नारा / स्लोगन
********
शिक्षा का ना कोई मोल।
जीवन बन जाये अनमोल।।
बाँटो सदा ज्ञान का प्रकाश।
मिलेगा मन को संतोषाकाश।।
बाँटो जितना बढ़ेगा उतना
संग मिले सम्मान भी उतना।।
शिक्षक हमको शिक्षा देते।
जीवन की खुशियां भी देते।।
हर जन-मन एक वृक्ष लगाए।
हरी-भरी धरती मुस्काए।।
प्रदूषण को दूर भगाओ।
जन- जीवन को स्वस्थ बनाओ।।
ध्वनि प्रदूषण मत फैलाओ।
बीमारी को दूर भगाओ।।
जल जंगल जमीन बचाओ।
जिम्मेदारी आप निभाओ।।
कंक्रीट के जंगल बढ़ते।
कैसा मानव जीवन गढ़ते।।
ताल तलैया कुँए खो रहे।
खुशहाली के दौर रो रहे।।
बाग-बगीचे कहाँ बचे हैं।
केवल अब इनके चर्चे हैं।।
अब परिवार नहीं मिलते हैं।
बच्चे बालकपना खोते हैं।।
दादा-दादी, नाना-नानी।
इनकी केवल बची कहानी।।
पति पत्नी भी नये दौर में।
रहना चाहें अलग ठौर में।।
दौर हाइवे आज है आया।
वृक्षों की सामत है लाया।।
धर्म - संस्कृति का पोषक बनना।
निज जीवन को पावन रखना।।
मात -पिता आराध्य हमारे।
उनके बच्चे सबसे प्यारे।।
आपरेशन सिंदूर हुआ था।
पाकिस्तान बहुत रोया था।।
आपरेशन सिंदूर था भारी।
आई पाक के काम न यारी।।
सिंधु नदी का पानी रोका।
शूल पाक सीने में भोंका।।
भागम-भाग मचा जीवन में।
जैसे मानव है सदमे में।।
राजनीति का खेल निराला।
एक दूजा करता मुँह काला।।
राम अयोध्या आज पधारे।
रोशन हुए चौक-चौबारे।।
बच्चे समय से बड़े हो रहे।
नहीं किसी की बात सुन रहे।।
रिश्ते भी अब भाव खो रहे।
स्वार्थ सभी के बड़े हो रहे।।
मात- पिता लाचार हो रहे।
बच्चे उनसे दूर हो रहे।।
जाति-धर्म का खेल न खेलो।
ईश्वर अल्लाह आप न तोलो।।
राम रहीम में भेद नहीं है।
मानो कहना यही सही है।।
लव जिहाद का जाल है फैला।
जाने कितना मन है मैला।।
सुधीर श्रीवास्तव