प्रिय मैं सूखी जा रही हूँ
आज नैनीताल से एक फोन आया। मैं पासपोर्ट सेवा केन्द्र में था।अतः फोन मूक मोड में था और मुझे पता नहीं चला। रास्ते में देखा तो फोन नम्बर अनजान लग रहा था लेकिन नैनीताल लिखा था नम्बर के नीचे। मेरा मन पीछे जाने लगा। सोचा एकबार पूछूं कि किसका नम्बर है। मेरे ध्यान में वह चिट्ठी आयी जो मैंने कुछ समय पहले लिखी थी। उसको पढ़ा -
प्रिय,
मैं तुम्हारी याद में सूखे जा रही हूँ।कहते हैं कभी सती माँ की आँखें यहाँ गिरी थीं।नैना देवी का मंदिर इसका साक्षी है। कभी मैं भरी पूरी रहती थी।त