Hindi Quote in Poem by Sudhir Srivastava

Poem quotes are very popular on BitesApp with millions of authors writing small inspirational quotes in Hindi daily and inspiring the readers, you can start writing today and fulfill your life of becoming the quotes writer or poem writer.

1- यम द्वितीया (भाई दूज)
************
भाई-बहन के पवित्र प्रेम, प्यार का प्रतीक है
धर्म ग्रंथों इसके बारे में उल्लिखित है
कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन
यमुना ने भाई यम को अपने घर बुलाकर
स्वागत सत्कार कर भोजन कराया था।
तभी से ये त्योहार भाई-दूज के नाम से मनाया
और यम द्वितीया नाम से भी जाना जाता है।
यमुना के भाई, मृत्यु के देवता यमराज ने
प्रसन्न होकर बहन को वरदान दिया था
कि जो व्यक्ति आज के दिन यमुना में स्नान कर
उनका पूजन अर्चन करेगा,
मृत्यु के पश्चात उसे यमलोक में नहीं जाना पड़ेगा।
सूर्य पुत्री यमुना कष्ट निवारणी देवी स्वरूपा हैं।
यम द्वितीया की पूजा का सरल विधान है,
भावों की पावनता और आत्मीयता ही निदान है।
भाई-बहन एक दूजे के दीर्घायु जीवन के लिए
यम के चित्र/प्रतिमा का पूजन के बाद अर्घ्य देकर
विश्वास के साथ यमदेव से प्रार्थना करें।
कि अष्ट चिरंजीवियों मार्कण्डेय, हनुमान,
परशुराम, व्यास, विभीषण, कृपाचार्य, बलि
और अश्वत्थामा की तरह मम भ्रात को
चिरंजीवी होने का वरदान दें।
तत्पश्चात बहन भाई को भोजन कराए
भोजन के बाद भाई को तिलक लगाए,
भाई भी सामर्थ्य अनुसार बहन को भेंट लाये।
पुरातन विश्वास और मान्यता है
यह द्वितीया के दिन जो बहन अपने हाथ से
अपने भाई को भोजन कराती है
उसके भाई की उम्र तो बढ़ती है
उसके जीवन के सारे कष्ट भी दूर हो जाते हैं।
स्कंद पुराण में इसका वर्णन मिलता है
इस दिन यमराज को प्रसन्न करने
और पूजन करने से मनोवांछित फल
धन-धान्य, यशस्वी, दीर्घायु जीवन का वर संग
यमराज की कृपा का सौभाग्य मिलता है।
********

2 - यम द्वितीया (भाई दूज)
***********
कार्तिक शुक्ल की द्वितीया को
अपने भ्राता यम को अपने घर बुलाया,
प्यार दुलार सत्कार से भोजन कराया
तबसे यह दिवस यम द्वितीया कहलाया।
प्रसन्न हो यम ने यमुना को वर दिया
इस दिन जो जन यमुना में स्नान कर
यम-यमुना का पूजन अर्चन करता
वो मृत्योपरांत यमलोक नहीं जाता
धन-धान्य, यशस्वी, दीर्घायु जीवन का
मनवांछित फल पाता।

सुधीर श्रीवास्तव

Hindi Poem by Sudhir Srivastava : 112004835
New bites

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now