 24)

अर्पिता उसे सामने देख एक पल को तो हड़बड़ा जाती है।उसके आगे कदम बढ़ाने के साथ साथ वो अपने पीछे बढ़ाती जाती है।ओह गॉड, अब क्या करे कैसे यहाँ से निकले।।कुछ समझ में नही आ रहा है।कुछ समझ नही आ रहा है यो इससे अच्छा है यहां से भाग लिया जाये।सोचते हुए अर्पिता आगे पीछे दाएं बाये देखती है और वहां से एक तरफ भाग जाती है। अरे कहां भागी जा रही हो रुको.. कहते हुए वो भी उसके पीछे दौड़ जाता है।पूरे गोडाऊन का चक्कर लगाते हुए अर्पिता एक टूटी पड़ी बेंच के पास जाकर खड़ी हो जाती ...Read More

25

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 25)

अर्पिता किरण के इस व्यवहार को इग्नोर कर देती है।वो दोबारा उठ कर किरण के पास जाती है और दोबारा से गले लगा लेती है।किरण और अर्पिता दोनो बहने जार जार चीखते चिल्लाते हुए जोर से रोने लगती हैं।उनके करुण क्रन्दन की गूंज पूरे घर में गूंजने लगती है।आरव भी आकर पीछे से उन दोनों के गले लग जाता है।हेमंत जी बच्चों को इस तरह रोता बिलखता परेशान देख आकर उनके पास बैठ जाते है।दया जी की अर्पिता की मां उसके पिताजी सभी रोने लगते हैं। गुजरते समय के साथ सभी सम्हलते जाते है।हेमंत जी दया जी आरव सभी ...Read More

26

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 26)

अर्पिता की नजर खंभे के पास खड़े एक शख्स पर पड़ती है।एक क्षण को तो वो चौंक जाती है।अपनी और फैलाती है देखती है और धीरे से कहती है प्रशांत जी यहां!! इतनी सुबह सुबह कैसे? कहीं ये हमारा वहम तो नही है।बहम ही होगा।नही तो इतनी सुबह सुबह प्रशांत जी यहां क्या करेंगे।।खंभे के पास खड़ा शख्स हल्का सा मुस्कुराता है।उसे मुस्कुराते देख अर्पिता कुछ क्षण उसे देखती रह जाती है। हेल्लो!! आगे बढिए टिकट लीजिये!! हेल्लो!! अरे कहाँ खोई है आप।।सुनिए ..! अर्पिता को अपने कंधे पर किसी का हाथ रखा हुआ महसूस होता है।वो चौंकते हुए ...Read More

27

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 27)

उसका जवाब सुन युव्वी हैरान हो जाता है और कहता है।देखिये जी।।भइया चाचा अंकल जीजा ये रिश्ते नाते मेरे साथ नही है।सो प्लीज इन्हें तो आप मेरे साथ बनाने की कोशिश तो करो ही मत।मेरा नाम है जो मैंने आपको पहले से ही बता रखा है तो आपसे मेरा कहना है मेरा नाम है युवराज तो आप बस वही लीजिये। ओके।।वैसे हमे कोई शौक नही है आपका नाम लेने का।सो जस्ट चिल!!कह अर्पिता खामोश हो अपना फोन निकालती है और जाने के लिए ट्रेन सर्च करने लगती है।लगभग आधे घंटे बाद की ट्रेन है ये देख वो वहीं प्लेटफॉर्म ...Read More

28

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 28)

प्रशांत जी अर्पिता को थाम कर उसे सीधा बैठाते है और अपने बैग में से बोतल निकाल कर उसके पर पानी के छींटे मारते हैं।कुछ ही क्षण में अर्पिता की मूर्छा टूटती है।वो अपनी आंखें खोलती है तो सामने प्रशांत जी को देख वो चौंक जाती है।एक पल को तो वो ये समझ नही पाती है कि ये सपना है या हकीकत।लेकिन जब अपने चारों देखती है तो उसे अपने जीवन की वो कठोर घटना याद आती है जिसका उससे अभी कुछ देर पहले ही सामना हुआ है।प्रशांत को देख अर्पिता फूट फूट कर रोने लगती है और उससे ...Read More

29

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 29)

29 अप्पू, क्या हुआ तुम्हे!! तुम ठीक तो हो।अप्पू।।श्रुति ने बाथ टब में बेहोश पड़ी अर्पिता से पूछा।।अप्पू क्या है तुम ठीक नही लग रही हो मुझे।।मैं भाई से ही पूछती हूँ।और उन्हें ही यहां बुलाकर लाती हूँ उन्हें ही तुम्हारे बारे में पता होगा।क्या हुआ है? भाई ..कहाँ है आप? प्रशांत भाई..! कहते हुए श्रुति वहां से बाहर निकल प्रशांत के कमरे में पहुंच जाती है।प्रशांत जो चेंज कर अपने कमरे में लैपी पर काम कर रहा है।श्रुति की आवाज सुन कर फौरन खड़ा हो जाता है।वो समझ जाता है अप्पू के साथ अवश्य ही फिर कोई घटना ...Read More

30

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 30)

