Kaisa ye ishq hai - 14 in Hindi Fiction Stories by Apoorva Singh books and stories PDF | कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 14)

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कैसा ये इश्क़ है.... - (भाग 14)

अरे वाह किरण बहुत सुंदर लग रही हो। सादगी में भी जंच रही हो। अर्पिता ने किरण से कहा।जिसे सुन किरण मुस्कुरा भर देती है।और बोलती है तो अब जाकर तुम्हे टाइम मिला यहाँ आने का।वैसे तुम ये बता तुम सबसे मिल कर आई हो न कौन कौन आया है यहाँ। और वो नमूना भी आया है क्या बता न्।

अरे दादा सुबह तक तो मूड इतना खराब कि मौसा जी से बात तक नही की और अब देखो इतनी बैचेनी कि मिलने से पहले ही सब कुछ जान लेना चाहती हो। वैसे एक बात कहे वो जो नीचे आये हुए हैं न बहुत बहुत बहुत अच्छे है और उनके लिये नमूना शब्द का इस्तेमाल तो उनके व्यक्तित्व पर एक धब्बे के जैसा लगेगा। हमें पूरा विश्वास है कि जब तुम उन्हे देखोगी न तो उन्हे ना नही कह पाओगी। सच में किरण तुम दुनिया की सबसे लकी लड़की हो...।किरण से कहते हुए अर्पिता की आंखे भर आती है।लेकिन वो उन्हे चुपके से पोछ लेती है।और मुस्कुराने लगती है।

अगर तुम ये इतने विश्वास के साथ कह रही हो तो फिर मिलना बनता है।किरण ने उत्साहित होकर कहा।हाँ जी और हम तुम्हे ही लेने तो आये थे चलो नीचे सभी तुम्हारा ही इंतजार कर रहे हैं।अर्पिता ने किरण से कहा और अपने ह्रदय की बढी हुई धड़कनो के साथ अर्पिता किरण को नीचे ले चलती है।चलते हुए अर्पिता किरण और अपना दोनो का फोन उठा लेती है।

वहीं नीचे प्रशांत जी के पास श्रुति का कॉल आ जाता है। और वो राधु की ओर झुक कर फोन आगे कर देता है।

श्रुती का कॉल है यानी इसे उठाना तो बेहद जरुरी है आप उस तरफ जाकर बात कर लीजिये। राधिका ने हॉल से बाहर की ओर इशारा कर कहा।

ओके थैंक्स कह प्रशांत वहाँ से उठ कर चला जाता है तब तक अर्पिता और किरण दोनो ही हॉल में पहुंच जाती है।किरण सब से मिलती है और बीना जी के इशारा करने पर सबके चरण स्पर्श करती है और जाकर वापस से अर्पिता के पास खड़ी हो जाती है।

शोभा जी बीना जी से कहती है कि मेरा छोटा बेटा परम काम की वजह से आ नही पाया है।उसने तो अपनी लाइफ का फैसला हमारी राधिका के उपर छोडा है उसका तो साफ साफ कहना है जिसे राधिका भाभी पसंद करेगी वो बिल्कुल पर्फेक्ट होगी।

कोई बात नही शोभा जी जीजी(हेमंत जी की बहन) ने तो सारी बात कर ही रखी है तो इसमें परम जी के ना आने से कोई दिक्कत वाली बात नही है।

हेमंत जी – जी। और फिर आज कल तो लड़के लड़की का मिलना कोई बड़ी बात नही है जब परम बेटे फ्री हो बच्चो की एक मुलाकात करा देंगे जिससे आपस में मिल कर एक दुसरे को जान समझ सके।

नृपेंद्र जी‌- जी अवश्य। आपकी बात से मै पूरी तरह सहमत हूँ हेमंत जी।

अर्पिता वहाँ मौजूद सदस्यो की बात सुन कर कंफ्यूज हो जाती है कि आखिर ये परम का क्या मसला है।जो यहाँ मौजूद न होकर भी यही है।और अचानक से सब उसकी ही बातें किये जा रहे हैं।

उधर श्रुति फोन पर प्रशांत से कहती है, “ भाई मैंने न आकर गलती ही करी है आज तो कॉलेज में अर्पिता नही आई है और सात्विक भी आकर चला गया है।मतलब पक्का बोर हो रही हूँ। इससे अच्छा तो आपके साथ ही पहुंच जाते कितना बढिया होता।

