लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती (31 अक्टूबर) पर राष्ट्रीय एकता दिवस विशेष
व्यंग्य - रन फॉर यूनिटी
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लौह पुरुष सरदार पटेल जी के जन्म दिवस पर
हम सब राष्ट्रीय एकता दिवस मनाते हैं,
जिला, प्रांत, राष्ट्र स्तर पर 'रन फॉर यूनिटी' का
भव्य से भव्यतम आयोजन करते-कराते हैं।
सच कहें तो हम लौह पुरुष पर बड़ा अहसान करते हैं
इस दिन तो हम सब एकता की बात करते हैं,
एकता की औपचारिकता ही सही, निभाते तो हैं।
हम सब इतने समझदार हो गए हैं,
जो लौह पुरुष की राह पर चलने की बात तो करते हैं
यह और बात है कि हम खुद उसका अनुसरण नहीं करते
फिर भी एकता का शोर तो खूब करते हैं,
यहीं क्या कम है कि हम सब लौह पुरुष को
इसी बहाने याद तो करते हैं,
एकता दिवस के नाम पर इतना काम तो करते हैं।
अब इसमें हमारा तो कोई दोष नहीं
जो एकता की बात भाषणों में तो अच्छी लगती है,
मगर उसकी अहमियत हमारे ही समझ में नहीं आती,
तभी तो आज भी हमें एकता की कहानियाँ सुनाई
और 'रन फॉर यूनिटी' से एकता की घुट्टी पिलाई जाती है।
लौह पुरुष को याद करने के दिवस विशेष को
हम सब सिर्फ याद ही नहीं करते,
बल्कि भव्यता के साथ राष्ट्रीय एकता दिवस के नाम पर
विविध आयोजन करके उन्हें नमन वंदन तो करते हैं,
अपने श्रद्धा सुमन भी बड़ी श्रद्धा से अर्पित करते हैं,
भव्य से भव्यतम एकता दिवस हर साल मनाते हैं,
और एकता की बात को अगले साल तक के लिए
इस बार भी विराम देते हैं,
लौह पुरुष से क्षमा याचना कर शत-शत प्रणाम करते हैं, एकता की बात तो फिलहाल छोड़ते हैं,
आज अभी सिर्फ 'रन बार यूनिटी' दौड़ में
सब मिलकर प्रतिभाग करते हैं,
और राष्ट्रीय एकता दिवस को सार्थकता को
एक नया आयाम देते हैं।
सुधीर श्रीवास्तव