अर्पिता अटकते हुए धीरे धीरे आगे कहती है लेकिन हमारी एक समस्या भी है!! प्रशांत जी :- मैं जानता समस्या है कि तुम यहाँ रहकर अंकल आंटी को कैसे ढूंढोगी।तो इसके लिए मेरा यकीन मानो मैं पूरी कोशिश करूंगा उनके बारे में पता लगाने की।वो जहां भी होंगे बिल्कुल ठीक होंगे।उम्मीद वो चिराग है जो अंधेरो से जूझने की भरपूर शक्ति देता है। बस तुम खुद को सम्हालो और हिम्मत मत हारो।हम सब मिल कर उन्हें ढूंढ निकालेंगे। प्रशान्त की बात सुनकर अर्पिता उनहे थैंक्स कहती है।तो प्रशांत जी बोले और भी कुछ कहना है तो कह सकती हो। ...Read More

31

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 31)

अर्पिता सबसे पीछे की सीट चुनती है।क्योंकि वहां वो खुल कर प्रशांत जी की क्लास को एन्जॉय कर सकती पीछे उसे देखने वाला जो कोई नही है।आज प्रशांत जी बेहद खुश होते है।और खुद का गिटार भी लाये है ये देख उनकी एक शार्गिद पूर्वी कहती है, लगता है आज सर का मूड बहुत ज्यादा अच्छा है तभी तो आज सर का खुद का गिटार यहां आया है।मतलब आज की क्लास तो रॉक.. होने वाली है। ये..ये..कहते हुए सारी क्लास के साथ हुल्लारे करने लगती है।प्रशान्त जी एकदम से सख्त होते हुए मुस्कुराना बन्द करते है और पूर्वी से ...Read More

32

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 32)

अर्पिता प्रशान्त दोनो ही अंदर चले आते हैं।और दोनो आकर सोफे पर बैठ जाते हैं। प्रशान्त :- अप्पू, थक क्या? अर्पिता:- नही ! प्रशांत :- ओके।।तो ये लो अपना सामान मैं कमरे में जा रहा हूँ।ठीक है।कह प्रशान्त जी कमरे में निकल जाते है।तो अर्पिता श्रुति के कमरे में जाकर सामान रखती है और चेंज कर बाहर चली आती है।श्रुति तब तक आकर सोफे पर बैठ चुकी होती है अर्पिता को आता देख वो कहती है, आ गयी तुम चोरनी कहीं की!! अर्पिता :- चोरनी? हमने तुम्हारा क्या चुराया भला। श्रुति:- मैं अगर तुमसे कहूंगी न तो बोलोगी ऐवें ...Read More

33

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 33)

अर्पिता वहीं खड़ी रह जाती है तो प्रशान्त जी उसके थोड़ा पास आकर कहते हैं सही ही कहा था दुपट्टे को मेरा साथ पसंद आ गया है।।अर्पिता कुछ नही कहती है बस लज्जा से नीचे गढ़ी जा रही है।वहीं प्रशांत जी आगे आकर अपना हाथ उसके सामने कर देते हैं तो अर्पिता जल्दी जल्दी उसे निकालती है और वहां से जाने लगती है।उसे जाता देख प्रशान्त जी कहते है अप्पू सुनो...आवाज सुन कर वो रुक जाती है और प्रशान्त के बोलने का इंतजार करने लगती है। प्रशांत कुछ कदम आगे आते हैं और अर्पिता के सामने जा कर कहते ...Read More

34

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 34)

अर्पिता आकर कमरे में बैठ जाती है और कुछ देर रेस्ट करने लगती है। जरा सा फ़्री होते ही यादों की गलियों में पहुंच जाती है।जहां वो और उसके मां पापा होते हैं। अप्पू :- मां पापा अगर आज यहां होते और उन्हे ये पता चलता कि हम अब और ज्यादा जिम्मेदार हो गए है तो खुशी से फूले नहीं समाते।बहुत खुशी होती उन्हे।लेकिन आज न जाने वो कहां है।काश हमारे पास कोई जादू की।छड़ी होती तो हम छड़ी घुमाते और फटाक से अपने मां पापा का पता लगा लेते।लेकिन अब हमे इंतजार ही करना होगा।।सच में कभी कभी ...Read More

35

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग - 35)

अर्पिता ट्रे ले जाकर रख देती है और कप निकालकर सिंक में रखती है तो उसे उसके नीचे रखा दिख जाता है।वो उठाकर उसे पढती है जिस पर लिखा होता है, नॉट फेयर अप्पू!☹️! ओहो मतलब नाराजगी है।लेकिन हमने ऐसा क्या किया जो नाराजगी है।हमने तो इनके भले के लिये ही तो रोका था।।बात करते है जाकर सोचते हुए वो रसोई से प्रशान्त के पास आती है जो उसे देख गर्दन नीची कर अपना फोन निकाल चलाने लगते हैं। अर्पिता :- अब हम क्या करे कुछ बात करने से तो रहे।।परम जी और श्रुति दोनो यही आ गए हैं। ...Read More

36

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 36)

प्रशान्त बड़े ही उत्साहित होते है ये जानने के लिए कि आखिर अर्पिता उपहार में लेकर क्या आई है।वो फ्लोर का लॉक लगा वहां से ऑफिस के लिए निकल जाते हैं। मंदिर में - पंडित जी ये पूजा की थाल ठाकुर जी को अर्पित कर दीजिए।अर्पिता ने थाल देते हुए पंडित जी से कहा। अवश्य बेटी!कहते हुए वो थाली लेकर उसकी सामग्री ठाकुर जी को अर्पित कर थाल वापस कर देते हैं। अर्पिता वहीं हाथ जोड़ मन ही मन प्रार्थना करती है और फिर वहां से प्रसाद ले ऑफिस के लिए निकल जाती हैं।ऑटो में बैठे बैठे मन ही ...Read More

37

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 37)