अरे कोई नही वैसे भी हम लोग यहाँ जिससे मिलने आये है उसे हम लोग पहले से ही जानते हैं।

अच्छा भाइ फिर तो फोटो भेजिये भाई अभी मुझे भी देखना है। कि आखिर वो है कौन??? श्रुति उत्साहित होकर कहती है।

ठीक है “वेट अ मिनट” श्रुति अभी भेजता हूँ कह प्रशांत वहीं साइड से खड़े होकर एक अर्पिता की एक फोटो खींच लेता है और श्रुति को सेंड कर देता है।

प्रशांत: फोटो तो सेंड कर दिया है देख लो ओके अब मै रखता हूँ बाय कह प्रशांत अपना फोन रख देता है। और आकर सबके साथ बैठ जाता है।

वहीं कॉलेज में श्रुति बागीचे की एक बेंच पर बैठी हुई होती है और प्रशांत द्वारा भेजी गयी फोटो देख रही होती है।कि तभी कॉलेज के वही छंटे हुए बदमाश लड़के श्रुति के पास आ जाते हैं और उसे चारो ओर से घेर कर खड़े हो जाते है।

हे बेबी आज तो तुम अकेले मिल ही गयी हमें। उनमें से एक ने कहा जो श्रुति के सामने ही खड़ा होता है।आवाज सुन कर श्रुति अपना फोन रख नजरे उपर उठा कर देखती है तो उन लोगो को अपने पास देख हतप्रभ हो जाती है।उसे एह्सास होता है कि वो जल्द ही किसी मुसीबत में पड़ने वाली है।उसके चेहरे का रंग उड़ जाता है लेकिन फिर भी अपने आप को सामान्य दिखाने की कोशिश करते हुए वो थोड़ी कडक आवाज में कहती है तुम लोग कतई बेशर्म हो इतना कुछ सुनने के बाद भी कुछ नया सुनने के लिये चले आते हो। उस दिन वाला सबक बड़ी जल्दी भूल गये।श्रुति ने एक ही सांस में कहा। जिसे सुन वो लोग कहते हैं हाँ जी हम लोग सबक तो भूल गये और अब बहुत जल्द तुम भी खुद को भूल ही जाओगी हमारा किया हुआ कारनामा देखोगी।बहुत अकड़ है न तुममे और तुम्हारी उस दोस्त क्या नाम है उसका गाइज उस लड़के अपने बाकी दोस्तो की ओर देखकर कहा...।

अर्पिता..अर्पिता नाम है उस तीखी छुरी का उसके बाकी दोस्तो ने कहा।

हाँ तो नाम है तो है तुम्हे इससे क्या लेना देना।और हाँ दूर ही रहो हम लोगो से वरना तुम्हारा ऐसा हाल करेंगे न जो तुम्हारी सोच से भी परे होगा। श्रुति ने गुस्से में तमतमाते हुए कहा।हा हा हा हा ये देखो आज तो बिल्ली भी शेर के माफिक म्याऊ म्याऊ करना छोड़ कर दहाड़ रही है। खैर हम लोग तो यहाँ आये थे तुमसे ये कहने कि तुम हम लोगो से अपनी गलती की माफी मांग लो और इस झगड़े को यही खत्म करे लेकिन नही तुम भी जिद्दी हो अभी तो हम कॉलेज में है इसीलिये तुझसे कुछ ज्यादा नही कह सकते लेकिन कल हम लोग फिर से मिलेंगे तब तुम्हारी दहाड़ भी सुन लेंगे।आज का कोटा पूरा हो गया सामने वाले लड़के ने कहा और उसने अपनी दाई ओर खड़े लड़के की ओर इशारा किया।उसके इशारा करते ही सामने खड़े लड़के ने अपना फोन निकाला और चुपके से श्रुति की फोटो खींच ली।एवम सामने वाले लड़के की ओर देख थम्ब से काम होने का इशारा किया।श्रुति उन लोगो की बात का मतलब समझ नही पाती है। और वो पांचो मुस्कुराते हुए वहाँ से चले जाते हैं। और थोड़ी दूर जाकर पीछे मुड़ कर श्रुति की ओर देख उन सब का मुखिया उस फोटो खींचने वाले लड़के का फोन लेता है और अपने फोन मे श्रुति का फोटो ले कर उस लड़के फोन से डिलीट कर उसे फोन वापस कर देता है। और मुस्कुराते हुए कहता है अब आयेगा मजा।सबके सामने मेरी इंसल्ट करवाइ थी इसने अब इसके जरिये मै दोनो को सबक सिखाउंगा और एसा सबक सिखाउंगा कि फिर किसी से उलझने की कोशिश नही करेगी। कहते हुए वो मुस्कुराता है और सभी वहाँ से चले जाते हैं।श्रुति उनकी बातो से थोड़ी कंफ्यूज होती है लेकिन फिर फोन पर नजर पड़ते ही वो सब भूल कर फोटो चेक करने लगती है।फोटो में अर्पिता और किरण को एक साथ देख कहती है ओहमाय गॉड मतलब ये किरण है जिन्हे देखने के लिये प्रशांत भाई और राधू भाभी गयी हुई है।क्या बात है श्रुति खुद से ही कहते हुए खुश हो जाती है।

