Hindi Quote in Poem by ADITYA RAJ RAI

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📖"किताबें कुछ कहना चाहती हैं"📙


शाम की खामोशी में,
अलमारी के कोने से आती है एक हल्की सी आवाज़,
जैसे कोई पुराना दोस्त पुकार रहा हो —
“अरे, बहुत दिन हुए... हमें खोला नहीं तुमने आज।”

धूल की परतों में लिपटी,
वो किताबें कुछ कहना चाहती हैं,
काग़ज़ों के बीच छुपे अक्षर
अब भी किसी दिल की धड़कन जानना चाहते हैं।

एक किताब मुस्कुराती है —
“याद है, जब बारिश की रात में तुमने मुझे पढ़ा था?
हर शब्द में तुम्हारा सपना था,
हर पन्ने में तुम्हारी आँखों की चमक बसती थी।”

दूसरी किताब शिकायत करती है,
“अब तो मोबाइल में कैद हो गए हो तुम,
जहाँ कहानियाँ स्क्रॉल बनकर बह जाती हैं,
पर महसूस कोई नहीं करता, बस देखते हैं — फिसलते हुए गुम।”

इन किताबों में अब भी
स्याही से भीगी भावनाएँ सोई हैं,
कहीं प्रेम है, कहीं विद्रोह,
कहीं किसी कवि की अधूरी रुलाई रोई है।

कभी एक पन्ना फड़फड़ाता है हवा से,
जैसे कह रहा हो —
“हम आज भी ज़िंदा हैं,
बस किसी दिल के इंतज़ार में हैं जो हमें छू ले।”

किताबें सचमुच बोलती हैं —
बस सुनने वाला कोई चाहिए,
जो पन्ने पलटते वक्त
दिल से समझे, उंगलियों से नहीं।

और शायद...
कभी जब तुम अकेले बैठोगे,
तो कोई पुरानी किताब खुद खुल जाएगी,
कहती हुई —
“चलो, फिर से वही कहानी शुरू करते हैं,
जहाँ तुमने आख़िरी बार छोड़ा था...”📖



लेखक - "आदित्य राज राय"

Hindi Poem by ADITYA RAJ RAI : 112002542
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