अर्पिता एकैडमी के लिए निकल जाती है।और कुछ ही देर में एकैडमी पहुंच जाती है।जहां दरवाजे पर उसकी मुलाकात से हो जाती है। प्रशान्त :- आ गयी तुम।मैं यहां दरवाजे पर खड़ा हो तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था। अर्पिता :- सॉरी, थोड़ा इंतजार करना पड़ा! प्रशान्त :- इट्स ओके अप्पू!चले अंदर, अब। अर्पिता :- हम्म।दोनो अंदर अपनी अपनी क्लास के लिए पहुंच जाते हैं।जहां अर्पिता पूर्वी की क्लास अटैंड करती है और प्रशान्त दूसरी ओर जाकर क्लास लेने लगता है एक क्लास पूर्ण हो जाती है।अर्पिता और प्रशांत इंस्ट्रूमेंट रूम में एक बार फिर मिलते हैं। अर्पिता :- ...Read More

38

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 38)

प्रशांत को गुस्से में देख श्रुति चुपचाप अपने कमरे में चली जाती है।परम कमरे के दरवाजे पर खड़ा हो के शांत होने का इंतजार करने लगता है।किरण और आरव दोनो घर के लिए निकल चुके होते है। प्रशान्त : आप लोगो को पार्टी देनी ही थी।तो मुझे बताकर ही दे देते इस तरह सरप्राइज के चक्कर मे अर्पिता को इतनी रात को बाहर जाना पड़ा।इतना तो मैं उसे जानता हूँ कि वो सात्विक के घर नही गयी होगी यानी रात के बारह बजकर पन्द्रह मिनट पर वो कहीं सिमटी हुई बैठी होगी।ये लड़कीं भी न दुनिया का अलग ही ...Read More

39

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 39)

चित्रा वापस आते हुए कहती है, "वो मुझे आपको बताना था कि हमारे बिजनिस प्रतिद्वंदी में से एक मिस्टर का फोन आया था कि हम इस बिजनिस रेस से अपने कदम पीछे खींच ले नही तो हमारे साथ अच्छा नही होगा। प्रशान्त :- डोंट वरी! आप इस विषय मे ज्यादा नही सोचिए ये गरजने वाले बादल है,सो गरज कर ही रह जाएंगे, बरसेंगे नही।बाकी देख लेंगे आगे क्या समस्या लेकर आते है। चित्रा :- ओके।वहां से चली जाती है। वहीं प्रशान्त एक बार फिर से अर्पिता की ओर देखते हैं।अर्पिता कार्य से फ्री हो कुछ देर शांति से बैठी ...Read More

40

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 40)

प्रशान्त और अर्पिता दोनो ही पूरे मनोयोग से क्लास ले रहे हैं।कुछ चीजे पूर्वी को समझ में नही आती तो वो अर्पिता से क्लीयर कर लेती है।कुछ ही देर में पहला लेक्चर पूर्ण हो जाता है तो अर्पिता और प्रशान्त दोनो अपनी क्लास बदलते हैं। एकैडमी के बाहर खड़ी हुई गाड़ी में बैठा हुआ अभयेन्द्र प्रताप ड्राइवर से गाड़ी ड्राइव करने को कहता है।कुछ ही देर में गाड़ी एक बड़े से शानदार घर के सामने जाकर रुकती है।गाड़ी देख वहां नियुक्त चौकीदार तुरंत दौड़ता हुआ आता है और दरवाजा खोलते हुए सलाम करता है। अंदर जाकर अभयेन्द्र उतर जाता ...Read More

41

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 41)

प्रशान्त के जाते ही मिस्टर खन्ना धम्म से सोफे पर बैठ गए और सोचने लगे ऐसा क्या कर गयी जी की भाभी जो ये इतने बेखौफ होकर चले गए।कुछ तो कांड किया है मैनेजर साहिबा ने अब पता कैसे चले इसी कश्मकश में उसे इस बात का इल्म ही नही रहता कि उनके दोनो बच्चे कब से खड़े हो उन्हे ही देख रहे हैं। इधर राधिका प्रेम और प्रशान्त घर से बाहर निकल एक दूसरे को बाय कह घर के लिए निकल जाते हैं।उधर अर्पिता एकैडमी के स्टाफ रूम में आती है और प्रशान्त को देखने लगती है।लेकिन प्रशान्त ...Read More

42

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 42)

ये देखो यहां कोई इतनी चोट खाने पर मुस्कुरा रहा है।मतलब हर बात मजाक लगती है खुद को आयरन समझ रहे है आप......!क्या सच मे दर्द नही हो रहा।अर्पिता ने प्रशान्त से पूछा तो प्रशान्त न में गर्दन हिला देते है।ओह गॉड!कहते हुए अर्पिता प्रशान्त का फोन निकालती है और खुद से उसका हाथ उठा लॉक खोलती है।ये देख प्रशान्त थोड़ा हैरानी से उसे देखते हैं।अर्पिता परम को कॉल लगाते हुए प्रशान्त से कहती है इतना हैरान होने की जरूरत नही है हमे इतना तो हक़ है न..!तो वही किया है अपने हक का इस्तेमाल!समझे आप तो यूँ टुकुर ...Read More

43

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 43)

परम की बात सुन कर अर्पिता कहती है क्या अभी आपने जो कहा वो सच है।क्या उनके मन मे लिए...कह वो चुप्पी साध लेती है। अर्पिता की बात सुन परम समझ जाता है कि प्रशान्त ने अब तक अर्पिता के सामने अपनी भावनाएं प्रकट नही की है।और करेंगे भी काहे इस मामले में इनकी सोच सबसे न्यारी ही है।जिससे आप प्रेम करते हैं उसका साथ निस्वार्थ भाव से निभाते जाए एक न् एक दिन वो आपके प्रेम को समझेगा जरूर।अब उन्हें हम कैसे बताएं कि ये आज की दुनिया है यहां साथ निभाने के साथ साथ मुंह से वो ...Read More