घर पर सारी बातचीत कर शोभा राधु और कमला एक दूजे की ओर देखती है तो राधु अपने साथ लाये हुए बेग को उठा कर शोभा को थमाती है और शोभा खड़ी हो जाती है और किरण के पास जाकर उसे उस बेग में रखा हुआ सामान शगुन के रूप में दे देती है।प्रशांत की नजरे शोभा जी के पीछे पीछे जाती है और ये देख उसके चेहरेपर अनायास ही हल्की सी मुस्कान आ जाती है कि उसकी शोभा मां(ताई जी) ने वो शगुन का सामान अर्पिता को न देकर किरण को दिया है।

वो मन ही मन कहता है शुक्र है कि ये मेरी गलत फहमी निकली।हम लोग यहाँ अर्पिता को नही उसकी बहन किरण को देखने आये हैं।

वहीं अर्पिता अभी भी इसी गलत फहमी मे होती है।वो शोभा जी की बात का आशय समझ ही नही पाती है।शगुन देने के बाद शोभा जी वापस आकर बैठती है तो किरण एक बार फिर सबके चरण स्पर्श करती है।वो मन ही मन सोचती है पापाजी ने तो कहा था कि निर्णय मुझे लेना है लेकिन यहाँ तो मुझसे बिन पूछे ही शगुन का सामान हाथों में थमा दिया गया है।एक बार मुझसे पूछा तक नही है।अब सबके सामने तो मै क्या कहूं इनसे।उपर से जिसे मुझे देखना है जिससे मिलना है वो तक नही आया अब इन सब की बातों से तो मुझे ऐसा ही लग रहा है।वो नही आया है तो फिर यहाँ आया कौन है,और कौन है वो जिसकी तारीफ अर्पिता किये जा रही थी।देखे तो कह किरण अपनी नजरे उठा कर चारो ओर देखती है तो अपने दाये तरफ सोफे पर प्रशांत जी को बैठे हुए देखती है।जिसे देख किरण हैरान हो बुद्बुदाती है अरे ये तो “बीरबल की खिचड़ी” है।हौले हौले, रफ्ता रफ्ता पकने वाली।उसकी बात सुन कर अर्पिता सबकी ओर मुस्कुरा कर देखते हुए अपना हाथ उसके पीछे कर उसकी कमर में पिंच कर देती है।किरण घूर कर उसे देखती है जिसे देख अर्पिता उससे फुस्फुसाते हुए कहती है यूं अकेले अकेले बड़बड़ाना बंद कर यहाँ सबकी नजरे तुझ पर ही आकर रूक रही है।क्या सोचेंगे ये लोग कि इनकी होनेवाली वहू सरफिरी है।चुपचाप हल्की सी मुस्कुराहट रख खड़ी रह।