44

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग44)

अर्पिता स्टाफ रूम में वहीं बैठ सोच रही होती है कि तभी रविश जी उसके पास आते है और को फोन दे कहते हैं तुम्हारे लिए फोन है।हमारे लिए फोन है अर्पिता ने दोहराया तो रविश ने कहा जी।ओके कह अर्पिता बिना नंबर देखे कहती है, हेलो!आपका पेन कैसा है अब?और हां खबरदार जो उस हाथ से कोई काम करने का सोचा तो?बताए दे रहे हैं हम।उसकी बात सुन फोन के दूसरी तरफ से आवाज आई,मुझे पता है अगर तुम्हे भनक लग गई तो बहुत डाँट पड़नी है मुझे।मैं कुछ नही कर रहा बस ये जानने के लिए पूछा ...Read More

45

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 45)

प्रशान्त ने अर्पिता को खोए हुए देखा तो वो उसके पास आये और एक नोट उसके हाथ मे थमा वहां से चले गए और दरवाजे पर जाकर बड़े ही प्यार से बोले अप्पू,अगर कोई परेशानी है तो मुझसे शेयर कर सकती हो हम दोस्त है न ये अधिकार है मेरा।कह वो वहां से बाहर चले जाते हैं। उनके मुख से इतने प्यार से अपना नाम सुन अप्पू के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है।लेकिन जल्द ही चित्रा का ख्याल आने पर वो कहती है ये उलझने कब सुलझेगी।हमने हमारे सारे रिश्ते खो दिये है शान!अब बस रिश्तों के नाम ...Read More

46

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग46)

अब रूठे हुए को कैसे मनाये मुझे तो पता भी नही।नया नया कदम रखा है इस राह पर तो पता करूँ।अप्पू तुम भी न चिल्ला लेती,नाराजगी जता देती मुझ पर तो तुम्हारा सारा गुस्सा निकल जाता लेकिन नही।बस खामोश हो गयी और बोली भी तो क्या हम ये श्रुति के रूम में लेकर जाते हैं ताकि आगे जरूरत पड़े तो कहीं और ढूंढना न पड़े।बोली तो ऐसे जैसे मैं हर बार ये ही गलती दोहराऊंगा। अब क्या करूँ मैं।काश ये ऑफिस का कोई प्रोजेक्ट होता।तो यूँ ही हैंडल कर लेता मै।खुद से बड़बड़ा कर कहते हुए वो इधर से ...Read More

47

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 47)

अप्पू को मुस्कुराते देख परम कहता है तो अब समझ आया आपको कि मेरे भाई की लाइफ में आपके और कोई नही है।और जो जगह आपकी है न वो कोई और ले भी नही सकता।मुझे तो उनकी भावनाये साफ साफ दिखती है न जाने क्यों आप ही नही समझ रही हो। जैसे आप उनसे बेइंतहा प्रेम करती है वैसे ही वो भी करते हैं बस फर्क इतना है कि वो कभी जुबां से नही बोलेंगे।आपको समझना होगा उनके व्यवहार से,उनकी केयरिंग से उनके गुस्से से।क्या कहूँ मैं मेरे ये भाई कुछ अलग ही है न्यारे है जहां से। परम ...Read More

48

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 48)

अर्पिता की बात सुन शान कहते है तो तुम्हे पता चल गया कि मैं आ गया हूँ।कैसे? कैसे क्या अपना हाथ देख लो न जाने कैसे इसे पता चलता है कि तुम आसपास हो जो हर बार तुम्हारे आसपास होने पर तुमसे ही उलझ जाता है।अर्पिता की बात सुन कर प्रशांत अपना हाथ देखते है तो सब समझ कर धीरे से कहते है बात तो शि है तुम्हारी अप्पू।इससे एक बात साफ हो गयी कितनी ही भीड़ हो अगर हम आसपास होंगे तो दूर नही जा पाएंगे।हम्म अर्पिता ने कहा।शान और अप्पू की खुसर फुसर वाली बात सुन गार्ड ...Read More

49

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 49)

अगले दिन परम भी पूर्वी और युव्वि के विवाह का साक्षी बन वहां से वापस लखनऊ चला आता है।जहां उसे भी खूब डांटते है।अर्पिता और शान दोनो साथ ही ऑफिस जाते हैं एवं साथ ही वापस आते हैं दोनो के दिन की शुरुआत एक दूसरे के दीदार से शुरू होती है और चांदनी रात में ढेर सारी बातों पर खत्म।धीरे धीरे दिन गुजरते जाते है और परम और किरण के विवाह के दिन भी नजदीक आते जाते हैं।अर्पिता के मां पापा भी काफी हद तक ठीक हो जाते हैं।एक दिन अप्पू को बिन बताये शान उनसे मिलने कानपुर जाते ...Read More

50

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 50)

अर्पिता और शान के इस नोकझोंक वाले पलों को प्रेम जी देख देख रहे होते है और मन ही कहते है तो खिचड़ी की खुशबू यहां से आ रही है।वही मैं तब से सोच रहा था कि ये दोस्त तो श्रुति की है लेकिन उससे ज्यादा क्लोज तो प्रशांत के लग रही हैं।खैर देखते हैं इस खिचड़ी की खुशबू कितनी देर तक रुक पाती है।सोचते हुए वो मुस्कुराते है और आँखे बंद कर सोने की कोशिश करने लगते हैं।त्रिशा शान के पास आ जाती है और उससे कहती है चाचू ये तो वही छवीत छि दीदी है न जो ...Read More

51

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 51)

चित्रा को शान की बांहो में देख अर्पिता कहती है थैंक गॉड शान ने बचा लिया और वो त्रिशा गोद में ले नीचे चली आती है।चित्रा आप ठीक तो है शान ने पूछा।तो बढ़ी हुई धड़कनो के साथ चित्रा ने अपनी आँखे खोली।अवि के बाद वो पहली बार किसी के इतना करीब आई थी।उसने पहली बार प्रशांत को इतने पास से देखा सांवला रंग,गालों पर पड़ता डिम्पल और कातिल निगाहे जिनमे अगर कोइ एक बार झांक ले तो बाहर की दुनिया ही भूल जाये।कुछ तो है इन आंखों में चित्रा ने मन ही मन कहा।चित्रा तुम ठीक हो..!प्रेम की ...Read More

52

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 52)

शान, बात डर की ही है लेकिन आपसे नही है,डर इस बात से है हमारे रिश्ते को जितनी गहराई आप समझते है,परम जी समझते है,राधिका जी समझती है उतनी गहराई से कोई और समझ पायेगा कि नही। अर्पिता की बात सुन शान आगे बढ़े और बोले, तो मैं हूँ न इसके लिए तुम हो परम है सभी मिलकर सब सम्हाल लेंगे और एक राज की बात बताऊं हमारी फैमिली बाकी फैमिली की तरह टिपिकल नही है यहां सभी अपनी अपनी पसंद नापसंद एक दूसरे के सामने रख सकते है फिर सभी विचार कर के एक नतीजे पर पहुंचते है ...Read More

53

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 53)

आई जीजी शीला ने शोभा से कहा।वो अर्पिता की ओर देख उससे बोली,मैं जब फ्री होती हूँ तब मिलती तुमसे ठीक है। जी आंटी जी अर्पिता ने कहा।और वो वहां से ऊपर अपने कमरे में जाती है और बैठ कर राधिका के द्वारा सबके बारे में दी गयी जानकारी के हिसाब से सभी चीजो को सामने रख अपनी इमेजिनेशन से देखने लगती है।क्यों न हम एक बार श्रुति से इस बारे में उसकी राय ले ले अर्पिता ने खुद से कहा और वो श्रुति के कमरे की ओर चली जाती है।दरवाजा बन्द होता है वो नॉक करती है लेकिन ...Read More

54

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 54)

सभी कुछ देर में घर पहुंच जाते है।शॉपिंग की वजह से सब थक चुके होते हैं सो सभी जाकर पर ही बैठ जाते हैं। स्नेहा और त्रिशा दोनो सोये हुए बच्चो को लेकर कमरे की ओर चली जाती है। अर्पिता शोभा से कहती है ,"आंटी जी क्या हम सबके लिए एक कप चाय बना लाये"। अरे वाह चाय!नेकी और पूछ पूछ!कमला ने कहा। शोभा अर्पिता से बोली, " हां हां क्यों नही अर्पिता और इस समय तो एक कप चाय की अदद जरूरत महसूस हो रही है। जी हम अभी बनाकर लाते है कहते हुए अर्पिता बाथरूम में जा ...Read More

55

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 55)

सात शान :- स्वर अर्पिता :- सरगम शान :- गीत अर्पिता :- बोल शान :- गायन अर्पिता :- लय :- ताल अर्पिता (खड़े होते हुए) :- थिरकन शान :- नृत्य अर्पिता :- आनंद(चलते हुए सबसे पीछे जाकर फिर वापस आकर बैठ जाती है)।चूंकि अब बॉयज में केवल प्रेम प्रशांत सुमित और प्रशांत के पापा ही बचे है।शादी में कई काम होते है करने को कुछ कार्य तो घर बैठे भी हो सकते है फोन से। सो प्रशांत के पिताजी फोन आने पर वहां से उठकर चले जाते है।सुमित शान का फोन ले उसे चलाने में लग जाता है।और प्रेम ...Read More

56

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 56)

परम राधिका और प्रेम तीनो छत पर बैठे हुए बातचीत कर रहे हैं। राधु :- परम भाई!हमने आपको यहां बुलाया था की हमे आपसे किरण की पसंद के बारे में कुछ पूछना था। 'क्या भाभी' पूछिये आप।परम बोला राधु :- वो हमने अपनी छोटी देवरानी के लिए ज्वैलरी में कुछ पसंद किया है तो आप एक बार देख लेते तो हम प्रेम जी से कह उसे पैक करा लेते। 'ओह हो भाभी' अब किरण को क्या पहनना है ये आप और वो दोनो मिलकर देख लें।मुझ जैसे अबोध से पूछ रही हैं बताओ मुझे कहां आता है ये सब ...Read More

57

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 57)

शान को चैन से सोया जान अर्पिता उठने की कोशिश करती है तो शान बड़बड़ाते हुए कहते है, "जाना अप्पू" अर्पिता वहीं बैठी रह जाती है।सर्दी बढ़ती जा रही है ये देख अर्पिता अपनी शॉल को फैला कर शान के ऊपर डाल देती है और खुद अपना सर पीछे टिका कर शान को निहारती रहती है।जब प्रेम पवित्र होता है तो कोई भी कुविचार प्रेमियो के मन में नही आते,वो तो बस एक झलक देखने में ही खुद को भूल जाते है तो भला कुछ सोचने समझने का विचार कहां से आता।शान और अर्पिता एकांत में साथ होकर भी ...Read More