तुझसे तो मै बाद में निपटूंगी अभी मै यहाँ फंसी हुई हूं तुम बस कुछ देर इंतजार करो।बस तब तक का जब तक ये लोग यहाँ है।कहते हुए किरण चुप हो जाती है।और अर्पिता उसकी सीधी बात भी नही समझ पाती है। अब समझे कैसे दिमाग में उलझन जो भरी हुई है।कुछ और आवश्यक बातचीत होती है उसके बाद वो सभी वहाँ से चले जाते हैं लेकिन जाने से पहले हमारी राधू अर्पिता के पास आती है और उससे कहती है, “अर्पिता अपना फोन दीजिये” अर्पिता सवालिया नजरो से राधू की ओर देखती है।जिसे देख राधू कहती है घबराओ नही बस फोन ही ले रही हूँ और फिर उसके कान के पास जाकर धीरे से फुसफुसाती है अरे भई अब शादी की बातचीत चल रही है तो ऐसे में नम्बर तो एक्स्चेंज करने होंगे कि नही चुंकि आप किरण की बहन है और किरण का फोन भी तो आपके हाथ में है तो उसका फोन दो॥ ओह कह अर्पिता किरण का फोन राधू के हाथ में थमा देती है।राधू मुस्कुराते हुए फोन लेती है और उसमें परम का नम्बर सेव कर देती है।और किरण के फोन से खुद को एक मिस्सड कॉल दे फोन वापस लौटा देती है।

किरण एक बार फिर सबके चरण स्पर्श करती है और अर्पिता मुस्कुराते का अभिनय करते हुए सभी को हाथ जोड़ कर प्रणाम करती है।प्रशांत जी एक बार फिर से अर्पिता की ओर देखते हैं और सिर सबसे आगे निकल गाडी दरवाजे के सामने ले आते हैं।वहीं अर्पिता खुद को लाख रोकते हुए भी एक बार प्रशांत जी को देख ही लेती है। बीना जी हेमंत जी, किरण की बुआ और दया जी सभी उन सबको दरवाजे तक बाहर छोड़ कर आते हैं।

उनके बाहर जाते ही किरण अपनी साड़ी सम्हाल अर्पिता के पीछे दौड़ने लगती है। ओह नो किरण ये क्या कर रही हो.. कहते हुए अर्पिता उससे आगे आगे दौडने लगती है।अर्पिता सीढियों से उपर चली जाती है तो किरण भी उसके पीछे पीछे चली आती है।वहीं प्रशांत बात करते हुए फोन हाथ में पकड़े होता है और आते समय तो सोफे पर ही भूल जाता है किसी का ध्यान भी नही गया होता है कि यहाँ प्रशांत जी का फोन रह गया है।फोन का याद आने पर वो राधू से पूछता है, “ क्या मेरा फोन आपके पास है?”

नही भैया हमारे पास नही है राधिका ने कहा।

ओह शायद अन्दर रह गया है, आप सभी लोग बैठिये मै अपना फोन लेकर आता हूँ प्रशांत जी ने कहा और वो गाड़ी से उतर कर घर के अंदर चले जाते हैं।वहीं हमारी अर्पिता और किरण दोनो ही खिलखिलाते हुए फर्स्ट फ्लोर दौड़ रही है।किरण दौड़ते हुए अर्पिता को पकड़ती है तो उसके दुप्पटे का सिरा उसके हाथ में आ जाता और किरण उसे झटक देती है और फिर से अर्पिता के पीछे दौड़ने लगती है।अर्पिता एक दम से रुक जाती है और पीछे मुड़ कर किरण के हाथो की ओर देखती है।उसके हाथ में दुप्पटा को न देख वो इधर उधर देखने लगती है।

रुको तुम क्या कह रही थी कि वो भी आया है वो बहुत बहुत बहुत अच्छा है।तुम उसे देखोगी तो मना नही कर पाओगी।और क्या कहा था कि तुम बहुत लकी हो किरण.... किरण अपनी धुन में लगी होती है और अर्पिता अपनी चुन्नी को ढूंढने में के सिर को ढंकते हुए उसके हाथ में होती है।वो समझ ही नही पाती है कि नीचे कौन है और वो सीढियो से होते हुए नीचे चली आती है।“सुनो वो हमारा दुप्पटा है” अर्पिता ये कहती है और उसके करीब आगे बढने लगती है।तभी उसकी नजर प्रशांत जी के पहने हुए जूतो पर पड़ती है जिसे देख उसके मुख से बरबस ही निकल जाता है, “ प्रशांत जी आप”...?

क्रमशः...