58

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 58)

अर्पिता शान के घर से निकल आती है और एक दिशा पकड़ यूँ ही चलती जाती है उसके लिए वो शहर ही अजनबी है।किस राह जा रही है कहां जायेगी उसे कुछ नही पता।हाथ में सिर्फ एक मोबाइल के अलावा कुछ नही है।उसकी हालत उस राहगीर की तरह है जिसकी न मंजिल का कोई ठिकाना है और न रास्ते का ही पता।वो बहुत दुखी है।सड़क पर सबकी नजरो में होने के कारण वो जैसे तैसे अपने आंसुओ को रोके हुए है।क्योंकि यहां आंसुओ को देख हमदर्दी जताने वाली निगाहे बहुत मिल जाएंगी लेकिन उनकी ये हमदर्दी बिन किसी स्वार्थ ...Read More

59

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 59)

शोभा जी ने प्रशांत से कहा और अर्पिता के सर पर हाथ रखते हुए बोली,अब तुम न ही चरित्रहीन और न ही बदचलन!अब बस इस परिवार की बहू हो।जिसका मान सम्मान अब तुमसे जुड़ चुका है अब से तुम्हारे द्वारा चला गया हर कदम तुम्हारे व्यक्तिगत जीवन के साथ हमारे परिवार को भी प्रभावित करेगा जी ताईजी हम पूरा ध्यान रखेंगे अर्पिता ने कहा। प्रशांत इसे घर ठहरा देना मैं इसका समान भिजवाती हूँ जब बारात निकले तब इसे साथ ले आना।लेकिन घर के अंदर नही बाहर!ग्रह प्रवेश होने पर ही मैं इसे अंदर ले कर जाउंगी। समझ गये ...Read More

60

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 60)

अर्पिता अपने मां पापा को सामने देख भावुक हो गयी उसकी आंखों से आंसू बहने लगते हैं।वो अपने मां के पास जाती है और उनके गले से लग जाती है।हमे विश्वास था आप दोनो बिल्कुल ठीक होंगे हम कबसे आपके आने का इंतजार कर रहे थे।बोलते बोलते अर्पिता हिचकी लेने लगती है उसके मुंह से शब्द ही नही निकलते वही अर्पिता के मां पापा दोनो अर्पिता को इस रूप में देख शॉक्ड हो जाते हैं।वो एक दूसरे की ओर देख अर्पिता से प्रश्न करते हुए बोले,अर्पिता ये सब क्या है?तुमने बिन अपने मां पापा से पूछे इतना बड़ा कदम ...Read More

61

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 61)

अर्पिता का अंदाज देख शान बोले, 'हाय, इन्नी चाहत' कहीं मैं खुशी मर से ही न जाऊं अप्पू!शान की सुन अर्पिता बोली 'अभी तो जिंदगी शुरू हुई है शान इतनी जल्दी पीछा तो नही छूटेगा आपका'! अर्पिता की बात सुन शान उसके पास आये एवं उसके कानो के पास जाकर बोले, 'पीछा छुड़ाना चाहता भी कौन है अप्पू'? शान की इस हरकत से अर्पिता के हृदय की धड़कने सरपट दौड़ने लगी। शान :- मेरे घर और मेरे जीवन में तुम्हारा स्वागत है अर्पिता! अर्पिता हल्का सा मुस्कुराते हुए बोली , " हम गीत तुम आवाज हम सरगम तुम साज ...Read More

62

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 62)

अर्पिता किरण शोभा राधिका श्रुति सभी हॉल में बैठे हुए हैं एवं प्रेम के फोन आने का इंतजार कर है।प्रेम हॉस्पिटल में डॉक्टर्स से बात कर रहा है तो डॉक्टर्स उसे बताते हैं आप उन्हें अभी लेकर जा सकते हो कोई समस्या नही है बस उन्हें टोटल बेड रेस्ट देना होगा। प्रेम डॉक्टर की बात से सहमत हो कमला और बाकी सब के पास आते हैं और उन्हें बताते है डॉक्टर ने बोल दिया है कि हम चाचीजी को घर लेकर जा सकते हैं।बस उन्हें बेड रेस्ट करने देना होगा।कमला उससे कहती है ठीक है फिर घर पर बाकी ...Read More

63

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 63)

अर्पिता बोली :- शान क्या कर रहे हो आप? शान अर्पिता की आंखों में देखते हुए कहते है :- तुम्हे प्रोटेक्ट अप्पू! अर्पिता :- हमे प्रोटेक्ट किससे शान! शान :- उन सब बुरी भावनाओ बुरी नजरो और बुरी बातों से जिनसे तुम्हारी आंखों में आंसू आये! ओह हो शान आपको हमारी परवाह है हम जानते है लेकिन हमे आपसे जुड़े हर रिश्ते की परवाह है आपने जो कुछ देर पहले किया वो गलत है शान, मां को कितना दुख हुआ ये जानकर कि उनका बेटा उनके पास आकर आशीष नही लेना चाहता। शान थोड़ी तेज आवाज में बोले :- अर्पिता ...Read More

64

कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 64)

शान को गया देख अर्पिता वहीं खड़ी रहती है जब तक शान और बाकी सब की गाड़ी आंखों से नही हो जाती।गाड़ी के जाते ही अर्पिता वापस घर के अंदर चली आती है।आते हुए वो अपने कमरे में जाती है और वहीं बेड पर बैठ जाती है।उसकी नजर सामने वॉल पर लगे एक पोस्टर पर पड़ती है जिसे देख उसके उदास चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है।चलो कम से कम आपकी एक बड़ी सी फोटो तो है।जिससे हम बाते कर सकते है।नही तो हमे लगता हम इन खाली दीवारों से बात करेंगे। शान, क्या बिगड़ जाता अगर नाराजगी से ...Read More

65

कैसा ये इश्क़ है.... - (65)

'पागल लड़की' इतना क्यों भावुक हो रही हो।जब तुम आओगी लखनऊ तब हम मिलेंगे न ठीक है,अब तुम अपना रखो और मैं निकलती हूँ।शोभा जी ने कहा जिसे सुन अर्पिता बस मुस्कुरा भर देती है।शोभा जी वहां से चली जाती है कमला भी शीला के पास रुक जाती है ये देख अर्पिता अंदर कमरे में जाकर शान के लिए बुने गये स्वेटर को फाइनल टच देती है और उसे इमेजिन कर मुस्कुराते हुए कहती है अच्छा लगेगा आप पर शान।वहीं शान लगातार आ रही हिचकियो से परेशान है जिसे देख परम बोले,भाई लगता है छोटी भाभी आपको दिल से ...Read More

66

कैसा ये इश्क़ है.... - (66)

सोफे पर बैठने के बाद शान ने बड़ी मां को संदेश भेज दिया, 'हम मसूरी पहुंच चुके है ताईजी'! और मैं दोनो ही बिल्कुल ठीक हैं।संदेश भेज कर वो फोन रख देते है।अर्पिता जो वहीं खड़ी शान को ही देख रही है उनके जल्दी फोन रखने पर बोली शान क्या हुआ बड़ी मां से बात नही की आपने। शान बोले, "अप्पू अभी सुबह के साढ़े चार बज रहे हैं।कहीं ऐसा न हो मैं फोन करूँ और उनकी नींद खुल जाये तो बस किया नही फोन। 'ठीक है शान तो आप भी रेस्ट कर लीजिये थक गये होंगे आप' अर्पिता ...Read More

67

कैसा ये इश्क़ है.... - (67)

शान की आँखे भर आती है वो वहीं बैठ जाते है बस एकटक क्लिफ के एंड की ओर देखते इसी उम्मीद से शायद उसकी पगली उसे आवाज दे।अर्पिता प्लीज लौट आओ ...! देखो तुम्हे लिए बिन मैं घर नही जाऊंगा।जानती हो न कितना जिद्दी हूँ मैं।अर्पिता..!बड़बड़ाते हुए वो वहीं बैठे होते है कि उनकी नजर अर्पिता की पायल पर पड़ती है।वो उसे उठा लेते है। शान उससे बातें करने लगते है।अर्पिता तुमने वादा किया था कि शान कि अर्पिता अपनी सांसे छोड़ सकती है लेकिन शान को नही।वो तुमने इसीलिए किया था ताकि तुम ये बेवकूफी कर सको।कोई और ...Read More

68

कैसा ये इश्क़ है.... - (68)

शान शोभा और शीला के सामने मुस्कुराने का अभिनय कर घर से निकल तो आते है लेकिन घर के आ कर उनके आंसू फिर छलक पड़ते हैं।जिन्हें पोंछ वो मन ही मन कहते है अप्पू,मुझे नही पता मेरी मंजिल कहां है,तुम कहां हो लेकिन मुझे इतना पता है कि मेरी वजह से हमारी फॅमिली दुखी नही होनी चाहिये।अपना दर्द अपनी तकलीफ अब मैं अकेले ही झेलूंगा और तुम्हे ढूंढूंगा।जब तुम मिल जाओगी तब तुमसे पूछुंगा ये करके तुम्हे मिला क्या..?पूछुंगा कैसा ये इश्क़ है तुम्हारा ...जिसे प्रेम करती हो उसे ही रुलाती हो..! कहते हुए शान वहां से एक ...Read More

69

कैसा ये इश्क़ है.... - (69)

शान वहां से पैदल ही आगे निकल जाते हैं।वही मालिनी अभिनव से संपर्क कहती है, सर टिया का गला नही है तो उसने स्पेशल परमिशन लेकर अजय जी को खुद के साथ गाने के लिए बोला है।लेकिन परेशानी ये है कि अजय जी यहां से घूमने निकल चुके हैं।अब आप ही बताइये क्या किया जाये।टिया के करियर का सवाल है। मालिनी की बात सुन अभिनव गुस्से से बोले ये लड़की हमेशा मन की करेगी,न जाने कब इसे अक्ल आयेगी।अजय इसकी कोई हेल्प नही करने वाला।वो अपनी मर्जी का मालिक है अब इस कम अक्ल को मैं कैसे हैंडल करूँ। ...Read More

70

कैसा ये इश्क़ है.... - (70)

शान के अंदर जाने और दरवाजा बंद करने के बाद चित्रा मुस्कुराते हुए बोली,मुझे स्टोर रूम में कोई समस्या प्रशांत जी मह्त्वपूर्ण ये है कि आप किसी अपने की निगरानी में है।खुशी में चित्रा शान की बेरुखी को नोटिस ही नही कर पाई है।वो मुस्कुराते हुए वहां से स्टोर रूम की ओर चली जाती है एवं झाड़ झंखाड़ हटा कर वो स्थल स्वच्छ कर अपने रहने योग्य बना लेती है। वहीं कमरे में मौजूद शान खुद से बड़बड़ाते हुए कहते है, ताईजी आपकी इंटेंशन मैं समझ रहा हूँ,आप जो कर रही है मेरे भले के लिए ही कर रही ...Read More

71

कैसा ये इश्क़ है.... - (71)

अर्पिता पूर्वी एवं युवराज के साथ घर पहुंचती है जहां उन्हें दरवाजे पर ही ताला लगा हुआ मिलता है।जिसे पूर्वी और युवराज हैरान हो एक दूसरे की ओर देखते हैं। युव्वि, मम्मीजी पापाजी तो यहां नही है कहां गये होंगे।एक बार फोन करके पूछो तो पूर्वी ने युवराज की ओर देख कर कहा।पूर्वी की बात सुन युव्वि ने फोन निकाला और फोन लगाते हुए बोला,पूर्वी अब फोन उठाना न उठाना तो उनके मूड पर निर्भर है।फोन कान से लगाता है रिंग जाती है लेकिन मिस्ड कॉल में परिवर्तित हो जाती है।युवराज न में गर्दन हिला कर फोन रख देता ...Read More

72

कैसा ये इश्क़ है.... - (72)

टिया के यूँ गुस्से में घूरने को अर्पिता ने इग्नोर किया वो तो बस अपने बच्चे प्रीत से बात लगती है।टिया को इस तरह खुद का यूँ उपेक्षित किया जाना बिल्कुल अच्छा नही लगता वो मन ही मन सोची तुम्हारा एटीट्यूड तो बिल्कुल मेरे अजय की तरह है लेकिन अजय पर एटीट्यूड जंचता है तुम पर नही तुम्हे तो सबक सिखाना बनता है। टिया को नही पसंद कि कोई भी उसके अजय जैसा स्वभाव रखे।या कोई भी उसके अजय के आसपास भी ठहरे।टिया अजय के प्रति आकर्षण के जुनून में बहुत आगे बढ़ चुकी है जिसमे वो सही।और गलत ...Read More

73

कैसा ये इश्क़ है.... - (73)

शान को देख शोभा जी बोली क्या बात है प्रशांत!आज तुम्हारे चेहरे पर ये मुस्कुराहट देख मुझे बहुत खुशी ऐसे ही हंसते मुस्कुराते रहा करो। शोभा जी की बात सुन शान बोले इस मुस्कुराहट की वजह बहुत जल्द ही सबके सामने आयेगी अभी मैं कुछ नही कह सकता। मैं कुछ समझी नही प्रशांत!शोभा जी ने हैरानी से कहा जिसे सुन प्रशांत बोले ताईजी बहुत जल्द हम सब की उलझी हुई जिंदगी सुलझने वाली है कुछ ऐसा होगा जिसकी आप ने कल्पना भी नही की होगी।बस सही समय आने दीजिये। ठीक है प्रशांत।तुम्हारे उस सही समय की मुझे प्रतीक्षा रहेगी।वैसे ...Read More

74

कैसा ये इश्क़ है.... - (74)

अर्पिता अंदर चली आती है उसके चेहरे पर बैचेनी है एव ह्रदय की धड़कन बढ़ी हुई है।वो शान की देखती है एवं उन्हें मूर्छित देख वो उनके पास जाकर बैठ कर उनकी ठोडी को स्पर्श करते हुए उनसे बोली शान!उठिये चलिये यहां से शान!शान!उठिये शान सुन रहे है न आप! गार्ड अंदर अपने मालिक की बेटी टिया को वहां देख नजरे झुका लेता है।टिया खड़े हो जाती है।अर्पिता का सारा गुस्सा वो गार्ड पर निकालते हुए चिल्लाती है।उसके शब्दो में तल्खी होती है वो गार्ड की ओर देख बोली गेट लॉस्ट नाउ।अपनी ड्यूटी पर लगो जाकर। टिया की डांट ...Read More

75

कैसा ये इश्क़ है.... - (75)

अर्पिता ने शान की ओर देखा।शान ने अपनी पलके झपका कर अर्पिता को आश्वासन दिया सब ठीक होगा मैं न।शान के मौन को समझ अर्पिता बोली 'जी हमे पता है शान आप हैं लेकिन मन भय से घबरा रहा है न जाने मां क्या सोचेंगी।कैसे क्या हमे सच में घबराहट हो रही है। शान कुछ नही बोले उन्होंने अर्पिता का हाथ छोड़ा और समान वापस पकड़ कर आगे बढ़ कर डोरबेल बजा दी।अर्पिता शीला जी की सोच को इमेजिन कर इतना घबरा गयी कि वो शान के पीछे जाकर खड़ी हो गयी। डोरबेल सुनने पर कमला बाहर आयी और ...Read More

76

कैसा ये इश्क़ है.... - (76)

प्रीत दूसरी ओर बैठ पढ़ने लगा है ये देख अर्पिता ने खामोश हो चारो ओर देखा तो।उसकी नजर वहीं टेबल पर रखी खाने की थाली पर पड़ती है।वो जाकर उठा कर लाती है और जग के पास टेबल पर रखती है।कबर्ड के पास ही फोल्ड रखी चटाई निकाल कर उसे बिछा कर थाली और पानी दोनो ले जाकर उस पर रख देती है। वो शान से वहां आने को कहती है।शान ने सुना तो उठकर चले आते हैं और चुपचाप बैठकर भोजन करने लगते हैं कुछ देर बाद अर्पिता प्रीत के साथ बैठकर उसे अक्षरो का ज्ञान कराते हुए ...Read More